चुनाव में भागीदारी को स्वस्थ लोकतांत्रिक-व्यवस्था के लिए ज़रूरी और मतदाता का अधिकार माना जाता है। कुछ देशों में इसे कर्तव्य भी माना जाता है और उसमें भाग लेना कानूनन अनिवार्य होता है। मतदान में भाग नहीं लेने पर वोटर की भर्त्सना या जुर्माने की व्यवस्था भी होती है। यदि कोई वैध मतदाता, मतदान केन्द्र पहुंचकर अपना मत नहीं देता है तो उसे पहले से घोषित कुछ दंड का भागी बनाया जा सकता है।
यह कोई नई अवधारणा नहीं है। बेल्जियम में सबसे पहले 1893 में पुरुषों के
लिए और फिर 1948 में स्त्रियों के लिए भी अनिवार्य मतदान का प्रावधान किया गया था। अर्जेंटीना में 1914 में और ऑस्ट्रेलिया में 1924 में। इनमें ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और बेल्जियम
के अलावा सायप्रस, सिंगापुर, बोलीविया, कोस्टारिका, इक्वेडोर,
फिजी, थाईलैंड, मिस्र, उरुग्वाय,
लक्ज़ेम्बर्ग, चिली और ब्राज़ील के नाम भी शामिल हैं।
कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिनमें अनिवार्य मतदान
की व्यवस्था कुछ समय लागू रही और फिर बाद में उसे खत्म कर दिया गया। ऐसे देशों में
वेनेजुएला और द नीदरलैंड्स के नाम शामिल हैं। जनवरी 2023 तक की जानकारी के अनुसार दुनिया के 21 देशों
में मतदान अनिवार्य है। कई देशों में मतदान ना करने पर दंड का प्रावधान है।
हालांकि कुछ राजनीति शास्त्री मानते हैं कि मतदान एक महत्वपूर्ण अधिकार है, पर
मतदान में भाग नहीं लेना भी उस अधिकार का हिस्सा है। भारत में नोटा (नन ऑफ द एबव)
भी इसका एक रूप है।
वीवीपैट क्या है?
वोटर वैरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) या
वैरीफाइड पेपर रिकार्ड (वीपीआर) इलेक्ट्रॉनिक वोटर मशीन का उपयोग करते हुए
मतदाताओं को फीडबैक देने का एक तरीका है। यह एक स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली है,
जिससे मतदाताओं को जानकारी मिल जाती है कि उनका वोट सही ढंग से डाला
गया है। इसमें वोट का बटन दबने के बाद एक पर्ची छपकर बाहर आती है। मतदाता सात
सेकंड तक यह देख सकता है कि उसने जिस प्रत्याशी को वोट दिया है उसका नाम और चुनाव
चिह्न क्या है। भारत में, 2014 के चुनाव में एक पायलट प्रोजेक्ट
के रूप में 543 में से 8 संसदीय क्षेत्रों में वीवीपैट प्रणाली की शुरुआत की गई थी।
ये क्षेत्र थे लखनऊ, गांधीनगर, बेंगलुरु
दक्षिण, चेन्नई सेंट्रल, जादवपुर,
रायपुर, पटना साहिब और मिजोरम। इनका पहली बार
इस्तेमाल सितंबर 2013 में नगालैंड के नोकसेन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हुआ था। सन
2017 में गोवा विधानसभा चुनाव में संपूर्ण राज्य में इनका इस्तेमाल किया गया था।
चुनाव आयोग ने इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में हरेक संसदीय क्षेत्र के हरेक
विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट के इस्तेमाल का निर्देश जारी
किया है।
यह खबरों में क्यों है?
ईवीएम के इस्तेमाल के बाद उन्हें लेकर भी
शिकायतें आईं हैं। इन शिकायतों के निवारण के लिए वीवीपैट बनाई गई है। इन मशीनों
में भी गड़बड़ी की शिकायतें आती हैं। दूसरे इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है।
संसदीय क्षेत्र के हरेक विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट के
इस्तेमाल के विरोध में देश के 21 राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
की थी। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि ज्यादा पोलिंग स्टेशनों पर
वीवीपैट के इस्तेमाल में क्या दिक्कत है? इसपर चुनाव आयोग
ने जवाब दिया था कि यदि किसी संसदीय क्षेत्र के 50 फीसदी वोटों के लिए वीवीपैट का
इस्तेमाल किया जाए, तो मतगणना में छह दिन का विलम्ब होगा।
बहरहाल अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि हरेक लोकसभा क्षेत्र में आने वाले
पाँच विधानसभा क्षेत्रों के एक-एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाए।
अब माँग की जा रही है कि सभी वीवीपैट मशीनों में पड़े वोटों की गिनती भी की जाए।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज
कॉर्नर में 20 अप्रेल, 2024 को प्रकाशित