रेलवे की छोटी और बड़ी लाइन में क्या अंतर होता है?
भारतीय रेलवे में तीन तरह की पटरियां बिछी हुई हैं, ये हैं- बड़ी लाइन (Broad guage) 1.67 मीटर 5 फुट 6 इंच। छोटी लाइन (Metre guage) 1.00 मीटर 3 फुट सवा तीन इंच, संकरी लाइन (Narrow guage)76.2 सेमी दो फुट 6 इंच। 61 सेमी दो फुट। इनमें से बड़ी लाइन
की पटरियों का संजाल भारत के अधिकांश हिस्सों में फैला हुआ है। अधिकतर गाड़ियां इसी
पटरी पर चलती हैं। छोटी लाइन की पटरियां अब धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं। शिमला, ऊटी,
कांगड़ा, माथेरान में नैरो गेज गाड़ियाँ चलतीं हैं।
रैमन मैग्सेसे मैग्सायसाय कौन थे?
रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार की स्थापना 1957 में हुई। इसका नामकरण
फिलीपींस के राष्ट्रपति रेमन मैग्सायसाय के नाम पर हुआ, जिनकी 1957 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। यह पुरस्कार
प्रतिवर्ष मैग्सेसे जयंती पर 31 अगस्त को लोक सेवा, सामुदायिक सेवा,
पत्रकारिता, साहिग्त्य तथा सृजनात्मक कला और अंतर्राष्ट्रीय सूझबूझ के लिए प्रदान किया जाता है।
यह पुरस्कार ग़ैर एशियायी संगठनों, संस्थानों को भी एशिया के हित में कार्य करने के लिए दिया जा सकता है। भारत के
विनोबा भावे, मदर टेरेसा, सत्जित राय, वर्गीज कुरियन, एमएस सुब्बुलक्ष्मी, एमएस स्वामीनाथन,
चंडी प्रसाद भट्ट, बाबा आम्टे, अरुण शौरी, टीएन शेषन, महाश्वेता देवी, किरन बेदी, जेएम
लिंग्दोह जैसे अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों को मिल चुका है।
क्रिस्टल माला या क्रिस्टल का क्या महत्व है?
क्रिस्टल को हिन्दी में स्फटिक कहते हैं। स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- 'सफ़ेद बिल्लौर',
अंग्रेज़ी में 'रॉक क्रिस्टल',
संस्कृत में 'सितोपल',
शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। क्रिस्टल हमें कई रूप में मिलते हैं। जैसे नमक, चीनी और फिटकरी।
पर हम जिस क्रिस्टल की बात कर रहे हैं वह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। स्फटिक को
नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना
जाता है। स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह
सबसे अधिक साफ और ताकतवर है। इसकी प्रतिमाएं भी बनती हैं। गणेश की मूर्ति का महत्व
अधिक माना जाता है। इसे ऊर्जा का स्रोत माना जाता है और प्रकाश से भरपूर क्रिस्टल का
प्रयोग सदियों से प्राण ऊर्जा को विकसित करने तथा नकारात्मक भावनाओं, वातावरण एवं रोगों से बचने के लिए विविघ तरीकों से करते रहे
हैं। स्फटिक चिकित्सा ( Crystal
Healing ) एक अलग चिकित्सा पद्धति के रूप में फैलती जा रही है। यह कुदरती
पदार्थ दो प्राकृतिक तत्वों ऑक्सीजन व सिलिकॉन के मिश्रण से बना है। जब यह दोनों तत्व
गर्मी और भारी दबाव के साथ भूगर्भ में एक साथ जुडते हैं तो कुदरती स्फटिक का निर्माण
होता है। प्राकृतिक स्फटिक के निर्माण में कई सौ वर्ष लग जाते हैं।
मनी प्लांट क्या सच में घर में पैसे लाने वाला पौधा होता है?
मनी प्लान्ट का वानस्पतिक नाम : एपिप्रेम्नम ओरियम (Epipremnum
aureum), दक्षिणपूर्व एशिया (मलेशिया, इण्डोनेशिया) और ऑस्ट्रेलिया में काफी मिलने वाला लता रूप में फैलने वाला पौधा
है। इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहतीं हैं। ये तने पर एकान्तर क्रम में लगी होती हैं और
हृदय जैसी आकृति वाली होती हैं। इसके पत्ते सिक्कों जैसे लगते हैं इसलिए इसका नाम मनीप्लांट
हो गया। यह सुन्दर लगता है, भाग्यशाली माना जाता है जैसे बोंसाई और बाँस के पौधों को
माना जाता है।
राम ने सीता के स्वयंवर में जो धनुष उठाया था उसकी क्या विशेषता
थी?
शिवधनुष शंकर जी का प्रिय धनुष था जिसका नाम पिनाक था। इस धनुष
पर प्रत्यंचा चढ़ाना इसलिए खास था क्योंकि यह धनुष स्वयं शिव का था और बहुत अधिक वजनी
था। धनुष के वजन के संबंध में तुलसीदास ने लिखा है कि स्वयंवर में उपस्थित हजारों राजा
एक साथ मिलकर भी उस धनुष को हिला तक नहीं पाए थे। वहीं श्रीराम ने शिव धनुष को खेल
ही खेल में प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए उठाकर तोड़कर दिया और सीता ने श्रीराम को वरमाला
पहना दी। स्वयंवर में इतनी कठिन शर्त क्यों रखी गई, इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं: शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा ने दो दिव्य धनुष
बनाए थे एक विष्णु के लिए और एक शिव के लिए। शिव ने इस धनुष से एक दैत्य का संहार किया
और इसे परशुराम को भेंट में दिया था। परशुराम ने इस धनुष को जनक के पूर्वज देवराज के
यहां रखवा दिया था। जब राजा जनक के यहां सीता आई और सीता बचपन में सीता धनुष को उठाकर
खेलती थी। यह देखकर जनक समझ गए कि सीता कोई साधारण कन्या नहीं है अत: इसका विवाह भी
किसी असाधारण वर से किया जाना उचित है। रामायण के अनुसार राजा जनक को खेतों में हल
जोतते समय एक पेटी से अटका। इन्हें उस पेटी में पाया था। हल को संस्कृत मे 'सीत'
कहने के कारण इनका नाम सीता पडा। इसी वजह से जनक ने सीता के
स्वयंवर के समय इस धनुष को रखा
भारत सोने की चिड़िया कब था? अब क्यों नहीं है?
ईसा से 300 से कुछ ज्यादा साल पहले भारत में चंद्रगुप्त मौर्य
का शासन था। उनके शासन से लेकर उनके पौत्र सम्राट अशोक तक के समय को भारत का श्रेष्ठ
समय कह सकते हैं। अपने समय में दुनिया के महानतम सम्राट हुए हैं। अशोक ने स्वतंत्रता, समता, न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण किया। उनके राज्य में ही भारत को
सोने की चिड़िया कहा जाता था। नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. अमर्त्य सेन के अनुसार अशोक
के समय में दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी 35% थी। भारत की समृद्धि कमोबेश
जारी रही और पंद्रहवीं शताब्दी मे विश्व की पूरी अर्थव्यवस्था का पाँचवॉ हिस्सा भारत
मे था। देश में मौजूद 18 हजार टन सोने का भंडार इस बात का सबूत है कि भारत आज भी सोने
की चिड़िया है।
नवरात्रि के नौ दिन किन-किन रंगों का महत्व है?
नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है। इन नौ रातों में तीन देवी
पार्वती,
लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा
कहते हैं। देवी दुर्गा के नौ स्वरुप हैं-1. शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3. चंद्रघंटा
4. कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7. कालरात्रि 8. महागौरी 9. सिद्धिदात्री। पर्वतराज
हिमालय की पुत्री होने के कारण दुर्गा को शैलपुत्री कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी अर्थात
जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। चंद्रघंटा अर्थात जिनके मस्तक पर चंद्र
के आकार का तिलक है। ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें
कुष्मांडा कहा जाने लगा। उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है, इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं। यज्ञ की अग्नि में भस्म
होने के बाद महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री
रूप में जन्म लिया था,
इसीलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। वे काल अर्थात हर तरह के संकट
का नाश करने वाली हैं,
इसीलिए कालरात्रि कहलाती हैं। उनका वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात
गौरा (श्वेत) है,
इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं। जो भक्त उनके प्रति समर्पित रहता
है,
उसे वे हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं, इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है। नवरात्रि का पर्व वर्ष
में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह में, तो दूसरा आश्विन माह में जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। आश्विन महीने की नवरात्र
में रामलीला,
रामायण, भागवत पाठ,
अखंड कीर्तन जैसे सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान होते है। दुर्गा
की पूजा में लाल रंग के फूलों का बहुत महत्व है। गुलहड़ के फूल उन्हें प्रिय माने जाते
हैं। इसके अलावा बेला,
कनेर, केवड़ा,
चमेली, पलाश,
तगर,
अशोक, केसर,
कदंब के पुष्पों से भी पूजा की जा सकती है
उम्रकैद और ताउम्र कैद की सज़ा में क्या फर्क है?
भारत के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार दोनों एक हैं। एक
समय तक हमारे यहाँ माना जाता था कि उम्रकैद के माने हैं 14 साल। पर पिछले साल नवम्बर
में अदालत ने स्पष्ट किया कि उम्रकैद माने हैं व्यक्ति का मृत्यु पर्यंत जेल में रहना।
अलबत्ता सरकार व्यक्ति के अच्छे आचरण और अपराध को देखते हुए उसे पहले भी रिहा कर सकती
है, पर यह रिहाई भी 14 साल से पहले नहीं होगी।
जी-20 क्या है..?
भारत का इसमें अब तक क्या रोल रहा है?
जी-20 या ग्रुप ऑफ ट्वेंटी 20 अगस्त 2003 में बना था। यह उस
साल कानकुन मैक्सिको में हुए विश्व व्यापार संगठन के पाँचवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
के पहले बना था। उसके पहले भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने मिलकर एक घोषणापत्र
पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि विकसित देश संरक्षणवादी तरीके अपना रहे
हैं। 20 अगस्त 2003 को कानकुन में बीस देशों ने एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे जो
जी-20 का आधार बना। इस समय इस ग्रुप में 23 देश शामिल हैं। इनमें अमेरिका, कनाडा, भारत,
चीन, जापान, ब्राजील, अर्जेंटीना, रूस, तुर्की, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया,
मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, इटली और यूरोपियन
यूनियन सहित बीस भागीदार थे। भारत की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है।
छोटी और बड़ी लाइन में क्या अंतर होता है?.......
ReplyDeleteभारत में संकरी लाइन (Narrow guage) भी दो प्रकार की है. 62 मिमी तथा 59 मिमी.
ऊटी में नीलगिरी रेल ट्रेक संकरा नहीं, मीटर गेज़ में ही है, किन्तु यहाँ के ट्रेन कोच अन्य स्थानों के मीटर गेज ट्रेक्स पर चलने पर कोचों की तुलना में छोटे हैं.
सामान्यत: इंजिन आगे होते हैं, किन्तु नीलगिरी रेलवे में चढ़ाई के समय इंजिन ट्रेन को पीछे से धकेलता है.
संकरी लाइन (Narrow guage) में आज भी पठानकोट-जोगिंदरनगर तथा नागपुर-गोंदिया जैसे रेलमार्गों का स्थानीय जनता व्यापक रूप से प्रयोग करती है.