Thursday, May 16, 2019

सूर्य सबसे पहले किस देश में उगता है?


इस सवाल का जवाब समझना आसान नहीं है, क्योंकि धरती घूमती रहती है। इसलिए सबसे पहले कौन सा इलाका सूर्य के सामने सबसे पहले आता है कहना मुश्किल है। मनुष्य ने धरती को अक्षांश, देशांतर के मार्फत विभाजित किया है। धरती के गोले पर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जो काल्पनिक देशांतर रेखाएं हैं, उनमें जो देश सुदूर पूर्व में 180 देशांतर पर पड़ेंगे, वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मानना चाहिए। साथ ही दुनिया को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित किया है। इस टाइम ज़ोन से तय होता है कि सबसे पहले सूर्योदय किस देश में होता है। सामान्यतः हम मानते हैं कि दुनिया में जापान का मिनामी तोरीशीमा धुर पूर्व में है। इसलिए वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मान सकते हैं। इसका दूसरा तरीका यह है कि डेटलाइन को आधार मानें। ग्रीनविच मीन टाइम को यदि हम आधार मानते हैं तो जापान के समय में नौ घंटे जोड़ने होंगे। यानी जब ग्रीनविच मान टाइम शून्य होगा, यानी रात के बारह बजे होंगे तब जापान में सुबह के नौ बजे होंगे। वास्तव में जीएमटी से ठीक बारह घंटे का फर्क फिजी, तुवालू, न्यूजीलैंड और किरिबाती के मानक समयों में है, जबकि इन सबकी स्थिति में फर्क है। इस लिहाज से दुनिया का सबसे पूर्व में स्थित क्षेत्र किरिबाती का कैरलिन द्वीप है, जहाँ के सूर्योदय को धरती का पहला सूर्योदय मान सकते हैं।
ओलिम्पिक गोल्ड मेडल में कितना सोना होता है?
पहले यह बताना बेहतर होगा कि 1896 और 1900 के ओलिम्पिक खेलों में गोल्ड मेडल नहीं दिए गए। उनमें चाँदी और ताँबे के मेडल क्रमशः विजेता और उप विजेता को दिए गए। 1904 में अमेरिका के मिज़ूरी में तीन मेडल का चलन शुरू हुआ। ओलिम्पिक के गोल्ड मेडल का आकार, डिजाइन और वज़न बदलता रहता है। लंदन ओलिम्पिक में काफी बड़े आकार के मेडल दिए गए जो 85 मिमी व्यास के थे। इनकी मोटाई 7 मिमी थी। सोने का मेडल भी चाँदी में ढाला जाता है और उसके ऊपर लगभग 6 ग्राम सोने की प्लेटिंग होती है। चाँदी का मेडल .925 शुद्धता की चाँदी का होता है और कांस्य पदक में ताँबे, टिन और ज़स्ते की मिलावट होती है।
गैस का गुब्बारा कितना ऊपर जाता है?
गैस के गुब्बारे में हीलियम गैस भरी जाती है। यह गुब्बारा इसलिए ऊपर उठता है क्योंकि हीलियम गैस हवा से हल्की होती है। चूंकि हमारे वायुमंडल में आप जैसे-जैसे ऊपर जाएंगे हवा हल्की होती जाएगी। आमतौर पर एक छोटा गुब्बारा चार पाँच सौ मीटर से ज्यादा ऊँचाई तक जाता है। साथ ही वह हवा के प्रवाह के साथ बहने लगता है। धीरे-धीरे गुब्बारे में भरी हीलियम निकलती जाती है और वह नीचे आने लगता है।

जुगनू क्यों चमकता है?
जुगनू एक प्रकार का उड़ने वाला कीड़ा है, जिसके पेट में रासायनिक क्रिया से रोशनी पैदा होती है। इसे बायोल्युमिनेसेंस कहते हैं। यह कोल्ड लाइट कही जाती है इसमें इंफ्रा रेड और अल्ट्रा वॉयलेट देनों फ्रीक्वेंसी नहीं होतीं।



Thursday, May 9, 2019

आतंक-विरोधी अंतरराष्ट्रीय संधि?

आतंकवाद के खिलाफ दुनिया में कई तरह के समझौते और संधियाँ हैं, पर संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में पिछले कई साल से ‘कांप्रिहैंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (सीसीआईटी)’ को लेकर चल रहा विमर्श पूरा नहीं हो पा रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठकों में करीब-करीब हर साल भारत की और से इस संधि को अंतिम रूप देने की अपील की जाती है. इस संधि का प्रस्ताव भारत ने सन 1996 में किया था, पर अमेरिका और इस्लामिक देशों के संगठन की पारस्परिक आपत्तियों के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. प्रस्ताव 51/210 के अंतर्गत 17 दिसम्बर, 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक तदर्थ समिति बनाई गई थी. हालांकि इस संधि की अंतिम रूपरेखा नहीं बन पाई है, पर इस सिलसिले में हुए विचार-विमर्श की रोशनी में आतंकवाद के खिलाफ तीन प्रोटोकॉल जरूर पास हो गए हैं. 1.आतंकवादी बमबारी रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (संधि) जो 15 दिसम्बर,1997 को स्वीकार हुआ, 2. आतंकवाद की वित्तीय सहायता रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि, जो 9 दिसम्बर, 1999 को स्वीकार की गई और 3.एटमी आतंकवादी गतिविधियाँ रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि, जो 13 अप्रैल, 2005 को स्वीकार की गई.

संधि का उद्देश्य?

संधि का मूल उद्देश्य यह है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के सभी 193 सदस्य आतंकवाद की स्वीकृत परिभाषा को अपने देश के आपराधिक कानूनों का हिस्सा बनाएं. इसके तहत सभी आतंकवादी ग्रुपों को बैन करें और उनके कैम्पों को बंद करें। सभी आतंकवादियों के खिलाफ विशेष कानूनों के तहत मुकदमे चलाएं. सीमा पार आतंकवाद को प्रत्यर्पणीय (एक्स्ट्राडिटेबल) अपराध घोषित करें. भारत ने 26 नवम्बर, 2008 के मुम्बई हमले के बाद से इस संधि के लिए तेजी से प्रयास किए हैं और इसके उद्देश्यों के अनुरूप पाकिस्तान से कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है.

संधि क्यों नहीं हो पाई?

मुख्य संधि पर विमर्श गतिरोधों का शिकार होता रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है आतंकवाद की परिभाषा पर आमराय का नहीं बन पाना. मसलन ‘आतंकी संगठन’ और ‘मुक्ति संगठन’ के बीच फर्क क्या होगा? साथ ही क्या देशों की सेनाओं की गतिविधियों को भी राज्य आतंकवाद की संज्ञा दी जा सकेगी? अमेरिका का कहना है कि राज्य की सेना के ऑपरेशंस को इसको दायरे से बाहर रखा जाए, जबकि इस्लामिक देशों का संगठन (ओआईसी) राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों को इसके दायरे से बाहर रखना चाहता है. राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों से उसका तात्पर्य खासकर इसराइल-फलस्तीन संघर्ष से है. पाकिस्तान इसमें कश्मीर को भी शामिल करता है. कानूनी विशेषज्ञ चाहते हैं कि इसकी परिभाषा ऐसी हो, जिसे कानूनी शब्दावली में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जा सके, पर यह मसला राजनीतिक शब्दावली के कारण अटका पड़ा है.





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