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Sunday, July 5, 2015

धरती से कितने ऊपर अंतरिक्ष शुरू होता है?

हालांकि ऐसी कोई सीमा नहीं है जहाँ से अंतरिक्ष की शुरुआत मानी जाए, पर सामान्यतः समुद्र की सतह से 100 किमी की ऊँचाई के बाद हम अंतरिक्ष की शुरूआत मानने लगे हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1967 में पारित वाह्य अंतरिक्ष संधि में भी यही सीमा मानी गई है। इसे कामान रेखा कहा जाता है।

क्या किसी मंदिर में भारत माता की पूजा की जाती है?
देश में कई जगह भारता माता मंदिर बनाए गए हैं। वाराणसी में राजघाट पर स्थित अपने ढंग का अनोखा भारतमाता मंदिर है। इस मंदिर की आराध्य भारत माता हैं। यहां पर पूजा, कर्मकाण्ड या दूसरे मंदिरों जैसे घंटा घड़ियाल नहीं बजते हैं और न ही पंडितों पुरोहितों की खींचतान होती है। यह मंदिर हिन्दू, मुस्लिम, सिख एवं ईसाई जैसे जाति या साम्प्रदायिक और उन्मादी धार्मिक भावना से कोसों दूर सर्वधर्म समभाव का संदेश देता है। मंदिर का उद्घाटन 25 अक्टूबर 1931 को महात्मा गांधी ने किया था। मंदिर के 81 वर्ष पूरे हो गए हैं। मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर महात्मा गांधी ने कहा था कि इस मंदिर में किसी देवता या देवी की मूर्ति नहीं है, यहां संगमरमर पर उभरा हुआ भारत का एक मानचित्र भर है। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भारत माता की पूजा होती है। इस मंदिर में कोई आरती नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति गीतों की गूंज सुनाई देती है। सद्गुरु धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट ने आम जन में राष्ट्रीय भावना जागृत करने के मकसद से सुखलिया इलाके में भारत माता मंदिर का निर्माण कराया है। मंदिर में बॉर्डर वाली गहरे रंग की साड़ी पहने हाथ में तिरंगा थामे भारत माता की प्रतिमा के पीछे भारत का नक्शा बना हुआ है। इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं। हिसार की एम.सी. कॉलोनी में भी एक भारत माता मंदिर बनाया गया है।

क्या पेंगुइन सामूहिक आत्महत्या करते हैं? क्यों?
हाँ ऐसी खबरें मिली हैं कि अंटार्कटिक में पेंग्विन बड़ी संख्या में किसी बर्फीली चोटी पर खड़े होकर बड़ी संख्या में सागर में कूदकर जान दे रही हैं। यों जानवर उस तरह आत्महत्या नहीं करते जिस तरह इंसान करते हैं। केवल वे अपनी मौत के वक्त खुद को इस स्थिति में ले आते हैं कि जान चली जाए। मसलन खरगोश खुले में आ जाते हैं ताकि कोई चील उन्हें उठा ले जाए। असम के पेंग्विन की मौतों के पीछे ग्लोबल वार्मिंग है या कोई और बात है अभी कहना मुश्किल है।

ऑडिटोरियम में ग्रीन रूम को ग्रीन रूम क्यों कहते हैं?
कहा जाता है कि सन 1599 में लंदन के ब्लैकफ्रायर्स थिएटर में मंच के ठीक पीछे उन कलाकारों के बैठने की व्यवस्था की गई, जिन्हें बाद में मंच पर जाना था। इस कमरे में हरे रंग की पुताई की गई थी। धीरे-धीरे सका नाम ग्रीन रूम हो गया। एक बात यह भी कही जाती है कि मंच की रोशनी से कलाकारों की आँखें चौंधिया जाती थीं। उन्हें कुछ आराम देने के लिए ऐसे कमरे को हरे रंग से पोतते थे।

भारत में सबसे पहले ई-मेल कब?
15 अगस्त 1995 को भारत के विदेश संचार निगम ने देश में इंटरनेट सेवा की शुरूआत की। तभी से मेल सेवा भी शुरू हुई।

Monday, June 8, 2015

सूर्य सबसे पहले किस देश में निकलता है?

इस सवाल का जवाब समझना आसान नहीं है, क्योंकि धरती घूमती रहती है। इसलिए सबसे पहले कौन सा इलाका सूर्य के सामने आता है कहना मुश्किल है। बहरहाल मनुष्य ने धरती को अक्षांश, देशांतर के मार्फत विभाजित किया है। साथ ही पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाएं भी तय की हैं। धरती के गोले पर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जो काल्पनिक देशांतर रेखाएं हैं, उनमें जो देश सुदूर पूर्व में 180 देशांतर पर पड़ेंगे, वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मानना चाहिए।
दुनिया को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित किया है। इस टाइम ज़ोन से तय होता है कि सबसे पहले सूर्योदय किस देश में होता है। सामान्यतः हम मानते हैं कि दुनिया में जापान का मिनामी तोरीशीमा धुर पूर्व में है। इसलिए वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मान सकते हैं। दूसरा तरीका यह है कि डेटलाइन को आधार मानें। ग्रीनविच मीन टाइम को यदि हम आधार मानते हैं तो जापान के समय में नौ घंटे जोड़ने होंगे। यानी जब ग्रीनविच मीन टाइम शून्य यानी रात के बारह बजे होंगे तब जापान में सुबह के नौ बजे होंगे। वास्तव में जीएमटी से ठीक बारह घंटे का फर्क फिजी, तुवालू, न्यूजीलैंड और किरिबाती के मानक समय में है, जबकि इन सबकी स्थिति में फर्क है। इस लिहाज से दुनिया का सबसे पूर्व में स्थित क्षेत्र किरिबाती का कैरलिन द्वीप है, जहाँ के सूर्योदय को धरती का पहला सूर्योदय मान सकते हैं।

स्टार्ट-अप कम्पनी क्या है?
यह नई संस्कृति का शब्द है। नयापन, अभिनव, नवोन्मेष और नवाचार से मिलता-जुलता शब्द है स्टार्ट-अप। अंग्रेजी में इसके माने हैं नवोदय या अचानक उदय होना, उगना, आगे बढ़ना वगैरह। इसके कारोबारी माने हैं नए और अनजाने बिजनेस मॉडल की खोज। यानी नए किस्म के कारोबार में जुड़ी नई कम्पनियों को स्टार्ट-अप कम्पनी कहते हैं। भारत में ई-रिटेल और इंटरनेट से जुड़ी ज्यादातर नई कम्पनियाँ स्टार्ट-अप हैं। इनकी तकनीक नई है और मालिक और प्रबंधक भी नए किस्म के हैं। उनका काम करने का तरीका नया है। यह शब्द बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में डॉट-कॉम ‘बूम’ और ‘बबल’ के वक्त ज्यादा लोकप्रिय हुआ।

सामाजिक दृष्टि से भारत में यह नया चलन है। अमेरिका में बिजनेस प्लान करना, नयी कम्पनी बनाना, उसके मार्फत भारी सफलता पाने का चलन पहले से है। अमेरिका के बिजनेस और इंजीनियरी संस्थानों से निकल कर छात्र कारोबार शुरू करने के बारे में सोचता है। इस चलन के समानांतर एक नई संस्कृति का जन्म हो रहा है, जिसे स्टार्ट-अप कल्चर नाम मिला है।

भारत में अभी तक नौजवान नौकरी को वरीयता देते हैं। अब स्थितियाँ बदल रहीं हैं। अब तक की समझ है कि कारोबार में जोखिम है। कम उम्र में जोखिम उठाया जा सकता है, यही इस संस्कृति का मूल मंत्र है। माना जा रहा है कि संपन्नता उन्हीं के पास आती है, जो जोखिम उठाते हैं। परम्परागत व्यवसाय की जगह नए कारोबार के आविष्कार में फायदे की गुंजाइश भी ज्यादा है। परम्परागत तरीके से 10 से 15 फीसदी फायदा मिलता है, जबकि नवोन्मेष से 85 फीसदी या उससे भी ज्यादा फायदा मिलता है।

भारत में सबसे पहले ई-मेल कब?

15 अगस्त 1995 को भारत के विदेश संचार निगम ने देश में इंटरनेट सेवा की शुरूआत की। तभी से मेल सेवा भी शुरू हुई।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, May 21, 2015

पहला ईमेल किसने भेजा और कब?

ईमेल इलेक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रुप है। दुनिया का पहला ई-मेल सन 1971 में अमेरिका के कैम्ब्रिज नामक स्थान पर रे टॉमलिंसन  नामक इंजीनियर ने उसी एक ही कमरे में रखे दो कम्पयूटरों के बीच भेजा। वे कम्प्यूटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे। अर्पानेट एक माने में इंटरनेट का पूर्वज है। यह संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का प्रयोग था। ईमेल को औपचारिक रूप लेने में कई साल लगे। अलबत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी वीए शिवा अय्यदुरई ने 1978 में एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया जिसे 'ईमेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स ऑप्शन थे। सन 1982 में अमेरिका के कॉपीराइट कार्यालय ने उन्हें इस आशय का प्रमाणपत्र भी दिया। इस कॉपीराइट के बावजूद उन्हें ईमेल का आविष्कारक नहीं कहा जा सकता।

@ की क्या महत्ता है? इसके बिना ई-मेल अधूरा क्यों है?
अंग्रेज़ी के ऍट या स्थान यानी लोकेशन का यह प्रतीक चिह्न है। शुरू में इसका इस्तेमाल गणित में ‘ऍट द रेट ऑफ’ यानी दर के लिए होता था। ई-मेल में इसके इस्तेमाल ने इसके अर्थ का विस्तार कर दिया। ई-मेल में पते के दो हिस्से होते हैं। एक होता है लोकल पार्ट जो @ के पहले होता है। इसमें अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फॉर इनफॉरमेशन इंटरचेंज (एएससीआईआई) के तहत परिभाषित अक्षर, संख्या या चिह्न शामिल हैं। चिह्न @ के बाद डोमेन का नाम लिखा जाता है। यानी इस चिह्न के पहले व्यक्ति या संस्था का नाम बताने वाले संकेत और उसके बाद डोमेन नाम। कुछ लोगों को लगता है कि इस पते को केवल लोअर केस में लिखा जा सकता है। इसे अपर और लोअर दोनों केस में लिख सकते हैं।

दुनिया में ऐसे कितने देश हैं जहां लोकतंत्र या डेमोक्रेसी नहीं है ?
घना, म्यांमार और वैटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सउदी अरब, जॉर्डन, मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, बहरीन, ओमान, कतर,स्वाज़ीलैंड वगैरह में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहाँ लोकतंत्र है। दुनिया के 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चालीस के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।

लोकतंत्र  व  गणतंत्र में  क्या  अंतर है ?
लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है। यानी हम जब भी फैसले करें तब यथेष्ट लोगों की सहमति हो। हालांकि यह अनिवार्य नहीं, पर व्यवहारिक बात है कि उसकी संवैधानिक व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब शासन पद्धति पर यह लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक होती है। इसमें हिस्सा लेने वाले या तो आमराय से फैसले करते हैं और यदि ऐसा न हो तो मत-विभाजन से करते हैं। ये निर्णय सामान्य बहुमत से और कई बार ज़रूरी होने पर विशेष बहुमत से भी होते हैं। मसलन कुछ परिस्थितियों में दो तिहाई मत से भी निर्णय किए जाते हैं।

गणतंत्र का अर्थ वह शासन पद्धति जहाँ राज्य प्रमुख का निर्वाचन सीधे जनता करे या जनता के प्रतिनिधि करें। यानी राष्ट्रप्रमुख वंशानुगत या तानाशाही तरीके से सत्ता पर कब्जा करके न आया हो। कुछ ऐसे देश भी हैं, जहाँ शासन पद्धति लोकतांत्रिक है, पर राष्ट्राध्यक्ष लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुना जाता। जैसे युनाइटेड किंगडम, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष सम्राट होता है, जिसके परिवार के सदस्य ही राष्ट्राध्यक्ष बनते हैं। वह लोकतंत्र है, गणतंत्र नहीं। भारत में लोकतांत्रिक सरकार है और राष्ट्रपति का चुनाव होता है इसलिए यह गणतंत्रात्मक व्यवस्था भी है।


दुनिया का सबसे बड़ा हाइवे कहाँ है? उसकी लम्बाई कितनी है?
ऑस्ट्रेलिया का हाइवे नम्बर वन दुनिया का सबसे लम्बा हाइवे माना जाता है। इसकी लम्बाई 14,500 किलोमीटर है। और यह इस महाद्वीप सागर तट से लगकर चलता है। यानी पूरे महाद्वीप का चक्कर लगाता है। भारत सरकार ने इसी प्रकार के एक राजमार्ग के निर्माण की योजना बनाई है जो देश की सीमाओं से होता हुआ पूरे देश का चक्कर लगाएगा। इसकी लम्बाई तकरीबन 5000 किलोमीटर होगी। इसे भारत माला नाम दिया गया है।

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
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