ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम एक
अंतरराष्ट्रीय फोरम है, जिसका सालाना अधिवेशन रूस के व्लादीवोस्तक में होता है. यह
फोरम रूस के सुदूर पूर्व इलाके में विदेशी निवेश और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में
आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए गठित किया गया है. इसकी शुरूआत सितंबर
2015 में हुई थी. इसकी शुरूआत से ही रूस के राष्ट्रपति और जापान के प्रधानमंत्री
इसमें शामिल होते रहे हैं. इस साल 4 से 6 सितंबर तक हुए इसके पाँचवें सम्मेलन में भारत
के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. इस फोरम का आयोजन रूस का सरकारी संगठन
रोसकांग्रेस करता है, जो रूस के ही सेंट पीटर्सबर्ग फोरम का आयोजक भी है. इस साल
इसके शिखर सम्मेलन में भारत, मलेशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया शामिल हुए. यों चीन और वियतनाम
जैसे अनेक देशों ने इस क्षेत्र में निवेश किया है. चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के
एकदम करीब पड़ने वाला यह क्षेत्र एशिया-प्रशांत के बढ़ते महत्व के कारण दुनिया का
ध्यान खींच रहा है. पिछले साल इस सम्मेलन में 60 से ज्यादा देशों के 6000 से
ज्यादा प्रतिनिधि यहाँ आए थे.
सम्मेलन में क्या हुआ?
भारत ने इस क्षेत्र के विकास के लिए एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन की घोषणा की
है. क्रेडिट लाइन का मतलब है कि भारत से सामग्री मंगाने के लिए रूस इस राशि का
इस्तेमाल कर सकता है. दोनों देश व्लादीवोस्तक और चेन्नई के बीच एक समुद्री लिंक
निर्माण के लिए सहमत हुए हैं. चेन्नई के पास रूसी सहयोग से कुडानकुलम का नाभिकीय
संयंत्र चल रहा है. व्लादीवोस्तक-चेन्नई लिंक का मतलब है कि भारत रूस के साथ अपने
साझा हितों के समीकरण को मजबूत कर रहा है. यह मार्ग रूस के साथ कारोबार के काम
आएगा. यह लिंक चीन की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड परियोजना का जवाब है.
जिस तरह चीन ने हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बनाई है, उसी तरह भारत भी चीन के
आसपास के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाएगा.
भारतीय दृष्टि से महत्व?
इस नीति के कारोबारी और सामरिक दोनों पहलू हैं. भारत अपनी विदेश नीति का
संतुलन स्थापित कर रहा है. हमारे अमेरिका के साथ रिश्ते सुधर रहे हैं, पर वह अपने
परंपरागत मित्र का साथ भी बनाए रखना चाहता है. रक्षा-तकनीक में रूस हमारा सबसे
महत्वपूर्ण सहयोगी है. यों जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ मिलकर भारत इस
क्षेत्र में चतुष्कोणीय सुरक्षा परियोजना पर भी काम कर रहा है. भारत ने इसके भू-रणनीतिक
महत्व को देखते हुए 1992 में व्लादीवोस्तक में अपना वाणिज्य दूतावास खोला था. ऐसा
करने वाला वह दुनिया का पहला देश है. रूस का सुदूर पूर्व प्राकृतिक संसाधन संपन्न
क्षेत्र है. यह अन्य संसाधनों के बीच तेल, प्राकृतिक गैस, लकड़ी, सोना और हीरे से समृद्ध है. भारत को इन सभी की आवश्यकता है.
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