Monday, July 1, 2013

श्रीलंका को अलग देश के रूप में कब मान्यता मिली?


श्रीलंका को अलग देश के रूप में कब मान्यता मिली?



इतिहासकारों में इस बात की आम धारणा थी कि श्रीलंका के आदिम निवासी और दक्षिण भारत के आदिम मानव एक ही थे। पर अभी ताजा खुदाई से पता चला है कि श्रीलंका के शुरुआती मानव का सम्बंध उत्तर भारत के लोगों से था । भाषिक विश्लेषणों से पता चलता है कि सिंहली भाषा, गुजराती और सिंधी से जुड़ी है। तीसरी सदी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र के यहां आने पर बौद्ध धर्म का आगमन हुआ । सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों ने श्रीलंका में कदम रखा और श्रीलंका व्यापार का केन्द्र बनता गया । पहले पुर्तगाल ने कोलम्बो के पास अपना दुर्ग बनाया । धीरे धीरे अपना प्रभुत्व आसपास के इलाकों में बना लिया । श्रीलंका के निवासियों में उनके प्रति घृणा घर कर गई । उन्होने डच लोगो से मदद की अपील की । 1630 डचों ने पुर्तगालियों पर हमला बोला और उन्हे मार गिराया । पर उन्होने आम लोगों पर और भी जोरदार कर लगाए । 1660 में एक अंग्रेज का जहाज गलती से इस द्वीप पर आ गया । उसे कैंडी के राजा ने कैद कर लिया । उन्नीस साल तक कारागार में रहने के बाद वह यहां से भाग निकला और उसने अपने अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक लिखी जिसके बाद अंग्रेजों का ध्यान भी इसपर गया । उन्होने डच इलाकों पर अधिकार करना आरंभ कर दिया । 1800 इस्वी के आते आते तटीय इलाकों पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया । 1818 तक अंतिम राज्य कैंडी के राजा ने भी आत्मसमर्पण कर दिया और इसतरह सम्पूर्ण श्रीलंका पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया । 1930 के दशक में स्वाधीनता आंदोलन तेज हुआ । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को देश को संयुक्त राजशाही से पूर्ण स्वतंत्रता मिली ।

पॉलीथीन की शुरूआत कैसे हुई?
पॉलीथायलीन या पॉलीथीन दुनिया का सबसे लोकप्रिय प्लास्टिक है। पॉलीथीन सबसे पहले जर्मन केमिस्ट हैंस वॉन पैचमान ने सन 1898 में अचानक खोज लिया था। उन्होंने प्र.ग करते वक्त सफेद रंग के मोम जैसे पदार्थ को बनते देखा और उसका नाम पॉलीथीन रखा। औद्योगिक रूप पॉलीथीन का आविष्कार 1933 में नॉर्थविच इंग्लैंड एरिक फॉसेट और रेगिनाल्ड गिबसन से एक एक्सीडेंट में हो गया। इस एक्सीडेंट रूपी प्रयोग को दुबारा करना मुश्किल था, पर 1935 में इसे भलीभांति कर लिया गया। दरअसल एथिलीन और बेंजलडिहाइड के मिश्रण पर बहुत भारी प्रेशर डालना था, जिससे यह पदार्थ बनता था। बहरहाल आज यह तकनीक सामान्य हो गई है।
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