Saturday, August 5, 2017

अंतरिक्ष का मौसम कैसा है, ठंडा या गरम?

धरती और अंतरिक्ष में एक बुनियादी अंतर है. वहाँ वातावरण नहीं होता. यानी जैसे धरती पर चारों और हवा की परत है वैसी हवा वहाँ नहीं होती. धरती पर तापमान को नियंत्रित रखने में हवा की काफी बड़ी भूमिका होती है. अंतरिक्ष में आपका कितना तापमान से सामना होगा, यह आपकी स्थिति पर निर्भर करेगा. यानी आप कहाँ हैं.

यदि आप धरती की कक्षा में हों और चक्कर लगा रहे हों, तो जब आपके ऊपर धूप होगी, तब तापमान 122 डिग्री या इससे ज्यादा हो सकता है. जैसे ही आप घूमकर कक्षा के उस हिस्से में पहुँचेंगे जहाँ से आपके ऊपर धूप नहीं पड़ रही होगी तो तापमान शून्य से 180 डिग्री तक पहुँच जाएगा. यानी धूप हटी तो आप जम जाएंगे.

यह तो पृथ्वी की कक्षा की बात हुई. यदि आप धरती की कक्षा से निकल कर सूर्य की तरफ बढ़ेंगे तो तापमान बढ़कर इतना ज्यादा हो जाएगा कि आप देखते ही देखते स्वाहा हो जाएं. इसके विपरीत यदि आप सूर्य के दूर जाएंगे, तब तापमान घटेगा. प्लूटो के बाद अंतरिक्ष में तापमान 270 डिग्री से भी कम मिलेगा. इस तापमान को अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा में कॉस्मिक बैकग्राउंड टेम्परेचर कहा जाता है. यानी अंतरिक्ष का सामान्य तापमान.  

पैराशूट में छेद क्यों होता है?

इसके दो-तीन कारण हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब सबसे पहले पैराशूट बनाए गए, तब उनमें छेद नहीं होता था, वे एकदम वैसे छाते जैसे होते थे, जैसे हमारे बरसात के छाते होते हैं. इसकी वजह से दो खतरे पैदा होने लगे. पहला खतरा तो उस जबर्दस्त झटके का था, जो पैराशूट के खुलते ही लगता था. आकाश से कूदने के फौरन बाद व्यक्ति का पैराशूट खुलता नहीं. धरती की दिशा में उसके गति फौरन तेज होती जाती है. जैसे ही पैराशूट खुलता, उसे झटका लगता. इससे हड्डी टूटने तक का डर होता था.

दूसरा खतरा था नीचे गिरते पैराशूट का पैंडुलम की तरह डोलना. इससे होता यह था कि कई बार पैराशूट इतना घूम जाता था जैसे छतरी पलट जाती है. उसमें भरी हवा निकल जाती और पैराशूट की शक्ल बिगड़ जाती. इसके कारण दुर्घटना का खतरा होता था. इन खतरों को देखते हुए पैराशूट में वेंटीलेटर छेद बनाए गए, जिनसे होकर हवा निकलती रहती है और पैराशूट न तो झटका देता है और न पैंडुलम की तरह घूमता है. इसके अलावा तह किया पैराशूट खुलने में भी आसानी होती है.

कंप्यूटर डिवाइस को माउस क्यों कहते हैं?

माउस का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डगलस एंजेलबार्ट (Douglas Engelbart)  ने 1963 में किया था. यह आविष्कार की-बोर्ड युक्त पर्सनल कंप्यूटर के 1977 में हुए आविष्कार के काफी पहले हो गया. शुरू में एंजेलबार्ट ने इसके साथ लगा कॉर्ड इसके पीछे लगाया, जिसके कारण वह दुमदार चूहे जैसा लगने लगा. हालांकि बाद में कॉर्ड को आगे लगा दिया गया और अब तो बगैर कॉर्ड वाले माउस आ रहे हैं, पर इसे माउस कहना शुरू हुआ तो चलता ही रहा.

रेनबो डाइट क्या होती है?

रेनबो यानी इन्द्रधनुष के रंगों का भोजन. व्यावहारिक मतलब है तरह-तरह के रंगों के फलों और सब्जियों का भोजन जो स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन है. फलों और सब्जियों के तमाम रंग होते हैं और हर रंग का अपना गुण होता है.

दुनिया में सात अजूबे

1.गीज़ा का विशाल पिरामिड (मिस्र), 2.बेबीलोन के झूलते बागीचे (इराक), 3.सिकन्दरिया का प्रकाश स्तम्भ (मिस्र), 4.ओलम्पिया में जियस की मूर्ति (यूनान), 5 हैलिकारनेसस का मकबरा (तुर्की), 6.आर्तिमिस का मंदिर (तुर्की), 7. रोड्‌स के कोलोसस की मूर्ति (यूनान).

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारतीय छात्र और पूर्ण-अंक “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस : भीष्म साहनी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. अब तो इस ब्लाग पर बार-बार आना पड़ेगा.

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