Sunday, November 16, 2025

सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक?

ये शब्द आमतौर पर जेट विमानों या मिसाइलों के लिए प्रयुक्त होते हैं। सोनिकका मतलब है ध्वनि। सुपरसोनिक का अर्थ है ध्वनि से तेज़। जब कोई वस्तु ध्वनि की गति से ज्यादा तेज चलती है, तब उसे मैक कहते हैं। हाइपरसोनिक का मतलब है ध्वनि से पाँच गुना (मैक 5) या उससे भी तेज गति। सभी हाइपरसोनिक गति सुपरसोनिक हैं, लेकिन सभी सुपरसोनिक, हाइपरसोनिक नहीं हैं। हाइपरसोनिक गति के साथ उच्च तापमान और अन्य जटिल भौतिकी प्रभाव होते हैं। पहले जेट इंजन के सिद्धांत को समझें। जेट शक्ति का विचार ईसा से करीब 150 वर्ष पहले पूर्व के एओलिपाइल के आविष्कार से सिद्ध हो चुका था, जिसमें दो नोजल के माध्यम से एक गोलाकार पात्र में मौजूद भाप की शक्ति का उपयोग किया जाता था। इससे गोला अपनी धुरी पर तेज़ी से घूमता था। इस सिद्धांत के बावज़ूद इसका उपयोग यांत्रिक शक्ति के लिए नहीं हुआ। बीसवीं सदी के शुरू में इस दिशा में काम हुआ और ब्रिटिश इंजीनियर सर फ्रैंक ह्विटल ने 1930 में अपने टर्बोजेट डिज़ाइन का पेटेंट कराया। आज जेट के अलावा रैमजेट और स्क्रैमजेट इंजन भी बन चुके हैं, जो हाइपरसोनिक गति प्रदान करते हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 15 नवंबर 2025 को प्रकाशित

Saturday, November 8, 2025

खेल के मैदान में हाई फाइव

आपने देखा होगा कि खेल के मैदान में दो खिलाड़ी खुशी, सफलता या उत्साह को व्यक्त करने के लिए अपनी हथेलियों को हवा में उठाकर आपस में टकराते हैं। यह एक नया चलन है। इसकी शुरुआत सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में मानी जाती है, और इसका श्रेय आमतौर पर अमेरिकी बेसबॉल या बास्केटबॉल के खिलाड़ियों को दिया जाता है। माना जाता है कि 1977 या 1978 में लॉस एंजेलस डॉजर्स बेसबॉल टीम के खि
लाड़ी डस्टी बेकर और ग्लेन बर्क ने पहला हाई फाइव किया था। बेकर ने एक होम रन मारा
, तो बर्क ने खुशी में हाथ ऊपर उठाया, और बेकर ने उसकी हथेली पर जवाबी थपकी दी। यह ‘पहला हाई फाइव’ माना जाता है। बाद में यह इशारा तेजी से बास्केटबॉल, फुटबॉल, क्रिकेट और लगभग हर खेल में फैल गया। हाई फाइवकी तरह ‘लो फाइवभी होता है, जिसमें दोनों लोग अपना हाथ कमर उससे नीचे रखकर हथेलियाँ नीचे की दिशा में टकराते हैं। पुराने ज़माने में जैसे दोस्त मिलते वक्त या ‘ठीक है’ कहने के लिए ‘लो फाइव’ करते थे। इसकी शुरुआत 1920–1930 के दशक में अफ़्रीकी-अमेरिकी संस्कृति में हुई थी। इसे ‘गिविंग स्किनभी कहा जाता था।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 08 नवंबर 2025 को प्रकाशित

 

Saturday, November 1, 2025

डूरंड रेखा क्या है?

 डूरंड लाइन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा को निर्धारित करती है। इसे 1893 में ब्रिटिश भारत के विदेश सचिव सर मॉर्टिमर डूरंड और अफगान अमीर अब्दुर रहमान खान के बीच हुए समझौते के तहत तय किया गया था। लगभग 2,640 किलोमीटर लंबी यह सीमा पश्चिमी बलोचिस्तान से पूर्वी नूरिस्तान तक फैली हुई है और पश्तून और बलोच जनजातियों के पारंपरिक क्षेत्रों को विभाजित करती है। अफगानिस्तान का कहना है कि डूरंड समझौता ब्रिटिश साम्राज्यवादी दबाव में हुआ था। डूरंड लाइन के पार के कुछ क्षेत्र, जो अब पाकिस्तान में हैं, जैसे खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के हिस्से, अफगान थे। यह समझौता 100 वर्षों के लिए था, जो 1993 में समाप्त हो चुका है। पाकिस्तान इसे वैध सीमा मानता है। संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इसे मान्यता देता है। इस रेखा ने पश्तून और बलोच जनजातियों को दो देशों में बाँट दिया, जिससे सांस्कृतिक और पारिवारिक एकता प्रभावित हुई। पश्तून समुदाय, जो दोनों देशों में फैला है, इसे अपनी एकता के लिए खतरा मानता है। कई पश्तून एकीकृत पश्तूनिस्तान की माँग करते हैं। क्षेत्र में रहने वाले कबीलों का सीमा पर स्वतंत्र आवागमन है, जिसे नियंत्रित करना काफी मुश्किल है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 1 नवंबर 2025 को प्रकाशित

 

Saturday, October 25, 2025

ज़ोहो ईमेल क्या है?

हाल में खबर थी कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के ईमेल सिस्टम में बड़ा बदलाव आया है। लगभग 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के ईमेल, जिनमें प्रधानमंत्री कार्यालय के कर्मचारी भी शामिल हैं, ज़ोहो में शुरू हो गए हैं। शिक्षा मंत्रालय ने गत 3 अक्तूबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें अधिकारियों को ज़ोहो अपनाने का निर्देश दिया गया था। सरकार का उद्देश्य स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देना और सुरक्षित, घरेलू डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करना है। ज़ोहो मेल क्लाउड-आधारित ईमेल सेवा है जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए डिज़ाइन की गई है। इसे ज़ोहो कॉरपोरेशन ने विकसित किया है, जो भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी है। यह जीमेल या आउटलुक जैसी अन्य ईमेल सेवाओं का मजबूत विकल्प है। यह विज्ञापन-मुक्त है, डेटा को एनक्रिप्ट करता है और आपका डेटा कभी तीसरे पक्ष को नहीं बेचता। यह पूरी दुनिया में उपलब्ध है। ज़ोहो कॉरपोरेशन के 80 से अधिक देशों में ऑफिस होने के कारण इसका वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल होता है। मुख्य यूजर अमेरिका (44%), भारत (15%) और ब्राजील (11%) से हैं। फ्री प्लान कुछ चुनिंदा क्षेत्रों रीजन जैसे अमेरिका, भारत में उपलब्ध है, लेकिन सभी देशों में पेड प्लांस समान हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 25 अक्तूबर 2025 को प्रकाशित

Sunday, October 19, 2025

फूलों का पर्व बथुकम्मा

इस साल सरूरनगर इनडोर स्टेडियम में फूलों से 63 फुट ऊँची एक संरचना बनाई गई, जिसे गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला है। इसमें करीब 11 टन फूल लगे। 

बथुकम्मा तेलंगाना का एक फूलों का त्योहार है, जो तेलंगाना का राज्य-उत्सव भी है। इसे महिलाएँ मनाती हैं। यह शारदीय नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक मनाया जाता है और देवी गौरी (मां पार्वती) को समर्पित है। उत्सव के दौरान, महिलाएँ मौसमी फूलों से सजे हुए 'बथुकम्मा' बनाती हैं, जो मंदिर की आकृति के होते हैं। 

उत्सव के बारे में

अवधि: यह सातवाहन कैलेंडर के अनुसार महालय अमावस्या से शुरू होकर दुर्गाष्टमी तक नौ दिनों तक चलता है, जो आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर में होता है।

क्यों मनाते हैं: यह प्रकृति, स्त्री ऊर्जा और पृथ्वी के बीच के संबंधों का उत्सव है। महिलाएं देवी गौरी से समृद्धि और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।

कैसे मनाते हैं:

महिलाएं स्थानीय फूलों जैसे सेलोसिया, गेंदा, कमल आदि का उपयोग करके एक मंदिर के आकार में फूलों की सजावट करती हैं।

पुरुष फूल इकट्ठा करने में मदद करते हैं।

पर्व के दौरान पारंपरिक गीत, नृत्य और व्यंजन भी होते हैं।

महत्व: बथुकम्मा तेलंगाना का राज्य उत्सव है। यह उत्सव पूरे समुदाय को एक साथ लाता है और पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएँ इसमें भाग लेती हैं। 

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