दुनिया के पूर्ण सम्प्रभुता सम्पन्न देशों की संख्या 193 है। इनमें से 192 संयुक्त राष्ट्र-सदस्य हैं। वैटिकन सिटी को सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य की मान्य परिभाषाओं में रखा जा सकता है, पर वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं केवल स्थायी पर्यवेक्षक है। वस्तुतः वैटिकन सिटी नहीं रोम के कैथलिक चर्च की प्रशासनिक व्यवस्था, जिसे होली सी कहा जाता है प्राचीनकाल से चली आ रही है। वैटिकन सिटी का गठन 1929 में हुआ था। उसके 178 देशों के साथ राजनयिक सम्बन्ध भी हैं।
संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्य देशों के अलावा कुछ राजव्यवस्थाएं और हैं, जिन्हें पूर्ण देश नहीं कहा जा सकता । उनके नाम हैं अबखाजिया, कोसोवो, नागोर्नो–कारबाख, उत्तरी सायप्रस, फलस्तीन, सहरावी गणराज्य, सोमालीलैंड, दक्षिण ओसेतिया, ताइवान, और ट्रांसनिस्ट्रिया। ये देश किसी न किसी वजह से राष्ट्रसंघ के पूर्ण सदस्य नहीं हैं। हाल में अफ्रीका में एक नए देश का जन्म हुआ है, जिसका नाम है दक्षिणी सूडान। लम्बे अर्से से गृहयुद्ध के शिकार सूडान में इसी साल जनवरी में एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें जनता ने नया देश बनाने का निश्चय किया है। यह फैसला देश के सभी पक्षों ने मिलकर किया है। नया देश 9 जुलाई 2011 को औपचारिक ऱूप से जन्म लेगा।
दयामृत्यु क्या है? क्या किसी देश में व्यक्ति को अपनी इच्छा से मरने का अधिकार है?
दयामृत्यु का अर्थ है किसी व्यक्ति या प्राणी के जीवन का ऐसी स्थिति में अंत जब समझा जाय कि उसकी मृत्यु उसके जीवित रहने से बेहतर है। इसके कई रूप सम्भव है। मृत्यु का स्वयं वरण, सम्बंधियों और परिजन द्वारा निश्चय या किसी अन्य स्थिति में जीवन का अंत। मृत्यु का वरण निष्क्रिय या सक्रिय दोनों प्रकार से हो सकता है। व्यक्ति को जीवित रखने वाले उपकरण हटा लिए जाएं या इंजेक्शन आदि देकर अंत किया जाए।
हाल में सुप्रीम कोर्ट में अरुणा शानबाग के मामले का फैसला आने के पहले से देश में इस प्रश्न पर बहस चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दया मृत्यु को कानूनी शक्ल दे दी है, साथ ही उम्मीद जाहिर की है कि देश की संसद इस मामले में कोई नियम बनाएगी।
दया मृत्यु पर सारी दुनिया में बहस चल रही है, पर इसे स्वीकार बहुत कम लोग करते हैं। युरोप में अल्बानिया, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, आयरलैंड, जर्मनी और लक्जेमबर्ग में पूर्ण या आंशिक दया मृत्यु की अनुमति है। अमेरिका के ओरेगॉन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में भी इसकी अनुमति है। इस व्यवस्था का अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में विरोध हुआ था, पर अंततः अदालत ने दया मृत्यु को स्वीकार कर लिया। इन राज्यों में अब भी इस कानूनी अधिकार के अनेक पहलू अस्पष्ट हैं। दया मृत्यु के समानांतर इच्छा मृत्यु की अवधारणा है। जैन समाज में संथारा एक पवित्र कर्म है। इसी तरह जापान के परम्परागत समाज में हाराकीरी को योद्धाओं का पवित्र कार्य माना जाता है।
मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को संदर्भ में जीएसएम, जीपीआरएस और सीडीएमए क्या होते हैं?
जीएसएम यानी ग्लोबल सिस्टम फऑर मोबाइल। मोबाइल टेलीफोन की यह सबसे ज्यादा प्रचलित पद्धति है। इनका दुनिया भर में नेटवर्क है और अधिकतर देशों में इसकी रोमिंग सुविधा है। जीएसएम एसोसिएशन इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाले संगठनों की अंतरराष्ट्रीय संस्था है। इनकी वैबसाइट http://www.gsmworld.com/ पर जीएसएम पभोक्ताओं की लगातार बढ़ती संख्या आती रहती है। अनुमान है कि इस वक्त दुनिया में करीब पाँच अरब जीएसएम फोन हैं। जीएसएम की तरह सीडीएमए भी मोबाइन फोन की एक तकनीक है। इसका पूरा नाम है कोड डिवीजन मल्टिपल एक्सेस। इसे चैनल एक्सेस मैथड भी कहते हैं। जीपीआरएस यानी जनरल पैकेट रेडियो सर्विस एक प्रकार की तेज डेटा सर्विस है जैसे फिक्स्ड लाइन पर ब्रॉडबैंड सेवा होती है।
भारतीय मुद्रा में गांधी जी ग्यारह लोगों के साथ दांडी यात्रा पर दिखाए गए हैं। क्या ये ग्यारह सदस्य ही यात्रा पर गए थे?
महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 को शुरू की थी। उनके साथ 78 यात्री और चले थे। 240 मील(करीब 325 किमी) की यह यात्रा 24 दिन में पूरी हुई। रास्ते में हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया। बड़ी संख्या में नए लोग उनके साथ यात्रा में शामिल हुए। आपने करेंसी में जो चित्र देखा है वह दिल्ली में मदर टेरेसा क्रेसेंट और सरदार पटेल मार्ग के टी पॉइंट पर स्थापित ग्यारह मूर्तियों का है। यह प्रतीक चित्र है। इसमें सभी यात्रियों को शामिल नहीं किया गया है। इन मूर्तियों के पास यह विवरण भी नहीं है कि इनमें गांधी जी के साथ दूसरे यात्री कौन हैं। यह प्रतिमा प्रसिद्ध मूर्तिकार देवी प्रसाद रॉय चौधरी ने बनाई थी।
राजस्थान पत्रिका के me next में प्रकाशित
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