आतंकी गतिविधियों के आर्थिक साधनों की निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था ‘फाइनेंशियल
एक्शन टास्क फोर्स' (एफएटीएफ) के एशिया-प्रशांत समूह (एपीजी) ने पाकिस्तान को एनहांस्ड
एक्सपेडाइटेड फॉलो अप (ईईएफयूपी) लिस्ट में डाल दिया है. एफएटीएफ एपीजी बैठक
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में 22 और 23 अगस्त को हुई. एपीजे ने पाया कि धन
शोधन और आतंकियों की मदद से जुड़े 40 अनुपालन मानकों में से 32 पर और 11 प्रभावी मानकों
में से 10 पर पाकिस्तान खरा नहीं उतरा. अक्टूबर में एफएटीएफ काली सूची में भी उसे
डाला जा सकता है. वह एफएटीएफ की ग्रे सूची में जून 2018 से है. उस वक्त पाकिस्तान और एफएटीएफ ने 10 सूत्री कार्यक्रम के तहत
27 सूचकांकों पर नजर रखने का कार्यक्रम बनाया. उद्देश्य यह था कि इस कार्य योजना
को सफलतापूर्वक लागू करके पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकाला जा सकेगा. ऐसा
नहीं हुआ, तो अब अक्तूबर में पेरिस में होने वाली बैठक में पाकिस्तान को काली सूची
में डाला जा सकता है. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर करने के लिए एफएटीएफ के 37 सदस्यों में से कम से कम 15 के
समर्थन की जरूरत होगी. उसे काली सूची से बचाने के लिए कम से कम तीन वोटों की जरूरत
होगी. यदि वह काली सूची में आ गया, तो उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से छह अरब
डॉलर का कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा.
क्या यह संरा की संस्था है?
नहीं, इसे जी-7 देशों ने बनाया है. यह संगठन सन 1989 में जी-7 देशों के पेरिस शिखर सम्मेलन की देन है. शुरू में तो यह मनी लाउंडरिंग
रोकने के लिए बना था, पर 11 सितम्बर 2001 के
आतंकवादी हमले के बाद से इसने सन 2001 में आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध
कराने के खिलाफ भी सिफारिशें देना शुरू किया और अब यह जन-संहार के हथियारों के
प्रसार के विरुद्ध भी नीति-निर्देश दे रहा है. इसकी
सिफारिशों में व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार को रोकने से जुड़ी
सिफारिशें भी शामिल हैं. इसके गठन के वक्त 16
देश इसके सदस्य थे, जिनकी संख्या अब
37 है. भारत एफएटीएफ और एपीजी दोनों का सदस्य है और इसके संयुक्त समूह का संयुक्त
सभापति भी है. भारत के वित्तीय इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर जनरल इसमें देश का
प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके सदस्यों में यूरोपियन कमीशन और खाड़ी
सहयोग परिषद भी शामिल हैं. संगठन की सबसे
महत्वपूर्ण इकाई है इसकी महासभा, जिसकी साल में तीन बैठकें होतीं हैं.
इसकी वॉच लिस्ट का मतलब?
अपनी स्थापना के बाद इसने अपनी पहली रिपोर्ट में मनी लाउंडरिंग को रोकने के लिए 40 सिफारिशें की थीं. सन 2003 में इन सिफारिशों में संशोधन किया गया. इन 40
सिफारिशों के अलावा आतंकवादियों को मिल रहे धन पर रोक लगाने वाली 9 विशेष
सिफारिशें इनमें जोड़ी गईं. सन 2000 में इसने ‘नॉन कोऑपरेटिव कंट्रीज़
ऑर टेरिटरीज़ (एनसीसीटी) नाम से 15 देशों की एक सूची भी जारी की. इसके बाद
2001 में इसमें आठ और देशों के नाम शामिल हो गए. इसे आमतौर
पर एफएटीएफ की काली
सूची कहा जाता है. यह सूची संशोधित होती रहती है.
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