Thursday, August 8, 2019

क्या है कुलभूषण जाधव का मामला?



हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने गत 17 जुलाई को कहा था कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव वाले मामले की समीक्षा करे तुरंत कौंसुलर एक्सेस की व्यवस्था करे. पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण जाधव को 3 मार्च, 2016 को गिरफ्तार किया गया था और भारत को इसकी सूचना 25 मार्च को दी गई थी. अप्रेल 2017 में एक फौजी अदालत ने उन्हें मौत की सजा दी. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने फैसले में स्वीकार किया कि इस मामले में पाकिस्तान ने कौंसुलर रिश्तों पर सन 1963 के वियना संधि की अनदेखी की. कौंसुलर एक्सेस का मतलब है किसी दूसरे देश में अपने नागरिकों के साथ जरूरत पड़ने पर सम्पर्क. दो देशों के बीच सामान्यतः दूतावासों के मार्फत सम्पर्क होता है. इन दूतावासों के अधीन कौंसल होते हैं, जो दोनों देशों के कारोबारी रिश्तों को बेहतर बनाने के अलावा अपने देश के नागरिकों के हितों की रक्षा का काम भी करते हैं. राजनयिक सम्पर्कों के नियमन के लिए सन 1963 में वियना में एक अंतरराष्ट्रीय संधि हुई थी, जिसमें उन परिस्थितियों का विवरण दिया गया है, जब दूसरे देश में रह रहे अपने किसी नागरिक को कौंसल की मदद की जरूरत पड़े तो उसका निर्वहन किस प्रकार होगा. इस संधि में 79 अनुच्छेद हैं, जिसके अनुच्छेद 5 में कौंसल के 13 कार्यक्रमों की सूची दी गई है. दुनिया के 170 देशों ने इस संधि को स्वीकार किया है.
अब क्या होगा?
पाकिस्तान सरकार ने वियना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत कुलभूषण जाधव को यह जानकारी दे दी है कि उन्हें कौंसुलर एक्सेस प्रदान की जाएगी. इसके साथ ही पाकिस्तान ने भारत के सामने कौंसुलर एक्सेस का प्रस्ताव रखा है. भारत सरकार ने कहा है कि हम इस प्रस्ताव का अध्ययन कर रहे हैं. दोनों देशों के राजनयिक इस प्रश्न पर विचार कर रहे हैं कि कुलभूषण जाधव के साथ भारतीय राजनयिकों की मुलाकात किस प्रकार की होगी, कितने राजनयिक मिलेंगे, कहाँ होगी और किस रूप में होगी. इस मुलाकात के समय क्या पाकिस्तानी प्रतिनिधि भी उपस्थित रहेंगे, इसके बाद की प्रक्रिया क्या होगी, यह भी तय होगा. चूंकि अदालत ने मामले की समीक्षा का निर्देश दिया है, इसलिए देखना होगा कि पाकिस्तान सरकार मुकदमे को किस रूप में चलाएगी.
संधि के मुख्य कार्य
इस संधि अनुच्छेद 23 के तहत मेजबान देश को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी कौंसुलर स्टाफ को गैर-जरूरी घोषित करके  वापस जाने को कह सके. अनुच्छेद 31 के तहत मेजबान देश की जिम्मेदारी है कि वह कौंसुलेट में प्रवेश न करे और उसकी रक्षा करे. अनुच्छेद 36 के तहत किसी विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी होने पर उसके दूतावास या कौंसुलेट को तत्काल इत्तला दी जानी चाहिए, जिसमें गिरफ्तारी के कारणों को बताया गया हो. भारत का कहना है कि हमारे उच्चायोग को न कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी की न तो तत्काल जानकारी दी गई और न सम्पर्क करने दिया गया.
 


1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अंग दान दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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