Sunday, August 26, 2018

संसदीय विशेषाधिकार क्या होते हैं?

संसद के दोनों सदनों, उनके सदस्यों और समितियों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्‍त है।इन्हें इसलिए दिया गया है ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। सबसे महत्‍वपूर्ण विशेषाधिकार है सदन और समितियों में स्वतंत्रता के साथ विचार रखने की छूट।सदस्य द्वारा कही गई किसी बात के संबंध में उसके विरूद्ध किसी न्यायालय में कार्रवाई कार्यवाही नहीं की जा सकती।कोईसदस्य उस समय गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जबकि उस सदन या समिति की बैठक चल रही हो, जिसका वह सदस्य है। अधिवेशन से 40 दिन पहले और उसकी समाप्ति से 40 दिन बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

संसद परिसर में केवल अध्‍यक्ष/सभापति के आदेशों का पालन होता है। विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने वाले को भर्त्सना, ताड़ना या निर्धारित अवधि के लिए कारावास की सज़ा दी जा सकती है। सदस्यों के मामले में सदन अन्य दो प्रकार के दंड दे सकता है। सदन की सदस्यता से निलंबन या बर्खास्तगी। दांडिक क्षेत्र सदनों तक और उनके सामने किए गए अपराधों तक ही सीमित न होकर सदन की सभी अवमाननाओं पर लागू होता है।

संविधान की अनुसूचियाँ कौन सी हैं?

अनुसूचियाँ जैसा कि नाम से स्पष्ट है कुछ सूचियाँ हैं, जिनमें प्रशासकीय कार्यों, गतिविधियों और नीतियों का वर्गीकरण हैं। 26 जनवरी 1950 को जब भारतीय संविधान लागू हुआ था, तब उसमें 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं। पहली अनुसूची में अनुच्छेद 1 और 4 के अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम है। अनुच्छेद 246 के अंतर्गत सातवीं अनुसूची में केंद्र और राज्यों के बीच विधान बनाने के क्षेत्रों का विवरण है। अनुच्छेद 31ख के अंतर्गत नौवीं अनुसूची 18 जून 1951 को संविधान के पहले संशोधन के साथ जोड़ी गई थी। इसके बाद तीन अनुसूचियाँ और जोड़ी गईं। जनवरी 2018 तक की सूचना के अनुसार संविधान में 448 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं। पूरा संविधान 25 भागों में विभाजित है। संविधान में अबतक 101 संशोधन हो चुके हैं।

आठवीं अनुसूची खबरों में क्यों? 

हाल में खबर थी कि इस साल संसद के मॉनसून सत्र के साथ राज्यसभा के सदस्यों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में किसी में भी बोलने की अनुमति मिल गई है। इन 22 अनुसूचित भाषाओं में राज्यसभा में 12 भाषाओं के लिए एक ही समय में साथ-साथ अनुवाद की सेवा पहले से ही थी। इनमें असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलगु और उर्दू शामिल हैं।

अनुच्छेद 344(1) और 351 के तहत आठवीं अनुसूची में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 प्रादेशिक भाषाओं का उल्लेख किया गया है। सन 1950 में इस अनुसूची में 14 भाषाएं (असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मराठी, मलयालम, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू) थीं। सन 1967 के 21वें संविधान संशोधन द्वारा सिंधी को इसमें जोड़ा गया। इसके बाद कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को 1992 में इस अनुसूची में स्थान मिला। फिर सन 2004 में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को इसमें शामिल किया गया। अब भी देश के अलग-अलग इलाकों में 38 और भाषाओं को इस अनुसूची में शामिल करने की माँगें हैं।

ब्रिक्स क्या है?
ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की पाँच उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इनके अंग्रेज़ी में नाम के प्रथमाक्षरों से इस समूह का यह नामकरण हुआ है। ब्रिक्स देशों में दुनिया की 43 फीसदी आबादी रहती है और यहाँ विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 30 फीसदी है। विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 17 फीसदी है। सन 2010 में दक्षिण अफ्रीका के इसमें शामिल होने से पहले इसका नाम "ब्रिक"। रूस को छोडकर इस समूह के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगिक देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। यह समूह बनाने के लिए शुरुआती चार ब्रिक देशों ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्री सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क शहर में मिले और उच्च स्तरीय बैठकों की एक श्रृंखला की शुरुआत की। इसके बाद 16 मई 2008 एक बड़ा सम्मेलन येकतेरिनबर्ग, रूस में आयोजित किया गया था। इसके बाद 16 जून 2009 को ब्रिक समूह का पहला औपचारिक शिखर सम्मेलन, येकतेरिनबर्ग में ही हुआ। इसमें लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा (ब्राजील), दिमित्री मेदवेदेव(रूस), डॉ मनमोहन सिंह (भारत) और हू जिन्ताओ (चीन) शामिल हुए। यह समूह आपसी सहयोग के अलावा वैश्विक अर्थ-व्यवस्था की दशा-दिशा पर विचार-विमर्श करता है।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, August 23, 2018

राज्य-विहीन लोग कौन हैं?

अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार राज्यविहीन व्यक्ति वह होता है, जिसे कोई भी देश अपना नागरिक नहीं मानता. ऐसे कुछ व्यक्तियों को शरणार्थी कह सकते हैं, पर सभी शरणार्थी राज्यविहीन नहीं होते. किसी देश का नागरिक बनने की कुछ बुनियादी शर्तें हैं. एक, भूमि-पुत्र होना. यानी जिस जमीन पर व्यक्ति का जन्म हो, वह उस देश का नागरिक हो. ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस सिद्धांत को मानते हैं. दूसरे वंशज होना. माता-पिता की नागरिकता को ग्रहण करना. दुनिया के ज्यादातर देश इस सिद्धांत को मानते हैं. व्यक्ति के पास इस दोनों के प्रमाण नहीं होते, तो वह राज्य विहीन हो जाता है. दुनिया के देशों में नागरिकता नियम अलग-अलग हैं. जन्म के पंजीकरण की व्यवस्थाएं नहीं हैं, इस कारण जटिलताएं हैं. संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में इस समस्या के निराकरण पर विचार हो रहा है. दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा राज्यविहीन लोग हैं.

एनआरसी क्या है?
सिद्धांततः नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) भारतीय नागरिकों की सूची है. भारत में असम अकेला राज्य है, जहाँ सन 1951 में इसे जनगणना के बाद तैयार किया गया था. भारत में नागरिकता संघ सरकार की सूची में है, इसलिए एनआरसी से जुड़े सारे कार्य केंद्र सरकार के अधीन होते हैं. यह कार्य देश के रजिस्ट्रार जनरल के अधीन है. सन 1951 में देश के गृह मंत्रालय के निर्देश पर असम के सभी गाँवों, शहरों के निवासियों के नाम और अन्य विवरण इसमें दर्ज किए गए थे. इस एनआरसी का अब संवर्धन किया जा रहा है, जिसका दूसरा ड्राफ्ट हाल में जारी किया गया है. एनआरसी को अपडेट करने की जरूरत सन 1985 में हुए असम समझौते को लागू करने की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे लागू करने के लिए सन 2005 में एक और समझौता हुआ था. सन 2009 में एक एनजीओ असम पब्लिक वर्क्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली कि अवैध नागरिकों के नाम वोटर सूची से हटाए जाएं. यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में चल रही है. एनआरसी संशोधन का पहला ड्राफ्ट 31 दिसम्बर 2017 को जारी हुआ था और दूसरा ड्राफ्ट अब जारी हुआ है. इसमें उन व्यक्तियों के नाम हैं जो या तो 1951 की सूची में थे, या 24 मार्च 1971 की मध्य रात्रि के पहले असम के निवासी रहे हों.

क्या यह अंतिम सूची है?

नहीं यह दूसरी ड्राफ्ट सूची है. यानी कि अब तक जो नाम इसमें शामिल किए जा चुके हैं उनकी सूची. इसके पहले 30 दिसम्बर 2017 को पहली ड्राफ्ट सूची जारी की गई थी. उसमें 1.9 करोड़ नाम शामिल थे. दूसरी सूची में 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं. कुल 3.29 लाख लोगों ने इसमें नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किया है. अब तमाम शिकायतों को सुनने के बाद जो सूची जारी की जाएगी, वह अंतिम सूची होगी.उस सूची में भी नाम नहीं होने से कोई व्यक्ति विदेशी साबित नहीं हो जाएगा. विदेशी न्यायाधिकरण इसका फैसला करेगा. उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.



Sunday, August 12, 2018

संयुक्त राष्ट्र का बजट कितना है?

हाल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि हमारे पास धन की कमी होती जा रही है। उन्होंने सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे अपने हिस्से का धन यथासम्भव जल्द से जल्द दें। उन्होंने इन देशों को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि संयुक्त राष्ट के कोर बजट में इस साल 13.9 करोड़ डॉलर की कमी पड़ रही है। ऐसा संकट पहले कभी नहीं आया। दिसम्बर 2017 में संरा महासभा की बजट समिति ने 2018-19 के लिए 5.4 अरब डॉलर का बजट तैयार किया था। 2016-17 के बजट की तुलना में यह धनराशि यों भी 28.5 करोड़ डॉलर कम थी। संरा बजट दो साल के लिए होता है। कोर बजट में संरा शांति प्रयासों के लिए धनराशि शामिल नहीं होती। नवीनतम सूचना के अनुसार इस साल 193 सदस्य देशों में से 112 ने ही अपना अंशदान किया है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका देता है, जो संरा के कुल बजट का करीब 22 फीसदी होता है। अमेरिकी अंश सबसे बाद में आता है, क्योंकि उसका वित्त वर्ष 1 अक्तूबर से शुरू होता है।, पर इस साल अमेरिका सहित संरा सुरक्षा परिषद के पाँचों स्थायी सदस्यों का अंशदान आ चुका है। संरा में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने इस साल जनवरी में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र को सुधार करना चाहिए और अपने खर्चों में कमी भी करनी चाहिए। निरर्थक खर्चों के लिए हम अमेरिकी नागरिकों के धन को बर्बाद नहीं करेंगे।

शांति-स्थापना बजट

संरा कोर बजट के मुकाबले शांति-स्थापना बजट ज्यादा बड़ा है। यह सालाना आधार पर होता है। 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2019 के वर्ष के लिए 6.7 अरब डॉलर का बजट है। यह धनराशि संयुक्त राष्ट्र के 14 में से 12 शांति-स्थापना मिशनों के लिए है। शेष दो मिशन हैं संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम अनुश्रवण संगठन (UNTSO) और भारत-पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सैन्य-पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP)। इन दोनों के लिए धनराशि संरा के मुख्य बजट से आती है। संरा शांति-स्थापना बजट दुनिया में हर साल होने वाले सैनिक व्यय (सन 2013 में जो 1,747 अरब डॉलर था) की तुलना में आधे से एक फीसदी के बीच है।

संरा सदस्य देशों की संख्या

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या इस समय 193 है। इन सभी देशों को संरा महासभा में बराबरी का दर्जा मला हुआ है। किसी भी नए उस देश को सदस्यता दी जा सकती है, जो सम्प्रभुता सम्पन्न हो। इस सदस्यता के लिए संरा महासभा के अलावा सुरक्षा परिषद की अनुमति की जरूरत भी होती है। सदस्य देशों के अलावा संरा महासभा में पर्यवेक्षक के रूप में देशों को आमंत्रित किया जा सकता है। इस समय होली सी (वैटिकन) और फलस्तीन दो संरा पर्यवेक्षक हैं। पर्यवेक्षक महासभा की बैठकों में भाग लेने के अलावा अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, पर मतदान में भाग नहीं ले सकते।

ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट किन्हें कहते हैं?
ग्रीनफील्ड शब्द औद्योगिक अर्थ में प्रयुक्त होता है। हाल में देश के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थानों की रेस में छह भारतीय विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने की घोषणा की। इनमें जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड श्रेणी में रखा गया है। ग्रीनफील्ड पूरी तरह से नयी परियोजना को कहते हैं। यानी ऐसी जमीन पर कारखाना लगाना जो अभी नई या हरी है। जिसमें पहले के किसी निर्माण को ढहाना या विस्तार करना शामिल नहीं हो। आजकल सॉफ्टवेयर सहित विभिन्न उद्योगों में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। एक शब्द और चलता है ब्राउनफील्ड परियोजना, जिसका मतलब है किसी मौजूदा प्लांट का विस्तार करके क्षमता बढ़ाना। ब्राउनफील्ड बिलकुल नई परियोजना नहीं होती।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Friday, August 10, 2018

संयुक्त राष्ट्र का जन्म


संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय अंतरसरकारी संगठन के निर्माण का विश्व का दूसरा प्रयास था. यह विचार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उभरा तथा 5 राष्ट्रमंडल सदस्यों तथा 8 यूरोपीय निर्वासित सरकारों ने 12 जून, 1941 को लंदन में हस्ताक्षरित अंतर-मैत्री घोषणा में पहली बार यह बात कही. इसके बाद अटलांटिक चार्टर पर 14 अगस्त, 1941 को दस्तखत हुए. फिर 1 जनवरी, 1942 को वाशिंगटन में अटलांटिक चार्टर का समर्थन करने वाले 26 देशों ने संयुक्त राष्ट्र की घोषणा पर हस्ताक्षर किए. यहां पहली बार संयुक्त राष्ट्र नाम का इस्तेमाल हुआ. फिर इंग्लैंड, चीन, सोवियत संघ तथा अमेरिका ने 30 अक्टूबर, 1943 को मॉस्को घोषणा पर हस्ताक्षर किए. सन 1944 में अगस्त से अक्टूबर तक सोवियत संघ, अमेरिका, चीन तथा ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने वाशिंगटन के डम्बर्टन ओक्स एस्टेट में कई बैठकें कीं. फिर 7 अक्टूबर, 1944 को संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावित ढांचे को प्रकाशित किया गया. इन प्रस्तावों पर याल्टा सम्मेलन (फरवरी 1945) में विचार-विमर्श किया गया. इसके बाद 25 अप्रैल, 1945 को सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में 50 देशों के प्रतिनिधि शमिल हुए, जहाँ नए संगठन का संविधान तैयार किया गया. 26 जून, 1945 को सभी 50 देशों ने चार्टर पर हस्ताक्षर किए. पोलैंड सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सका था किंतु थोड़े समय बाद चार्टर पर हस्ताक्षर करके वह भी संस्थापक सदस्यों की सूची में शामिल हो गया. इसके बाद 24 अक्टूबर, 1945 से चार्टर प्रभावी हो गया. 24 अक्टूबर को हर साल संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है.

संरा मुख्यालय

संरा मुख्यालय न्यूयॉर्क में है. 14 दिसंबर, 1946 को संयुक्त राष्ट्र ने अपना मुख्यालय अमेरिका में रखने के पक्ष में मतदान किया. न्यूयॉर्क में ईस्ट नदी के किनारे सात हैक्टेयर भूमि खरीदने के लिए अमेरिका के जॉन डी रॉकफेलर जूनियर ने 85 लाख डॉलर की रकम दान में दी. नगर प्रशासन ने भी उस क्षेत्र में कुछ अतिरिक्त जमीन उपलब्ध कराई. संगठन की इमारत 1952 में बनकर तैयार हुई. न्यूयार्क के लांग आईलैंड में लेक सक्सेस पर अस्थायी मुख्यालय बनाया गया था. 10 जनवरी, 1946 को लंदन में महासभा का पहला सत्र आयोजित हुआ था.

सालाना अधिवेशन

संरा महासभा के नियमित, विशेष और आपात अधिवेशनों की व्यवस्था है. नियमित अधिवेशन हर साल सितंबर के तीसरे मंगलवार को शुरू होते हैं. इसके अगले हफ्ते के मंगलवार से नियिमित बहस नौ कार्य दिवसों में लगातार चलती है. इस साल संरा महासभा का 73वां वार्षिक अधिवेशन होगा, जो मंगलवार 18 सितंबर से शुरू होगा. सालाना नियमित बहस मंगलवार 25 सितंबर को शुरू होगी. 72वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इक्वेडोर की विदेश मंत्री मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा गार्सेस को 73वीं महासभा की अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया है. मारिया फर्नांडा संरा महासभा की चौथी महिला अध्यक्ष बनेंगी.

Sunday, August 5, 2018

संरा का बजट संकट


हाल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि हमारे पास धन की कमी होती जा रही है. उन्होंने सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे अपने हिस्से का धन यथासम्भव जल्द से जल्द दें. उन्होंने इन देशों को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि संयुक्त राष्ट के कोर बजट में इस साल 13.9 करोड़ डॉलर की कमी पड़ रही है. ऐसा संकट पहले कभी नहीं आया. दिसम्बर 2017 में संरा महासभा की बजट समिति ने 2018-19 के लिए 5.4 अरब डॉलर का बजट तैयार किया था. 2016-17 के बजट की तुलना में यह धनराशि यों भी 28.5 करोड़ डॉलर कम थी. संरा बजट दो साल के लिए होता है. कोर बजट में संरा शांति प्रयासों के लिए धनराशि शामिल नहीं होती. नवीनतम सूचना के अनुसार इस साल 193 सदस्य देशों में से 112 ने ही अपना अंशदान किया है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका देता है, जो संरा के कुल बजट का करीब 22 फीसदी होता है. अमेरिकी अंश सबसे बाद में आता है, क्योंकि उसका वित्त वर्ष 1 अक्तूबर से शुरू होता है., पर इस साल अमेरिका सहित संरा सुरक्षा परिषद के पाँचों स्थायी सदस्यों का अंशदान आ चुका है. संरा में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने इस साल जनवरी में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र को सुधार करना चाहिए और अपने खर्चों में कमी भी करनी चाहिए. निरर्थक खर्चों के लिए हम अमेरिकी नागरिकों के धन को बर्बाद नहीं करेंगे.

शांति-स्थापना बजट
संरा कोर बजट के मुकाबले शांति-स्थापना बजट ज्यादा बड़ा है. यह सालाना आधार पर होता है. 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2019 के वर्ष के लिए 6.7 अरब डॉलर का बजट है. यह धनराशि संयुक्त राष्ट्र के 14 में से 12 शांति-स्थापना मिशनों के लिए है. शेष दो मिशन हैं संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम अनुश्रवण संगठन (UNTSO) और भारत-पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सैन्य-पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP). इन दोनों के लिए धनराशि संरा के मुख्य बजट से आती है. संरा शांति-स्थापना बजट दुनिया में हर साल होने वाले सैनिक व्यय (सन 2013 में जो 1,747 अरब डॉलर था) की तुलना में आधे से एक फीसदी के बीच है.

संरा सदस्य देशों की संख्या
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या इस समय 193 है. इन सभी देशों को संरा महासभा में बराबरी का दर्जा मला हुआ है. किसी भी नए उस देश को सदस्यता दी जा सकती है, जो सम्प्रभुता सम्पन्न हो. इस सदस्यता के लिए संरा महासभा के अलावा सुरक्षा परिषद की अनुमति की जरूरत भी होती है. सदस्य देशों के अलावा संरा महासभा में पर्यवेक्षक के रूप में देशों को आमंत्रित किया जा सकता है. इस समय होली सी (वैटिकन) और फलस्तीन दो संरा पर्यवेक्षक हैं. पर्यवेक्षक महासभा की बैठकों में भाग लेने के अलावा अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, पर मतदान में भाग नहीं ले सकते.


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