‘नो फर्स्ट यूज़’ संकल्प का इस्तेमाल नाभिकीय शस्त्रों के संदर्भ में किया जाता है. इसका अर्थ
है कि जिस देश के पास नाभिकीय शस्त्र हैं, वह उनका तब तक इस्तेमाल नहीं करेगा, जब
तक उस पर नाभिकीय शस्त्रों से हमला न किया जाए. इसके पहले यह अवधारणा रासायनिक और
जैविक अस्त्रों पर भी लागू होती थी. चूंकि अब दुनिया भर में रासायनिक और जैविक
अस्त्रों पर पाबंदियाँ हैं, इसलिए उनका इस्तेमाल युद्ध अपराध माना जाता है. सन
1972 की जैविक अस्त्र संधि के तहत रासायनिक अस्त्रों का निर्माण, संग्रह और
इस्तेमाल अपराध है. जहाँ तक नाभिकीय अस्त्रों के इस्तेमाल का प्रश्न है अलग-अलग
देश अलग-अलग तरीके से अपनी नीतियाँ बनाते हैं. दुनिया में ‘नो फर्स्ट यूज़’ की नीति को
सबसे पहले सन 1964 में चीन ने अपने नाभिकीय विस्फोट के साथ ही घोषित किया था. चीन
ने अपनी इस नीति को बार-बार दोहराया है और अमेरिका से अनुरोध किया है कि वह भी इस
नीति को घोषित करे और चीन के साथ ‘नो फर्स्ट यूज़’ की संधि करे, पर अमेरिका इस पर सहमत नहीं है. इसी तरह
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नेटो) भी इस नीति के पक्ष में नहीं है. उसका
कहना है कि रूस को परंपरागत शस्त्रास्त्र में काफी बढ़त हासिल है, इसलिए हम
नाभिकीय अस्त्रों के किसी भी समय इस्तेमाल का अधिकार अपने पास रखेंगे.
भारत की नीति क्या है?
भारत
ने पहले 1974 में और फिर 1998 में नाभिकीय विस्फोट करके अपनी नाभिकीय क्षमता का
प्रदर्शन कर दिया था. अगस्त 1999 में भारत ने अपनी नाभिकीय नीति के मसौदे को जारी
किया, जिसमें कहा गया था कि हम केवल जवाबी हमले में नाभिकीय अस्त्रों का इस्तेमाल
करेंगे. हम नाभिकीय अस्त्र का पहला वार नहीं करेंगे. देश की सामरिक नाभिकीय कमान
का गठन 2003 में किया गया, जिसके पहले प्रमुख बनाए गए, एयर मार्शल तेज मोहन अस्थाना. देश की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी को
नाभिकीय अस्त्र के इस्तेमाल की अनुमति देने का अधिकार है. सन 2010 में देश के
तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने देश की नीति को कुछ और स्पष्ट
किया. उन्होंने कहा, हम गैर-नाभिकीय देशों के खिलाफ पहला प्रहार नहीं करेंगे. हाल
में 16 अगस्त को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अभी तक हमारी नीति ‘नो फर्स्ट यूज़’ की है, पर
भविष्य की नीति परिस्थितियों पर निर्भर करेगी.
अन्य देशों की नीति क्या है?
पाकिस्तान, रूस, यूके,
अमेरिका और फ्रांस की घोषित नीति यह है कि जब उन पर या उनके सहयोगी देशों पर हमला
होगा तब वे नाभिकीय अस्त्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं. सन 1999 में जर्मनी ने नेटो
से ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति अपनाने का आग्रह किया था, पर उसे स्वीकार नहीं किया गया. सन 1982 में
सोवियत संघ के प्रमुख लियोनिद ब्रेझनेव ने संकल्प व्यक्त किया कि हम ‘नो फर्स्ट यूज़’ सिद्धांत पर
चलेंगे, पर सोवियत संघ के विघटन के बाद 1993 में रूस ने उस सिद्धांत को त्याग
दिया. अमेरिका ने एटम बम के इस्तेमाल के अधिकार अपने पास रखे हैं. पाकिस्तान भी ‘नो फर्स्ट यूज़’ को नहीं
मानता.