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Saturday, December 17, 2022

सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करने वाला पेड़ कौन सा है?

 

पेड़ या पौधे ऑक्सीजन तैयार नहीं करते बल्कि वे फोटो सिंथेसिस या प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और उसके दो बुनियादी तत्वों को अलग करके ऑक्सीजन को वातावरण में फैलाते हैं। एक मायने में वातावरण को इंसान के रहने लायक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। 

प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगों जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बन डाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया में आक्सीजन एवं ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च आदि) का निर्माण होता है तथा आक्सीजन गैस बाहर निकलती है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण जैव रासायनिक क्रियाओं में से एक है। सीधे या परोक्ष रूप से दुनिया के सभी सजीव इस पर आश्रित हैं।

कौन सा पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करता है, इसे लेकर अधिकार के साथ कहना मुश्किल हैपर तुलसीपीपलनीम और बरगद के पेड़ काफी ऑक्सीजन तैयार करते हैं और हमारे परम्परागत समाज में इनकी पूजा होती है। यों पेड़ों के मुकाबले काई ज्यादा ऑक्सीजन तैयार करती है।

बर्फ बनाना कब शुरू हुआ?

बर्फ प्राकृतिक रूप से हमें मिलती है। उसके आविष्कार की बात सोची नहीं जा सकती, पर खाने-पीने की चीज़ों को सुरक्षित रखने के लिए और गर्म इलाकों में कमरे को ठंडा रखने के लिए बर्फ की ज़रूरत हुई। शुरू के दिनों में सर्दियों की बर्फ को जमीन के नीचे दबाकर या मोटे कपड़े में लपेट कर उसे देर तक सुरक्षित रखने का काम हुआ। फिर आइस हाउस बनाने का चलन शुरू हुआ। ज़मीन के नीचे तहखाने जैसे बनाकर उनमें बर्फ की सिल्लियाँ रखी जाती थीं, जो या तो सर्दियों में सुरक्षित कर ली जाती थीं या दूर से लाई जाती थीं। चीन में आइसक्रीम बनाने की कला का जन्म भी हो गया था। सन 1295 में जब मार्को पोलो चीन से वापस इटली आया तो उसने आइस क्रीम का जिक्र किया। आइस हाउस के बाद आइस बॉक्स बने। फिर कृत्रिम बर्फ बनाने की बात सोची गई। इसके बाद रेफ्रिजरेटर की अवधारणा ने जन्म लिया। सन 1841 में अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन गोरी ने बर्फ बनाने वाली मशीन बना ली। आइस क्यूब ट्रे बीसवीं सदी की देन है। इस ट्रे ने आइस क्यूब को जन्म दिया।

सीनियर सिटिजन की परिभाषा क्या है?  

अमेरिका में रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है। भारत में सामान्यतः 60 साल के व्यक्ति को सीनियर सिटिजन मानते हैं। भारतीय बैंक 60 साल से ऊपर के व्यक्ति को ज्यादा ब्याज देते हैं।

डीजे का फुलफॉर्म 

डीजे का मतलब होता है डिस्क जॉकी। वह व्यक्ति जो श्रोताओं के लिए संगीत तय करता है या पेश करता है। डिस्क प्ले करता है।

अमेरिका और युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में अंतर?

अमेरिका एक महाद्वीप का नाम है जो दो बड़े उप महाद्वीपों में बँटा है. एक है उत्तरी अमेरिका और दूसरा दक्षिणी अमेरिका। अमेरिकी महाद्वीप में अनेक देश हैं। उनमें एक है युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका। यह उत्तरी अमेरिका में है। अक्सर हम यूएसए और अमेरिका को एक मान लेते हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 16 जुलाई 2022 को प्रकाशित

Thursday, June 11, 2015

सुपरकंप्यूटर का आविष्कार कब व कहां हुआ? भारत में इसका प्रयोग कब शुरू हुआ?

आधुनिक परिभाषा के अनुसार, वे कंप्यूटर, जो 500 मेगाफ्लॉप की क्षमता से कार्य कर सकते हैं, सुपर कंप्यूटर कहलाते है. सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में एक अरब गणनाएं कर सकता है. इसकी गति को मेगा फ्लॉप से नापते है. सुपरकंप्यूटरों की शुरूआत साठ के दशक से मानी जा सकती है. अमेरिका के कंट्रोल डेटा कॉरपोरेशन के इंजीनियर सेमूर क्रे ने सबसे पहले सुपर कंप्यूटर बनाया. बाद में क्रे ने अपनी कम्पनी क्रे रिसर्च बना ली. यह कम्पनी सुपर कंप्यूटर बनाने के क्षेत्र में एक दौर तक सबसे आगे थी. आज भी क्रे के अलावा आईबीएम और ह्यूलेट एंड पैकर्ड इस क्षेत्र में शीर्ष कम्पनियाँ हैं. पर हाल में जापान और चीन इस मामले में काफी तेजी से आगे बढ़े हैं. 1980 के अंतिम दशक में भारत को अमेरिका ने क्रे सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था. वह एक ऐसा दौर था, जब भारत और चीन में तकनीकी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी. भारतीय वैज्ञानिकों ने सी-डेक परम-8000 कंप्यूटर बनाकर अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया. अब भारत पेटा फ्लॉप क्षमता का सुपर कंप्यूटर भी बना रहा है.

हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह पर लिखा ‘सत्यमेव जयते’ कहां से लिया गया है? पूरा मंत्र क्या है और उसका अर्थ क्या है?
‘सत्यमेव जयते’ मूलत: मुण्डक उपनिषद का मंत्र 3.1.6 है. पूरा मंत्र इस प्रकार है:- 
सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयान:। 
येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम्।। 
अर्थात आखिरकार सत्य की जीत होती है न कि असत्य की. यही वह राह है जहाँ से होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. सत्यमेव जयते को स्थापित करने में पं मदनमोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

तीसरी दुनिया के देश कौन-कौन से हैं? यह नाम किस तरह पड़ा?
तीसरी दुनिया शीतयुद्ध के समय का शब्द है. शीतयुद्ध यानी मुख्यतः अमेरिका और रूस का प्रतियोगिता काल. फ्रांसीसी डेमोग्राफर, मानव-विज्ञानी और इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने 14 अगस्त 1952 को पत्रिका ‘ल ऑब्जर्वेतो’ में प्रकाशित लेख में पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल किया था. इसका आशय उन देशों से था जो न तो कम्युनिस्ट रूस के साथ थे और न पश्चिमी पूँजीवादी खेमे के नाटो देशों के साथ थे. इस अर्थ में गुट निरपेक्ष देश तीसरी दुनिया के देश भी थे. इनमें भारत, मिस्र, युगोस्लाविया, इंडोनेशिया, मलेशिया, अफगानिस्तान समेत एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के तमाम विकासशील देश थे. यों माओत्से तुंग का भी तीसरी दुनिया का एक विचार था. पर आज तीसरी दुनिया शब्द का इस्तेमाल कम होता जा रहा है.

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में ‘डीसी’ क्या है?
वॉशिंगटन डीसी का अर्थ है वॉशिंगटन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलम्बिया. अमेरिकी संविधान के अनुसार संघीय राजधानी एक अलग डिस्ट्रिक्ट के रूप में बनाई जा सकती है, जो किसी राज्य का हिस्सा न हो. यह शहर जॉर्ज वॉशिंगटन की स्मृति में बसाया गया है. अमेरिका में एक राज्य भी वॉशिंगटन है. उसका वॉशिंगटन डीसी से कोई सम्बन्ध नहीं है.

अमेरिका और युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में क्या फर्क है?
अमेरिका एक महाद्वीप का नाम है जो दो बड़े उप महाद्वीपों में बँटा है. एक है उत्तरी अमेरिका और दूसरा दक्षिणी अमेरिका. अमेरिकी महाद्वीप में अनेक देश हैं. उनमें एक है युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका. यह उत्तरी अमेरिका में है. अक्सर हम यूएसए और अमेरिका को एक मान लेते हैं.

मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी का नाम क्या है?
मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स है, जो कान में होती है. उसकी लंबाई 2.5 मिलीमीटर होती है. सबसे लम्बी हड्डी फीमर बोन यानी जाँघ की हड्डी 19-20 इंच तक होती है.

इंजेक्शन द्वारा दवाई देना कब से शुरू हुआ?
शरीर में चोट लगने पर दवाई सीधे लगाने की परम्परा तो काफी पुरानी है. शरीर में अफीम रगड़कर या किसी कटे हुए हिस्से में अफीम लगाकर शरीर को राहत मिल सकती है सा विचार भी पन्द्रहवीं सोलहवीं सदी में बन गया था. अफीम से कई रोगों का इलाज किया जाने लगा, पर डॉक्टरों को लगता था कि इसे खिलाने से लत पड़ सकती है. इसलिए शरीर में प्रवेश का कोई तरीका खोजा जाए. स्थानीय एनिस्थीसिया के रूप में भी मॉर्फीन वगैरह का इस्तेमाल होने लगा था. ऐसी सुई जिसके भीतर खोखला बना हो सोलहवीं-सत्रहवीं सदी से इस्तेमाल होने लगी थी. पर सबसे पहले सन 1851 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक चार्ल्स गैब्रियल प्रावाज़ ने हाइपोडर्मिक नीडल और सीरिंज का आविष्कार किया. इसमें महीन सुई और सिरिंज होती थी. तबसे इसमें तमाम तरह के सुधार हो चुके हैं.
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