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Saturday, December 21, 2024

कभी ताइवान ही असली चीन था

ताइवान का आधिकारिक नाम है ‘रिपब्लिक ऑफ़ चाइना’। पहले मेनलैंड चीन का यही नाम था, पर आज वह ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ है, जो 1949 के बाद बना।1949 में माओ-जे-दुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने च्यांग काई शेक के नेतृत्व वाली कुओमिंतांग सरकार को लड़ाई में हरा दिया, पर वे समुद्र पार करके ताइवान पर कब्जा नहीं कर सके। ताइवान तथा कुछ द्वीप कुओमिंतांग के कब्जे में रहे।1945 में जब संयुक्त राष्ट्र बन रहा था, तब चीन में कुओमिंतांग सरकार ही थी। शुरू में दुनिया ने साम्यवादी चीन को मान्यता नहीं दी, ताइवान को ही चीन माना।1971 तक चीन की जगह वही संरा का सदस्य था। 25 अक्टूबर 1971 को संरा महासभा ने प्रस्ताव 2758 पास किया, जिसके तहत ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ को वैध प्रतिनिधि माना गया। ताइवान को हटा दिया गया। प्रशांत क्षेत्र के 12 छोटे देशों को छोड़कर शेष विश्व समुदाय उसे स्वतंत्र देश नहीं मानता। अमेरिका का एक विशेष कानून उसके साथ विशेष-संबंध रखने की अनुमति देता है। ऐसे प्रयास भी होते हैं कि उसे संरा में पर्यवेक्षक का दर्जा मिल जाए। उसकी प्रगति को देखते हुए काफी देश उसके साथ आर्थिक-संबंध रखते हैं। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 21 दिसंबर, 2024 को प्रकाशित 







Sunday, December 15, 2024

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

नवंबर 2019 में गूगल ने घोषणा की थी कि कंप्यूटिंग में क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल कर ली गई है। इस दावे की पुष्टि करने का काम अभी जारी है। परंपरागत कंप्यूटर भौतिक शास्त्र के परंपरागत सिद्धांतों पर काम करते हैं। क्वांटम कंप्यूटर उन नियमों पर काम करेगा, जो महीन सबएटॉमिक पार्टिकल्स के व्यवहार को दर्शाते हैं। 1981 में भौतिक विज्ञानी रिचर्ड फेनमैन ने लिखा, ‘प्रकृति की नकल करते हुए हमें क्वांटम मिकेनिक्स का विकास करना होगा, जो सरल नहीं है।’ परंपरागत कंप्यूटर, सूचना को बाइनरी यानी 1 और 0 के तरीके से प्रोसेस करता है, जबकि क्वांटम कंप्यूटर ‘क्यूबिट्स’ (क्वांटम बिट्स) में काम करेगा। इसमें प्रोसेसर 1और 0 दोनों को साथ-साथ प्रोसेस करेगा। ऐसा एटॉमिक स्केल में होता है। इस स्थिति को क्वांटम सुपरपोजीशन कहते हैं। सबसे तेज सुपर कंप्यूटर जिस काम को करने में 10 हजार साल लेगा, उसे नए चिप महज 200 सेकंड लेंगे। आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और अमेज़न जैसे संस्थान रिगेटी और आयोनक (Ionq) जैसे स्टार्टअप्स के साथ इस नई तकनीक पर भारी निवेश कर रहे हैं। अनुमान है कि क्वांटम कंप्यूटिंग 2035 तक 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का उद्योग बन जाएगी।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 14 दिसंबर, 2024 को प्रकाशित



Wednesday, December 4, 2024

आईआईपी क्या है?

हाल में खबर थी कि भारत का औद्योगिक उत्पादन सितंबर में 3.1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि के साथ सकारात्मक पथ पर लौट आया, जबकि अगस्त में इसमें 21 महीनों में पहली बार संकुचन हुआ था। इंडेक्स ऑफ़ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन या आईआईपी औद्योगिक क्षेत्र में किसी खास अवधि में उत्पादन की स्थिति बताता है। भारत में हर महीने इस सूचकांक के आँकड़े जारी होते हैं। भारत में आईआईपी 1950 से जारी किया जा रहा है। 1951 में केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन की स्थापना के बाद से यह संगठन इसे तैयार कर रहा है। सबसे पहले 1937 का आधार वर्ष मानते हुए सूचकांक शुरू किया गया था, जिसमें 15 उद्योग शामिल थे। 1937 के बाद 1946, 1951, 1956, 1960, 1970, 1980-81, 1993-94, 2004-05 और 2011-12 आधार वर्ष माने गए। यह विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के उत्पादन की मात्रा के आधार पर प्रतिशत सुधार या गिरावट को दर्शाता है। इसके लिए अलग-अलग सेक्टर बनाए गए हैं उनमें विनिर्माण, खनन और ऊर्जा तीन उप-क्षेत्र हैं। इनमें भी आठ कोर उद्योगों को 40.27 प्रतिशत वेटेज दिया गया है। ये कोर उद्योग हैं बिजली, इस्पात, रिफाइनरी, खनिज तेल, कोयला, सीमेंट, प्राकृतिक गैस और उर्वरक। 

राजस्थान पत्रिका में 23 नवंबर, 2024 को प्रकाशित



Tuesday, November 19, 2024

एक ओवर में कितनी गेंद?

क्रिकेट के ज्ञात इतिहास में इंग्लैंड में 1888 तक चार गेंदों का एक ओवर होता था, पर 1979-80 तक विभिन्न देशों में चार, पाँच और आठ गेंदों के ओवर भी होते थे।  नवीनतम नियमों (1980 कोड) से पहले, नियम 17.1 में एक ओवर में गेंदों की संख्या को साफ लिखा नहीं गया था। ऐसे में देशों ने ओवर को अलग-अलग परिभाषित किया। इंग्लैंड में 1880 से 1888 तक 4, 1889 से 1899 तक 5, 1900 से 1938 तक 6, 1939 से 1945 तक 8 और 1946 से अब 6 गेंदों का ओवर होता है। ऑस्ट्रेलिया में 1876 से 1888 तक 4, 1891 से 1920 तक 6, 1924-25 में 8, 1928 से 1933 तक 6, 1936 से 1979 तक 8 और उसके बाद से अब 6 गेंदों का ओवर होता है। ऐसा कुछ और देशों में भी हुआ, पर भारत, वेस्टइंडीज, श्रीलंका, जिम्बाब्वे, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात और आयरलैंड में टेस्ट मैच छह गेंदों के ओवर के साथ ही खेले गए। 1980 के कोड 17.1 में लिखा गया, ‘6 गेंदों के ओवर में बारी-बारी से प्रत्येक छोर से गेंद को फेंका जाएगा।’

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 16 नवंबर, 2024 को प्रकाशित


Sunday, November 10, 2024

आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप

आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्लूटीसी), अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का द्विवार्षिक टूर्नामेंट है। इस प्रकार अब क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में से हरेक के लिए एक-एक विश्व चैंपियनशिप हो गई है। शुरुआत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2019 एशेज श्रृंखला के साथ शुरू हुई और जून 2021 में फाइनल में भारत को हराने के बाद न्यूजीलैंड ने ट्रॉफी उठाई। दूसरी चैंपियनशिप 4 अगस्त 2021 को पटौदी ट्रॉफी श्रृंखला के साथ शुरू हुई और जून 2023 में हुए फाइनल में भारत को हराकर ऑस्ट्रेलिया चैंपियन बनी। तीसरी चैंपियनशिप 16 जून 2023 को एशेज श्रृंखला के साथ शुरू हुई और 2025 की गर्मियों में इंग्लैंड में इसका फाइनल होगा। इस चैंपियनशिप का विचार 1996 में वेस्टइंडीज तत्कालीन मैनेजर क्लाइव लॉयड ने रखा था। 2009 में आईसीसी ने प्रस्तावित चैंपियनशिप को लेकर एमसीसी से चर्चा की। न्यूज़ीलैंड के मार्टिन क्रो इस प्रतियोगिता के मुख्य प्रस्तावकों में से एक थे। जुलाई 2010 में आईसीसी के मुख्य कार्यकारी हारून लॉर्गट ने टेस्ट क्रिकेट में घटती दिलचस्पी को दूर करने के लिए चार सर्वश्रेष्ठ रैंक वाले देशों के चतुर्भुज टूर्नामेंट का सुझाव दिया। ऐसा पहला टूर्नामेंट इंग्लैंड और वेल्स में 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की जगह लेने के लिए हुआ।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 9 नवंबर, 2024 को प्रकाशित

 

Thursday, October 31, 2024

अमेरिकी चुनाव का निर्वाचक मंडल


अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में के निर्वाचक मंडल में राज्यों के अलग-अलग वोट हैं। एक राज्य में जिस प्रत्याशी को बहुमत मिलता है, तब राज्य के सभी वोट उसके खाते में जोड़ लिए जाते हैं। नीचे दिए गए वोटों का योग 538 हैं। किसी प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 270 वोटों की आवश्यकता होती है।

इस इनफोग्राफिक में प्रत्येक राज्य (कोलंबिया जिले सहित) के अधिकतम से लेकर न्यूनतम तक इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की सूची है।

Tuesday, October 8, 2024

क्रिकेट की गेंदों के रंग

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तीन रंगों की गेंदों का इस्तेमाल होता है। टेस्ट मैचों में लाल, सीमित ओवरों के मैच में सफेद और डे-नाइट टेस्ट मैचों में गुलाबी। शुरू में गेंद लाल होती थी। 1977 में, कैरी पैकर ने विश्व सीरीज क्रिकेट की शुरुआत की, जिसमें रात में खेल फ्लड लाइट्स में खेले गए। रात में लाल गेंद को देखना तकलीफदेह था, इसलिए सफ़ेद गेंदें आईं। गुलाबी गेंद का इस्तेमाल डे-नाइट टेस्ट के लिए हुआ। टेस्ट मैचों की गेंदों के तीन मुख्य निर्माता हैं: कूकाबुरा, ड्यूक्स और एसजी। भारत में एसजी, इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक अन्य देशों में कूकाबुरा। सीमित ओवरों के सभी अंतर्राष्ट्रीय मैच, सफेद कूकाबुरा से खेले जाते हैं। 1999 के विश्व कप में सफेद ड्यूक गेंदों का इस्तेमाल हुआ, पर उस गेंद के अनियमित व्यवहार के कारण उसके बाद से सफेद कूकाबुरा का ही इस्तेमाल होता है। एक दिवसीय क्रिकेट में, दो गेंदों से खेला जाता है। हरेक छोर से एक। टेस्ट क्रिकेट में, जब गेंद 80 ओवर पुरानी हो जाती है, तो गेंदबाजी करने वाली टीम के कप्तान के पास नई गेंद लेने का विकल्प होता है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 5 अक्तूबर, 2024 को प्रकाशित

Wednesday, September 25, 2024

राष्ट्रीय ध्वज पर देश का नक्शा


दुनिया में दो देश ऐसे हैं, जिनके ध्वजों पर देश के मानचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। ये देश हैं सायप्रस और कोसोवो। 

Saturday, September 21, 2024

गरीबी की रेखा क्या है?

विश्व बैंक के अनुसार 2022 में जिस व्यक्ति की आय 2.15 डॉलर (लगभग 180 रुपये) प्रतिदिन से कम थी, वह गरीबी-रेखा के नीचे था। यह दुनिया का औसत है। यह परिभाषा समय और स्थान के साथ बदलती है। इसमें अब स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन-स्तर को भी शामिल किया जाता है। भारत की औसत गरीबी-रेखा गाँवों में प्रतिव्यक्ति 1,059.42 रुपये प्रतिमाह और शहरों में 1,286 रुपये है। यह राष्ट्रीय औसत है, जो राज्यों में अलग-अलग है। 2011-2012 में पुदुच्चेरी के गाँवों में यह 1,301 रुपये और शहरों में 1,309 रुपये थी, जबकि ओडिशा में क्रमशः 695 और 861 रुपये थी। स्वतंत्रता के बाद से अबतक छह समितियों ने इसपर विचार किया है। योजना आयोग कार्य समूह (1962), वी एम दांडेकर और एन रथ (1971), अलघ समिति (1979), लकड़ावाला समिति (1993), तेंदुलकर समिति (2009) और  रंगराजन समिति (2014)। इस वर्ष फरवरी में नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने 2022-23 के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) के आधार पर कहा कि अब पाँच प्रतिशत से भी कम भारतीय गरीबी रेखा से नीचे हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 21 सितंबर, 2024 को प्रकाशित

 

 

Sunday, September 15, 2024

लेफ्टिनेंट गवर्नर व्यवस्था क्या है?

केंद्रशासित प्रदेशों में लेफ्टिनेंट गवर्नर होते हैं। लेफ्टिनेंट शब्द का अर्थ है उप या सहायक। अमेरिका के 50 में से 45 राज्यों में लेफ्टिनेंट गवर्नर होते हैं। इनमें तीन राज्यों के लेफ्टिनेंट गवर्नर राज्य की सीनेट के स्पीकर होते हैं। वहाँ लेफ्टिनेंट गवर्नर वास्तव में उप-गवर्नर हैं। गवर्नर की अनुपस्थिति में काम करने वाले, पर भारत में लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका फर्क है। उन्हें केंद्रशासित प्रदेश में राष्ट्रपति का सहायक माना जा सकता है। हमारी व्यवस्था ब्रिटिश संसदीय प्रणाली पर आधारित है। राष्ट्रमंडल के ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में लेफ्टिनेंट गवर्नर का मतलब राज्यों में सम्राट का प्रतिनिधि है। वर्तमान समय में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अंडमान-निकोबार, दिल्ली और पुदुच्चेरी में यह व्यवस्था है। शेष केंद्रशासित क्षेत्रों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रशासक होते हैं। पुदुच्चेरी 1962 के पहले फ्रांस के अधीन था। उसके विलय के बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर का पद बनाया गया। अंडमान-निकोबार में 1982 के पहले चीफ कमिश्नर का पद होता था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 बनने के बाद दिल्ली में 1992 में लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति हुई। 2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन के बाद यह पद बना।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 14 सितंबर, 2024 को प्रकाशित

 

Saturday, September 7, 2024

संयुक्त राष्ट्र महासभा को जानिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने अमेरिका जा रहे हैं। 22 सितंबर को वे न्यूयॉर्क के नसाऊ स्टेडियम में ‘मोदी एंड यूएस प्रोग्रेस टुगैदर’ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। पहले खबर थी कि इस यात्रा के दौरान, संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनका संबोधन 26 सितंबर को होगा, पर अब तय हुआ है कि उनके स्थान पर 28 सितंबर को विदेशमंत्री एस जयशंकर का संबोधन होगा। जनरल असेंबली का यह 79वाँ सत्र है। संरा के मुख्य निकाय छह हैं। 1,महासभा, 2.सुरक्षा परिषद, 3.आर्थिक और सामाजिक परिषद, 4.ट्रस्टीशिप परिषद, 5.अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और 6.संरा सचिवालय। इनके अलावा भी संरा के दूसरे अंग हैं। कई मायनों महासभा इनमें सबसे महत्वपूर्ण अंग है। आमतौर पर संरा के नीति संबंधी विषयों पर यहीं विचार होता है और संरा का बजट भी यहाँ से पास होता है। सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों और संगठन के महासचिव की नियुक्ति भी महासभा करती है। संरा के विविध अंगों से प्राप्त रिपोर्टों पर भी महासभा विचार करती है और महासभा के प्रस्तावों के रूप में उन्हें पास भी करती है। संरा महासचिव या महासभा के सभापति की अध्यक्षता में नियमित अधिवेशन हर साल सितंबर में होते हैं। इस साल यह 10 सितंबर को शुरू होगा और इसमें 24 सितंबर से देशों के बीच चर्चा चलेगी।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 7 सितंबर, 2024 को प्रकाशित

 

Saturday, August 31, 2024

कितने प्रकार के ओलिंपिक?

ओलिंपिक खेलों के बाद इन दिनों पेरिस में पैरालंपिक खेल चल रहे हैं। दुनिया में अब चार तरीके के ओलंपिक खेल होते हैं। एक गर्मियों के ओलंपिक, दूसरे सर्दियों के ओलंपिक। तीसरे पैरालंपिक, यानी शारीरिक रूप से विकल खिलाड़ियों के खेल और चौथे युवा यानी यूथ ओलंपिक। 1896 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के बाद सर्दियों के ओलंपिक 1924 से शुरू हुए थे। यूथ ओलंपिक भी गर्मियों और सर्दियों के अलग-अलग होते हैं। पहले ग्रीष्मकालीन यूथ ओलंपिक 2010 में सिंगापुर में हुए और विंटर ओलंपिक 2012 में जनवरी में इंसब्रुक, ऑस्ट्रिया में। 2018 में ब्यूनस आयर्स में तीसरे ग्रीष्मकालीन यूथ ओलंपिक के बाद 2022 में नहीं हो पाए। अब 2026 में डकार, सेनेगल में होंगे। विंटर यूथ ओलंपिक में व्यवधान नहीं पड़ा। जनवरी 2024 में दक्षिण कोरिया के गैंगवा में चौथे शीतकालीन यूथ ओलंपिक हुए। पैरालंपिक खेल भी ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक के साथ होते हैं। इनकी शुरूआत 1948 में हुई। दक्षिण कोरिया के सोल में 1988 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के तुरंत बाद पैरालंपिक भी हुए और तबसे ये ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के फौरन बाद होने लगे हैं। पैरालंपिक खेलों के लिए आईपीसी नाम की संस्था अलग है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 31 अगस्त, 2024 को प्रकाशित

 

 

Saturday, August 24, 2024

स्पेस स्टेशन में भारतीय गगनयात्री

गत 2 अगस्त को, इसरो ने घोषणा की कि 'गगनयान मिशन' के लिए चुने गए दो अंतरिक्ष यात्री, अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से जुड़ा प्रशिक्षण लेने के लिए अमेरिका जा रहे हैं। विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को उड़ान के लिए चुना गया है। ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर उनके बैक-अप होंगे। मिशन एक्स-4 ह्यूस्टन स्थित एक निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा आयोजित आईएसएस के लिए चौथा मानवयुक्त मिशन है। इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र ने इस कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। आईएसएस के कार्यक्रम प्रबंधक के अनुसार, एक्स-4 नवंबर 2024 से पहले उड़ान नहीं भरेगा। एक्सिओम की योजना दुनिया का पहला कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन संचालित करने की है। 22 जून, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका-यात्रा के दौरान संयुक्त बयान में 2024 में आईएसएस के लिए एक संयुक्त प्रयास का उल्लेख किया गया था। गत 27 फरवरी को, तिरुवनंतपुरम में प्रधानमंत्री मोदी ने गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी। शुभांशु शुक्ला और प्रशांत नायर के अलावा ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और अंगद प्रताप। चारों वायुसेना में टेस्ट पायलट हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 24 अगस्त, 2024 को प्रकाशित

 

Sunday, August 18, 2024

स्पेस से वापस कैसे आएंगी सुनीता विलियम्स?

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अंतरिक्ष में फँसे गए हैं। उनकी वापसी शायद फरवरी 2025 में हो पाएगी। बोइंग के स्टारलाइनर यान को नासा का सर्टिफिकेट हासिल करने के इरादे से 5 जून को इसे रवाना किया गया था। 13 जून को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से इसकी डॉकिंग हो गई, पर कुछ खराबियों के कारण इसकी सुरक्षित वापसी लेकर संदेह पैदा होने लगे। इन्हें वापस लाने के लिए बोइंग के प्रतिस्पर्धी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्स्यूल का इस्तेमाल करने का विचार नासा कर रहा है। हालांकि बोइंग का कहना है कि उनके यान के दोष ठीक हो गए हैं, पर नासा का संशय बाकी है। आप सोचेंगे कि वे कहाँ रहेंगे? जवाब है स्पेस स्टेशन में। दुनिया में अबतक 11 स्पेस स्टेशनों का निर्माण हुआ है, पर इस वक्त केवल दो स्टेशन कार्यरत हैं। एक आईएसएस और दूसरा चीन का तियोंगयांग-2। आईएसएस का परिचालन नासा की अगुवाई में 16 देशों का ग्रुप करता है। इसमें सात यात्री रह सकते हैं। भारत ने भी 2035 तक एक स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है। उसमें तीन से छह तक यात्री रह सकेंगे।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 17 अगस्त, 2024 को प्रकाशित

 

Saturday, August 10, 2024

वीडियो रेफरल यानी थर्ड अंपायर

खेलों में पहले रेफरी या अंपायर नहीं होते थे। सबसे पहले फुटबॉल में रेफरी बने। पहले टीमों के कप्तान मिलकर तय कर लेते थे कि गोल हुआ या नहीं। अब सभी खेलों में वीडियो रेफरल का चलन बढ़ रहा है और अंपायर के फैसलों को चुनौती देने की व्यवस्था भी है। फुटबॉल में इसे 2018 में मान्यता मिली, पर क्रिकेट और हॉकी में इसने पहले जगह बना ली थी। साठ के दशक में टीवी प्रसारण में इंस्टेंट रिप्ले होते थे। इसी रिप्ले के सहारे क्रिकेट में थर्ड अंपायर की शुरुआत नवंबर 1992 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच डरबन टेस्ट मैच में हुई। मैच के दूसरे दिन थर्ड अंपायर के फैसले से सचिन तेंदुलकर रन आउट हुए थे। फिर डीआरएस (डिसीज़न रिव्यू सिस्टम) की ईज़ाद हुई और 2008 में भारत-श्रीलंका टेस्ट मैच में इसका परीक्षण हुआ। 23-26 जुलाई के बीच खेले गए टेस्ट मैच में वीरेंद्र सहवाग इस सिस्टम के तहत आउट पहले खिलाड़ी थे। नवंबर 2009 में ड्यूनेडिन में न्यूज़ीलैंड-पाकिस्तान टेस्ट में आधिकारिक रूप से इसे लागू किया गया। जनवरी 2011 में इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई, तब पहली बार एकदिनी मैचों में और 2017 में टी-20 में इसकी अनुमति मिली। इसमें तकनीकी सुधार होते गए और हो रहे हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित

 

Saturday, August 3, 2024

ओलिंपिक खेलों में महिलाओं का मुश्किल सफर

ओलिंपिक खेलों में महिलाएं धूम मचा रही हैं, पर यह सफर आसान नहीं रहा है। दुनिया के दूसरे मसलों की तरह खेल-कूद को भी केवल पुरुषों तक ही सीमित रखा गया था। 1996 में आधुनिक ओलिंपिक पुरुषों के उत्सव के रूप में ही शुरू हुए थे। स्त्रियों को नाजुक मानकर शामिल नहीं किया गया। बावजूद इसके यूनान की महिला स्तामाता रेविती ने मैराथन दौड़ में शामिल होने का फैसला किया, पर उसे अनुमति नहीं मिली। शहर के बुजुर्ग धर्मगुरु ने पुरुष खिलाड़ियों को आशीर्वाद दिया, रेविती को नहीं। बावजूद इसके दौड़ के अगले दिन उसने अकेले साढ़े पाँच घंटे में दौड़ पूरी की, पर उसे स्टेडियम के अंदर जाने नहीं दिया गया। बहरहाल 1900 के पेरिस ओलिंपिक में महिलाओं को भी भाग लेने की अनुमति मिली, पर उनके लिए केवल गोल्फ और टेनिस, दो खेल स्पर्धाएं हुईं। 1904 में, तीरंदाजी की अनुमति भी मिली। महिलाओं का समर्थन करने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ था, जिसने 1912 के खेलों में तैराकी में महिलाओं को शामिल करने के लिए मतदान किया। एक बड़ी भूमिका फ्रांसीसी महिला एलिस मिलियात ने अदा की, जिन्होंने 1919 में फ्रांसीसी महिला खेल संघ और 1921 में अंतरराष्ट्रीय महिला खेल महासंघ बनाए और अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति पर दबाव डाला। 1922 से 1934 तक महिला ओलिंपियाड आयोजित किए गए। यह क्रम जारी रहा और 1997 में ओलिंपिक महासंघ के चार्टर में महिलाओं को बढ़ावा देने की बात भी शामिल हो गई।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 3 अगस्त, 2024 को प्रकाशित

Saturday, July 27, 2024

अमेरिकी संसद के चुनाव

 

अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति-चुनाव है, साथ ही संसद के चुनाव भी होंगे, जिसके दो सदन हैं-हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सीनेट। 50 राज्यों के 435 जिलों से 435 सदस्य चुनकर आएंगे, जिनसे 119वें हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव का गठन होगा। यह सदन 3 जनवरी 2025 से 3 जनवरी 2027 तक काम करेगा। देश का उच्च सदन है सीनेट, जिसमें 50 राज्यों से 100 सदस्य आते हैं। हरेक राज्य को चाहे वह छोटा हो या बड़ा, दो-दो सदस्यों के रूप में बराबर का प्रतिनिधित्व मिलता है। सीनेट के अधिकार भी ज्यादा होते हैं। वर्तमान समय में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में रिपब्लिकन पार्टी का, 213 के मुकाबले 218 का क्षीण बहुमत है। दूसरी तरफ सीनेट में डेमोक्रेट्स का 51-49 से बहुमत है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव का कार्यकाल दो वर्ष का और सीनेटरों का छह वर्ष का होता है। चक्रीय व्यवस्था के तहत हरेक दो साल में सदन के 100 सदस्यों में से एक तिहाई नए आते हैं। इसबार 33 सदस्यों का चुनाव होगा, जो छह साल के लिए चुने जाएंगे। इनके अलावा 11 राज्यों और दो टेरिटरीज़ के गवर्नरों, शहरों के मेयरों तथा कई राज्यों तथा स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Saturday, July 20, 2024

दुनिया में महिला-शासक

भारत के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े लोकतंत्र अमेरिका  की स्थापना के 248 साल बाद तक एक भी महिला राष्ट्रपति पद पर आसीन नहीं हो सकी है। युनाइटेड किंगडम में केवल तीन महिलाएं प्रधानमंत्री पद पर रही हैं। बेहतर हैं दक्षिण एशिया के देश जहाँ दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री सिरिमावो भंडारनायके बनीं। उनके बाद इंदिरा गांधी, बेनज़ीर भुट्टो, शेख हसीना और खालिदा जिया प्रधानमंत्री पद पर रहीं। म्यांमार में ऑन्ग सान सू ची भी अपने देश की प्रधानमंत्री रहीं। भारत में प्रतिभा पाटिल और द्रौपदी मुर्मू के अलावा नेपाल में विद्या देवी भंडारी ने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया। महिला राजनीतिक नेताओं के बारे में 2024 के संयुक्त राष्ट्र डेटा के अनुसार दुनिया के 113 देशों में एकबार भी महिला शासनाध्यक्ष या राष्ट्राध्यक्ष पद पर आसीन नहीं हुई हैं। इस समय केवल 11 देशों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। केवल 23 प्रतिशत मंत्रिपद स्त्रियों के पास हैं। 1 जनवरी 2024 तक के डेटा के अनुसार 141 देशों में कैबिनेट मंत्रियों के पद पर एक तिहाई से कम स्त्रियाँ हैं और सात देशों की कैबिनेट में एक भी महिला मंत्री नहीं है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 20 जुलाई, 2024 को प्रकाशित

Saturday, July 13, 2024

जहाँ रविवार को छुट्टी नहीं होती

पिछले दिनों चुनाव-प्रचार के दौरान एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में रविवार की छुट्टी की जड़ें ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से जुड़ी हैं। रविवार की छुट्टी मूलतः ईसाई परंपरा है। माना जाता है कि ईसाई धर्म को स्वीकार करने वाले रोम के पहले राजा कान्स्टेंटाइन ने 7 मार्च, 321 को आदेश दिया था कि रविवार को सार्वजनिक अवकाश रहेगा, ताकि लोग चर्च जाएं। दुनिया के काफी देशों में रविवार को छुट्टी होती है, पर सभी में नहीं होती। हमारे पड़ोस में नेपाल है, जहाँ शनिवार को साप्ताहिक छुट्टी होती है। बड़ी संख्या में इस्लामिक देशों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश होता है, जिनमें- बांग्लादेश, यमन, सीरिया, सऊदी अरब, कुवैत, ईरान, अफगानिस्तान, इराक, मालदीव, कतर, अल्जीरिया, सूडान, लीबिया, मिस्र, ओमान, बहरीन शामिल हैं। यहूदियों के देश इसराइल में शुक्र-शनि को साप्ताहिक अवकाश होता है। पाकिस्तान, मोरक्को, ट्यूनीशिया, लेबनॉन और सेनेगल जैसे इस्लामिक देशों में रविवार को ही अवकाश होता है। संयुक्त अरब अमीरात में, पहले शुक्रवार को होता था, पर 2022 के बाद से शनिवार और रविवार को होने लगा है, ताकि शेष विश्व के साथ उसके बाजारों का संपर्क बना रहे।  

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 13 जुलाई, 2024 को प्रकाशित

Saturday, July 6, 2024

भारत में ईवीएम

चुनाव आयोग ने पहली बार 1977 में इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से ईवीएम का प्रोटोटाइप बनाने के लिए कहा। 1980 में राजनीतिक दलों को प्रोटोटाइप दिखाया गया और लगभग सभी ने उसे पसंद किया। बीईएल को ईवीएम बनाने का जिम्मा दिया गया और इसका पहला प्रयोगात्मक इस्तेमाल 1982 में केरल के पारावुर विधानसभा चुनाव में हुआ। जन प्रतिनिधित्व कानून-1951 के तहत चुनाव में केवल बैलट पेपर का इस्तेमाल हो सकता था। पारावुर के कुल 84 पोलिंग स्टेशनों में से 50 पर ईवीएम का इस्तेमाल हुआ, पर परिणाम को लेकर विवाद हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने का आदेश दिया। फैसले के बाद आयोग ने ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया। 1988 में कानून में संशोधन करके ईवीएम को कानूनी बनाया गया। मशीनों का पहला प्रयोगात्मक इस्तेमाल नवंबर 1998 में 16 विधान सभा क्षेत्रों में हुआ। 2004 के लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। उस चुनाव के बाद यूपीए सरकार बनी। 2009 में भी यूपीए की जीत के बाद भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ईवीएम का विरोध किया था। अब दूसरे दल कर रहे हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 6 जुलाई, 2024 को प्रकाशित

Saturday, June 29, 2024

कैबिनेट कमेटियाँ क्या होती हैं?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बने मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्य वही हैं, जो पिछली सरकार में थे। इतना ही नहीं सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के सदस्य भी वही हैं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल कैबिनेट मंत्रियों की कुछ कमेटियाँ भी होती है। इन्हें बोलचाल में सुपर कैबिनेट भी कह सकते हैं। एक मायने में कैबिनेट के फैसलों के पहले या साथ-साथ इन कमेटियों के फैसलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सीसीएस यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी। इसमें सामान्यतः प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री, रक्षामंत्री, विदेशमंत्री और वित्तमंत्री शामिल होते हैं। यह कमेटी अहम नीतिगत और राजनयिक प्रश्नों पर विचार करती है। सीसीएस दूसरे देशों से संधियों, समझौतों, हथियारों की खरीद-बिक्री, देश के अंदर सुरक्षा हालात पर फैसले करती है। एसीसी यानी अपॉइंटमेंट्स कमेटी ऑफ द कैबिनेट भी महत्वपूर्ण होती है। इसमें प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री होते हैं। यह कमेटी कैबिनेट सचिव और सचिवों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करती है। इनके अलावा कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्सकैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स, कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स भी होती हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 29 जून, 2024 को प्रकाशित

Friday, June 28, 2024

स्त्रियों का हितैषी नगर सोल

महिला पार्किंग
2007 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल को स्त्रियों का हितैषी नगर बनाने के लिए 10 करोड़ डॉलर के खर्च से एक कार्यक्रम शुरू किया गया। इसके तहत कुछ फुटपाथों पर स्पंज जैसी सामग्री का इस्तेमाल किया गया, ताकि हाई हील पहनने वाली महिलाओं को दिक्कत न हो। इतना ही नहीं, करीब 5,000 पार्किंग-स्पॉट केवल महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए। उन्हें गुलाबी रंग दिया गया। इसके बाद जुलाई, 2023 में इन महिला पार्किंग-स्पॉट को खत्म करके उन्हें परिवार हितैषी स्पॉट बना दिया गया।  
परिवार पार्किंग

ब्रिटानिका वन गुड फैक्ट

Thursday, June 27, 2024

आयरलैंड में 1995 तक अवैध था तलाक

आयरलैंड के 1937 के संविधान में तलाक को अवैध घोषित कर दिया गया था। यह नियम 1995 में हुए जनमत-संग्रह के बाद बदला गया। इस जनमत-संग्रह के पक्ष में 50.28 प्रतिशत और विरोध में 49.79 प्रतिशत वोट पड़े। तलाक को वैध-कार्य ठहराने वाले देशों में यूरोप का अंतिम देश है आयरलैंड।

ब्रिटानिका वन गुड फैक्ट

Sunday, June 16, 2024

ग्रैंड स्लैम के भी कई नाम हैं

ग्रैंड स्लैम का मतलब है दुनिया में टेनिस की चार सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में विजय हासिल करना। ये चार प्रतियोगिताएं हैं ऑस्ट्रेलिया ओपन, फ्रेंच ओपन, विंबलडन और यूएस ओपन। अब प्रोफेशनल टेनिस की प्रतियोगिताओं में एटीपी टुअर सीरीज़ भी होती है, जिसका वर्ष के अंत में एटीपी वर्ल्ड टुअर फाइनल होता है। यह प्रतियोगिता परंपरागत ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिता नहीं है, पर प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जरूर है। ग्रैंड स्लैम को कई नाम मिल गए हैं:-

मुख्य या कैलेंडर ग्रैंड स्लैम तब होता है जब कोई खिलाड़ी एक कैलेंडर वर्ष में सभी चार प्रमुख टूर्नामेंट जीतता है।

गैर-कैलेंडर वर्ष ग्रैंड स्लैम तब होता है जब खिलाड़ी लगातार सभी चार प्रमुख प्रतियोगिताओं में चैंपियन बनता है, पर ऐसा वह दो कैलंडर वर्ष में करता है। उदाहरण के लिए, वह 2005 में विंबलडन और यूएस ओपन में जीते और फिर 2006 में ऑस्ट्रेलिया और फ्रेंच ओपन। 1983-84 में मार्टिना नवरातिलोवा ने, 1993-94 में स्टेफी ग्राफ ने, 2002-03 में सेरेना विलियम्स ने और 2015-16 में नोवा जोकोविच ने ऐसे ही जीता। 

करियर ग्रैंड स्लैम यानी खिलाड़ी अपने करियर में कम से कम एक बार चारों प्रमुख प्रतियोगिताएं जीते।

गोल्डन स्लैम यानी खिलाड़ी उस साल के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक में स्वर्ण पदक के साथ-साथ सभी चार प्रमुख प्रतियोगिताएं जीते।

•सुपर स्लैम यानी कि खिलाड़ी सभी चार प्रमुख टूर्नामेंट जीते और साल के अंत

में एटीपी वर्ल्ड टुअर फाइनल भी जीते

• बॉक्स्ड सेट ग्रैंड स्लैम एक कैलेंडर वर्ष में खिलाड़ी सिंगल्स, डबल्स, और मिक्स्ड डबल्स ग्रैंड स्लैम जीते। ऐसा कभी हुआ नहीं है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 15 जून, 2024 को प्रकाशित

 

 

Saturday, June 8, 2024

ऑपरेशन ब्लॉकआउट क्या है?

ब्लॉकआउट-2024, जिसे हैशटैग के साथ लिखा जाता है, सोशल मीडिया पर इन दिनों चल रहा एक ऑनलाइन अभियान है। यह अभियान अमेरिका में ज्यादा लोकप्रिय है। इसमें ऐसे सेलेब्रिटीज़ या संगठनों को सोशल मीडिया पर ब्लॉकआउट करने की अपील की जाती है, जो गज़ा में चल रही लड़ाई में इसराइली कार्रवाई को लेकर मौन हैं, या कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं। हाल में जब भारत की आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और विराट कोहली जैसे सितारों के नाम ब्लैकआउट लिस्ट में डाले गए, तो हमारे यहाँ इसकी तरफ ध्यान गया।

इसकी शुरुआत 6 मई, 2024 को टिकटॉक पर सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हेली कैलिल की एक पोस्ट से हुई थी। हाल में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इसराइली कार्रवाई के विरुद्ध चले आंदोलन के दौरान यह अभियान काफी लोकप्रिय हुआ। टिकटॉक पर हेली कैलिल की पोस्ट के बाद @ब्लॉकआउट2024 (@BlockOut2024) नाम से एक एकाउंट तैयार हो गया। अब ऐसे कई एकाउंट सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। ये उन सेलेब्रिटीज़ को लक्ष्य करते हैं, जो इसराइली कार्रवाई के खिलाफ बोल नहीं रहे हैं। इस अभियान के दबाव में कुछ सेलेब्रिटीज़ ने इसराइल की निंदा करना शुरू कर दिया है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 8 जून, 2024 को प्रकाशित

Saturday, June 1, 2024

अल-नीनो और ला-नीना क्या हैं?

इस साल भारत के मौसम कार्यालय ने वर्षा-ऋतु में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना व्यक्त की है, क्योंकि अगस्त-सितंबर के महीने में पूर्वी प्रशांत महासागर में ला-नीना परिस्थिति पैदा होने की संभावना है। इसके विपरीत जब भी अल-नीनो परिस्थिति पैदा होती है, तब बारिश कम होने की संभावना होती है। अल-नीनो और ला-नीना, मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में हुई बढ़ोत्तरी या गिरावट के मानक के रूप में स्थापित हो गए हैं। इनके आधार पर मौसम विज्ञानी जलवायु का अनुमान लगाते हैं।

दुनिया के किसी एक हिस्से में समुद्र का तापमान औसत से ज़्यादा गर्म या ठंडा होना, पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित कर सकता है। प्रशांत महासागर में सामान्य परिस्थितियों के दौरान, व्यापारिक हवाएँ भूमध्य रेखा के
साथ पश्चिम की ओर बहती हैं
, जो गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं। उस गर्म पानी को बदलने के लिए, ठंडा पानी गहराई से ऊपर उठता है-एक प्रक्रिया जिसे अपवैलिंग (उत्स्रवण) कहा जाता है।

अल-नीनो और ला-नीना दो विपरीत जलवायु पैटर्न हैं जो सामान्य स्थितियों में बदलाव लाते हैं। वैज्ञानिक इसे अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) कहते हैं। हर दो से सात साल में मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से एक से तीन डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा गर्म हो जाता है। इसके विपरीत ला-नीना तब माना जाता है, जब पूर्वी प्रशांत में महासागर की सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा ठंडा हो जाता है। इससे पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ऊपर जोरदार दबाव बन जाता है। अल नीनो और ला नीना के एपिसोड आम तौर पर नौ से 12 महीने तक चलते हैं, लेकिन कभी-कभी वर्षों तक भी रह सकते हैं। ये पैटर्न हर दो से सात साल में अनियमित रूप से आगे-पीछे बदलते रहते हैं। अल-नीनो का प्रभाव अक्सर दिसंबर के दौरान चरम पर होता है। भारत में मानसून के इतिहास को देखें तो जितने भी साल यहां अल-नीनो प्रभाव रहा है, इसकी वजह से मानसून प्रभावित हुआ है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 1 जून, 2024 को प्रकाशित

Tuesday, May 28, 2024

यमुना नदी कितने वर्ष पुरानी है?

यमुनोत्री मंदिर और पृष्ठभूमि में नदी 

करीब सात करोड़ साल पहले सुपर महाद्वीप गोंडवाना यानी इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट उत्तर की ओर बढ़ी और यूरेशियन प्लेट से टकराई। इससे ज़मीन का काफी हिस्सा उठ गया। यही उभरी हुई ज़मीन हिमालय है। इस टकराव को पूरा होने में करीब दो करोड़ साल लगे। जिस इलाके में कभी समुद्र था वहाँ दुनिया के सबसे ऊँचे पहाड़ बन गए। यह बात अब से करीब पाँच करोड़ साल पहले की है। इसके दो करोड़ साल बाद पहला हिमयुग आया। हिमयुगों का अंतिम दौर करीब 20 हजार साल पहले तक चला। ग्लेशियरों के पिघलने के साथ ही नदियों का जन्म भी हुआ। यमुना नदी 6387 मीटर की ऊँचाई पर स्थित बंदरपूँछ ग्लेशियर से निकलती है और यमुनोत्री में प्रकट होती है। उसके काफी पहले ग्लेशियरों की पिघली बर्फ का पानी सतह पर या ज़मीन के नीचे से होता हुआ यमुनोत्री तक आता है। सम्भवतः यह कभी घग्घर या सरस्वती की सहायक नदी थी, जो अब लुप्त हो गई है। यह गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी है, जो त्रिवेणी के संगम में गंगा से मिलने के पहले 1,376 किलोमीटर लम्बा रास्ता पार करके आती है। यह देश की ऐसी सबसे लम्बी नदी है, जो सागर में नहीं गिरती हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना सूर्य की पुत्री और यमराज की बहन हैं। जिस पहाड़ से निकलतीं हैं उसका एक नाम कालिंद है इसलिए यमुना को कालिंदी भी कहते हैं।

Monday, May 27, 2024

भारत में मुगल बादशाहों का क्रम

ऊपर बाएं से दाएं बाबर, हुमायूं और अकबर। नीचे बाएं से दाएं जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगज़ेब।

 

नाम

जन्म नाम

जन्म

राज्य काल

निधन

1

बाबर

ज़हीरुद्दीन मुहम्मद

23 फ़रवरी 1483

30 अप्रैल 1526 – 26 दिसम्बर 1530

5 जनवरी 1531 (आयु 47)

2

हुमायूँ

नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ

17 मार्च 1508

26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540     

22 फ़रवरी 1555 – 27 जनवरी 1556

27 जनवरी 1556 (आयु 47)

3

अकबर-ए-आज़म

जलालुद्दीन मुहम्मद

14 अक्टूबर 1542

27 जनवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605

27 अक्टूबर 1605 (आयु 63)

4

जहांगीर

नूरुद्दीन मुहम्मद सलीम

20 सितम्बर 1569

15 अक्टूबर 1605 – 8 नवम्बर 1627

8 नवम्बर 1627 (आयु 58)

5

शहरयार

सलेफ-उद्दीन मुहम्मद

16 जनवरी 1605

23 जनवरी 1628 Claimed the throne but lost it within 3 hours

23 जनवरी 1628

6

शाह-जहाँ-ए-आज़म

शहाबुद्दीन मुहम्मद ख़ुर्रम

5 जनवरी 1592

8 नवम्बर 1627 – 2 अगस्त 1658

22 जनवरी 1666 (आयु 74)

7

औरंगजेब या आलमगीर

मुइनुद्दीन मुहम्मद औरंगजेब

4 नवम्बर 1618

31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707

3 मार्च 1707 (आयु 88)

8

आजम शाह

अबुल फैज क़ुतुबुद्दीन मुहम्मद आजम

28 जून 1653

14 मार्च 1707-8 जून 1707

8 जून 1707

9

बहादुर शाह

क़ुतुबुद्दीन मुहम्मद मुआज्ज़म

14 अक्टूबर 1643

19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712

27 फ़रवरी 1712 (आयु 68)

10

जहांदार शाह

माज़ुद्दीन जहंदर शाह बहादुर

9 मई 1661

27 फ़रवरी 1712 – 11 फ़रवरी 1713

12 फ़रवरी 1713 (आयु 51)

11

फर्रुख्शियार

फर्रुख्शियार

20 अगस्त 1685

11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719

29 अप्रैल 1719 (आयु 33)

12

रफी उल-दर्जत

रफी उल-दर्जत

30 नवम्बर 1699

28 फ़रवरी – 6 जून 1719

9 जून 1719 (आयु 19)

13

शाहजहां द्वितीय

रफी उद-दौलत

जून 1696

6 जून 1719 – 19 सितम्बर 1719

19 सितम्बर 1719 (आयु 23)

14

मुहम्मद शाह

रोशन अख्तर बहादुर

17 अगस्त 1702 

27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748

26 अप्रैल 1748 (आयु 45)

15

अहमद शाह बहादुर

अहमद शाह बहादुर

23 दिसम्बर 1725

26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754

1 जनवरी 1775 (आयु 49)

16

आलमगीर द्वितीय

अज़ीज़ुद्दीन

6 जून 1699

2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759

29 नवम्बर 1759 (आयु 60)        

17

शाहजहां तृतीय

मुही-उल-मिल्लत

 

10 दिसम्बर 1759 – 10 अक्टूबर 1760

1772

18

शाह आलम द्वितीय

अली गौहर

25 जून 1728

24 दिसम्बर 1759 – 19 नवम्बर 1806

19 नवम्बर 1806 (आयु 78)

19

अकबर शाह द्वितीय

मिर्ज़ा अकबर या अकबर शाह सानी

22 अप्रैल 1760

19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837

28 सितम्बर 1837 (आयु 77)

20

बहादुर शाह द्वितीय

अबू ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फर

24 अक्टूबर 1775

28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857

7 नवम्बर 1862