Saturday, November 30, 2019

क्वांटम सुप्रीमेसी क्या है?


यह कंप्यूटर विज्ञान का एक शब्द है. हाल में गूगल ने घोषणा की कि कंप्यूटिंग में क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल कर ली गई है. साइंटिफिक जर्नल 'नेचर' में इस आशय से संबंधित एक लेख भी प्रकाशित हुआ है. परंपरागत कंप्यूटर भौतिक शास्त्र के परंपरागत सिद्धांतों पर काम करते हुए वे विद्युत प्रवाह का इस्तेमाल करते हैं. क्वांटम कंप्यूटर उन नियमों के आधार पर काम करेगा, जो परमाणुओं और सबएटॉमिक पार्टिकल्स के व्यवहार को दर्शाते हैं. इतने महीन स्तर पर क्वांटम फिजिक्स के नियम काम करते हैं. ऐसे कंप्यूटर के विकास पर वैज्ञानिक पिछले चार दशक से लगे हुए हैं. सन 1981 में भौतिक विज्ञानी रिचर्ड फेनमैन ने लिखा, प्रकृति की नकल करते हुए हमें क्वांटम मिकेनिक्स का विकास करना होगा, जो सरल नहीं है. परंपरागत कम्प्यूटर, सूचना को बाइनरी यानी 1 और 0 के तरीके से प्रोसेस करता है, जबकि क्वांटम कंप्यूटर ‘क्यूबिट्स’ (क्वांटम बिट्स) में काम करेगा. इसमें प्रोसेसर 1और 0 दोनों को साथ-साथ प्रोसेस करेगा. ऐसा एटॉमिक स्केल में होता है. इस स्थिति को क्वांटम सुपरपोजीशन कहते हैं.
गूगल ने क्या हासिल किया?
गूगल का कहना है कि दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर जिस काम को करने में 10 हजार साल लेगा, उसे करने में नई चिप महज 200 सेकेंड लेगी. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने हाल में ट्वीट किया कि यह हमारी टीम की बड़ी उपलब्धि है. गूगल ने 53-क्यूबिट के क्वांटम कंप्यूटर से ऐसी गणनाएं की जो परंपरागत कंप्यूटर नहीं कर सकता. इन गणनाओं को सुपर कंप्यूटर ने सही बताया. गूगल के इस कंप्यूटर का नाम है साइकामोर. गूगल ने यह घोषणा कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के हवाले से की है, जिन्होंने इस चिप के विकास का दावा किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह नहीं मान लेना चाहिए कि यह कंप्यूटर सारे काम कर देगा. कहावत है कि जहाँ काम आए सुई, कहा करे तलवार. इनके इस्तेमाल का क्षेत्र भी अलग हो सकता है. क्वांटम कंप्यूटरों की बात नब्बे के दशक से चल रही है, पर ऐसी मशीनें 2011 के बाद से बनी हैं. ऐसी मशीन कनाडा की कंपनी डी-वेव सिस्टम्स ने बनाने का दावा किया है.
क्या भारत में ऐसे कंप्यूटर हैं?
अभी तो नहीं हैं, पर देश के विज्ञान और तकनीकी विभाग ने पिछले साल क्वांटम इनेबल्ड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (क्वेस्ट) नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके लिए अगले तीन वर्ष में 80 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा. इस बात का प्रयास हो रहा है कि अगले एक दशक के भीतर भारत में क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण हो सके. इसके लिए हमें विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की जरूरत होगी. भारत में अभी सुपर कंप्यूटरों पर काम चल रहा है. बेहतर होगा कि क्वांटम तकनीक के विकास में हम दुनिया से कदम मिलाकर चलें.








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