Saturday, August 26, 2017

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कैसे होती है?

संविधान के अनुच्छेद 124 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति का प्रावधान है. इसमें मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के बारे में किसी विशेष प्रावधान का जिक्र नहीं है. अलबत्ता सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को नियुक्त करने की परंपरा बन गई है. निवृत्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने बाद के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के नाम की संस्तुति राष्ट्रपति से करते हैं. वरिष्ठता सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की तिथि से तय होती है.

सामान्यतः वरिष्ठतम न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश बनाने की परंपरा है, पर बताया जाता है कि 6 नवंबर 1951 को मुख्य न्यायाधीश हरिलाल कानिया के निधन के समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जस्टिस पतंजली शास्त्री की वरिष्ठता का उल्लंघन करना चाहते थे, पर उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के सभी छह जजों ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो हम सब त्यागपत्र दे देंगे. तब जस्टिस शास्त्री को ही मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. तबसे वरिष्ठता की परंपरा बन गई.

वरिष्ठता की परंपरा का दो बार उल्लंघन हुआ है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में दोनों मौके आए. पहली बार 25 अप्रैल 1973 में जस्टिस एएन रॉय को तीन न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. दूसरी बार इमर्जेंसी के दौरान 29 जनवरी 1977 को जस्टिस एचआर खन्ना की वरिष्ठता की अनदेखी करके जस्टिस एमएच बेग को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया.

इस समय देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर हैं, जिनका कार्यकाल 27 अगस्त को समाप्त हो रहा है. उनके स्थान पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज दीपक मिश्रा को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त कर दिया गया है. वे मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की जगह लेंगे. जस्टिस मिश्रा देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश होंगे.

स्वतंत्र भारत के मुख्य न्यायाधीशों की सूची

1.हरिलाल जैकिसनदास कानिया, 2.एम पतंजली शास्त्री, 3.मेहर चंद महाजन, 4.बिजन कुमार मुखर्जी, 5.सुधी रंजन दास, 6.भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा, 7.प्रह्लाद बालाचार्य गजेंद्रगडकर, 8.अमल कुमार सरकार, 9.कोका सुब्बाराव. 10.कैलाश नाथ वांचू, 11.मोहम्मद हिदायतुल्ला, 12.जयंतीलाल छोटालाल शाह, 13.सर्व मित्र सीकरी, 14.अजित नाथ राय, 15.मिर्जा हमीदुल्ला बेग, 16.यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, 17.प्रफुल्लचंद्र नटवरलाल भगवती, 18.रघुनंदन स्वरूप पाठक, 19.एंगलगुप्पे सीतारमैया वेंकटरमैया, 20.सब्यसाची मुखर्जी, 21.रंगनाथ मिश्रा, 22.कमल नारायण सिंह, 23.मधुकर हीरालाल कानिया, 24.ललित मोहन शर्मा, 25.मानेपल्ली नारायण राव वेंकटचलैया, 26.अजीज मुशब्बर अहमदी, 27.जगदीश शरण शर्मा, 28.मदन मोहन पंछी, 29.आदर्श सेन आनंद, 30.सैम पिरोज भरूचा, 31.भूपिंदर नाथ किरपाल, 32.गोपाल बल्लभ पटनायक, 33.वीएन खरे, 34.एस राजेंद्र बाबू, 35. रमेश चंद्र लाहोटी, 36.योगेश कुमार सभरवाल, 37.केजी बालाकृष्णन, 38.एसएच कपाडिया, 39.अल्तमस कबीर, 40.पी सदाशिवम, 41.राजेंद्र मल लोढ़ा, 42.एचएल दत्तू, 43.टीएस ठाकुर, 44.जगदीश सिंह खेहर.

द्रोणाचार्य पुरस्कार कब शुरू हुए?

खेल के मैदान में प्रशिक्षकों का यह सबसे बड़ा भारतीय पुरस्कार है. यह हर साल दिया जाता है. पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार सन 1985 में भालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती), ओम प्रकाश भारद्वाज (बॉक्सिंग) और ओएम नाम्बियार (एथलेटिक्स) को दिए गए.

गांधी जी को क्विट इंडिया के नारे का सुझाव किसने दिया था?

इस नारे का सुझाव स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता युसुफ मेहर अली ने दिया था. अगस्त क्रांति के दौरान सन 1942 में जब वे यरवदा जेल में थे, उसी दौरान वे तत्कालीन बम्बई के मेयर भी चुने गए थे. 
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Thursday, August 17, 2017

सूरजमुखी का फूल हमेशा सूरज की तरफ क्यों होता है?

इस प्रवृत्ति को प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) और हीलियोट्रॉपिज्म (Heliotropism) कहते हैं. सूरजमुखी के पौधे में ऑक्सिन (Auxin ) नाम का एक हॉरमोन होता है. यह हॉर्मोन सूरज की किरणों के प्रति संवेदनशील होता है. पौधे में यह तने के छाया वाले हिस्से में जमा होता है. फूल से छाया बनती है. छाया में ही यह बढ़ता है. इसलिए इसका तना सहज रूप से छाया की ओर घूमता है, जिसके कारण फूल का मुख सूरज की ओर हो जाता है.

इसका परागण से भी संबंध है. ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया’ में काम करने वाले छह अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक दल ने पाया है कि तने में एक दिशा में होने वाली चयनात्मक वृद्धि के कारण सूरजमुखी सूर्य की दिशा में देखता है.  सुबह के समय फूल का चेहरा पूर्व की ओर होता है और फिर जिस दिशा में सूर्य बढ़ता जाता है, यह भी उसी दिशा में घूमता जाता है. रात के समय यह विपरीत दिशा में वापस आ जाता है ताकि सुबह एकबार फिर से इसका चेहरा सूर्य की दिशा में हो सके. सिर्फ नए फूल ही इस लय का पालन करते हैं. जब ये बड़े हो जाते हैं और इनके बीज स्थापित हो जाते हैं तो ये फूल हमेशा अपना मुंह पूर्व की दिशा में रखता है. इससे फूल और परागण करने वाले जीवों के बीच होने वाली प्रक्रिया में लाभ मिलता है.  
दुनिया के पहले एटम बम का कोड नाम क्या था?

पहला एटम बम यानी जिस बम का पहला परीक्षण किया गया. उसका नाम था ट्रिनिटी. इसका विस्फोट 16 जुलाई 1945 को अमेरिका की सेना ने सुबह 5.29 बजे किया. 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर जो पहला बम गिराया गया था उसका नाम था लिटिल बॉय. हिरोशिमा पर बमबारी के तीन दिन बाद 9 अगस्त को जापान के दूसरे शहर नगासाकी पर जो बम गिराया गया उसका नाम था फैट मैन. इस बमबारी के बाद जापान ने 15 अगस्त 1945 को समर्पण की घोषणा कर दी.
शक संवत क्या है?

राष्ट्रीय शाके अथवा शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है. इसका प्रारम्भ यह 78 वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है. यह संवत भारतीय गणतंत्र का सरकारी तौर पर स्वीकृत अपना राष्ट्रीय संवत है. ईसवी सन 1957 (चैत्र 1, 1879 शक) को भारत सरकार ने इसे देश के राष्ट्रीय पंचांग के रूप में मान्यता प्रदान की थी. इसमें सौर गणना होती है. यानी महीना 30 दिन का होता है. इसे शालिवाहन संवत भी कहा जाता है. इसमें महीनों के नाम विक्रमी संवत जैसे ही हैं. इसके प्रथम माह (चैत्र) में 30 दिन हैं, जो अंग्रेजी लीप ईयर में 31 दिन हो जाते हैं. वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण एवं भाद्रपद में 31-31 दिन एवं शेष 6 मास में यानी आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन में 30-30 दिन होते हैं.
संसद का ‘शून्यकाल’ क्या होता है?
शून्यकाल भारतीय संसदीय व्यवस्था की देन है. आमतौर पर सदन में प्रश्न प्रहर खत्म होने के बाद शुरू होता है. इसमें कोई भी मामला उठाया जा सकता है. साठ के दशक से शुरू हुई यह व्यवस्था अब हमारी संसदीय व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग बन गई है.
JPG और PNG इमेज में क्या फर्क है?

बुनियादी फर्क उसके फॉर्मेट का है, जिसके कारण PNG इमेज को जब कॉम्प्रेस करते हैं तो डेटा लॉस नहीं होता. यानी चित्र में कुछ फर्क आ जाता है, भले ही उसे आप आसानी से देख न पाएं. इसके विपरीत JPG में कुछ फर्क आ जाता है, पर जटिल चित्रों को भी कॉम्प्रेस करने में JPG ज्यादा कुशल है.  
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Sunday, August 13, 2017

क्या आप जानते हैं कि सुभाष चंद्र बोस का राष्ट्रगान क्या था?

सन 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी और जापान के समर्थन से दक्षिण पूर्व एशिया में आर्ज़ी हुकूमत-ए-आज़ाद हिंद यानी स्वतंत्र भारत की कार्यवाहक सरकार की स्थापना की थी. इस सरकार का राष्ट्रगान भी रवीन्द्रनाथ ठाकुर के जन,गण मन की ध्वनि पर आधारित, पर हिंदी में था. इसे शुभ सुख चैन गान कहा जाता है. इसे कैप्टेन आबिद अली ने लिखा था और इसकी संगीत रचना राम सिंह ने की थी. इसका पहला छंद इस प्रकार था:-

शुभ सुख चैन की बरखा बरसे , भारत भाग है जागा/पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्राविड़ उत्कल बंगा/चंचल सागर, विंध्य, हिमालय, नीला जमुना गंगा/तेरे नित गुण गाएँ, तुझसे जीवन पाएँ/हर तन पाए आशा/सूरज बन कर जग पर चमके, भारत नाम सुभागा/जय हो! जय हो! जय हो! जय जय जय जय हो!

अगस्त क्रांति का मतलब क्या है?

सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन को हम अगस्त क्रांति के नाम से जानते हैं. अगस्त क्रांति आंदोलन की शुरूआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी.  द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद जब अंग्रेज़ भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया. इसकी शुरूआत 9 अगस्त, 1942 को हुई थी, इसीलिए भारतीय इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. इसके पहले 14 जुलाई 1942 को वर्धा में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रस्ताव पास करके ब्रिटिश सरकार से माँग की गई कि वह पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा करे. ऐसा नहीं होने पर जनांदोलन की शुरुआत की जाएगी. इसके बाद 8 अगस्त से मुम्बई में हुए कांग्रेस के महाधिवेशन में अंग्रेजो भारत छोड़ो प्रस्ताव पास करके इस आंदोलन की शुरुआत की गई.

राष्ट्रपति भवन पर पहली बार तिरंगा कब फहराया?

14-15 अगस्त की रात में संसद भवन के सेंट्रल हॉल में तिरंगा फहराया गया. इसी कार्यक्रम में 72 महिलाओं के एक समूह का नेतृत्व करते हुए स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती हंसा मेहता ने यह राष्ट्रीय ध्वज संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद को भेंट किया. इसके बाद 15 अगस्त की भोर में इसे वायसरीगल हाउस या वर्तमान राष्ट्रपति भवन के शिखर पर भी फहराया गया. एक जानकारी यह भी है कि 16 अगस्त 1947 को सुबह साढ़े आठ बजे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लालकिले के प्राचीर पर ध्वजारोहण किया था. शेखर चक्रवर्ती की पुस्तक ‘फ्लैग्स एंड स्टैम्प्स’ में लिखा है कि 15 अगस्त 1947 के दिन वायसरीगल लॉज (अब राष्ट्रपति निवास) में जब नई सरकार को शपथ दिलाई जा रही थी तो लॉज के सेंट्रल डोम पर सुबह साढ़े दस बजे आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज पहली बार फहराया गया था. 14 अगस्त 1947 की शाम को ही वायसराय हाउस के ऊपर से यूनियन जैक को उतार लिया गया था. इस यूनियन जैक को आज इंग्लैंड के हैम्पशायर में नॉर्मन ऐबी ऑफ रोमसी में देखा जा सकता है. 15 अगस्त 1947 को सुबह छह बजे राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दिए जाने का कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में पहले समारोहपूर्वक यूनियन जैक को उतारा जाना था लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन और पंडित नेहरू के विमर्श से कार्यक्रम में कुछ बदलाव कर दिया गया.
किस देश में स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता?

स्वतंत्रता दिवस उसी देश में मनाया जाता है जो कभी परतंत्र रहा हो. यूके, रूस, फ्रांस, नेपाल, थाईलैंड, जापान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे अनेक देश नहीं मनाते. पर ज्यादातर देश किसी न किसी चीज की याद में राष्ट्रीय समारोह मनाते हैं. मसलन फ्रांसीसी क्रांति की याद में बास्तील दिवस मनाया जाता है. चीन 1 अक्तूबर को कम्युनिस्ट शासन की शुरूआत को मनाता है. नेपाल 29 मई 2008 को संप्रभुता सम्पन्न गणतंत्र बना. इस दिन यहाँ से राजशाही का खात्मा हुआ. पर वहाँ लोकतंत्र दिवस हर साल फाल्गुन सप्तमी को मनाया जाता है. इस रोज सन 1951 में राजा त्रिभुवन ने देश को राणाशाही के हाथों से निकाल कर लोकतंत्र की स्थापना की थी. 
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Saturday, August 5, 2017

अंतरिक्ष का मौसम कैसा है, ठंडा या गरम?

धरती और अंतरिक्ष में एक बुनियादी अंतर है. वहाँ वातावरण नहीं होता. यानी जैसे धरती पर चारों और हवा की परत है वैसी हवा वहाँ नहीं होती. धरती पर तापमान को नियंत्रित रखने में हवा की काफी बड़ी भूमिका होती है. अंतरिक्ष में आपका कितना तापमान से सामना होगा, यह आपकी स्थिति पर निर्भर करेगा. यानी आप कहाँ हैं.

यदि आप धरती की कक्षा में हों और चक्कर लगा रहे हों, तो जब आपके ऊपर धूप होगी, तब तापमान 122 डिग्री या इससे ज्यादा हो सकता है. जैसे ही आप घूमकर कक्षा के उस हिस्से में पहुँचेंगे जहाँ से आपके ऊपर धूप नहीं पड़ रही होगी तो तापमान शून्य से 180 डिग्री तक पहुँच जाएगा. यानी धूप हटी तो आप जम जाएंगे.

यह तो पृथ्वी की कक्षा की बात हुई. यदि आप धरती की कक्षा से निकल कर सूर्य की तरफ बढ़ेंगे तो तापमान बढ़कर इतना ज्यादा हो जाएगा कि आप देखते ही देखते स्वाहा हो जाएं. इसके विपरीत यदि आप सूर्य के दूर जाएंगे, तब तापमान घटेगा. प्लूटो के बाद अंतरिक्ष में तापमान 270 डिग्री से भी कम मिलेगा. इस तापमान को अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा में कॉस्मिक बैकग्राउंड टेम्परेचर कहा जाता है. यानी अंतरिक्ष का सामान्य तापमान.  

पैराशूट में छेद क्यों होता है?

इसके दो-तीन कारण हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब सबसे पहले पैराशूट बनाए गए, तब उनमें छेद नहीं होता था, वे एकदम वैसे छाते जैसे होते थे, जैसे हमारे बरसात के छाते होते हैं. इसकी वजह से दो खतरे पैदा होने लगे. पहला खतरा तो उस जबर्दस्त झटके का था, जो पैराशूट के खुलते ही लगता था. आकाश से कूदने के फौरन बाद व्यक्ति का पैराशूट खुलता नहीं. धरती की दिशा में उसके गति फौरन तेज होती जाती है. जैसे ही पैराशूट खुलता, उसे झटका लगता. इससे हड्डी टूटने तक का डर होता था.

दूसरा खतरा था नीचे गिरते पैराशूट का पैंडुलम की तरह डोलना. इससे होता यह था कि कई बार पैराशूट इतना घूम जाता था जैसे छतरी पलट जाती है. उसमें भरी हवा निकल जाती और पैराशूट की शक्ल बिगड़ जाती. इसके कारण दुर्घटना का खतरा होता था. इन खतरों को देखते हुए पैराशूट में वेंटीलेटर छेद बनाए गए, जिनसे होकर हवा निकलती रहती है और पैराशूट न तो झटका देता है और न पैंडुलम की तरह घूमता है. इसके अलावा तह किया पैराशूट खुलने में भी आसानी होती है.

कंप्यूटर डिवाइस को माउस क्यों कहते हैं?

माउस का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डगलस एंजेलबार्ट (Douglas Engelbart)  ने 1963 में किया था. यह आविष्कार की-बोर्ड युक्त पर्सनल कंप्यूटर के 1977 में हुए आविष्कार के काफी पहले हो गया. शुरू में एंजेलबार्ट ने इसके साथ लगा कॉर्ड इसके पीछे लगाया, जिसके कारण वह दुमदार चूहे जैसा लगने लगा. हालांकि बाद में कॉर्ड को आगे लगा दिया गया और अब तो बगैर कॉर्ड वाले माउस आ रहे हैं, पर इसे माउस कहना शुरू हुआ तो चलता ही रहा.

रेनबो डाइट क्या होती है?

रेनबो यानी इन्द्रधनुष के रंगों का भोजन. व्यावहारिक मतलब है तरह-तरह के रंगों के फलों और सब्जियों का भोजन जो स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन है. फलों और सब्जियों के तमाम रंग होते हैं और हर रंग का अपना गुण होता है.

दुनिया में सात अजूबे

1.गीज़ा का विशाल पिरामिड (मिस्र), 2.बेबीलोन के झूलते बागीचे (इराक), 3.सिकन्दरिया का प्रकाश स्तम्भ (मिस्र), 4.ओलम्पिया में जियस की मूर्ति (यूनान), 5 हैलिकारनेसस का मकबरा (तुर्की), 6.आर्तिमिस का मंदिर (तुर्की), 7. रोड्‌स के कोलोसस की मूर्ति (यूनान).

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
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