Saturday, April 26, 2025

राज्यों में विधान परिषदें

 

इस समय देश के छह राज्यों में विधान परिषदें है: आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश। संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत, संसद को किसी राज्य में विधान परिषद को स्थापित करने या समाप्त करने का अधिकार है, बशर्ते उस राज्य की विधानसभा दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास करे। उपरोक्त छह राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 2021 में विधान परिषद के गठन के लिए प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन यह संसद में लंबित है। राजस्थान सरकार ने भी परिषद के गठन का प्रस्ताव रखा है। यह प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है। कुछ अन्य राज्यों जैसे ओडिशा और असम ने भी में विधान परिषद के गठन पर चर्चा की, लेकिन ठोस प्रगति नहीं हुई। वहीं आंध्र प्रदेश विधानसभा ने जनवरी 2020 में परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया था। यह प्रस्ताव भी संसद में लंबित है। कई राज्यों में विधान परिषद को समाप्त किया जा चुका है, जैसे: पंजाब (1969), पश्चिम बंगाल (1969), तमिलनाडु (1986), आंध्र प्रदेश (1985, हालांकि 2007 में इसे पुनर्जीवित किया गया), जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद थी, पर 2019 के राज्य  पुनर्गठन विधेयक के तहत उसका समापन हो गया। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 26 अप्रेल 2025 को प्रकाशित







Sunday, April 20, 2025

‘गिरमिटिया’ प्रथा क्या थी?

सत्रहवीं सदी में अंग्रेज़ों ने भारत से मजदूरों को विदेश ले जाकर उनसे काम कराना शुरू किया। इन मज़दूरों को ‘गिरमिटिया’ कहा गया। गिरमिट शब्द अंग्रेजी के `एग्रीमेंट' शब्द का बिगड़ा हुआ रूप है। जिस कागज पर अँगूठे का निशान लगवाकर मज़दूर भेजे जाते थे, उसे मज़दूर और मालिक `गिरमिट' कहते थे। हर साल 10 से 15 हज़ार मज़दूर गिरमिटिया बनकर फिजी, ब्रिटिश गुयाना, डच गुयाना, ट्रिनीडाड, टोबेगो, दक्षिण अफ्रीका आदि जाते थे। यह प्रथा 1834 में शुरू हुई थी और 1917 में इसे खत्म कर दिया गया। इस प्रथा के विरुद्ध महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से अभियान प्रारंभ किया। भारत में गोपाल कृष्ण गोखले ने इंपीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल में मार्च 1912 में गिरमिटिया प्रथा समाप्त करने का प्रस्ताव रखा। कौंसिल के 22 सदस्यों ने तय किया कि जब तक यह अमानवीय प्रथा खत्म नहीं की जाती तब तक वे हर साल यह प्रस्ताव पेश करते रहेंगे। दिसंबर 1916 में कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भारत सुरक्षा और गिरमिट प्रथा अधिनियम प्रस्ताव रखा। बढ़ते आक्रोश को देखते हुए सरकार ने 12 मार्च, 1917 इस प्रथा को खत्म करने का आदेश गजट में प्रकाशित कर दिया। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 19 अप्रेल, 2025 को प्रकाशित





Saturday, April 12, 2025

आईवी लीग क्या होता है?

आईवी लीग से अकादमिक उत्कृष्टता, प्रतिष्ठा और परंपराओं से जुड़े आठ अमेरिकी विश्वविद्यालयों को पहचाना जाता है। पूर्वोत्तर अमेरिका के ये आठ निजी विश्वविद्यालय, जो अपनी कठिन प्रवेश-प्रक्रिया, उच्चस्तरीय प्रोफेसरों और प्रभावशाली पूर्व छात्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। एक तिहाई से अधिक अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने आईवी लीग स्कूलों में पढ़ाई की है, और इन संस्थानों में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की एक प्रभावशाली हिस्सेदारी है। ये सभी पुराने, प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से सात की स्थापना अमेरिका के औपनिवेशिक काल के दौरान हुई थी। ये सभी एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन युनिवर्सिटीज़ का हिस्सा हैं, जिसमें अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालय शामिल हैं। ये आठ विश्वविद्यालय हैं: हार्वर्ड (मैसाचुसेट्स), येल (कनेक्टिकट), प्रिंसटन (न्यू जर्सी), कोलंबिया (न्यूयॉर्क), ब्राउन (रोड आइलैंड), डार्टमाउथ (न्यू हैम्पशर), पेन्सिलवेनिया  (पेन्सिलवेनिया) और कॉर्नेल (न्यूयॉर्क)। आईवी लीग जैसा कि नाम से प्रकट होता है, इसकी शुरुआत इन शिक्षा संस्थानों के एथलेटिक सम्मेलन से हुई थी। पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल 1933 में न्यूयॉर्क हैरल्ड ट्रिब्यून में एक खेल पत्रकार ने इन आठ ऐतिहासिक कॉलेजों के बीच प्रतिद्वंद्विता का वर्णन करने के लिए ‘आईवी कॉलेज’ वाक्यांश का इस्तेमाल किया था। इन कॉलेजों में आईवी लताओं के कारण समानता भी देखी जाती थी। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 12 अप्रेल, 2025 को प्रकाशित



Saturday, April 5, 2025

अमेरिका नाम कैसे पड़ा?

अमेरिकी महाद्वीप की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1492 में की थी, पर इसका नाम रखने में उनकी भूमिका नहीं है। कोलंबस समझते थे कि उन्होंने जिस जमीन को खोजा, वह भारत है। अमेरिका नाम इतालवी यात्री अमेरिगो वेसपुच्ची के नाम पर है, जो कोलंबस की यात्रा के सात साल बाद 1499 में चार पोतों के एक यात्री दल के साथ अटलांटिक पार करके दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट पर पहुँचा। जब वह वापस आया तो उसने इस नई जगह को नाम दिया ‘मुंडस नोवस’ यानी नई दुनिया। वेसपुच्ची ने यह साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि कोलंबस जहाँ गए, वह एशिया का मार्ग नहीं था, बल्कि एक अलग महाद्वीप था। 1507 में जर्मन कार्टोग्राफर मार्टिन वॉल्डसीम्यूलर और उनके सहयोगी मठायस रिंगमान ने नए नक्शे में इस ‘नई दुनिया’ को दिखाया। इसका नाम लिखा अमेरिका, जो अमेरिगो से प्रेरित था। शुरू में उनके नक्शे में दक्षिण अमेरिका ही था। बाद में उत्तरी अमेरिका भी इसमें शामिल किया गया। भूगोलवेत्ता जेराल्ड मर्केटर ने 1538 में दोनों भूखंडों को एक नाम दिया अमेरिका। कुछ अन्य व्याख्याएं भी हैं, पर वेसपुच्ची सिद्धांत व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 5 अप्रेल, 2025 को प्रकाशित



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