संविधान के अनुच्छेद 109 के अनुसार धन विधेयक राज्यसभा में पुरःस्थापित (इंट्रोड्यूस) नहीं किया जाएगा। लोकसभा से उसके पास होने के बाद राज्यसभा की सिफारिशों के लिए भेजा जाएगा, जहाँ से चौदह दिन की अवधि के भीतर राज्यसभा अपनी सिफारिशों के साथ उसे लोकसभा को लौटा देगी। लोकसभा उन सिफारिशों को स्वीकार कर भी सकती है और नहीं भी कर सकती है। अनुच्छेद 110 मे वर्णित एक या अधिक मामलों से जुड़ा धन विधेयक कहलाता है। ये मामले हैं -किसी कर को लगाना,हटाना, नियमन, धन उधार लेना या कोई वित्तीय जिम्मेदारी जो भारत की संचित निधि से धन की निकासी/जमा करना, संचित निधि से धन का विनियोग, ऐसे व्यय जिन्हें भारत की संचित निधि पर भारित घोषित करना हो, संचित निधि से धन निकालने की स्वीकृति लेना वगैरह। वित्त विधेयक (फाइनेंशियल बिल) वह विधेयक जो धन विधेयक (मनी बिल) के एक या अधिक प्रावधानों से पृथक हो तथा गैर मनी मामलों से भी संबंधित हो। जो राजस्व और व्यय से जुड़ा हो सकता है। वित्त विधेयक में धन प्रावधानों के साथ सामान्य विधायन से जुड़े मामले भी होते है। इस प्रकार के विधेयक को पारित करने की शक्ति दोनों सदनों मे समान होती है। यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो उस पर लोक सभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।
गोलमेज वार्ता क्या होती है?
गोलमेज वार्ता माने जैसा नाम है काफी लोगों की बातचीत, जो एक-दूसरे के आमने-सामने हों। यहाँ पर गोलमेज प्रतीकात्मक है। गोलमेज में ही सब आमने-सामने होते हैं। अंग्रेजी में इसे राउंड टेबल कहते हैं, जिसमें गोल के अलावा यह ध्वनि भी होती है कि मेज पर बैठकर बात करना। यानी किसी प्रश्न को सड़क पर निपटाने के बजाय बैठकर हल करना। अनेक विचारों के व्यक्तियों का एक जगह आना। माना जाता है कि 12 नवम्बर 1930 को जब ब्रिटिश सरकार ने भारत में राजनीतिक सुधारों पर अनेक पक्षों से बातचीत की तो उसे राउंड टेबल कांफ्रेंस कहा गया। इस बातचीत के कई दौर हुए थे।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर
में 16 दिसंबर, 2023 को प्रकाशित