Thursday, December 27, 2012

आज ग़ालिब जयंती है


मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ ग़ालिबका जन्म 27 दिसम्बर 1776 को आगरा मे एक सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था। वे उर्दू और फ़ारसी के महान शायर थे। उन्हें उर्दू के सार्वकालिक महान शायरों में गिना जाता है। ग़ालिब (और असद) नाम से लिखने वाले मिर्ज़ा मुग़ल काल के आख़िरी शासक बहादुर शाह ज़फ़र के दरबारी कवि भी रहे थे। 1850 मे शहंशाह बहादुर शाह ज़फर द्वितीय ने मिर्ज़ा गालिब को "दबीर-उल-मुल्क" और "नज़्म-उद-दौला" के खिताब से नवाज़ा। बाद मे उन्हे "मिर्ज़ा नोशा" का खिताब भी मिला। आगरा, दिल्ली और कलकत्ता में अपनी ज़िन्दगी गुजारने वाले ग़ालिब को मुख्यतः उनकी ग़ज़लों को लिए याद किया जाता है। उन्होने अपने बारे में स्वयं लिखा था, हैं और भी दुनिया में सुखन्वर बहुत अच्छे/ कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और

बहरहाल ग़ालिब की कुछ पंक्तियाँ नीचे पढ़ें

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बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना/आदमी को मयस्सर नहीं इंसा होना
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना/ दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
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कोई उम्मीद बर नहीं आती/कोई सूरत नज़र नहीं आती

मौत का एक दिन मु'अय्यन है/नींद क्यों रात भर नहीं आती

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी/अब किसी बात पर नहीं आती

जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद/पर तबीयत इधर नहीं आती

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ/वर्ना क्या बात कर नहीं आती

क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं/मेरी आवाज़ गर नहीं आती

दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता/बू-ए-चारागर नहीं आती

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी/कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

मरते हैं आरज़ू में मरने की/मौत आती है पर नहीं आती

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'/शर्म तुमको मगर नहीं आती
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न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !
हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का,
ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता!
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !
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ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल[1]-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता

तेरे वादे पर जिये हम तो ये जान झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता

तेरी नाज़ुकी[2] से जाना कि बंधा था अ़हद[3] बोदा[4]
कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तुवार[5] होता

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश[6] को
ये ख़लिश[7] कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

ये कहां की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह[8]
कोई चारासाज़[9] होता, कोई ग़मगुसार[10] होता

रग-ए-संग[11] से टपकता वो लहू कि फिर न थमता
जिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार[12] होता

ग़म अगर्चे जां-गुसिल[13] है, पर[14] कहां बचे कि दिल है
ग़म-ए-इश्क़ गर न होता, ग़म-ए-रोज़गार होता

कहूँ किससे मैं कि क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना? अगर एक बार होता

हुए मर के हम जो रुस्वा, हुए क्यों न ग़र्क़[15]-ए-दरिया
न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मज़ार होता

उसे कौन देख सकता, कि यग़ाना[16] है वो यकता[17]
जो दुई[18] की बू भी होती तो कहीं दो चार होता

ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़[19], ये तेरा बयान "ग़ालिब"!
तुझे हम वली[20] समझते, जो न बादाख़्वार[21] होता

शब्दार्थ:1 मिलन, 2 कोमलता, 3 प्रतिज्ञा, 4 खोखला, 5 दृढ़,अटल, 6 आधा खिंचा हुआ तीर, 7 पीड़ा,चुभन, 8 उपदेशक, 9 सहायक, 10 सहानुभूतिकर्ता, 11 पत्थर की नस, 12 अंगारा, 13 प्राणघातक, 14 आखिर, 15 डूब जाना, 16 बेमिसाल, 17 अद्वितीय, 18 दोगलापन, 19 सूफीवाद की समस्याएं, 20 पीर, औलिया, 21 शराबी
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रहिये अब ऐसी जगह चलकर जहाँ कोई न हो
हमसुख़न कोई न हो और हमज़बाँ कोई न हो

बेदर-ओ-दीवार सा इक घर बनाया चाहिए
कोई हमसाया न हो और पासबाँ कोई न हो

पड़िये गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाईये तो नौहाख़्वाँ कोई न हो

Friday, December 7, 2012

क्या नॉर्वे में आधी रात तक सूरज चमकता है?


कहते हैं कि नार्वे में आधी रात तक सूरज चमकता है। क्या यह बात सही है?


नॉर्वे उत्तरी ध्रुव के काफी करीब है। इस इलाके में गर्मियों में रात के बारह बजे के बाद तक सूरज चमकता है। रातें कुछ घंटे की होती हैं, उस दौरान भी सूरज क्षितिज के करीब होता है इसलिए रातें अंधियारी नहीं होतीं। इसलिए इसे अर्धरात्रि के सूर्य वाला देश कहते हैं।



नीम में क्या चीज़ होती है जिससे वह कड़वा होता है?

नीम के तीन कड़वे तत्वों को वैज्ञानिकों ने अलग निकाला है, जिन्हें निम्बिन, निम्बिडिन और निम्बिनिन नाम दिए हैं। सबसे पहले 1942 में भारतीय वैज्ञानिक सलीमुज़्ज़मा सिद्दीकी ने यह काम किया। वे बाद में पाकिस्तान चले गए थे। नाम का यह कड़वा तत्व एंटी बैक्टीरिया, एंटी वायरल होता है और कई तरह के ज़हरों को ठीक करने का काम करता है।

दिल्ली में सबसे ज्यादा गहराई वाला मेट्रो स्टेशन कौन सा है? मनोहर लाल गांधी, ग़ाज़ियाबाद
दिल्ली में सबसे ज्यादा गहराई वाला मेट्रो स्टेशन चावड़ी बाज़ार है, जो 30 मीटर यानी तकरीबन 98 फुट की गहराई पर है। इसके आसपास जामा मस्जिद और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, उन्हें मेट्रो चलने से किसी प्रकार का नुकसान न हो इसलिए इतनी गहराई रखी गई है।

किसी फिल्म के ऑस्कर में जाने का मतलब क्या है? स्काई, नई दिल्ली
ऑस्कर पुरस्कार अमेरिका की अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस की ओर से दिए जाते हैं। इसमें एक पुरस्कार अमेरिका से बाहर बनी और गैर-अंग्रेजी फिल्म की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए भी है। विदेशी भाषा की यह श्रेणी 1956 के पहले नहीं होती थी। अलबत्ता 1947 से 1955 तक अमेरिका में रिलीज़ हुई एक विदेशी भाषा की फिल्म को मानद पुरस्कार दिया जाता था। वह पुरस्कार प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं था। 1956 से यह प्रतियोगिता का हिस्सा हो गया यानी उसके लिए कुछ फिल्मों का नामांकन होने लगा, जनमें से एक को पुरस्कार दिया जाने लगा। भारत ने 1957 से इस पुरस्कार के लिए फिल्में भेजना शुरू किया। 1957 में भेजी गई पहली फिल्म थी मदर इंडिया जिसे चार अन्य फिल्मों के साथ प्रतियोगिता के फाइनल में रखा गया। केवल एक वोट से मदर इंडिया पिछड़ गई। 1984 से अब तक भारत हर साल फिल्म भेजता है। केवल सन 2003 में विवाद के कारण कोई फिल्म नहीं भेजी गई। अब तक केवल मदर इंडिया, लगान और सलाम बॉम्बे तीन भारतीय फिल्में पुरस्कार के फाइनल चक्र के लिए नामांकित हुईं हैं, पर पुरस्कार किसी को नहीं मिला है। भारतीय फिल्म का चयन फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की एक ज्यूरी करती है। पिछले साल भारत के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की ज्यूरी ने सुझाव दिया कि जिस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरस्कार दिया जाए उसे ही ऑस्कर पुरस्कार के लिए भेजना चाहिए।

हमारे देश का प्रतीक चिह्न कहाँ से लिया गया? यह क्यों और कहाँ इस्तेमाल होता है?
हमारे देश का प्रतीक चिह्न चार शेरों वाली प्रतिमा हो जो अशोक स्तम्भ के शिखर पर लगी थी। इसे ईसवी सन शुरू होने के 250 साल पहले सम्राट अशोक ने बनवाया था। यह स्तम्भ सारनाथ में आज भी खड़ा है और प्रतिमा सारनाथ के संग्रहालय में रखी है। इन चारों शेरों के नीचे एक घेरे में एक हाथी, एक घोड़ा और एक नन्दी है। इसके बीच में धर्मचक्र है। इसके नीचे लिखा है सत्यमेव जयते, जो मुंडक उपनिषद से लिया गया है। इसे हमारे तमाम शासकीय कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। उसमें स्थित धर्मचक्र हमारे तिरंगे झंडे के बीच में लगाया गया है। हर देश का कोई न कोई प्रतीक चिह्न होता है। हमारा प्रतीक चिह्न हमारे गौरवपूर्ण अतीत की कहानी कहता है।

धरती से कितने ऊपर अंतरिक्ष शुरू होता है? अनिल शर्मा, दिल्ली
हालांकि ऐसी कोई सीमा नहीं है जहाँ से अंतरिक्ष की शुरुआत मानी जाए, पर सामान्यतः समुद्र की सतह से 100 किमी की ऊँचाई के बाद हम अंतरिक्ष की शुरूआत मानने लगे हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1967 में पारित वाह्य अंतरिक्ष संधि में भी यही सीमा मानी गई है। इसे कामान रेखा कहा जाता है।

WHO का फुल फॉर्म क्या है- प्रदीप वाधवा, गीतेश वाधवा, झज्जर
World health organization


वो दो दिन कौन से होते हैं, जब दिन और रात बराबर होते हैं? –तबस्सुम हाशमी, जामियानगर
विषुव अंग्रेज़ी में इसे इक्विनॉक्स कहते हैं। यानी ऐसा समय-बिंदु, जिसमें दिन और रात बराबर। किसी इलाके में दिन और रात की लंबाई पर असर डालने वाली कई बातें होतीं हैं। धरती अपनी धुरी पर २३½° झुककर सूर्य के चक्कर लगाती है, इस प्रकार वर्ष में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी रहती है, व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है। इसी प्रकार वर्ष में दो बार ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है, और न ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इसे इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की बराबर लंबाई लगभग बराबर होती है। ऐसा भूमध्य रेखा पर होगा। आजकल ऐसा 20/21 मार्च और 22/23 सितम्बर को होता है। पर यह भी अलग-अलग अक्षांश यानी लैटीट्यूड पर अलग-अलग दिन होता है।


नोबेल प्राइज़ की शुरूआत किसने की और यह किन श्रेणियों में दिया जाता है?-अख्तर, निजामुद्दीन वेस्ट
नोबेल पुरस्कार की स्थापना स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड बर्नाड (बर्नहार्ड) नोबेल की याद में 1901 में की गई थी। उनका जन्म 1833 ई. में स्वीडन के शहर स्टॉकहोम में हुआ था। उन्होंने 1866 में डाइनामाइट की खोज की। स्वीडिश लोगों को 1896 में उनकी मृत्यु के बाद ही पुरस्कारों के बारे में पता चला, जब उन्होंने उनकी वसीयत पढ़ी, जिसमें उन्होंने अपने धन से मिलने वाली सारी वार्षिक आय पुरस्कारों की मदद करने में दान कर दी थी। शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वालों को हर साल यह पुरस्कार दिया जाता है। पहले नोबेल पुरस्कार पाँच विषयों में कार्य करने के लिए दिए जाते थे। अर्थशास्त्र के लिए पुरस्कार स्वेरिजेश रिक्स बैंक, स्वीडिश बैंक द्वारा अपनी 300वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में 1967 में आरम्भ किया गया और इसे 1969 में पहली बार प्रदान किया गया। इसे अर्थशास्त्र में नोबेल स्मृति पुरस्कार भी कहा जाता है।






Thursday, December 6, 2012

ऑपरेशन के रूम को ऑपरेशन थिएटर क्यों कहते हैं?


आपरेशन के रूम को आपरेशन थिएटर क्यों कहते हैं, जबकि वहां न कोई नाटक होता है और ना ही कोई ऑडियंस? 

ऑपरेशन रूम अमेरिकी इस्तेमाल है और ऑपरेशन थिएटर ब्रिटिश। इन्हें ऑपरेशन रूम या कक्ष कहना ही बेहतर है, पर इन्हें थिएटर कहने के पीछे बाकायदा प्रदर्शन की व्यवस्था है जो थिएटर का महत्वपूर्ण पक्ष है। मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के सर्जरी से परिचित कराने के लिए ऐसी व्यवस्थाएं की गईं थीं, जिनमें एक गोल थिएटर जैसे मंच के चारों ओर गोल घेरे में बैठने के स्थान बनाए गए। पर मूलतः सन 1884 में जर्मन सर्जन गुस्ताब न्यूबर ने ऑपरेशन के लिए साफ-सुथरी कीटाणु मुक्त व्यवस्था की कल्पना की थी, जिसमें गाउन, कैप, शू कवर तक ऐसे पहनने होते थे, जो डिसइनफैक्टेड होते थे। 


डेंगू शब्द कहाँ से आया? 
हालांकि डेंगू शब्द का इस्तेमाल काफी होने लगा है, पर इस शब्द का सही उच्चारण डेंगी है। यह स्पष्ट नहीं है कि शब्द कहां से आया। कुछ लोगों का मानना है कि यह शब्द स्वाहीली के वाक्यांश का-डिंगा पेपो से आया है। यह वाक्यांश बुरी आत्माओं से होने वाली बीमारी के बारे में बताता है। माना जाता है कि स्वाहीली शब्द डिंगा स्पेनी के शब्द डेंगी से बना है। इस शब्द का अर्थ है "सावधान"। वह शब्द एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने के लिए उपयोग किया गया हो सकता है जो डेंगू बुखार के हड्डी के दर्द से पीड़ित हो; वह दर्द उस व्यक्ति को सावधानी के साथ चलने पर मजबूर करता होगा। यह भी संभव है कि स्पेनी शब्द स्वाहीली भाषा से आया हो। कुछ का मानना है कि "डेंगू" नाम वेस्ट इंडीज़ से आया है। वेस्ट इंडीज़ में, डेंगू से पीड़ित लोग कमर दर्द के कारण  डैंडी की तरह अकड़े हुए चलते थे। इसी कारण से बीमारी को भी "डैंडी फीवर" कहा जाता था। इसे कमरतोड़ बुखार भी कहते हैं।

मेजर ध्यानचंद ने कितने गोल किए थे अपने पूरे खेल जीवन में ? क्या किसी और हॉकी खिलाडी ने उनके बराबर या उनसे ज्यादा गोल किए हैं?

ध्यानचंद ने तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। वे जिस ज़माने में खेलते थे उन दिनों हॉकी के रिकॉर्ड रखने की परम्परा नहीं थी। आज भी नहीं है मैने अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ की साइट पर सबसे ज़्यादा गोल स्कोर के आँकड़ों को देखना चाहा तो नहीं मिले। बहरहाल जो जानकारियाँ हैं वह बताता हूँ। तब एक ओलिम्पिक प्रतियोगिता होती थी, वह भी चार साल में। आज कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं। भारत ने 1932 में 37 मैच में 338 गोल किए, जिसमें 133 गोल ध्यानचंद ने किए थे। दूसरे विश्व युद्ध से पहले ध्यानचंद ने 1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिल्स) और 1936 (बर्लिन) में लगातार तीन ओलिंपिक में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल दिलाए। बहरहाल इन दिनों माना जाता है कि पाकिस्तान के सुहेल अब्बास ने 9 अगस्त 2012 तक अंतरराष्ट्रीय मैचों में 348 गोल किए हैं। इसे विश्व रिकॉर्ड माना जाता है।
यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड यरलैंड के डाक टिकटों पर देश का नाम नहीं होता। इसकी वजह यह है कि इन देशों में ही डाक टिकटों की शुरूआत हुई थी और इन्होंने तब अपने देशों के नाम डिकट पर नहीं डाले थे। हाँ इन टिकटों पर देश राजतंत्र की छवि ज़रूर होती है।

हिंदी को खड़ी बोली क्यों कहा जाता है?

हिन्दी को खड़ी बोली नहीं कहा जाता, बल्कि कहा यह जाता है कि आज की जो मानक हिन्दी है वह खड़ी बोली से निकली है। खड़ी बोली पश्चिम रुहेलखंड, गंगा के उत्तरी दोआब तथा अंबाला जिले की उपभाषा है जो ग्रामीण जनता के द्वारा मातृभाषा के रूप में बोली जाती है। इसे कौरवी भी कहते हैं। कौरवों की बोली। इस प्रदेश में रामपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, सहारनपुर, देहरादून का मैदानी भाग, अंबाला तथा कलसिया और भूतपूर्व पटियाला रियासत के पूर्वी भाग आते हैं। मुसलमानी प्रभाव के निकटतम होने के कारण इस बोली में अरबी फारसी के शब्दों का व्यवहार हिंदी प्रदेश की अन्य उपभाषाओं की अपेक्षा अधिक है। इससे ही उर्दू निकली। हिन्दी में ब्रज, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, मागधी वगैरह बोलियाँ हैं। खड़ी बोली अनेक नामों से पुकारी गई है, जैसे हिंदुई, हिंदवी, दक्खिनी, दखनी या दकनी, रेखता, हिंदोस्तानी, हिंदुस्तानी आदि। डा. ग्रियर्सन ने इसे वर्नाक्युलर हिंदुस्तानी तथा डा. सुनीति कुमार चटर्जी ने इसे जनपदीय हिंदुस्तानी का नाम दिया है। डा. चटर्जी खड़ी बोली के साहित्यिक रूप को साधु हिंदी या नागरी हिंदी कहते थे और डा. ग्रियर्सन ने इसे हाई हिंदी का नाम दिया। अनेक विद्वान खड़ी का अर्थ सुस्थित, प्रचलित, सुसंस्कृत, परिष्कृत या परिपक्व ग्रहण करते हैं। खड़ी बोली को खरी बोली भी कहा गया है।

क्या किसी मंदिर में भारत माता की पूजा की जाती है? 
देश में कई जगह भारता माता मंदिर बनाए गए हैं। वाराणसी में राजघाट पर स्थित अपने ढंग का अनोखा भारतमाता मंदिर है। इस मंदिर की आराध्य भारत माता हैं। यहां पर पूजा, कर्मकाण्ड या दूसरे मंदिरों जैसे घंटा घड़ियाल नहीं बजते हैं और न ही पंडितों पुरोहितों की खींचतान होती है। यह मंदिर हिन्दू, मुस्लिम, सिख एवं ईसाई जैसे जाति या साम्प्रदायिक और उन्मादी धार्मिक भावना से कोसों दूर सर्वधर्म समभाव का संदेश देता है। मंदिर का उद्घाटन 25 अक्टूबर 1931 को महात्मा गांधी ने किया था। मंदिर के 81 वर्ष पूरे हो गए हैं। मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर महात्मा गांधी ने कहा था कि इस मंदिर में किसी देवता या देवी की मूर्ति नहीं है, यहां संगमरमर पर उभरा हुआ भारत का एक मानचित्र भर है। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भारत माता की पूजा होती है। इस मंदिर में कोई आरती नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति गीतों की गूंज सुनाई देती है। सद्गुरु धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट ने आम जन में राष्ट्रीय भावना जागृत करने के मकसद से सुखलिया इलाके में भारत माता मंदिर का निर्माण कराया है। मंदिर में बॉर्डर वाली गहरे रंग की साड़ी पहने हाथ में तिरंगा थामे भारत माता की प्रतिमा के पीछे भारत का नक्शा बना हुआ है। इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं। हिसार की एम.सी. कॉलोनी में भी एक भारत माता मंदिर बनाया गया है।

क्या पेंगुइन सामूहिक आत्महत्या करते हैं? क्यों?
हाँ ऐसी खबरें मिली हैं कि अंटार्कटिक में पेंग्विन बड़ी संख्या में किसी बर्फीली चोटी पर खड़े होकर बड़ी संख्या में सागर में कूदकर जान दे रही हैं। यों जानवर उस तरह आत्महत्या नहीं करते जिस तरह इंसान करते हैं। केवल वे अपनी मौत के वक्त खुद को इस स्थिति में ले आते हैं कि जान चली जाए। मसलन खरगोश खुले में आ जाते हैं ताकि कोई चील उन्हें उठा ले जाए। असम के पेंग्विन की मौतों के पीछे ग्लोबल वार्मिंग है या कोई और बात है अभी कहना मुश्किल है।

ऑडिटोरियम में ग्रीन रूम को ग्रीन रूम क्यों कहते हैं?

कहा जाता है कि सन 1599 में लंदन के ब्लैकफ्रायर्स थिएटर में मंच के ठीक पीछे उन कलाकारों के बैठने की व्यवस्था की गई, जिन्हें बाद में मंच पर जाना था। इस कमरे में हरे रंग की पुताई की गई थी। धीरे-धीरे सका नाम ग्रीन रूम हो गया। एक बात यह भी कही जाती है कि मंच की रोशनी से कलाकारों की आँखें चौंधिया जाती थीं। उन्हें कुछ आराम देने के लिए ऐसे कमरे को हरे रंग से पोतते थे।

टेलीफोन उठाते ही हम ज़्यादातर हेलो क्यों कहते हैं? 
हेलो या हलो मूलतः अपनी तरफ ध्यान खींचने वाला शब्द है। यह पुरानी जर्मन भाषा के हाला या होला से बना है। पर यह शब्द लोकप्रिय हुआ टेलीफोन के कारण। 10 मार्च 1876 को अलेक्जेंडर ग्राहम बैल के टेलीफोन आविष्कार को पेटेंट मिला। वे शुरू में टेलीफोन पर बात शुरू करने के लिए अहोय शब्द का इस्तेमाल करते थे। यह शब्द समुद्री नाविक एक-दूसरे का ध्यान खींचने के लिए इस्तेमाल करते हैं। सन 1877 में टॉमस एडीसन ने हेलो शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी जो अंततः सभी ने मान ली।

रेलवे में कितने दिन पहले यात्रा बुकिंग करवाई जा सकती है? और टिकट रद्द करवाने यानी कैंसिलेशन चार्जेज क्या हैं? 
भारतीय रेलवे में 90 दिन पहले आरक्षण कराया जा सकता है। जिस टिकट पर बर्थ या सीट आरक्षित नहीं है और उसे वापस करना है तो गाड़ी जाने के तीन घंटे बाद तक उसमें से 10 रुपया काटकर शेष राशि टिकट धारक को दी जा सकती है।

(a) If a ticket is presented for cancellation more than 24 hours before the scheduled departure of the train cancellation charge shall be deducted at the flat rate of Rs. 70/- for A.C First Class/Executive Class, Rs. 60/- for A.C. 2 Tier sleeper class/ A.C. 3 Tier sleeper class/ First class/A.C Chair Car, Rs. 40/- for Sleeper class and Rs. 20/- for Second class.

(b) If the ticket is presented for cancellation within 24 hours and up to four hours before the scheduled departure of the train, cancellation charges shall be 25% of the fare subject to the min. flat rate mentioned in clause (a).

(c) If the ticket is presented for cancellation within four hours before the scheduled departure of the train and up to :

Three hours, when the ticket is for a destination station up to 200 KM.,

Six hours, when the ticket is for a destination station of more than 200 KM but up to 500 KM., and

Twelve hours , when the ticket is for a destination station of more than 500 KM.,

after the actual departure of the train, cancellation charges shall be 50 % of the fare subject to the min. flat rate mentioned in clause (a).

यश चोपड़ा के माता पिता क्या करते थे? फिल्म वक़्त के गाने ऐ मेरी जोहरा जबीं में हीरोइन कौन हैं? यानी गाना किस पर फिल्माया गया है?
यश चोपड़ा का जन्म 1932 में लाहौर में हुआ था। उनके पिता पीडब्ल्यूडी में एकाउंटेंट थे। जिस गीत के बारे में आप पूछ रहे हैं वह बलराज साहनी और अचला सचदेव पर फिल्माया गया था।

एफएमगोल्ड के कार्यक्रम बारिश सवालों की में शामिल

किस देश के डाक टिकट पर देश का नाम नहीं होता? 

Tuesday, December 4, 2012

नंदलाल बोस


नंदलाल बोस या नंदलाल बसु (3 दिसम्बर, 1882 16 अप्रैल, 1966) भारत के एक प्रसिद्ध चित्रकार थे। नंदलाल बोस ने संविधान की मूल प्रति का डिजाइन बनाया था। उनके प्रसिद्ध चित्रों में है--'डांडी मार्च', 'संथाली कन्या', 'सती का देह त्याग', इत्यादि है। नंदलाल बोस ने चित्रकारों और कला अध्यापन के अतिरिक्त इन्होंने तीन पुस्तिकाएँ भी लिखीं—रूपावली, शिल्पकला और शिल्प चर्चा। ये अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के प्रख्यात शिष्य थे।
नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसम्बर 1882 ई. में खड़गपुर, बिहार में हुआ था। शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें अनेक विद्यालयों में भर्ती कराया गया, पर वे पढ़ाई में मन न लगने के कारण सदा असफल होते। उनकी रूचि आरंभ से ही चित्रकला की ओर थी। उन्हें यह प्रेरणा अपनी मां क्षेत्रमणि देवी से मिट्टी के खिलौने आदि बनाते देखकर मिली। अंत में नंदलाल को कला विद्यालय में भर्ती कराया गया। इस प्रकार 5 वर्ष तक उन्होंने चित्रकला की विधिवत शिक्षा ली।

Monday, December 3, 2012

केसर क्या पेड़ से मिलता है?

क्या केसर पेड़ से मिलता है?
कुलवंत कौर, गीता कॉलोनी, दिल्ली
हाँ केसर की खेती होती है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि भारत की केसर दुनिया में सबसे अच्छी मानी जाती है। भारत में केवल जम्मू-कश्मीर में ही केसर की खेती होती है। कश्मीर के अंवतीपुरा के पंपोर और जम्मू संभाग के किश्तवाड़ इलाके में केसर की खेती की जाती है। केसर बोने के लिए खास जमीन की आवश्यकता होती है। ऐसी जमीन जहां बर्फ पड़ती हो और जमीन में नमी मौजूद रहती हो। जिस जमीन पर केसर बोयी जाती है वहां कोई और खेती नहीं की जा सकती। कारण, केसर का बीज हमेशा जमीन के अंदर ही रहता है। इस बीज को निकाल कर उसमे दवाइयाँ और खाद मिलाकर फिर से बोया जाता है। यह बुआई जुलाई-अगस्त में की जाती है। केसर के फूल अक्टूबर-नवंबर में खिलने लगते हैं। जमीन में जितनी ज्यादा नमी होगी, केसर की पैदावार भी उतनी ही ज्यादा होगी। केसर का फूल नीले रंग का होता है। नीले फूल के भीतर पराग की पांच पंखुड़ियां होती हैं। इनमें तीन केसरिया रंग की और बीच की दो पंखुड़ियां पीले रंग की। केसरिया रंग की पंखुड़िया ही असली केसर कही जाती हैं,
एयरोप्लेन की गति कितनी होती है? 
भरत लाल वर्मा, नोएडा
आपने यह नहीं बताया कि आपका शय किस प्रकार के हवाई जहाज से हैं। आम तौर पर यात्री विमान तीन-चार सौ से लेकर 700 से 900 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलते हैं। कॉंकॉर्ड जैसे सुपरसॉनिक यात्री विमान 3200 किलोमीटर की रफ्तार से भी उड़ान भर सकते थे। ये विमान 1976 से 2003 तक विमान सेवाओं में रहे। सन 2001 में न्यूयॉर्क में हुए आतंकी हमले के बाद दुनिया भर में विमान सेवाओं के कारोबार में गिरावट आ गई और 2003 में इन्हें सेवा से हटाने का फैसला किया गया। पर दुनिया की विमान कम्पनियाँ अगली पीढ़ी के तेज़ गति विमानों पर अब भी काम कर रहीं हैं। कोशिश की जा रही है कि हाइपरसोनिक विमान तैयार किए जाएं जिनकी स्पीड 5000-6000 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो। यात्री विमानों के मुकाबले लड़ाकू विमानों की गति आज भी 2000 से 3000 किलोमीटर प्रति घंटा तक की होती है।
बिहार के पहले मुख्यमंत्री कौन थे? 
गौरी शर्मा, लकड़मंडी, दिल्ली
डॉ श्रीकृष्ण सिन्हा। वे 1946 से 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।
ज़ू को चिड़ियाघर क्यों कहते हैं? 
टीपी सिंह, वसुंधरा, गाज़ियाबाद
तरह-तरह जीव-जन्तुओं होते हुए भी ज़ू के लिए हिन्दी में चिड़ियाघर नाम लोक प्रयोग के कारण है। हमारे यहाँ  चिड़िया पालने की परम्परा रही है। Zoological garden का शुद्ध अनुवाद प्राणि उद्यान है। पर तरह-तरह के जानवरों में पक्षियों की प्रधानता के कारण इसे चिड़ियाघर बना दिया। चाहते तो जानवर घर भी कह सकते थे। 
क्या मोहम्मद रफी के बच्चे हैं? हाँ तो वे गायक क्यों नहीं बने?
बॉबी राना दिल्ली
रफी साहब के तीन बेटे और तीन बेटियाँ हैं। बेशक उन्हें भी संगीत का शौक होगा, पर उनका गायक बनना या न बनना उनकी इच्छा और हालात से जुड़ा है। इसके बारे में क्या कहा जा सकता है।
एक फोन कम्पनी का फोन ऑन करते समय दो हाथ मिलते दिखाई पड़े हैं। ये हाथ किसके हैं और इनका मतलब क्या है?
हफूज़ हसन ज़फराबाद
कहना मुश्किल है कि वे दो हाथ किसके हैं, पर यह समझ में आता है कि उन्हें दिखाने की प्रेरणा इटली के प्रसिद्ध चित्रकार माइकलएंजेलो की रचना द क्रिएशन ऑफ एडम से ली गई है। माइसलएंजेलो की रचना में एक हाथ ईश्वर का और दूसरा आदम का है। दोनों की उंगलियों के बीच हल्की सी दूरी है, जो ईश्वरीय ऊर्जा के मनुष्य में प्रवाहित होने की प्रतीक है। यह एक रूप में ईश्वर और मनुष्य का सम्पर्क है। टेलीफोन कम्पनी ने सम्पर्क के इस प्रतीक को अपनाया है।
दिल्ली में सबसे ज्यादा गहराई वाला मेट्रो स्टेशन कौन सा है? 
मनोहर लाल गांधी, ग़ाज़ियाबाद
दिल्ली में सबसे ज्यादा गहराई वाला मेट्रो स्टेशन चावड़ी बाज़ार है, जो 30 मीटर यानी तकरीबन 98 फुट की गहराई पर है। इसके आसपास जामा मस्जिद और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, उन्हें मेट्रो चलने से किसी प्रकार का नुकसान न हो इसलिए इतनी गहराई रखी गई है।
एक फिल्म के ऑस्कर में जाने का मतलब क्या है? 
स्काई, नई दिल्ली
ऑस्कर पुरस्कार अमेरिका की अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस की ओर से दिए जाते हैं। इसमें एक पुरस्कार अमेरिका से बाहर बनी और गैर-अंग्रेजी फिल्म की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए भी है। विदेशी भाषा की यह श्रेणी 1956 के पहले नहीं होती थी। अलबत्ता 1947 से 1955 तक अमेरिका में रिलीज़ हुई एक विदेशी भाषा की फिल्म को मानद पुरस्कार दिया जाता था। वह पुरस्कार प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं था। 1956 से यह प्रतियोगिता का हिस्सा हो गया यानी उसके लिए कुछ फिल्मों का नामांकन होने लगा, जनमें से एक को पुरस्कार दिया जाने लगा। भारत ने 1957 से इस पुरस्कार के लिए फिल्में भेजना शुरू किया। 1957 में भेजी गई पहली फिल्म थी मदर इंडिया जिसे चार अन्य फिल्मों के साथ प्रतियोगिता के फाइनल में रखा गया। केवल एक वोट से मदर इंडिया पिछड़ गई। 1984 से अब तक भारत हर साल फिल्म भेजता है। केवल सन 2003 में विवाद के कारण कोई फिल्म नहीं भेजी गई। अब तक केवल मदर इंडिया, लगान और सलाम बॉम्बे तीन भारतीय फिल्में पुरस्कार के फाइनल चक्र के लिए नामांकित हुईं हैं, पर पुरस्कार किसी को नहीं मिला है। भारतीय फिल्म का चयन फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की एक ज्यूरी करती है। पिछले साल भारत के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की ज्यूरी ने सुझाव दिया कि जिस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरस्कार दिया जाए उसे ही ऑस्कर पुरस्कार के लिए भेजना चाहिए।
धरती से कितने ऊपर अंतरिक्ष शुरू होता है? 
अनिल शर्मा, दिल्ली
हालांकि ऐसी कोई सीमा नहीं है जहाँ से अंतरिक्ष की शुरुआत मानी जाए, पर सामान्यतः समुद्र की सतह से 100 किमी की ऊँचाई के बाद हम अंतरिक्ष की शुरूआत मानने लगे हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1967 में पारित वाह्य अंतरिक्ष संधि में भी यही सीमा मानी गई है। इसे कामान रेखा कहा जाता है।
WHO का फुल फॉर्म क्या है- 
प्रदीप वाधवा, गीतेश वाधवा, झज्जर
World health organization
मैकमहोन लाइन क्या होती है?-
कपिल गोसाईं, पानीपत
मैकमहोन रेखा भारत और तिब्बत के बीच सीमा रेखा है। सन् 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत यह रेखा तय की गई थी। 1914 के बाद कई साल तक इस रेखा को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ, पर 1937 में ओलफ केरो नामक एक अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी ने तत्कालीन अंग्रेज सरकार को इसे आधिकारिक तौर पर लागू करने का अनुरोध किया। 1937 में सर्वे ऑफ इंडिया के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमारेखा के रूप में पर दिखाया गया था। इस सीमारेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे।





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