वर्ष 1617 में जापान के निक्को स्थित तोगोशु की समाधि पर ये तीनों बंदर बने हैं। ऐसा माना जाता है कि यह बंदर जिन सिद्धांतों की ओर इशारा करते हैं, वे बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो को दर्शाते हैं। मूलतः यह शिक्षा ईसा पूर्व के चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस की थी। वहाँ से यह विचार जापान गया। उस समय जापान में शिंटो संप्रदाय का बोलबाला था। शिंटो संप्रदाय में बंदरों को काफी सम्मान दिया जाता है। शायद इसीलिए इस विचारधारा को बंदरों का प्रतीक दे दिया गया। यह यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। ऐसे ही विचार जापान के कोशिन मतावलम्बियों के हैं जो चीनी ताओ विचार से प्रभावित हैं। जापानी में इन बंदरों के नाम हैं मिज़ारू, किकाज़ारू और इवाज़ारू। महात्मा गांधी ने इन तीन बंदरों के मार्फत नैतिकता की शिक्षा दी, इसलिए कुछ लोग इन्हें गांधी जी के बंदर भी कहते हैं।
सीनियर सिटिज़न की परिभाषा क्या है?
अमेरिका में रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है। भारत में सामान्यतः
60 साल के व्यक्ति को सीनियर सिटिज़न मानते हैं। भारतीय बैंक 60 साल से ऊपर के व्यक्ति
को ज्यादा ब्याज़ देते हैं। भारतीय रेलवे में महिला वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायत
लेने हेतु न्यूनतम आयु 58 वर्ष है और रियायत का तत्व केवल मूल किराए में 50 प्रतिशत
है। पुरुष वरिष्ठ नागरिकों के मामले में रियायत लेने हेतु न्यूनतम आयु 60 वर्ष है और
रियायत का तत्व केवल मूल किराए में 40 प्रतिशत है।
भारत में कुल कितने गाँव हैं? विश्व में सबसे अधिक गाँव किस देश में हैं?
सन 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 6,38,000 गाँव हैं। चीन
में प्रशासनिक दृष्टि से घोषित गाँवों की संख्या 6,80,000 है।
पैराशूट बनाने के पीछे क्या कहानी है?
इंटरनेट पर सर्च इंजन गूगल का इस्तेमाल करने वालों ने परसों
यानी 22 अक्तूबर 2013 को पैराशूट जम्प के एनीमेशन का गूगल डूडल देखा होगा। यह डूडल दुनिया के पहले पैराशूट
जम्प की 216 वीं जयंती के मौके पर बनाया गया था। 22 अक्तूबर सन 1797 को फ्रांस के आंद्रे याक गार्नेरिन ने दुनिया में पहली बार 3000 फुट की ऊँचाई पर उड़ते बैलून
से पैराशूट के सहारे छलांग लगाई थी। आसमान में उड़ान भरने की इच्छा इंसान के मन में
हजारों साल से है। यूनानी पौराणिक कथाओं में इकेरस नामक पात्र की कथा है। उसके पिता
डेडेलस वास्तुविद तथा एक महान आविष्कारक थे। पिता-पुत्र दोनों को सम्राट मिनॉस कैद
कर दिया था। उनके बच निकलने का एक ही रास्ता था और वह था हवाई मार्ग से समुद्र को पार
कर जाना। डेडेलस तो थे ही आविष्कारक,
उन्होंने पक्षियों के परों को मोम से जोड़कर पंख बनाए। उन्होंने
इकेरस से कहा कि न तो नीची उड़ान भरना और न बहुत ऊँची। नीचे उड़े तो समुद्र की नमी से
पंख गीले हो जाएंगे और बहुत ऊँचे चले गए तो सूर्य की गर्मी मोम पिघल जाएगा। आसमान में
उड़ते-उड़ते इकेरस पिता की चेतावनी को भूल गया ऊँचा चला गया। इकेरस के पंखों का मोम
पिघलने लगा और वह समुद्र में जा गिरा। बहरहाल इंसान ने पहले गर्म हवा भर कर बैलून बनाए
फिर पैराशूट। दुनिया में पहला व्यावहारिक रूप से सफल पैराशूट बनाने का श्रेय फ्रांसीसी
नागरिक लुइ सेबास्तियन लेनोर्मां को जाता है,
जिन्होंने वर्ष 1783 में इसका पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। हालांकि पंद्रहवीं सदी के दौरान
लिओनार्दो दा विंची ने सबसे पहले पैराशूट की कल्पना करते हुए इसका रेखाचित्र भी तैयार
किया था। दा विंची की इस डिजाइन से प्रेरणा लेकर फॉस्ट ब्रांसिस ने वर्ष 1617 में एक सख्त फ्रेम वाला
पैराशूट पहनकर वेनिस टॉवर से छलांग लगाई थी। उन्होंने अपने इस पैराशूट को होमो वोलंस
नाम दिया था। हालांकि आपात काल में पैराशूट के इस्तेमाल का पहला प्रयोग 1785 में फ्रांसीसी नागरिक ज्यां
पियरे ब्लांचार्ड ने किया था, जिन्होंने ऊंचाई पर तैर रहे एक हॉट एयर बैलून से एक कुत्ते को पैराशूट बंधी टोकरी
के जरिए नीचे गिराया था। ब्लांचार्ड ने ही पहली बार सिल्क के कपड़े से तह करने लायक
पैराशूट तैयार किया था। इसे इस्तेमाल करना भी आसान था। १७९७ में फ्रांस के आंद्रे गार्नेरिन
ने पहली बार इसी तरह के पैराशूट के जरिए सफल जंप को अंजाम दिया था। गार्नेरिन ने कंपन
कम करने के इरादे से इसमें कुछ और सुधार किया और इस तरह पहला छिद्रित पैराशूट अस्तित्व
में आया।
तूफान कितने प्रकार के होते हैं? क्या दिल्ली में कभी तूफान
आया?
हिन्दी में तूफान शब्द चक्रवात और बवंडर यानी साइक्लोन और टॉर्नेडो
दोनों के लिए इस्तेमाल होता है। अक्सर आंधी के लिए भी। मौसम विज्ञान में, चक्रवात उसे कहा जाता है जिसमें पानी
ऊपर उठ जाता है और एक ही दिशा में चक्कर लगाता रहता है। इसमें आमतौर पर हवा सर्पिल
आकार में, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त
रूप से घूमती है। तूफान धरती के घूमने और मौसम के बदलाव का परिणाम है। तूफान या बवंडर
हवा के भारी दबाव और बादलों के कई सतहों के संपर्क से बनते है। सूरज की गर्मी से जब
गर्म हवा ऊपर उठती है और ठंडे बादलों में जाती है तो तेजी से ऊपर उठने के साथ-साथ घूमने
लग जाती है। और फिर पानी, धूल और मिट्टी की धार जैसी लकीर आसमान से बनती है। यही नहीं तूफान के दरम्यान बवंडर
के अंदर बिजली भी बनती है, जिसकी वजह से ये अपने आसपास इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड बना देती है। जिसकी वजह
से धरातल पर मौजूद चीजें मसलन पानी का तालाब,
झील या नदी का पानी भी ऊपर खिंचने लगता है और आस पास भयंकर बारिश
भी होने लगती है।
दिल्ली में 17-18 मार्च 1978 को चक्रवात आया था जिसमें 28 लोगों की मृत्यु हुई और 700 के आसपास लोग घायल हुए थे।
क्या कोई ग्रह ऐसा भी है जिस पर जीवन की सम्भावना है?
नासा की नए उपग्रहों की खोज करने वाले टेलिस्कोप केप्लर ने पृथ्वी
के समान सात नए उपग्रहों को खोज निकाला है. सातों उपग्रह एक ही तारे का चक्कर लगाने
वाले उपग्रह हैं. इनमें से दो उपग्रहों की कक्षा अत्यधिक गर्म और अत्यधिक शीत क्षेत्र
के मध्य में है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन दो उपग्रहों पर जीवन की सम्भावना हो सकती
है। नासा के कैलिफोर्निया स्थित एमेस अनुसंधान केंद्र के केप्लर अभियान के मुख्य खोजकर्ता
विलियम बोरुकी ने कहा कि हमने किसी अन्य सौरमंडल के जीवन की सम्भावना वाले क्षेत्र
में दो उपग्रहों को खोज की है. अब तक खोजे गए उपग्रहों में इन दोनों उपग्रहों पर जीवन
की सर्वाधिक सम्भावना है. दोनों उपग्रहों को केप्लर-62ई और केप्लर-62 एफ नाम दिया गया है, जबकि इसके तारे का नाम केप्लर-62 रखा गया है. उन्होंने कहा कि दोनों ग्रहों
का आकार लगभग पृथ्वी के बराबर है.
विश्व की सबसे बड़ी दूरबीन कौन सी है? इससे क्या देखा जाता है?
फिलहाल स्पेन के कैनरी द्वीप में स्थापित ग्रैन टेलेस्कोपियो
कैनेरियास को दुनिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप इस आधार पर कह सकते हैं कि उसके एपर्चर
यानी लेंस का व्यास 10.4 मीटर यानी 410 इंच है। पर दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन
अमेरिका के हवाई द्वीप में तैयार की जा रही है। इसे कहते हैं प्रोजेक्ट थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी)। इस परियोजना के
तहत पाँच देश कनाडा, चीन, भारत, जापान और अमेरिका इसे बनाएंगे। इस परियोजना की लागत करीब 1.4 अरब डॉलर है और इसमें भारत लगभग 14 करोड़ डॉलर यानी 10 प्रतिशत योगदान करेगा। इस दूरबीन के
काम शुरू करने के बाद वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति सहित अन्य रहस्यों से पर्दा
हटा सकेगा। इसके इस्तेमाल से वैज्ञानिक कॉस्मिक डार्क एज के अंत से लेकर पहले तारे
की उत्पत्ति, पुन:-आयनीकरण और आकाशगंगा की उत्पत्ति के युग के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे।
जैसा कि इस दूरबीन के नाम से ही पता चलता है,
इसमें 30 मीटर व्यास के लेंस का इस्तेमाल किया जाएगा,
जिसकी क्षमता इस समय मौजूद सबसे बड़ी दूरबीन के मुकाबले नौ गुना
होगी। इस दूरबीन का निर्माण अगले साल शुरू होगा और उम्मीद है कि 2022 तक यह काम करने लगेगी।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार दशानन नाम से कौन जाना जाता
है?
लंकाधिपति रावण को दशानन कहते हैं। वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण
महाकाव्य में रावण का सबसे 'प्रामाणिक' इतिहास मिलता है। रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ,
सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी
तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र,
सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान
था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे। कुछ विद्वान
मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था
इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे। कुछ विद्वानों अनुसार रावण छह दर्शन और चारों वेद
का ज्ञाता था इसीलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था। दसकंठी कहे जाने के कारण प्रचलन में
उसके दस सिर मान लिए गए। जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार
नौ मणियां होती थीं। उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस
सिर होने का भ्रम होता था।
सबसे ज्यादा गाने किस हिन्दी फिल्म में थे?
सन 1932 में बनी फिल्म मदन थिएटर द्वारा निर्मित फिल्म इंदरसभा में 71 गाने थे। यह फिल्म आगा हसन अमानत के
उर्दू नाटक इंदर सभा पर आधारित थी। इस नाटक को पहली बार सन 1853 में खेला गया था। यह पूरा
नाटक काव्य में है।
फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा कौन थीं?
देविका रानी चौधरी को फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा कहा जाता
है। वे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रिश्ते में पौत्री थीं। इनके पिता सेना के सर्जन
जनरल कर्नल एमएन चौधरी थे। फिल्म अभिनेता और निर्माता हिमांशु राय उनपर इतने मुग्घ
हुए कि अपनी जर्मन पत्नी को छोड़कर इनसे विवाह किया। हिमांशु राय ने इन्हें फिल्मों
में लाने के लिए 1933 में फिल्म कर्मा बनाई। बाद में इन दोनों ने मिलकर बॉम्बे टॉकीज़ नाम से मशहूर
फिल्म कम्पनी बनाई। देविका रानी को सन 1958 में पद्मश्री प्रदान किया गया और सन 1970 में पहला दादा साहब फाल्के पुरस्कार उन्हें दिया गया।
कुइज़ीन Cuisine
का क्या मतलब होता है?
कुइज़ीन फ्रांसीसी शब्द है,
जिसका अर्थ है खाना बनाने की कला। इसके लिए लैटिन शब्द है कोकरे।
पर कुइज़ीन शब्द का इस्तेमाल किसी स्थान विशेष या किसी और तरह से विशेष भोजन के लिए
किया जाता है। जैसे जापानी व्यंजन,
बंगाली, दक्षिण भारतीय, गुजराती वगैरह। स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल भी इसमें महत्वपूर्ण है।
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कौन सी है? रुपए का कौन सा स्थान है?
सबसे महंगी करेंसी कुवैत की दीनार है जिसका वर्तमान रेट 3.5 डॉलर के आसपास है। सबसे कम मूल्य की
करेंसी ईरान की रियाल है। वर्तमान रेट के अनुसार 24,
815 रियाल का एक डॉलर है। भारत का रुपया बीच में कहीं आता है।