भारत का नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक जिसे
अंग्रेजी में कम्प्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल कहते हैं, जिसका संक्षिप्त रूप है सीएजी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार, सभी
प्रादेशिक सरकारों तथा सरकारी पूँजी से बने सभी सार्वजनिक उपक्रमों और संस्थाओं के
सभी तरह के हिसाब-किताब की परीक्षा करता है। उसकी रिपोर्ट पर संसद की लोकलेखा समिति
(पीएसी) तथा सार्वजनिक उपक्रमों की समिति विचार करती है। यह एक स्वतंत्र संस्था
है, जिसपर सरकार का नियंत्रण नहीं होता। सीएजी
की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। सीएजी ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का
भी मुखिया होता है। सीएजी से सम्बद्ध व्यवस्थाएं हमारे संविधान के अनुच्छेद 148 से
151 तक की गईं हैं। देश के वरीयता अनुक्रम में सीएजी का स्थान नौवाँ होता है, जो
सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश के बराबर है। देश के वर्तमान सीएजी हैं राजीव
महर्षि, जिन्होंने 25 सितम्बर 2017 को पदभार संभाला था। वे देश के 13वें सीएजी हैं।
इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र, जो भी पहले होगा, की
अवधि के लिए होता है। उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्ही आधारों पर हटाया
जा सकता है, जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया
जाता है। अपने पद पर न रह जाने के पश्चात या तो सरकार के या किसी राज्य की सरकार
के अधीन वह किसी और पद का पात्र नहीं होगा।
सीएजी का काम क्या है?
संघ और राज्यों और किसी अन्य प्राधिकरण या
निकाय के खातों के संबंध में संविधान का अनुच्छेद 149 कैग को शक्तियां अथवा अधिकार
प्रदान करता है। इस संस्था के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्दिष्ट करने के लिए
संसद ने सीएजी (कर्तव्य, शक्तियां
और सेवा की शर्तें) अधिनियम 1971 पास किया था। इस अधिनियम में 1976 में संशोधन भी किया
गया था। सीएजी वस्तुतः सार्वजनिक धन का प्रहरी है। वह उस खर्च की गई धनराशि की
जांच करता है, जिसे कार्यपालिका एक समान रूप से कानून
द्वारा स्थापित और संसद के दिशा-निर्देशों के अनुसार उपलब्ध कराती है। वह केवल
संसद के प्रति जवाबदेह है जो कार्यपालिका के प्रभाव से उसको स्वंतत्र बनाती है। वह
निम्नलिखित रिपोर्टें राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है: 1।विनियोग खातों पर ऑडिट रिपोर्ट, 2।वित्तीय खातों का ऑडिट रिपोर्ट, 3।सार्वजनिक उपक्रमों पर लेखा-परीक्षा रिपोर्ट।
रिपोर्ट देने के बाद?
संघ के खातों से सम्बद्ध रिपोर्ट राष्ट्रपति को
और राज्यों के खातों से सम्बद्ध रिपोर्ट सीएजी सम्बद्ध राज्यपालों को देते हैं।
इसके बाद ये रिपोर्टें संसद या सम्बद्ध राज्य विधानसभाओं के पास भेजी जाती हैं। संसद
और विधानसभाओं की समितियाँ जैसे लोकलेखा समिति, और कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग्स
रिपोर्ट पर विचार करती हैं और यह देखती हैं कि क्या सरकारी व्यय में नीतियों का
पालन किया गया है। वहाँ यह भी देखा जाता है कि किसी सरकारी निकाय की तरफ से कोई
गड़गड़ी तो नहीं की गई है। फिर मामले को चर्चा के लिए संसद में पेश किया जाता है
और उस पर कार्रवाई की जाती है।
एशेज ट्रॉफी का सम्बन्ध किस खेल से है?
एशेज ट्रॉफी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच
खेली जाने वाली क्रिकेट श्रृंखला का नाम है। दोनों देशो के बीच यह 1882 से खेली जा
रही है। इस सीरीज का नामकरण ब्रिटिश मीडिया ने किया था। इसकी शुरुआत 1882 में हुई
जब ऑस्ट्रेलिया ने ओवल में पहली बार इंग्लैंड टीम को उसी की धरती पर हराया।
ऑस्ट्रेलिया से मिली इस करारी हार को ब्रिटिश मीडिया बर्दाश्त नहीं पाया। एक अखबार
The Sports Times ने एक शोक संदेश छापा जिसमें लिखा था- “ इंग्लिश
क्रिकेट का देहान्त हो चुका है। तारीख 29 अगस्त 1882, ओवल
और अब इनका अंतिम संस्कार के बाद राख [ashes] ऑस्ट्रेलिया ले जाई जाएगी। जब 1883 में
इंग्लिश टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर रवाना हुई तो इसी लाइन को आगे बढ़ाते हुए
इंग्लिश मीडिया ने ashes वापस लाने की बात रखी “Quest to regain Ashes” बाद में विकेट की बेल्स को जलाकर जो राख बनी उसको ही एक Urn [राख
रखने वाले बर्तन] में डाल कर इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लिग को दिया गया। वहीं से
परम्परा चली आई और आज भी Ashes की ट्रॉफी उसी राख वाले बर्तन को ही माना जाता
है और उसी की एक बड़ी डुप्लीकेट ट्रॉफी बना कर दी जाती है।12 से 18 माह के अंतराल
में होने वाली एशेज सिरीज में पाँच टेस्ट खेले जाते हैं।
गोलमेज वार्ता क्या होती है?
गोलमेज वार्ता जैसा नाम है वह बताता है काफी
लोगों की बातचीत जो एक-दूसरे के आमने सामने हों। अंग्रेजी में इसे राउंड टेबल कहते
हैं, जिसमें गोल के अलावा यह ध्वनि भी होती है कि मेज पर बैठकर बात करना।
यानी किसी प्रश्न को सड़क पर निपटाने के बजाय बैठकर हल करना । यानी अनेक विचारों
के व्यक्तियों का एक जगह आना। माना जाता है कि 12 नवम्बर 1930 को जब ब्रिटिश सरकार
ने भारत में राजनीतिक सुधारों पर अनेक पक्षों से बातचीत की तो उसे राउंड टेबल कांफ्रेंस
कहा गया। इस बातचीत के कई दौर हुए थे।