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Sunday, January 29, 2023

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या होता है?

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से आशय है किसी देश के कारोबार या उद्योग में किसी दूसरे की कम्पनियों द्वारा किया गया पूँजी निवेश। यह काम किसी कम्पनी को खरीद कर या नई कम्पनी खड़ी करके या किसी कम्पनी की हिस्सेदारी खरीद कर किया जाता है। विदेशी पूँजी निवेश के दो रूपों का जिक्र हम अक्सर सुनते हैं। एक है प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश(एफडीआई)और दूसरा है विदेशी संस्थागत पूँजी निवेश(एफआईआई)। एफआईआई प्राय: अस्थायी निवेश है,जो शेयर बाज़ार में होता है। इसमें निवेशक काफी कम अवधि में फायदा या नुकसान देखते हुए अपनी रकम निकाल कर ले जाता है। एफडीआई में निवेश लम्बी अवधि के लिए होता है।

खतरे का संकेत लाल ही क्यों?

वैज्ञानिक अध्ययनों से पता लगा है कि लाल रंग मनुष्य का ध्यान खींचता है। खतरे का निशान ध्यान खींचने के लिए होता है इसलिए इसके लिए लाल रंग उपयुक्त पाया गया। इसीलिए ट्रैफिक सिग्नल और रेलगाड़ियों के सिग्नल में लाल रंग रोकने के लिए इस्तेमाल होता है। अक्सर अखबारों की सुर्खियाँ लाल रंग में होती हैं। सुर्ख शब्द का अर्थ ही लाल है। कारों की टेल लाइट, लेबलों और होर्डिंगों में लाल रंग वहीं इस्तेमाल होता है जहाँ ध्यान खींचना हो।

दूध में कौन से पोषक तत्व होते हैं?

दूध में 85 प्रतिशत पानी और शेष भाग में वसा और खनिज होते हैं। इसमें प्रोटीन,कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटैमिन बी-2)होता है। इनके अलावा इसमें विटैमिन ए,डी,के और ई सहित फॉस्फोरस,मैग्नीशियम,आयडीन,कई तरह के एंजाइम भी होते हैं। गाय और भैंस के दूध में किसका दूध श्रेष्ठ होता है इसे लेकर कोई आम राय नहीं है। आयुर्वेद में गाय के दूध को बेहतर माना गया है। यह भी कहा जाता है कि गाय के दूध में एटू बीटा प्रोटीन होता है,जो मधुमेह और मस्तिष्क के विकास में सहायक होता है। यह भी कहा जाता है कि यह प्रोटीन देसी गाय में ही मिलता है जर्सी और हॉलस्टीन नस्ल की गायों में नहीं। पर कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है, जबकि भैंस के दूध में यह प्रति ग्राम 0.65 मिली ग्राम होता है। इस लिहाज से छोटे बच्चों को इसे पचाने में दिक्कत हो सकती है। और यह भी कि भैंस के दूध में कैल्शियम,लोह और फॉस्फोरस ज्यादा होता है। मोटे तौर पर दूध शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक है। इस बहस में पड़ना उचित नहीं कि गाय या भैंस में किसका दूध बेहतर है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 28 जनवरी, 2023 को प्रकाशित

Saturday, January 14, 2023

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को क्यों मनाते हैं?

हमारे यहाँ गणतंत्र दिवस का मतलब है संविधान लागू होने का दिन। संविधान सभा ने 29 नवम्बर 1949 को संविधान को अंतिम रूप दे दिया था। इसे उसी रोज, 1 दिसम्बर या 1 जनवरी को भी लागू किया जा सकता था। पर इसके लिए पहले से 26 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई। वह इसलिए कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दिसम्बर 1929 में हुए लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास किया गया और 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी ‘पूर्ण स्वराज्य दिवस’ के रूप में मनाया जाता रहा। पर स्वतंत्रता मिली 15 अगस्त को। अब ‘पूर्ण स्वराज्य दिवस’ यानी 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए संविधान को 26 जनवरी 1950 से लागू करने का फैसला किया गया। गणतंत्र माने जिस देश का राष्ट्राध्यक्ष चुना जाता है। युनाइटेड किंगडम लोकतंत्र हैगणतंत्र नहीं। वहाँ राजा राष्ट्राध्यक्ष हैं, हमारे यहाँ राष्ट्रपति, जो चुनकर आते हैं।

समुद्र कैसे बने?

धरती जब नई-नई थी तब वह बेहद गर्म थी। अब से तकरीबन साढ़े चार अरब साल पहले धरती भीतर से तो गर्म थी ही उसकी सतह भी इतनी गर्म थी कि उस पर तरल जल बन नहीं पाता था। उस समय के वायुमंडल को हम आदि वायुमंडल (प्रोटो एटमॉस्फीयर) कहते हैं। उसमें भी भयानक गर्मी थी। पर पानी सृष्टि का हिस्सा है और सृष्टि के विकास के हर दौर में किसी न किसी रूप में मौज़ूद रहा है। उस गर्म दौर में भी खनिजों के ऑक्साइड और वायुमंडल में धरती से निकली हाइड्रोजन के संयोग से गैस के रूप में पानी पैदा हो गया था। पर वह तरल बन नहीं सकता था, और भाप के रूप में था। वायुमंडल के धीरे-धीरे ठंडा होने पर इस भाप ने बादलों की शक्ल ली। इसके बाद लम्बे समय तक धरती पर मूसलधार बारिश होती रही। यह पानी भाप बनकर उठता और संघनित (कंडेंस्ड) होकर फिर बरसता। इसी दौरान धरती की सतह भी अपना रूपाकार धारण कर रही थी। ज्वालामुखी फूट रहे थे और धरती की पर्पटी या क्रस्ट तैयार हो रही थी। धीरे-धीरे स्वाभाविक रूप से पानी ने अपनी जगह बनानी शुरू की। धरती पर जीवन की शुरूआत के साथ पानी का भी रिश्ता है। जहाँ तक महासागरों की बात है पृथ्वी की सतह का लगभग 72 फीसदी हिस्सा महासागरों के रूप में है। दो बड़े महासागर प्रशांत और अटलांटिक धरती को लम्बवत महाद्वीपों के रूप में बाँटते हैं। हिन्द महासागर दक्षिण एशिया को अंटार्कटिक से अलग करता है और ऑस्ट्रेलिया तथा अफ्रीका के बीच के क्षेत्र में फैला है। एक नज़र में देखें तो पृथ्वी विशाल महासागर हैजिसके बीच टापू जैसे महाद्वीप हैं। इन महाद्वीपों का जन्म भी धरती की संरचना में लगातार बदलाव के कारण हुआ है, जिसकी अलग कहानी है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 14 जनवरी, 2023 को प्रकाशित