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Tuesday, September 3, 2019

एफएटीएफ का मामला क्या है?


आतंकी गतिविधियों के आर्थिक साधनों की निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स' (एफएटीएफ) के एशिया-प्रशांत समूह (एपीजी) ने पाकिस्तान को एनहांस्ड एक्सपेडाइटेड फॉलो अप (ईईएफयूपी) लिस्ट में डाल दिया है. एफएटीएफ एपीजी बैठक ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में 22 और 23 अगस्त को हुई. एपीजे ने पाया कि धन शोधन और आतंकियों की मदद से जुड़े 40 अनुपालन मानकों में से 32 पर और 11 प्रभावी मानकों में से 10 पर पाकिस्तान खरा नहीं उतरा. अक्टूबर में एफएटीएफ काली सूची में भी उसे डाला जा सकता है. वह एफएटीएफ की ग्रे सूची में जून 2018 से है. उस वक्त पाकिस्तान और एफएटीएफ ने 10 सूत्री कार्यक्रम के तहत 27 सूचकांकों पर नजर रखने का कार्यक्रम बनाया. उद्देश्य यह था कि इस कार्य योजना को सफलतापूर्वक लागू करके पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकाला जा सकेगा. ऐसा नहीं हुआ, तो अब अक्तूबर में पेरिस में होने वाली बैठक में पाकिस्तान को काली सूची में डाला जा सकता है. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर करने के लिए एफएटीएफ के 37 सदस्यों में से कम से कम 15 के समर्थन की जरूरत होगी. उसे काली सूची से बचाने के लिए कम से कम तीन वोटों की जरूरत होगी. यदि वह काली सूची में आ गया, तो उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से छह अरब डॉलर का कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा.
क्या यह संरा की संस्था है?
नहीं, इसे जी-7 देशों ने बनाया है. यह संगठन सन 1989 में जी-7 देशों के पेरिस शिखर सम्मेलन की देन है. शुरू में तो यह मनी लाउंडरिंग रोकने के लिए बना था, पर 11 सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद से इसने सन 2001 में आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के खिलाफ भी सिफारिशें देना शुरू किया और अब यह जन-संहार के हथियारों के प्रसार के विरुद्ध भी नीति-निर्देश दे रहा है. इसकी सिफारिशों में व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार को रोकने से जुड़ी सिफारिशें भी शामिल हैं. इसके गठन के वक्त 16 देश इसके सदस्य थे, जिनकी संख्या अब 37 है. भारत एफएटीएफ और एपीजी दोनों का सदस्य है और इसके संयुक्त समूह का संयुक्त सभापति भी है. भारत के वित्तीय इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर जनरल इसमें देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके सदस्यों में यूरोपियन कमीशन और खाड़ी सहयोग परिषद भी शामिल हैं. संगठन की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है इसकी महासभा, जिसकी साल में तीन बैठकें होतीं हैं. 
इसकी वॉच लिस्ट का मतलब?
अपनी स्थापना के बाद इसने अपनी पहली रिपोर्ट में मनी लाउंडरिंग को रोकने के लिए 40 सिफारिशें की थीं. सन 2003 में इन सिफारिशों में संशोधन किया गया. इन 40 सिफारिशों के अलावा आतंकवादियों को मिल रहे धन पर रोक लगाने वाली 9 विशेष सिफारिशें इनमें जोड़ी गईं. सन 2000 में इसने नॉन कोऑपरेटिव कंट्रीज़ ऑर टेरिटरीज़ (एनसीसीटी) नाम से 15 देशों की एक सूची भी जारी की. इसके बाद 2001 में इसमें आठ और देशों के नाम शामिल हो गए. इसे आमतौर पर एफएटीएफ की काली सूची कहा जाता है. यह सूची संशोधित होती रहती है.

Thursday, July 9, 2015

एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में क्या या कैसा खाना खाते हैं?

अब अंतरिक्ष यात्राएं काफी लम्बी होने लगी हैं. कई-कई महीने तक यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन पर रहना पड़ता है. उनके लिए खाने की व्यवस्था करने के पहले देखना पड़ता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मुक्त स्पेस में उनके शरीर को किस प्रकार के भोजन की जरूरत है. साथ ही उसे स्टोर किस तरह से किया जाए. सबसे पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागारिन को भोजन के रूप में टूथपेस्ट जैसी ट्यूब में कुछ पौष्टिक वस्तुएं दी गईं थीं। उन्हें गोश्त का पेस्ट और चॉकलेट सॉस भी दिया गया. 1962 में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जॉन ग्लेन ने भारहीनता की स्थिति में भोजन करने का प्रयोग किया था. शुरू में लगता था कि भारहीनता में इंसान भोजन को निगल पाएगा या नहीं. इसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए टेबलेट और तरल रूप में भोजन बनाया गया. धीरे-धीरे उनके भोजन पर रिसर्च होती रही. उन्हें सैंडविच और टोस्ट दिए जाने लगे. अब उन्हें कई तरह के पेय पदार्थ और खाने की चीजें भेजी जाती हैं. अलबत्ता वहाँ स्वाद की समस्या होती है. भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स हाल में जब कुछ साल पहले भारत आईं थी तो उन्होंने बताया था कि वे अंतरिक्ष में समोसे लेकर गई थीं। साथ ही वे पढ़ने के लिए उपनिषद और गीता भी लेकर गईं थी. 

सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करने वाला पेड़ या पौधा कौन सा है?
पेड़ या पौधे ऑक्सीजन तैयार नहीं करते बल्कि वे फोटो सिंथेसिस या प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और उसके दो बुनियादी तत्वों को अलग करके ऑक्सीजन को वातावरण में फैलाते हैं. एक माने में वातावरण को इंसान के रहने लायक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं. कौन सा पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करते है? इसे लेकर अधिकार के साथ कहना मुश्किल है, पर तुलसी, पीपल, नीम और बरगद के पेड़ काफी ऑक्सीजन तैयार करते हैं और हमारे परम्परागत समाज में इनकी पूजा होती है. यों पेड़ों के मुकाबले काई ज्यादा ऑक्सीजन तैयार करती है.

प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगों जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बन डाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं. इस प्रक्रिया में आक्सीजन एवं ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च आदि) का निर्माण होता है तथा आक्सीजन गैस बाहर निकलती है. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण जैव रासायनिक क्रियाओं में से एक है. सीधे या परोक्ष रूप से दुनिया के सभी सजीव इस पर आश्रित हैं.

शीशे का आविष्कार कब और कैसे हुआ और इसका पहली बार किस रूप में उपयोग किया गया?

शीशे से आपका आशय दर्पण से है तो वह प्रकृति ने हमें ठहरे हुए पानी के रूप में दिया था. पत्थर युग में चिकने पत्थर में भी इंसान को अपना प्रतिबिंब नज़र आने लगा था. इसके बाद यूनान, मिस्र, रोम, चीन और भारत की सभ्यताओं में धातु को चमकदार बनाकर उसका इस्तेमाल दर्पण की तरह करने की परंपरा शुरू हुई. पर प्रकृति ने उससे पहले उन्हें एक दर्पण बनाकर दे दिया था. यह था ऑब्सीडियन. ज्वालामुखी के लावा के जमने के बाद बने कुछ काले चमकदार पत्थर एकदम दर्पण का काम करते थे. बहरहाल धातु युग में इंसान ने ताँबे की प्लेटों को चमकाकर दर्पण बना लिए. प्राचीन सभ्यताओं को शीशा बनाने की कला भी आती थी. ईसा की पाँचवीं सदी में चीन के लोगों ने चाँदी और मरकरी से शीशे के एक ओर कोटिंग करके दर्पण बना लिए थे. हमारे यहाँ स्त्रियों के गहनों में आरसी भी एक गहना है, जो वस्तुतः चेहरा देखने वाला दर्पण है.

हिंदी फिल्मों का सबसे लम्बा गाना कौन सा है?

अभी तक माना जाता था कि सन 1958 में बनी फिल्म अल हिलाल की कव्वाली ‘हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने’ सबसे लम्बा गीत है. यह 11 मिनट का गाना था. पर 2012  में फिल्म मस्तान में 21 मिनट का गाना 'मोरा मन मान ना' िरकॉर्ड किया गया. जयपुर मूल के संगीतकार तोषी साबरी ने अपनी फिल्म "मस्तान" के लिए 21 मिनट लम्बा गीत रिकॉर्ड किया है. रॉकी खन्ना के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और उनका छोटा बेटा वीवान एक साथ काम कर रहे हैं. हाल में पता लगा है कि ‘अब तुम्हारे हवाले वतन सारा’ नाम की फिल्म में 20 मिनट का गीत है, जिसे कैलाश खेर, सोनू निगम, अलका याग्निक और उदित नारायण ने गाया है.

कहते हैं कि नॉर्वे में आधी रात तक सूरज चमकता है. क्या यह बात सही है?

नॉर्वे उत्तरी ध्रुव के काफी करीब है. इस इलाके में गर्मियों में रात के बारह बजे के बाद तक सूरज चमकता है. रातें कुछ घंटे की होती हैं, उस दौरान भी सूरज क्षितिज के करीब होता है इसलिए रातें अंधियारी नहीं होतीं. इसलिए इसे अर्धरात्रि के सूर्य वाला देश कहते हैं.

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Friday, July 3, 2015

ब्लैक बॉक्स को ब्लैक बॉक्स क्यों कहते हैं? यह किस काम आता है और अपना काम किस तरह करता है?


हवाई जहाज की उड़ान के दौरान उसके बारे में तमाम जानकारियाँ एक जगह दर्ज होती जाती हैं. विमान की गति, ऊँचाई, इंजन तथा अन्य यंत्रों की ध्वनि, यात्रियों और पायलटों की बातचीत आदि, दर्ज होती रहती है। इन सूचनाओं के विश्लेषण द्वारा विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दुर्घटना के कारणों की पहचान की जाती है. इसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर या फ़्लाइट रिकॉर्डर कहते हैं। इसके अलावा कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर भी होता है। दोनों उपकरणों से बनता है ब्लैक बॉक्स. 1953-1954 में हवाई हादसों की श्रृंखला के बाद हवाई जहाज में एक ऐसा उपकरण लगाने की जरूरत महसूस की गई थी जो कि दुर्घटना के समय या उससे तुरंत पहले वायुयान में होने वाले हलचलों और आँकड़ों को संग्रहीत कर रख सके तथा जो दुर्घटनाओं में सुरक्षित रहे. इसका रंग काला नहीं लाल या नारंगी होता है. इसीलिए शुरू में इसे रेड एगकहा जाता था. इसके शुरुआती प्रारूपों में उसकी भीतरी दीवार को काला रखा जाता था, क्योंकि उसमें फोटो फिल्म आधारित जानकारी भी दर्ज होती थी. वहीं से इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ा. इसमें क्रैश-प्रूफ मेमरी यूनिट्स होते हैं. इसे इस तरह बनाया जाता है कि तेज आग, भीषण विस्फोट और कई टन मलबे के दबाव के बावजूद नष्ट नहीं होता.

हमारे शरीर में कितना पानी होता है? यानी उसे लिटर में नापें तो कितना?
विश्व प्रसिद्ध शरीर विज्ञानी आर्थर गायटन की पाठ्य पुस्तक मेडिकल फिज़ियॉलॉजी के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति के शरीर के वजन का लगभग 57 फीसदी भाग पानी के रूप में होता है. इस हिसाब से 70 किलोग्राम वजन के व्यक्ति के शरीर में लगभग 40 लिटर पानी होता है. नवजात शिशु के शरीर में तो 75 फीसदी तक भार पानी का होता है. इसके बाद दस साल की उम्र तक यह पानी कम होता जाता है और ठोस पदार्थ बढ़ता जाता है. कुछ व्यक्तियों के शरीर में यह घटकर 45 फीसदी तक रह जाता है. शरीर के तरल पदार्थ का आकलन औसत में होता है, इसमें कम-ज्यादा भी हो सकता है.

गंगा धरती पर कब और कैसे आई?
गंगा कब और कैसे आई के दो प्रकार के उत्तर दिए जा सकते हैं. पहला है पौराणिक आख्यान. भगवान राम के कुल में राजा हुए हैं सगर, राम से बहुत पहले. उनके साठ हजार पुत्र कपिल मुनि के तेज में भस्म हो गए थे. उनके मोक्ष के लिए सगर के बेटे अंशुमान, फिर उनके बेटे दिलीप ने ब्रह्मा की तपस्या की. पर ब्रह्मा नहीं माने. अंततः दिलीप के पुत्र भगीरथ ब्रह्मा की तपस्या करके गंगा को धरती पर लाए. इसलिए गंगा का एक नाम भगीरथी है. इस सवाल का भूवैज्ञानिक दृष्टि से देने की कोशिश करें तो पता लगता है कि तकरीबन पाँच से छह करोड़ साल पहले हिमालय की रचना हुई जब हिन्द महासागर में दक्षिण की ओर से एक विशाल भूखंड उत्तर में टकराया और उस टक्कर से ऊँचे पहाड़ बन गए. कालांतर में इन पहाड़ों पर मीठे पानी के ग्लेशियर और झीलें बनीं. इनके बीच से हिमालयी नदियाँ बनीं. यह लाखों साल पहले की घटना है. गंगा नदी अपने रास्ते बदलती हुई लगभग एक लाख साल पहले इस मार्ग पर स्थिर हुई.

नमस्ते बोलना कब से शुरू हुआ?
नमः यानी प्रणाम. नमः+ते = नमस्ते= आपको प्रणाम. नमः+कार=नमस्कार...अर्थात नमन करता हूँ. हिन्दू शास्त्रों में पाँच प्रकार के अभिवादन बतलाए गए है. 1-प्रत्युथान 2-नमस्कार, 3-उपसंग्रहण, 4-साष्टांग और 5-प्रत्याभिवादन यानी अभिनन्दन का अभिनन्दन से जवाब देना. नमस्ते दो शब्दों से बना है नमः+असते . नमः का मतलब होता है  झुक गया और असते मतलब सिर. यह कब से शुरू हुआ होगा, कहना मुश्किल है, पर कम से कम तीन से चार हजार साल पहले शुरू हुआ होगा जब संस्कृत का विकास हुआ.

दुनिया में सबसे पहली मस्जिद कौन सी है? भारत में पहली मस्जिद कब बनी?
इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल, काबा को पूरी तरह से घेरने वाली एक मस्जिद है. यह सउदी अरब के मक्का शहर में स्थित है और दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद है. दुनिया भर के मुस्लिम नमाज़ पढ़ते हुए काबे की तरफ़ मुख करते हैं और हर मुस्लिम पर अनिवार्य है कि, अगर वह इसका ज़रिया रखता हो, तो जीवन में कम-से कम एक बार यहाँ हज पर आये और काबा की तवाफ़ (परिक्रमा) करे. दुनिया की पहली मस्जिद मुहम्मद साहब ने बनवाई थी, जो मदीना, मुनव्वराह में मस्जिदे कुबा कहलाती है. भारत की सबसे पुरानी मस्जिद केरल के त्रिशुर जिले में स्थित चेरामन मस्जिद है. इस मस्जिद का निर्माण 629 ईस्वी हुआ था. इस इलाके के तत्कालीन राजा चेरामन पेरुमल ने मक्का की यात्रा की और उन्होंने मुहम्मद साहब से भेंट की थी और इस्लाम धर्म स्वीकार किया था. पेरुमल ने ही मक्का के लोगों को भारत में इस्लाम का प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया था. कहा जाता है कि उनके न्योते पर ही मलिक बिन दीनार और मलिक बिन हबीब भारत आए और इस मस्जिद का निर्माण कराया. यह दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है.

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Friday, June 26, 2015

हिंदी को खड़ी बोली क्यों कहा जाता है?


हिन्दी को खड़ी बोली नहीं कहा जाता, बल्कि कहा यह जाता है कि आज की जो मानक हिन्दी है वह खड़ी बोली से निकली है. खड़ी बोली पश्चिम रूहेलखंड, गंगा के उत्तरी दोआब तथा अंबाला के आसपास के इलाकों की उपभाषा है जो ग्रामीण जनता के द्वारा मातृभाषा के रूप में बोली जाती है. इसे कौरवी भी कहते हैं. कौरवों की बोली. इस इलाके में रामपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, देहरादून का मैदानी भाग, अंबाला तथा कलसिया और भूतपूर्व पटियाला रियासत के पूर्वी भाग आते हैं. मुसलमानी प्रभाव के निकटतम होने के कारण इस बोली में अरबी फारसी के शब्दों का व्यवहार हिंदी प्रदेश की अन्य उपभाषाओं की अपेक्षा अधिक है. इससे ही उर्दू निकली. हिन्दी में ब्रज, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, मागधी वगैरह बोलियाँ हैं. खड़ी बोली अनेक नामों से पुकारी गई है, जैसे हिंदुई, हिंदवी, दक्खिनी, दखनी या दकनी, रेखता, हिंदोस्तानी, हिंदुस्तानी आदि. डॉ. ग्रियर्सन ने इसे वर्नाक्युलर हिंदुस्तानी तथा डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी ने इसे जनपदीय हिंदुस्तानी का नाम दिया है. डॉ. चटर्जी खड़ी बोली के साहित्यिक रूप को साधु हिंदी या नागरी हिंदी कहते थे और डॉ. ग्रियर्सन ने इसे हाई हिंदी का नाम दिया. अनेक विद्वान खड़ी का अर्थ सुस्थित, प्रचलित, सुसंस्कृत, परिष्कृत या परिपक्व ग्रहण करते हैं. खड़ी बोली को खरी बोली भी कहा गया है. 

किस देश के डाक टिकट पर देश का नाम नहीं होता?
यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड के डाक टिकटों पर देश का नाम नहीं होता. इसकी वजह यह है कि इन देशों में ही डाक टिकटों की शुरूआत हुई थी और इन्होंने तब अपने देशों के नाम टिकट पर नहीं डाले थे. यह परम्परा अब भी चली आ रही है. अलबत्ता इन टिकटों पर देश के राजतंत्र की छवि ज़रूर होती है.

पश्चिम बंगाल राज्य भारत के पूर्वी भाग में स्थित है तो यह पश्चिमी बंगाल कैसे है? पूर्वी बंगाल क्यों नहीं?
आज हम जिसे पश्चिम बंगाल कहते हैं वह समूचे बंगाल का एक हिस्सा है. सन 1757 की प्लासी लड़ाई में ईस्ट इंडिया कम्पनी की जीत से अंग्रेजी शासन को बुनियादी आधार मिला. अंग्रेजी शासन ने शुरू में कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया. बीसवीं सदी के प्रारम्भ में वायसराय लॉर्ड कर्जन ने प्रशासनिक कारणों से बंगाल को दो हिस्सों में बाँटने का फैसला किया. इसके पीछे जो भी कारण रहा हो, पर यह स्पष्ट था कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र पूर्वी बंगाल बना और हिन्दू बहुल क्षेत्र पश्चिमी बंगाल. 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन हुआ. बंग भंग की इस कारवाई ने भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन की चिंगारी जला दी. विभाजन का भारी विरोध हुआ, पर वह टला नहीं. सन 1906 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने आमार शोनार बांग्ला... गीत लिखा, जो सन 1972 में बांग्लादेश का राष्ट्रगीत बना. बहरहाल 1947 में देश के विभाजन के बाद भी बंगाल विभाजित रहा. पूर्वी बंगाल, पूर्वी पाकिस्तान बना और पश्चिमी बंगाल भारत में रहा. वह नाम अबतक चला आ रहा है.

ईद का चाँद माने क्या?
ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेंडर के शव्वाल यानी दसवें महीने के पहले दिन मनाई जाती है. रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है. इस्लामी साल में दो ईदों में से यह एक है(दूसरी ईद उल जुहा या बकरीद कहलाती है). ईद का चाँद काफी हल्का दिखाई पड़ता है और एक लम्बे इंतज़ार के बाद आता है, इसलिए ईद का चाँद हो जाना मुश्किल में दिखाई पड़ना के अर्थ में मुहावरा भी हो गया है.

मुस्लिम धर्म से जुड़े त्योहारों की तिथियां किस प्रकार निर्धारित की जाती हैं?
मुस्लिम पर्वों की काल-गणना इस्लामिक कैलेंडर के आधार पर होती है. इसे हिज़री या इस्लामी पंचांग कहते हैं. यह चंद्र काल गणना पर आधारित पंचांग है. पूरी दुनिया के मुसलमान अपने धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसकी मदद लेते हैं. इस पंचांग में साल में बारह महीने होते हैं. इन बारह महीनों में 354 या 355 दिन होते हैं. यह सौर पंचांग से 11 दिन छोटा होता है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ आमतौर पर सौर पंचांग के मुकाबले हर साल 11 दिन पीछे हो जाती हैं. इसे हिज़रा या हिज़री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें हज़रत मुहम्मद की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज़्रत (प्रवास) हुई थी. इस पंचांग के अनुसार महीनों के नाम हैं 1.मुहर्रम, 2.सफ़र, 3.रबीउल अव्वल, 4.रबीउल आख़िर, 5.जमादी-उल-अव्वल, 6.जमादी-उल-आख़िर, 7.रजब, 8.शाबान, 9.रमज़ान, 10.शव्वाल, 11.ज़िलक़ाद, 12.ज़िलहिज्ज।
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Friday, June 19, 2015

कम्प्यूटर की ईज़ाद किसने की और कब?

कम्पयूटर वस्तुतः ऐसी मशीन है, जिसे प्रोग्राम किया जा सके और जो दी गई गणितीय तथा तार्किक क्रियाओं को क्रम से अपने आप करने में समर्थ हो. मशीन से हिसाब किताब कई सदियों पहले से होता रहा है, पर हम आज बिजली से चलने वाले जिस कम्प्यूटर से परिचित हैं, वह बीसवीं सदी की देन है. तब से अब तक यह साइज़ में  छोटा काम में काफी तेज़ होता चला गया है. पहले इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर ब्रिटेन और अमेरिका में 1940 और 1945 के बीच विकसित किए. वे एक बड़े कमरे के आकार के थे,जो की कई सौ आधुनिक पर्सनल कम्प्यूटरों के बराबर बिजली खाते थे और काम आज के मामूली कम्प्यूटर से भी कम करते थे. संगणक (पीसी) के बराबर शक्ति की खपत करते थे. आपका सवाल है इसे किसने और कब ईज़ाद किया. इसका जवाब देने के पहले यह समझना ज़रूरी है कि आपका आशय किस कम्प्यूटर से है. अलबत्ता सन 1837 में गणित के एक ब्रिटिश प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज ने एक एनैलिटिकल एंजिन का आइडिया दिया, जो स्टीम एंजिन से चलता और जो पंचकार्ड का इस्तेमाल करके मिकेनिकल करघों का काम प्रोग्राम करता. पैसे की कमी से और कुछ दूसरे कारणों से यह मशीन नहीं बनी, जबकि सिद्धांततः वह बन सकती थी. सन 1939 में अमेरिका की आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में जॉन वी एटेनासॉफ और क्लिफर्ड बैरी ने मिलकर एटेनासॉफ-बैरी कम्प्यूटर (एबीसी), जिसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर कह सकते हैं. फिर भी सन 1943 में अमेरिका में बने इलेक्ट्रॉनिक न्यूमैरिकल इंटीग्रेटर एंड कम्प्यूटर यानी एनियैक को पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर कह सकते हैं. तबसे विकास होता जा रहा है.
बॉलीवुड शब्द कब अस्तित्व में आया? इसे किसने शुरू किया?
बॉलीवुड में बॉ अक्षर बॉम्बे से लिया गया है, जो एक ज़माने में मुम्बई का नाम होता था. और हॉलीवुड से हॉ हटाकर बॉलीवुड बना लिया गया. यह शब्द सत्तर के दशक से इस्तेमाल हो रहा है, पर इसे लोकप्रियता नब्बे के दशक में मिली जब हमारे देश ने बाहर देखना शुरू किया. तब तक हम हिन्दी सिनेमा का प्रयोग ही करते थे. पिछले साल सलमान खान ने ट्वीट किया था कि मुझे बॉलीवुड शब्द पसंद नहीं. अमिताभ बच्चन भी इसके कायल नहीं. पर यह चल रहा है. यह भी सच है कि कोलकाता के बांग्ला सिनेमा को 1932 के आसपास टॉलीवुड कहना शुरू कर दिया गया था. उसकी वजह थी टॉलीगंज जहाँ ज्यादातर स्टूडियो थे.
नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन कब बना था?
नई दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला 1911 में होने के बाद नए निर्माण कार्य शुरू हुए. नए वायसरॉय भवन का काम सन1912 में शुरू हुआ और वह 1929 में बनकर तैयार हुआ. यही वायसरॉय भवन 1947 के बाद राष्ट्रपति भवन कहलाया.
कहते हैं कि मुम्बई शहर दहेज में आया था. क्या यह सच है?-
मुम्बई या बॉम्बे का माहिम वाला इलाका तकरीबन एक हजार साल पहले बस गया था. 1348 में मुस्लिम सेनाओं ने इस द्वीप को जीत लिया और यह गुजरात राज्य का हिस्सा बन गया. इसके बाद पुर्तगालियों ने सन 1507 में इस इलाके को जीतने की कोशिश की, पर वह सफल नहीं हुई. लेकिन 1534 में गुजरात के शासक सुल्तान बहादुरशाह ने यह द्वीप पुर्तग़ालियों को एक समझौते के तहत सौंप दिया. 1661 में इंग्लैंड के किंग चार्ल्स द्वितीय व पुर्तगाल के राजा की बहन कैथरीन ऑफ़ ब्रैगेंज़ा के विवाह के बाद यह एक तरह से पुर्तगालियों ने यह तोहफे के तौर पर अंग्रेजों को सौंप दिया. राजा ने इसे 1668 में ईस्ट इंडिया कम्पनी को सौंप दिया.
आइसक्रीम सबसे पहले किसने बनाई, और सबसे ज्यादा आइसक्रीम की खपत कहां होती है?
ईसा से 400 साल पहले फारस में गुलाबजल में फालूदा और फलों को मिलाकर जमाने का चलन था. फालूदा शब्द फारस से ही आया है. तकरीबन उसी जमाने में चीन में दूध और चावल के मिश्रण को जमाकर ठंडी मिठाई का चलन था. ज्यादातर प्राचीन सभ्यताओं ने बर्फ जमाना और उसके व्यंजन बनाना सीख लिया था. आइसक्रीम की सबसे ज्यादा खपत अमेरिका में है जहाँ औसतन एक व्यक्ति साल भर में 23 लिटर आइसक्रीम खाता है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं जहाँ 18 से 20 लिटर आइसक्रीम खाई जाती है. 
रेनबो डाइट क्या होती है?
रेनबो डाइट का शाब्दिक अर्थ है इन्द्रधनुषी डाइट. यानी इन्द्रधनुष के रंगों का भोजन. व्यावहारिक मतलब है तरह-तरह के रंगों के फलों और सब्जियों का भोजन जो स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन होता है. फलों और सब्जियों के तमाम रंग होते हैं और हर रंग का अपना गुण होता है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Thursday, June 11, 2015

सुपरकंप्यूटर का आविष्कार कब व कहां हुआ? भारत में इसका प्रयोग कब शुरू हुआ?

आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगाफ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है. सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में एक अरब गणनाएं कर सकता है. इसकी गति को मेगा फ्लॉप से नापते है. सुपरकंप्यूटरों की शुरूआत साठ के दशक से मानी जा सकती है. अमेरिका के कंट्रोल डेटा कॉरपोरेशन के इंजीनियर सेमूर क्रे ने सबसे पहले सुपर कंप्यूटर बनाया. बाद में क्रे ने अपनी कम्पनी क्रे रिसर्च बना ली. यह कम्पनी सुपर कंप्यूटर बनाने के क्षेत्र में एक दौर तक सबसे आगे थी. आज भी क्रे के अलावा आईबीएम और ह्यूलेट एंड पैकर्ड इस क्षेत्र में शीर्ष कम्पनियाँ हैं. पर हाल में जापान और चीन इस मामले में काफी तेजी से आगे बढ़े हैं. 1980 के अंतिम दशक में भारत को अमेरिका ने क्रे सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था. वह एक ऐसा दौर था, जब भारत और चीन में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी. भारतीय वैज्ञानिकों ने सी-डेक परम-8000 कंप्यूटर बनाकर अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया. अब भारत पेटा फ्लॉप क्षमता का सुपर कंप्यूटर भी बना रहा है.

हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह पर लिखा ‘सत्यमेव जयते’ कहां से लिया गया है? पूरा मंत्र क्या है और उसका अर्थ क्या है?
‘सत्यमेव जयते’ मूलत: मुण्डक उपनिषद का मंत्र 3.1.6 है. पूरा मंत्र इस प्रकार है:- 
सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयान:। 
येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम्।। 
अर्थात आखिरकार सत्य की जीत होती है न कि असत्य की. यही वह राह है जहाँ से होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. सत्यमेव जयते को स्थापित करने में पं मदनमोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

तीसरी दुनिया के देश कौन-कौन से हैं? यह नाम किस तरह पड़ा?
तीसरी दुनिया शीतयुद्ध के समय का शब्द है. शीतयुद्ध यानी मुख्यतः अमेरिका और रूस का प्रतियोगिता काल. फ्रांसीसी डेमोग्राफर, मानव-विज्ञानी और इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने 14 अगस्त 1952 को पत्रिका ‘ल ऑब्जर्वेतो’ में प्रकाशित लेख में पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल किया था. इसका आशय उन देशों से था जो न तो कम्युनिस्ट रूस के साथ थे और न पश्चिमी पूँजीवादी खेमे के नाटो देशों के साथ थे. इस अर्थ में गुट निरपेक्ष देश तीसरी दुनिया के देश भी थे. इनमें भारत, मिस्र, युगोस्लाविया, इंडोनेशिया, मलेशिया, अफगानिस्तान समेत एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के तमाम विकासशील देश थे. यों माओत्से तुंग का भी तीसरी दुनिया का एक विचार था. पर आज तीसरी दुनिया शब्द का इस्तेमाल कम होता जा रहा है.

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में ‘डीसी’ क्या है?
वॉशिंगटन डीसी का अर्थ है वॉशिंगटन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलम्बिया. अमेरिकी संविधान के अनुसार संघीय राजधानी एक अलग डिस्ट्रिक्ट के रूप में बनाई जा सकती है, जो किसी राज्य का हिस्सा न हो. यह शहर जॉर्ज वॉशिंगटन की स्मृति में बसाया गया है. अमेरिका में एक राज्य भी वॉशिंगटन है. उसका वॉशिंगटन डीसी से कोई सम्बन्ध नहीं है.

अमेरिका और युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में क्या फर्क है?
अमेरिका एक महाद्वीप का नाम है जो दो बड़े उप महाद्वीपों में बँटा है. एक है उत्तरी अमेरिका और दूसरा दक्षिणी अमेरिका. अमेरिकी महाद्वीप में अनेक देश हैं. उनमें एक है युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका. यह उत्तरी अमेरिका में है. अक्सर हम यूएसए और अमेरिका को एक मान लेते हैं.

मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी का नाम क्या है?
मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स है, जो कान में होती है. उसकी लंबाई 2.5 मिलीमीटर होती है. सबसे लम्बी हड्डी फीमर बोन यानी जाँघ की हड्डी 19-20 इंच तक होती है.

इंजेक्शन द्वारा दवाई देना कब से शुरू हुआ?
शरीर में चोट लगने पर दवाई सीधे लगाने की परम्परा तो काफी पुरानी है. शरीर में अफीम रगड़कर या किसी कटे हुए हिस्से में अफीम लगाकर शरीर को राहत मिल सकती है सा विचार भी पन्द्रहवीं सोलहवीं सदी में बन गया था. अफीम से कई रोगों का इलाज किया जाने लगा, पर डॉक्टरों को लगता था कि इसे खिलाने से लत पड़ सकती है. इसलिए शरीर में प्रवेश का कोई तरीका खोजा जाए. स्थानीय एनिस्थीसिया के रूप में भी मॉर्फीन वगैरह का इस्तेमाल होने लगा था. ऐसी सुई जिसके भीतर खोखला बना हो सोलहवीं-सत्रहवीं सदी से इस्तेमाल होने लगी थी. पर सबसे पहले सन 1851 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक चार्ल्स गैब्रियल प्रावाज़ ने हाइपोडर्मिक नीडल और सीरिंज का आविष्कार किया. इसमें महीन सुई और सिरिंज होती थी. तबसे इसमें तमाम तरह के सुधार हो चुके हैं.

Thursday, June 4, 2015

ध्रुवतारा हमेशा एक ही जगह पर नजर आता है. दूसरे तारों की तरह उसकी जगह क्यों नहीं बदलती?

ध्रुवतारे की स्थिति हमेशा उत्तरी ध्रुव पर रहती है. इसलिए उसका स्थान नहीं बदलता. बदलता भी है तो वह इतना मामूली होता है कि अंतर समझ में नहीं आता. पर सच यह है कि हजारों साल बाद इसकी स्थिति बदल जाएगी. वास्तव में यह एक तारा नहीं है, बल्कि तारामंडल है, जिसमें छह मुख्य तारे हैं. यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से 45वाँ सब से चमकदार तारा है, और पृथ्वी से लगभग 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. इसका मुख्य तारा (ध्रुव ‘ए’) एफ-7 श्रेणी का महा दानव तारा है. इसकी चमक सूरज की चमक से 2200 गुना ज्यादा है. इसका द्रव्यमान हमारे सूरज के द्रव्यमान का लगभग 7.5 गुना और व्यास हमारे सूरज के व्यास का 30 गुना है. इसके साथ ही ध्रुव ‘बी’  सूरज के द्रव्यमान से लगभग डेढ़ गुना एफ3वी श्रेणी का तारा ध्रुव ‘ए’ की 2400 खगोलीय इकाइयों (एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है. धरती से सूरज की दूरी को एक एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट माना जाता है.

धरती के अपनी धुरी पर घूमते वक्त यह उत्तरी ध्रुव की सीध में होने के कारण हमेशा उत्तर में दिखाई पड़ता है. इस वक्त जो ध्रुव तारा है उसका अंग्रेजी में नाम ‘उर्सा माइनर’ तारामंडल है. जिस जगह ध्रुव तारा है उसके आसपास के तारों की चमक कम है इसलिए यह कुछ ज्यादा चमकता प्रतीत होता है. धरती अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर परिक्रमा करती है, इसलिए ज्यादातर तारे पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए नज़र आते हैं. चूंकि ध्रुव तारा सीध में केवल मामूली झुकाव के साथ उत्तरी ध्रुव के ऊपर है इसलिए उसकी स्थिति हमेशा एक जैसी लगती है.

स्थिति बदलती भी है तो वह इतनी कम होती है कि फर्क दिखाई नहीं पड़ता. पर यह स्थिति हमेशा नहीं रहेगी. हजारों साल बाद यह स्थिति बदल जाएगी, क्योंकि मंदाकिनियों के विस्तार और गतिशीलता की वजह से धरती और सौरमंडल की स्थिति बदलती रहती है. यह बदलाव सौ-दो सौ साल में भी स्पष्ट नहीं होता. आज से तीन हजार साल पहले उत्तरी ध्रुव तारा वही नहीं था जो आज है. उत्तर की तरह दक्षिणी ध्रुव पर भी तारामंडल हैं, पर वे इतने फीके हैं कि सामान्य आँख से नज़र नहीं आते.

भारतीय रेलवे की सबसे लंबी यात्रा कहाँ से कहाँ तक है?
भारतीय रेलवे की सबसे लंबी यात्रा डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी विवेक एक्सप्रेस से तय की जाती है. डिब्रूगढ़ असम में है और कन्याकुमारी तमिलनाडु में. यह गाड़ी 4283 किलोमीटर का सफर 84 घंटा 45 मिनट में पूरा करती है. इस दौरान यह छह राज्यों के 57 स्टेशनों पर रुकती है. स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जयंती पर यह ट्रेन 20 नवम्बर 2011 से शुरू की गई थी.

हेलीकॉप्टर की पंखड़ी ऊपर होती है और हवाई जहाज़ की सामने, जबकि दोनों एक ही काम करते हैं। ऐसा क्यों?
दोनों हवा में उड़ने का काम करते हैं, पर दोनों के सिद्धांत अलग होते हैं. हेलीकॉप्टर के पंखे रोटर कहलाते हैं जो घूमते हैं. हवाई जहाज के पंख बाईं और दाईं ओर होते हैं और स्थिर रहते हैं। घूमते नहीं हैं। हवाई जहाज अपने पंखों के सहारे हवा में तैरता है और उसके इंजन उसे आगे ले जाते हैं. हेलीकॉप्टर के रोटर उसे ऊपर उठाने और आगे पीठे ले जाने का काम भी करते हैं. हेलीकॉप्टर आगे-पीछे और दाएं बाएं जा सकता है. एक जगह रुका भी रह सकता है. हवाई जहाज ऐसा नहीं कर सकता है. वह सीधा चलता है और उसे दाएं या बाएं जाने के लिए घूमना पड़ता है. उसके सामने लगे प्रोपेपलर ब्लेड उसे आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. हवाई जहाज का इंजन हवा खींचकर उसे पीछे की ओर फेंकता है तो वह आगे बढ़ता. पंखों पर हवा के दबाव से वह ऊपर उठता है.

पिनकोड किस तरह तरह बनाए गए हैं?
पिनकोड यानी पोस्टल इंडेक्स नम्बर भारतीय डाकव्यवस्था के वितरण के लिए बनाया गया नम्बर है. छह संख्याओं के इस कोड में सबसे पहला नम्बर क्षेत्रीय नम्बर है. पूरे देश को आठ क्षेत्रीय और नवें फंक्शनल जोन में बाँटा गया है. इसमे दूसरा नम्बर उप क्षेत्र का नम्बर है. तीसरा नम्बर सॉर्टिंग डिस्ट्रिक्ट का नम्बर है. अंतिम तीन संख्याएं सम्बद्ध डाकघरों से जुड़ी हैं. दिल्ली को शुरूआती नम्बर मिला है 11. 12 और 13 नम्बर हरियाणा को मिले हैं, 14, 15 नम्बर पंजाब को इसी तरह 20 से 28 नम्बर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को मिले हैं. बिहार और झारखंड को 80 से 85 नम्बर मिले हैं. किसी एक शहर या जिले में नम्बर बनाने का तरीका दिल्ली में देखा जा सकता है. यहाँ के आठ जिलों के पिनकोड भौगोलिक स्थित के अनुसार बाँटे गए हैं. नई दिल्ली के कनॉट प्लेट, बंगाली मार्केट के आसापास के इलाकों के नम्बर 110001 से शुरू होते हैं, मिंटो रोड, अजमेरी गेट और दरियागंज वगैरह का नम्बर है 110002, इसके बाद लोदी रोड, सफदरगंज एयरपोर्ट और पंडारा रोड वगैरह का नम्बर है 110003. अंत में यमुना पार इलाके में मयूर विहार के फेज़ 1 में 110091 से होता हुआ गाज़ीपुर, मयूर विहार फेज़ 3 और वसुन्धरा एन्क्लेव में यह 110096 हो जाता है.


प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Saturday, May 30, 2015

ताजमहल का चीफ आर्किटेक्ट कौन था?

ताजमहल का वास्तुकार कौन है यह दावे के साथ आज भी नहीं कहा जा सकता. इतना जरूर समझ में आता है कि वास्तुकारों और निर्माण विशेषज्ञों के समूह के साथ शाहजहाँ स्वयं भी सक्रिय रूप से इसमें शामिल थे. उस्ताद अहमद लाहौरी को इसका श्रेय देने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त व्यक्ति माना जाता है, एक प्रधान वास्तुकार के रूप में. यह भी माना जाता है कि तुर्की के इस्माइल अफांदी से भी सलाह ली गई थी. 

पहली मिस इंडिया कौन थी? अब तक कितनी मिस इंडिया विश्व सुंदरी बनी हैं?
माना जाता है कि पहली मिस इंडिया एस्थर अब्राहम थीं, जो 1947 में चुनी गईं. उन्होंने प्रमिला नाम से फिल्मों में भी काम किया. अलबत्ता पहली बार मिस युनीवर्स में भारत की ओर से भाग लेने 1952 में गईं इन्द्राणी रहमान. मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में पहली बार 1959 में हिस्सा लेने गईं फ्लोर एज़ीकेल. 1966 में पहली बार किसी भारतीय स्त्री को विश्व प्रतियोगिता जीतने का मौका मिला जब रीता फारिया मिस वर्ल्ड बनीं. इसके बाद 1994 में ऐश्वर्या राय, 97 में डायना हेडेन, 99 में युक्ता मुखी और 2000 में प्रियंका चोपड़ा मिस वर्ल्ड बनीं. इसी तरह 1994 में सुष्मिता सेन और 2000 में लारा दत्ता मिस युनीवर्स बनीं. सन 2010 में निकोल फारिया मिस अर्थ बनीं. मिस एशिया पैसिफिक में भी भारतीय सुन्दरियों को पुरस्कार मिले हैं. सन 1970 में ज़ीनत अमान, 1973 में तारा अन्ना फोनेस्का और 2000 में दिया मिर्ज़ा मिस एशिया पैसिफिक बनीं. यह सूची काफी लम्बी है.

इलेक्शन पांच साल बाद ही क्यों होते हैं?
सभी चुनाव पाँच साल में नहीं होते. हमारे संविधान के अनुच्छेद 63(2) के अनुसार लोकसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष है. इसलिए चुनाव पाँच साल में होते हैं. विधानसभाओं के साथ भी ऐसा ही है. लोकसभा पाँच साल के पहले भी भंग की जा सकती है और आपातकाल में उसका कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है. राज्यसभा में एक सदस्य का कार्यकाल छह साल होता है, पर चुनाव हर दो साल में होते हैं. सामान्यतः विधान सभाओं के चुनाव पाँच साल में होते हैं, पर जम्मू-कश्मीर विधान सभा का चुनाव छह साल में होता है.

फोन या मोबाइल पर या किसी से मिलते वक्त हम सबसे पहले हलो क्यों बोलते हैं?
हेलो या हलो मूलतः अपनी तरफ ध्यान खींचने वाला शब्द है. यह पुरानी जर्मन भाषा के हाला या होला से बना है. संयोग से इसे टेलीफोन ने बहुत लोकप्रियता दी. 10 मार्च 1876 को अलेक्जेंडर ग्राहम बैल के टेलीफोन आविष्कार को पेटेंट मिला. वे शुरू में टेलीफोन पर बात शुरू करने के लिए अहोय शब्द का इस्तेमाल करते थे. यह शब्द समुद्री नाविक एक-दूसरे का ध्यान खींचने के लिए इस्तेमाल करते हैं. सन 1877 में टॉमस एडीसन ने हेलो शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी जो अंततः सभी ने मान ली. अब तो हम फोन पर ही नहीं सामान्य मुलाकात में या किसी व्यक्ति का ध्यान अपनी और खींचने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं.

निगेटिव ब्लड ग्रुप किसे कहते हैं? यह इतना रेयर क्यों होता है?
खून के ग्रुप सिस्टम में सबसे कॉमन एबीओ सिस्टम है. रेड ब्लड सेल्स पर प्रोटीन की कोटिंग के आधार पर चार ग्रुप बनते हैं ए बी एबी और ओ. इसके बाद ए1, ए2 ए1बी या ओ2बी सब ग्रुप बनते हैं. इसके अलावा एक प्रोटीन इन ग्रुपों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसे आरएच फैक्टर कहते हैं. यदि यह खून में होता है तो खून के टाइप को पॉज़िटिव और नहीं होता तो निगेटिव कहते हैं. इनमें ओ निगेटिव का सभी रक्त समूहों से मेल हो सकता है. इसलिए इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है.

 क्या अब तक हमारे देश के कोई राष्ट्रपति पाकिस्तान गए हैं? 
अभी तक हमारे देश के कोई राष्ट्रपति पाकिस्तान नहीं गए हैं. अलबत्ता 13 अप्रेल 1955 में पाकिस्तान के तत्कालीन हाई कमिश्नर ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के पास जाकर उनसे 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया था. पर यह यात्रा हो नहीं पाई.

डीएनए टेस्ट के बारे में बताएं. 
डीएनए टेस्ट तमाम तरह के हैं. तकरीबन 1200 किस्म के टेस्ट उपलब्ध हैं. यों तो यह कई प्रकार के होते हैं पर सामान्य आशय उस डीएनए टेस्ट से है, जिसमें पिता, माता, दादा, खानदान, वंश, परिवार या जातीय समूह का पता लगाया जाता है. इसका अर्थ है जेनेटिक सम्बन्ध का पता लगाना. इसका उद्देश्य उत्तराधिकार और सम्पत्ति के विवादों को या दूसरी तरह की भावनात्मक गुत्थियों को सुलझाना है. अब नवजात शिशुओं की डीएनए जाँच भी होने लगी है ताकि बच्चे के जीन्स के दोषों का पहले ही पता लग जाए और समय रहते उन्हें दुरुस्त कर लिया जाए. इलाज के लिए और आपराधिक मामलों में भी डीएनए जाँच होती है.
डीएनए जाँच के लिए व्यक्ति के खून, बाल, त्वचा और उल्ब तरल(एम्नियॉटिक फ्लुइड) का सैम्पल लिया जाता है. एम्नियॉटिक फ्लुइड गर्भावस्था में भ्रूण के चारों ओर का तरल होता है. इसके अलावा व्यक्ति के गालों के अंदरूनी हिस्से से ब्रश या रुई के मार्फत नमूना भी लिया जाता है. माउथवॉश के मार्फत भी मुँह के अंदर के सेल जमा किए जा सकते हैं. इनकी जाँच करने वाली मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं हैं जो 10 हजार से 40 हजार तक की फीस लेती हैं और सामान्यतः 15 दिन में जाँच रिपोर्ट देती हैं.
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Thursday, May 14, 2015

घोटाले के साथ ‘गेट’ शब्द क्यों जोड़ दिया जाता है?

किसी भी घोटाले के साथ गेट शब्द क्यों जोड़ दिया जाता है?
ऐसा पहले होता नहीं था. पर वॉटरगेट मामले के बाद से ऐसा होने लगा है. वॉशिंगटन डीसी में वॉटरगेट होटल कॉम्प्लेक्स में अमेरिका की डैमोक्रेट नेशनल कमेटी का मुख्यालय था. यहां पर सरकारी मशीनरी का उपयोग करते हुए ऐसे टेप लगा दिए गए थे जिससे सारी बातें सुनी जा सकें. उस वक्त देश के राष्ट्रपति रिपब्लिकन पार्टी के रिचर्ड निक्सन थे. 1972 से 1974 तक चले इस मामले में निक्सन के दुबारा चुनाव लड़ने के लिए जमा की जा रही गैर-कानूनी रकम और दूसरे अवैध कार्यों का खुलासा इस मामले से हुआ. सीनेट और अदालतों के बढ़ते दबाव से रिचर्ड निक्सन को अंततः इस्तीफा देना पड़ा. बहरहाल इसके बाद से दुनिया में घोटालों के साथ गेट शब्द लगाने का चलन शुरू हो गया.

4-जी क्या है और यह 3-जी से कितना बेहतर है?
जी का मतलब जेनरेशन या पीढ़ी है. इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन के मानकों के अनुसार वाइड एरिया वायरलेस वॉइस टेलीफोन, मोबाइल इंटरनेट एक्सेस, वीडियो कॉल्स और मोबाइल टीवी वगैरह तीसरी पीढ़ी में शामिल किए जाते हैं. इसे इंटरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशंस-2000 या आईएमटी-2000 भी कहते हैं. चौथी पीढ़ी यानी 4-जी में सुविधाएं और बढ़ गईं। यानी मोबाइल अल्ट्रा ब्रॉडबैंड की स्पीड, हाई डेफिनीशन और थ्री डी टीवी, गेमिंग डिवाइस बेहतर हो गईं. मोबाइल वायमैक्स 100 मेगाबिट्स प्रति सेकंड और फिक्स्ड लाइन में एक गीगाबाइट प्रति सेकंड डेटा ट्रांसफर हो सकेगा. इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन ने 4-जी के जो मानक तैयार किए हैं उन्हें आईएमटी एडवांस्ड कहते हैं. इसके बाद 5-जी सेवा संभवतः 2020 के आसपास आएंगी, जिसमें इंटरनेट की स्पीड के अलावा मैश नेटवर्किंग जैसी कुछ नई तकनीकों का समावेश होगा.

फूलों में अलग-अलग खुशबू कहां से आती हैं?
रासायनिक यौगिकों का एक गुण गंध भी है. फूलों में ही नहीं आप जीवन के प्रायः तमाम तत्वों में गंध पाते हैं. आपको भोजन, शराब, फलों, मसालों, सब्जियों वगैरह में गंध मिलती है. सभी फूलों में खुशबू नहीं होती. कुछ फूल गंधहीन होते हैं और कुछ दुर्गंध भी देते हैं. गुलाब की खुशबू जेरनायल एसीटेट नामक रासायनिक यौगिक के कारण होती है. चमेली की खुशबू नेरोलायडॉल के कारण होती है. पुराने ज़माने में फूलों से ही इत्र बनता था. फूलों की मुख्य भूमिका प्रजनन में है. एक फूल से पराग कण दूसरे में जाते हैं. इसमें हवा के अलावा मधुमक्खियों, तितलियों तथा इसी प्रकार के दूसरे प्राणियों की भूमिका होती है. उन्हें आकर्षित करने में भी इनके रंग और सुगंध की भूमिका होती है.  

दुनिया के सबसे छोटे और सबसे लंबे कद के इंसान कौन हैं? उनकी हाइट कितनी है?
गिनीज़ बुक के अनुसार नेपाल के चन्द्रबहादुर डांगी इस वक्त दुनिया के सबसे छोटे कद के व्यक्ति हैं. उनका कद है 54.6 सेमी यानी 21.5 इंच. तुर्की के सुलतान कोसेन संसार के सबसे लम्बे व्यक्ति हैं. 10 दिस 1982 को जन्मे सुलतान की लम्बाई 251 सेमी यानी 8 फुट 3 इंच है. यह माप 8 फरवरी 2011 को ली गई थी. पिछले साल 13 नवम्बर 2014 को इन दोनों की लंदन में मुलाकात भी हुई थी. यह मौका था गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स डे का.

पुलिस सरेंडर के लिए हैंड्स अप क्यों कहती है?
चूंकि व्यक्ति की गतिविधियों में हाथ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए हाथों को सिर के ऊपर या पीठ के पीछे करने का निर्देश दिया जाता है. पुलिस को पहला डर होता है कि व्यक्ति के पास हथियार न हो. व्यक्ति की गतिविधियों को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से ऐसा कहा जाता है.

बॉक्स ऑफिस शब्द फिल्मों के लिए क्यों इस्तेमाल किया जाता है?
फिल्मों के पहले से बॉक्स ऑफिस शब्द का प्रयोग थिएटर में टिकट खिड़की के लिए होता रहा है. नाटक और संगीत के कार्यक्रमों को देखने के लिए पहले बॉक्स ऑफिस से टिकट लेना पड़ता था. सिनेमा थिएटर भी उसी शैली में बने. फिल्मों की सफलता को बॉक्स ऑफिस से जोड़ने का मतलब है टिकटों का बिकना या दर्शकों का आना.

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Thursday, May 7, 2015

पेन ड्राइव का आविष्कार किसने किया?


यूएसबी फ्लैश पेन ड्राइव मूलतः डेटा स्टोरेज डिवाइस है. इसमें तमाम पुरानी तकनीकों का समावेश है. मूलतः यूनिवर्सल बस इंटरफेस (यूएसबी) इसका माध्यम है. अलबत्ता अप्रेल 1999 में इसरायली कम्पनी एम-सिस्टम्स ने इसके पेटेंट के लिए अमेरिका में अर्जी दी थी. इस कम्पनी के अमीर बैनडोव मोरान और ओरोन ओग्दान ने इसका आविष्कार किया था.
इस पेटेंट में मेमरी यूनिट और यूएसबी कनेक्टर के बीच एक केबल का ज़िक्र किया गया था. उसी साल सितम्बर में शिमॉन श्मुएली की ओर से प्रस्तुत आईबीएम के एक पेटेंट में इस यूएसबी फ्लैश ड्राइव का पूरा विवरण दिया गया था. अलबत्ता आईबीएम और एम-सिस्टम्स ने मिलकर इस बाजार में उतारा. इस पेटेंट के बाद कई कम्पनियों ने अपने प्रोडक्ट्स के लिए अर्जियाँ दी हैं और इसमें कई तरह के विवाद है.

गाडियों के टायर काले क्यों होते हैं?
टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं. आमतौर पर रबर का रंग स्लेटी होता है. प्राकृतिक रबर यानी लेटेक्स में कार्बन ब्लैक मिलाते हैं ताकि वह मजबूत रहे, रबर जल्दी न घिसे. अगर सादा रबर का टायर 8 हज़ार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर चल सकता है. काले कार्बन की भी कई श्रेणियां होती हैं. इसमें सल्फर भी मिलाते हैं.
कार्बन ब्लैक के कारण यह काला हो जाता है. इससे यह अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बच जाता है. यों आपने बच्चों की साइकिलों में सफेद, पीले और दूसरे रंगों के टायर देखे होंगे. बीसवीं सदी के पहले-दूसरे दशक में कारों के सफेद टायर भी होते थे. यों हाल के वर्षों तक ह्वाइटवॉल टायरों का प्रचलन रहा है जिनमें टायर का साइड वाला हिस्सा सफेद होता था.

दुनिया के पहले कार्टूनिस्ट कौन थे?
सन 1841 में लंदन से प्रकाशित पत्रिका पंच में सबसे पहले कार्टून छपने शुरू हुए थे. इनमें जॉन लीच के बनाए स्केच प्रमुख थे. पत्रिका के पहले अंक का मुखपृष्ठ आर्किबाल्ड हैनिंग ने डिजाइन किया था. जॉन लीच के अलावा रिचर्ड डॉयल, जॉन टेनियल और चार्ल्स कीन के कार्टून भी पत्रिका में छपते थे. उन्हें भी पहले कार्टूनिस्ट मान सकते हैं.

भारत माता का प्रसिद्ध चित्र किसने बनाया था?
भारत माता की अवधारणा उन्नीसवीं सदी में बंगाल से शुरू हुई थी. सन 1873 में किरण चन्द्र बंदोपाध्याय का लिखा नाटक भारत माता खेला गया था. उन्हीं दिनों प्रसिद्ध चित्रकार अवनीन्द्र नाथ ठाकुर ने भारत माता का चित्र बनाया. इसके बाद अनेक चित्रकारों ने भारत माता के चित्र बनाए हैं. वाराणसी में एक भारत माता मंदिर भी है.

अक्षरों की छपाई का आविष्कार कहाँ और किस तरह हुआ?
प्रारंभिक युग में मुद्रण एक कला था, लेकिन आधुनिक युग में पूर्णतया तकनीकी आधारित हो गया है. सामान्यतः मुद्रण का अर्थ छपाई से है, जो कागज, कपड़ा, प्लास्टिक, टाट इत्यादि पर हो सकता है. पहले बोली और फिर भाषा का आविष्कार हुआ. इसके बाद लिपि का आविष्कार हुआ. पत्थरों व वृक्षों की छालों पर खोदकर इनसान लिखने लगा. इसके बाद लकड़ी को नुकीला छीलकर ताड़पत्रों और भोजपत्रों पर लिखने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई.
प्राचीन काल के अनेक ग्रंथ भोजपत्रों पर लिखे मिले हैं. सन् 105 में चीन में कागज का आविष्कार हुआ. चीन में ही सन् 712 में ब्लॉक प्रिंटिंग की शुरूआत हुई. इसके लिए लकड़ी का ब्लॉक बनाया गया. सन 1041 में चीन के पाई शेंग नामक व्यक्ति ने चीनी मिट्टी की मदद से अक्षरों को तैयार किया. इन अक्षरों को आधुनिक टाइपों का आदि रूप माना जा सकता है. चीन में ही दुनिया का पहली छपाई हुई. लकड़ी के टाइपों के ऊपर स्याही जैसे पदार्थ को पोतकर कागज के ऊपर दबाकर छपाई का काम किया जाता था. यह कला यूरोप में चीन से गई अथवा वहां स्वतंत्र रूप से विकसित हुई.
जर्मनी के मिंज़ शहर में रहने वाले जोहानन गुटेनबर्ग ने सन् 1440 में ऐसे टाइपों का आविष्कार किया, जो बदल-बदलकर विभिन्न सामग्री को बहुसंख्या में मुद्रित कर सकता था. गुटेनबर्ग ने ही सन् 1454 में दुनिया का पहला छापाखाना (प्रिंटिंग-प्रेस) लगाया तथा सन् 1456 में बाइबिल की 300 प्रतियों को प्रकाशित कर पेरिस और फ्रांस भेजा. इस पुस्तक की मुद्रण तिथि 14 अगस्त, 1456 है.

धरती पर सबसे लंबी उम्र और सबसे छोटी उम्र वाले जीव कौन हैं?
कोई नाम की जापानी मछली 250 साल तक, विशाल कछुआ (जाइंट टर्टल) पौने दो सौ से दो सौ साल तक, ह्वेल मछली दो सौ साल तक जीती है. मे फ्लाई नाम की मक्खी की उम्र एक से लेकर 24 घंटे तक होती है. इसी तरह जल में रहने वाले एक नन्हें प्राणी गैस्ट्रोटिच की उम्र होती है तीन दिन.

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Thursday, April 30, 2015

दुनिया में सबसे पहला उपन्यास कब लिखा गया?

यों तो विश्व साहित्य की शुरुआत किस्सों-कहानियों से हुई और वे महाकाव्यों के युग से आज तक के साहित्य की बुनियाद रही हैं. उपन्यास को आधुनिक युग की देन कहना बेहतर होगा. साहित्य में गद्य का प्रयोग जीवन के यथार्थ चित्रण की कोशिश है. आमतौर पर गेंजी मोनोगतारी या ‘द टेल ऑफ गेंजी’ को दुनिया का पहला आधुनिक उपन्यास मानते हैं. जापानी लेखिका मुरासाकी शिकिबु ने इसे सन 1000 से सन 1008 के बीच कभी लिखा था. बेशक यह दुनिया के श्रेष्ठतम ग्रंथों में से एक है, पर इस बात पर एक राय नहीं है कि यह पहला उपन्यास था या नहीं. इसमें 54 अध्याय और करीब 1000 पृष्ठ हैं. इसमें प्रेम और विवेक की खोज में निकले एक राजकुमार की कहानी है. अलबत्ता हमें पहले यह समझना चाहिए कि उपन्यास होता क्या है. उपन्यास गद्य में लिखा गया लम्बा आख्यान है, जिसकी एक कथावस्तु होती है और चरित्र-चित्रण होता है. कथावस्तु को देखें तो महाभारत, रामायण और तमाम भाषाओं में महाग्रंथ हैं. पर वे सब प्रायः महाकाव्य हैं. अलबत्ता संस्कृत में दंडी के ‘दशकुमार चरित्र’ और वाणभट्ट के ‘कादम्बरी’ को भी दुनिया का पहला उपन्यास माना जा सकता है. यूरोप का प्रथम उपन्यास सेर्वैन्टिस का ‘डॉन क्विक्ज़ोट’ माना जाता है जो स्पेनी भाषा का उपन्यास है. इसे 1605 में लिखा गया था. अनेक विद्वान 1678 में जोन बुन्यान द्वारा लिखे गए “द पिल्ग्रिम्स प्रोग्रेस” को पहला अंग्रेजी उपन्यास मानते हैं. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार ‘परीक्षा गुरु’ हिन्दी का पहला उपन्यास है, जो 1882 में प्रकाशित हुआ. इसके लेखक लाला श्रीनिवास दास हैं. हालांकि इसके पहले सन 1870 में 'देवरानी जेठानी की कहानी' (लेखक -पंडित गौरीदत्त) और श्रद्धाराम फिल्लौरी के ‘भाग्यवती’ को भी हिन्दी के प्रथम उपन्यास होने का श्रेय दिया जाता है. पर ये पुस्तकें मुख्यतः शिक्षात्मक और अपरिपक्व हैं.

खबर है कि इस साल मॉनसून सामान्य से कम होगा. यह मॉनसून क्या होता है?
अंग्रेज़ी शब्द मॉनसून पुर्तगाली शब्द ‘मॉन्सैओ’ से निकला है। यह शब्द भी मूल अरबी शब्द मॉवसिम (मौसम) से बना है. यह शब्द हिन्दी एवं उर्दू एवं विभिन्न उत्तर भारतीय भाषाओं में भी प्रयोग किया जाता है. आधुनिक डच शब्द मॉनसून से भी मिलता है. मानसून मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं. यह ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार महीने तक सक्रिय रहती है.

इस शब्द का पहला इस्तेमाल अंग्रेजों के भारत आने के बाद बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिए हुआ था. हाइड्रोलॉजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही वर्षा कराती है. मॉनसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिए. इस परिभाषा को देखते हुए संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मॉनसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है.

बादल क्यों और कैसे फटता है?
बादल फटना, बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी-कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं. सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. बादल फटने की घटना अमूमन पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है. इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है. कुछ ही मिनट में 2 सेंटी मीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है.

मौसम विज्ञान के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में पानी लेकर आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वे अचानक फट पड़ते हैं, यानी संघनन बहुत तेजी से होता है. इस स्थिति में एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है. भारत के संदर्भ में देखें तो हर साल मॉनसून के समय नमी को लिए हुए बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं. हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में इसके सामने पड़ता है. इसके कारण बादल फटता है.

पहाड़ ही नहीं कभी गर्म हवा का झोंका ऐसे बादल से टकराता है तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है. उदाहरण के तौर पर 26 जुलाई 2005 को मुंबई में बादल फटे थे, तब वहां बादल किसी ठोस वस्‍तु से नहीं बल्कि गर्म हवा से टकराए थे.

अंटार्कटिका की खोज किसने और कब की?
अंटार्कटिका के होने की संभावना करीब दो हजार साल पहले से थी. इसे ‘टेरा ऑस्ट्रेलिस’ यानी दक्षिणी प्रदेश के नाम के एक काल्पनिक इलाके के रूप में जानते थे. यह भी माना जाता था कि ऑस्ट्रेलिया का दक्षिणी इलाका दक्षिण अमेरिका से जुड़ा है. यूरोपीय नक्शों में इस काल्पनिक भूमि का दर्शाना लगातार तब तक जारी रहा जब तक कि 1773 में ब्रिटिश अन्वेषक कैप्टेन जेम्स कुक ने अपने दो जहाजों के साथ अंटार्कटिक सर्किल को पार करके उस सम्भावना को खारिज कर दिया. पर जबर्दस्त ठंड के कारण कैप्टेन कुक को अंटार्कटिक के सागर तट से 121 किलोमीटर दूर से वापस लौटना पड़ा. इसके बाद सन 1820 में रूसी नाविकों और ने अंटार्कटिक को पहली बार देखा. उसके बाद कई नाविकों को इस बर्फानी ज़मीन को देखने का मौका मिला. 27 जनवरी 1820 को रूसी वॉन फेबियन गॉतिलेब वॉन बेलिंगशॉसेन और मिखाइल पेत्रोविच लजारोव जो दो-पोत अभियान की कप्तानी कर रहे थे, अंटार्कटिका की मुख्य भूमि के अन्दर पानी पर 32 किलोमीटर तक गए थे और उन्होंने वहाँ बर्फीले मैदान देखे थे. प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार अंटार्कटिका की मुख्य भूमि पर पहली बार पश्चिम अंटार्कटिका में अमेरिकी सील शिकारी जॉन डेविस 7 फ़रवरी 1821 को उतरा था, हालांकि कुछ इतिहासकार इस दावे को सही नहीं मानते.

प्रभात खबर के सप्लीमेंट अवसर में प्रकाशित
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