Thursday, October 25, 2018

एस-400 मिसाइल प्रणाली


यह मिसाइल प्रणाली हवाई हमलों से बचाव के लिए है. यह सचल वाहन पर तैनात होती है. इसमें मल्टी फंक्शनल रेडार, ऑटोनॉमस डिटैक्शन और टार्गेटिंग सिस्टम, एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लांचर और एक कंट्रोल सेंटर शामिल है. इसे रूस के अल्माज़ सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है. हवाई हमलों से रक्षा के लिए एस-400 में चार किस्म की मिसाइलें तैनात हैं. बहुत लंबी रेंज यानी 400 किलोमीटर तक मार करने वाली 40एन6, लंबी रेंज 250 किलोमीटर तक मार करने वाली 48एन6, मीडियम रेंज 120 किलोमीटर तक मार करने वाली 9एम96ई2 और 40 किलोमीटर तक की छोटी दूरी तक मार करने वाली 9एम96ई मिसाइल तैनात हैं. इस प्रणाली में एक कमांड और कंट्रोल सेंटर है, जिसके रेडार 600 किलोमीटर तक की दूरी पर हो रही गतिविधियों को पकड़ लेते है. यह 8 गुणा 8 पहियों वाले एक विशेष ट्रक पर तैनात होता है. इसका एस बैंड सिस्टम एकसाथ 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है. इसके एक सिस्टम में 72 मिसाइलें तैनात होती हैं.

स्वदेशी प्रणाली

भारत ने हवाई हमलों से रक्षा के लिए अपनी प्रणालियाँ भी विकसित की हैं. ये प्रणालियाँ दो परतों वाली (टू-टियर) हैं. ज्यादा ऊँचाई के लिए प़थ्वी एयर डिफेंस सिस्टम (पीएडी) और कम ऊँचाई के लिए एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी). इन दोनों प्रणालियों का परीक्षण 2006 और 2007 में पूरा हो गया और भारत दुनिया में चौथा ऐसा देश है, जिसके पास अपनी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रणाली है. शेष तीन देश हैं रूस, अमेरिका और इसरायल. इस प्रणाली के दूसरे चरण पर काम चल रहा है. स्वदेशी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों में प्रद्युम्न, अश्विन और आकाश प्रमुख हैं. भारत के सामने पाकिस्तान और चीन का दोहरा खतरा खड़ा है. चीन ने सन 2015 में एस-400 की छह बटालियनें खरीदने का समझौता किया था. ये मिसाइलें चीन को इस साल जनवरी से मिलनी शुरू हो भी गई हैं. कभी दोनों देशों के साथ युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो भारत के सामने दिक्कतें पैदा हो जाएंगी, इसलिए रूसी सिस्टम खरीदने का फैसला किया गया है.

काट्सा क्या है?

अमेरिकी संसद ने ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर पाबंदियाँ लगाने के लिए सन 2017 में काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शंस एक्ट (काट्सा)पास किया था. इसका उद्देश्य यूरोप में रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकना भी है. इसकी धारा 231 के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास किसी भी देश पर 12 किस्म की पाबंदियाँ लगाने का अधिकार है. अमेरिका ने रूस की 39 संस्थाओं को चिह्नित किया है, जिनके साथ कारोबार करने वालों को पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है. इनमें ज्यादातर संस्थाएं रक्षा उपकरणों को तैयार करती हैं. भारत के सबसे ज्यादा रक्षा-उपकरण रूसी हैं. इस अधिनियम के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास राष्ट्रीय हित में किसी देश को इन पाबंदियों से छूट देने का अधिकार भी है.  
http://epaper.prabhatkhabar.com/1865927/Awsar/Awsar#page/6/1

Thursday, October 11, 2018

गिर के शेर खबरों में क्यों?

गुजरात के गिर में एक के बाद कई शेरों की मौत ने वन प्रशासन को हिलाकर रख दिया है. यहाँ 12 सितंबर के बाद से 21 शेरों की मृत्यु होने की खबरें हैं. ये शेर कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के शिकार थे. यह जानलेवा वायरस कुत्तों से जंगली जानवरों में फैलता है. इसके कारण तंजानिया में 1994 में 1000 शेरों की मौत हो गई थी. पहली खबरें तब आईं, जब पता लगा कि 12 से 19 सितंबर के दौरान डालखानिया रेंज में शावकों समेत 11 शेरों की मौत हो गई. गिर के शेर दो साल पहले भी खबरों में थे, जब कुछ शेरों ने इंसानों पर हमले करके उन्हें मार दिया. इंसान पर हमले की जो घटनाएं घटीं, उनके पीछे गिर के जंगलों के आसपास बसे गांवों में हो रहे ग़ैरक़ानूनी 'लॉयन शो' जिम्मेदार थे, जिनमें छोटे जानवरों को मार कर शेरों को आकर्षित किया जाता है. 'लॉयन शो' में आसानी से भोजन मिलने लगा. वे खेतों में सो रहे इंसानों को वे अपना शिकार समझने लगे.

गिर के जंगल की विशेषता
गुजरात का गिर राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यप्राणी अभयारण्य एशिया में सिंहों का एकमात्र निवास स्थान होने के कारण प्रसिद्ध है. विश्व में सिंहों की कम हो रही संख्या की समस्या से निपटने और एशियाटिक सिंहों के रक्षण का अकेला स्थान होने के कारण इसे पहचाना जाता है. इस जंगल को सन 1969 में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया गया और इसके छह वर्ष बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया. अब यह लगभग 248.71 वर्ग किलोमीटर इलाके तक फैल चुका है. सन 1974 में यहाँ सिंहों की संख्या 180 होने का अनुमान था, जिसके 2010 तक 400 और अब 500 से ऊपर होने का अनुमान है.

सिंह और बाघ में अंतर

बाघ (टाइगर), शेर (लॉयन), तेंदुआ (लैपर्ड) और चीते को पहचानने में हम अक्सर गलती करते हैं. कैट यानी बिल्ली प्रजाति के होते हुए भी चारों में अंतर है. सिंह की पहचान है उसके गले में चारों ओर का क्राउन या बालों का घेरा. इनके शरीर पर धारियां नहीं होतीं. क्राउन केवल नर शेर की गर्दन पर होता है, शेरनी की गर्दन पर नहीं. ये ऐसे जंगल में रहते हैं, जो बहुत सघन नहीं होते और जहाँ घास के मैदान होते हैं. भारत में शेर सिर्फ गुजरात के गिर अभयारण्य में हैं. इनके अलावा पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका में ये मिलते हैं. शेरों की सामाजिक व्यवस्था होती है. वे अमूमन झुंड में रहते हैं, जिन्हें प्राइड्स कहा जाता है. सामान्यतः शेरनी शिकार करती है और सब मिलकर खाते हैं. बाघ के शरीर की नारंगी रोएंदार खाल पर काली समांतर धारियां होती हैं. गले से लेकर नीचे तक का हिस्सा कई जगह सफेद होता है. ये सिंहों की तुलना में अकेले रहना पसंद करते हैं, और खुद शिकार करते हैं. भारत, बांग्लादेश और दक्षिण कोरिया में बाघ को राष्ट्रीय पशु माना जाता है. 

Saturday, October 6, 2018

एशिया कप क्रिकेट

हाल में हुई एशिया कप क्रिकेट प्रतियोगिता में भारत की टीम ने बांग्लादेश को तीन विकेट से हराकर चैम्पियनशिप जीत। एशिया क्रिकेट कौंसिल की इस प्रतियोगिता की योजना सन 1983 में बनी थी। उसी साल एशिया क्रकेट कौंसिल का गठन हुआ था। पहला एशिया कप टूर्नामेंट 1984 में शारजाह में हुआ। वहीं पर एशिया क्रिकेट कौंसिल का मुख्यालय था, जो 1995 तक वहाँ रहा। यह प्रतियोगिता एक दिनी और टी-20 दोनों फॉर्मेट में आ.जित होती है। शुरू में यह एकदिनी प्रतियोगता ही थी, जो हर दो साल में होती थी। अब यह एकबार एकदिनी और अगली बार टी-20 फॉर्मेट पर होती है। सन 2015 में इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल ने तय किया कि 2016 के बाद से इस प्रतियोगिता का फॉर्मेट बदलेगा। सन 2016 में टी-20 विश्वकप के ठीक पहले एशिया कप हुआ। पहले एशिया कप में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की तीन टीमों ने भाग लिया था। हाल में हुई एकदिनी प्रतियोगिता में छह टीमों ने भाग लिया। एशिया में पाँच टीमों को टेस्ट मैच खेलने का अधिकार प्राप्त है। ये टीमें हैं भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। इन पाँचों टीमों को इस प्रतियोगिता में सीधे प्रवेश दिया गया। इनके अलावा छठी टीम के प्रवेश के लिए हांगकांग, मलेशिया, नेपाल, ओमान, सिंगापुर और यूएई की टीमों कदिनी के बीच एक प्रतियोगिता हुई, जिसमें हांगकांग की टीम जीतकर आई।

चैम्पियन टीमें

एशिया कप की एकदिनी प्रतियोगिताओं में सबसे सफल भारत की टीम है, जो सात बार चैम्पियन रही। इसके बाद दूसरे नम्बर पर श्रीलंका है, जिसने पाँच बार इस प्रतियोगिता में जीत हासिल की। सन 2016 में पहली बार हुई टी-20 प्रतियोगिता भारतीय टीम ने जीती। पाकिस्तान की टीम दो बार चैम्पियन बनी है। सन 1986 की प्रतियोगिता में मेजवान देश श्रीलंका से बिगड़े रिश्तों के कारण भारत ने हिस्सा नहीं लिया। तब इसमें बांग्लादेश को भी शामिल कर लिया गया। सन 1990 की प्रतियोगिता भारत में हुई, जिसमें पाकिस्तान ने भाग नहीं लिया। सन 1993 की प्रतियोगिता भारत और पाकिस्तान के बिगड़े रिश्तों के कारण हो नहीं पाई। 1988 का तीसरा कप बांग्लादेश में हुआ। इस प्रतियोगिता में भारत की टीम ने फाइनल में श्रीलंका को हराया। सन 2000 में बांग्लादेश में हुई चैम्पियनशिप में पहली बार भारत की टीम फाइनल तक नहीं पहुँची। उस साल पाकिस्तान की टीम श्रीलंका को हराकर चैम्पियन बनी।

पेंग्विन किस वर्ग का जीव है?

पेंग्विन एक प्रकार का पक्षी है जो उड़ नहीं पाता, पर काफी समय पानी के अंदर बिता सकता है। इनकी 17 प्रजातियाँ मिलती हैं। पेंग्विन के नाम पर हमें लगता है कि वे सिर्फ अंटार्कटिका के बर्फीले इलाकों में ही मिलते होंगे। ऐसा नहीं है। वे न्यूजीलैंड-ऑस्ट्रिलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में भी मिलते हैं।

दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप कौन सा है?

यदि आशय महाद्वीप से नहीं है तब ग्रीनलैंड सबसे बड़ा द्वीप है जिसका क्षेत्रफल 21,30,800 वर्ग किलोमीटर है। इसके बाद न्यूगिनी है जिसका क्षेत्रफल 7,85, 753 वर्ग किलोमीटर है। इसके बाद बोर्नियो और मैडागास्कर द्वीप हैं। सबसे छोटे महाद्वीप ऑस्ट्रेलिया का क्षेत्रफल 76,00,000 वर्ग किलोमीटर है।

Friday, October 5, 2018

अविश्वास और विश्वास मत


संसदीय अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य सरकार को पराजित करना होता है। यह प्रस्ताव विपक्ष लाता है। इसके विपरीत विश्वास का मत प्रायः सरकार के गठन के बाद पेश किया जाता है। इसे सत्तापक्ष लाता है। ब्रिटिश संसद में सम्राट के और भारतीय संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर वोट भी विश्वास मत की तरह है। उसमें किसी प्रकार का संशोधन सरकार को गिराने जैसा होता है। जब संसद अविश्वास प्रस्ताव पास करे या सरकार विश्वास मत हासिल करने में विफल रहती है, तो उसे इस्तीफा देना चाहिए। इसके अलावा सदन को भंग करने और आम चुनाव कराने का अनुरोध भी सरकार कर सकती है। इस अनुरोध पर फैसला परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि दूसरा पक्ष सरकार बनाने की स्थिति में हो तो उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। यदि सत्तापक्ष बहुमत में है और फिर भी वह संसद को भंग करने का अनुरोध करे तो सम्राट या राष्ट्रपति उसे स्वीकार कर लेते हैं। संसदीयप्रणाली मेंसरकार खुद इस्तीफा देने का फैसला करे या मजबूर होतो सम्राट विरोधी दल से पूछते हैं कि क्या वह सरकार बनाने के लिए तैयार है। भारत में भी यही व्यवस्था है।

वेस्टमिंस्टर प्रणाली

शासन की संसदीय प्रणाली। इसे यह नाम लंदन के पैलेस ऑफ़ वेस्टमिंस्टर के कारण दिया गया है, जो ब्रिटिश संसद का सभास्थल है। सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर लंदन का इलाका है, जो टेम्स नदी के किनारे है। यह इमारत एक शाही महल है। पहला शाही महल 11वीं सदी में बनाया गया था। 1512 में आग से नष्ट होने से पहले वेस्टमिंस्टर पैलेस सम्राट का लंदन निवास होता था। इसके बाद से इसे संसद भवन मान लिया गया। 13वीं सदी में यहां संसद की सभाएं होने लगी थीं। इस भवन में 1834 फिर भयानक में आग लगी। सन 1840 में इसका पुनर्निर्माण शुरू हुआ,जो 30 साल तक चला। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1941 में लंदन पर हुई बमबारी में भी इस इमारत को नुकसान पहुँचा। इसकी एक पहचान है क्लॉक टॉवर, जिसका विशाल घंटा बिग बेन के नाम से प्रसिद्ध है। सन 1987 से यह इमारत यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है।

बिग बेन

बिग बेन विशाल घंटे का नाम है और उस क्लॉक टावर का भी, जिसमें यह घंटा लगा है। सन 2012 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की हीरक जयंती के मौके पर इस घंटाघर का नाम एलिजाबेथ टावर रख दिया गया। इस टावर का डिजाइन ऑगस्टस प्यूजिन ने तैयार किया था। इसका निर्माण 1859 में पूरा हुआ। उस वक्त यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सही समय देने वाली क्लॉक टावर मानी गई। यह टावर 315 फुट ऊँची है और इसमें सबसे ऊपर तक जाने के लिए बनी सीढ़ी के 334 पायदान हैं। इस घड़ी की सूइयों का व्यास 23 फुट का है। 31 मई 2009 को इस घड़ी की 150वीं जयंती मनाई गई थी।

विजय चिह्न ‘वी’

किसी भी क्षेत्र में चाहे वो राजनीति हो, खेल या शिक्षा जीत होने पर दो उंगली ऊँची करके ‘वी’ बनाने का चलन बढ़ता जा रहा है। हाथ की मध्यमा और तर्जनी उंगलियों से बनने वाला अंग्रेजी का ‘वी’ विक्ट्री साइन माना जाता है। यानी विजय। पर इसका मतलब केवल विजय ही नहीं सफलता और शांति भी है। अंतरराष्ट्रीय सद्भाव के आंदोलन काउंटर कल्चर ने सन 1960 में इसे शांति के चिह्न के रूप में स्वीकार किया था। हालांकि इसका कोई नियम नहीं है, पर इसके लाक्षणिक अर्थ को समझने का प्रयास भी करना चाहिए। प्रायः हथेली को बाहर की ओर करके जब यह चिह्न बनाया जाता है तब विजय का सकारात्मक और शांतिपूर्ण अर्थ होता है। जब हथेली को भीतर की ओर करके इस निशान को बनाते हैं तब दम्भ और किसी को पराजित करने का भाव माना जाता है। यों हमारे यहाँ इस अंतर को बहुत कम हम देख पाते हैं।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित


एनआरसी के बारे में जानिए


सिद्धांततः नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) भारतीय नागरिकों की सूची है, पर भारत में असम अकेला राज्य है, जहाँ सन 1951 में इसे जनगणना के बाद तैयार किया गया था। भारत में नागरिकता संघ सरकार की सूची में है, इसलिए एनआरसी से जुड़े सारे कार्य केंद्र सरकार के अधीन होते हैं। यह कार्य देश के रजिस्ट्रार जनरल के अधीन है। सन 1951 में देश के गृह मंत्रालय के निर्देश पर असम के सभी गाँवों, शहरों के निवासियों के नाम और अन्य विवरण इसमें दर्ज किए गए थे। इस एनआरसी का अब संवर्धन किया जा रहा है, जिसका दूसरा ड्राफ्ट हाल में जारी किया गया है। एनआरसी को अपडेट करने की जरूरत सन 1985 में हुए असम समझौते को लागू करने की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे लागू करने के लिए सन 2005 में एक और समझौता हुआ था। सन 2009 में एक एनजीओ असम पब्लिक वर्क्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली कि अवैध नागरिकों के नाम वोटर सूची से हटाए जाएं। यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में चल रही है। एनआरसी संशोधन का पहला ड्राफ्ट 31 दिसम्बर 2017 को जारी हुआ था और दूसरा ड्राफ्ट अब जारी हुआ है। इसमें उन व्यक्तियों के नाम हैं जो या तो 1951 की सूची में थे, या 24 मार्च 1971 की मध्य रात्रि के पहले असम के निवासी रहे हों।
क्या यह अंतिम सूची है?
नहीं यह दूसरी ड्राफ्ट सूची है। यानी कि अब तक जो नाम इसमें शामिल किए जा चुके हैं उनकी सूची। इसके पहले 30 दिसम्बर 2017 को पहली ड्राफ्ट सूची जारी की गई थी। उसमें 1।9 करोड़ नाम शामिल थे। दूसरी सूची में 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं। कुल 3.29 करोड़ लोगों ने इसमें नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किया है। अब तमाम शिकायतों को सुनने के बाद जो सूची जारी की जाएगी, वह अंतिम सूची होगी।उस सूची में भी नाम नहीं होने से कोई व्यक्ति विदेशी साबित नहीं हो जाएगा। विदेशी न्यायाधिकरण इसका फैसला करेगा। उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
राज्य-विहीन लोग कौन हैं?
अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार राज्यविहीन व्यक्ति वह होता है, जिसे कोई भी देश अपना नागरिक नहीं मानता। ऐसे कुछ व्यक्तियों को शरणार्थी कह सकते हैं, पर सभी शरणार्थी राज्यविहीन नहीं होते। किसी देश का नागरिक बनने की कुछ बुनियादी शर्तें हैं। एक, भूमि-पुत्र होना। यानी जिस जमीन पर व्यक्ति का जन्म हो, वह उस देश का नागरिक हो। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस सिद्धांत को मानते हैं। दूसरे वंशज होना। माता-पिता की नागरिकता को ग्रहण करना। दुनिया के ज्यादातर देश इस सिद्धांत को मानते हैं। व्यक्ति के पास इस दोनों के प्रमाण नहीं होते, तो वह राज्य विहीन हो जाता है। दुनिया के देशों में नागरिकता नियम अलग-अलग हैं। जन्म के पंजीकरण की व्यवस्थाएं नहीं हैं, इस कारण जटिलताएं हैं। संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में इस समस्या के निराकरण पर विचार हो रहा है। दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा राज्यविहीन लोग हैं।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, October 4, 2018

मी टू आंदोलन क्या है?

मी टू आंदोलन (जिसे अंग्रेजी में #MeToo लिखा जाता है) यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक वैश्विक अभियान है, जिसके अलग-अलग देशों में अलग-अलग रूप हैं. इसका सबसे प्रचलित अर्थ है कार्यक्षेत्र में स्त्रियों का यौन शोषण. हमारे देश में इसका इस्तेमाल सामान्य उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ भी हो रहा है. अक्तूबर 2017 में अमेरिकी फिल्म निर्माता हार्वे वांइंसटाइन पर कुछ महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए. न्यूयॉर्क टाइम्स और न्यूयॉर्कर ने खबरें प्रकाशित कीं कि एक दर्जन से अधिक स्त्रियों ने वाइंस्टाइन पर यौन-विषयक परेशानियाँ पैदा करने, छेड़छाड़, आक्रमण और रेप के आरोप लगाए. इसके बाद कई और स्त्रियों ने ऐसे आरोप लगाए. इसके बाद कुछ और स्त्रियों ने कहा कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है. पर इस वाक्यांश को लोकप्रियता दिलाई अमेरिकी अभिनेत्री एलिज़ा मिलानो ने, जिन्होंने हैशटैग के साथ इसका इस्तेमाल 15 अक्टूबर 2017 को ट्विटर पर किया. मिलानो ने कहा कि मेरा उद्देश्य है कि लोग इस समस्या की संज़ीदगी को समझें. इसके बाद इस हैशटैग का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर करोड़ों लोग कर चुके हैं.

पहला इस्तेमाल

वस्तुतः यह अब स्त्री-मुक्ति का आप्त-वाक्य बन चुका है. एलिज़ा मिलानो को इसे प्रचारित करने का श्रेय जाता जरूर है, पर इसका पहली बार इस्तेमाल सन 2006 में अमेरिकी सोशल एक्टिविस्ट और कम्युनिटी ऑर्गेनाइज़र टैराना बर्क ने किया था. बर्क का कहना है कि जब एक 13 साल की लड़की ने उन्हें अपने यौन उत्पीड़न की जानकारी दी, तो मेरे मुँह से निकला ‘मी टू.’ स्त्रियों के मन में एक-दूसरे की परेशानियों के प्रति हमदर्दी पैदा करने के उद्देश्य से उन्होंने सोशल मीडिया नेटवर्क माईस्पेस पर इसका इस्तेमाल किया. आज दुनिया के तमाम लोग इसका इस्तेमाल ‘हम तुम्हारे साथ हैं’ की भावना से कर रहे हैं. भारत में हाल में बॉलीवुड की अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के मामले में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.

गणराज्य क्या होता है?

गणराज्य या गणतंत्र शासन पद्धति है, देश सार्वजनिक विषय होता है, शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति नहीं. यानी कि गणतंत्र के भीतर सत्ता पारिवारिक विरासत में नहीं मिलती. यानी राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता, बल्कि जनता द्वारा सीधे या परोक्ष पद्धति से चुना हुआ व्यक्ति होता है. यह सब सांविधानिक व्यवस्था के तहत होता है. आज दुनिया के अधिकतर देश स्वयं को गणराज्य मानते हैं. सन 2017 तक, दुनिया के 206 सम्प्रभु राज्यों में से 159 अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में ‘रिपब्लिक’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे. यह भी समझ लिया जाना चाहिए कि राज्य प्रमुख यदि चुनाव से तय हो रहा है, पर राष्ट्राध्यक्ष सम्राट है, तो उस देश को गणराज्य नहीं कहेंगे। मसलन ब्रिटेन लोकतांत्रिक देश है, पर गणराज्य नहीं है, क्योंकि वहाँ राष्ट्राध्यक्ष राजा है. वहाँ सांविधानिक राजतंत्र है. ऐसा ही जापान में है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
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