कपास की खेती ईसा से कम से कम पाँच हजार साल पहले शुरू हो गई थी। सिंधु घाटी की सभ्यता को सम्भवतः कपास की खेती का श्रेय दिया जा सकता है। अलबत्ता मैक्सिको और पेरू की प्राचीन सभ्यताओं में भी कपास और सूती परिधान मिले हैं। प्राचीन यूनानी लेखक हैरोडोटस ने भारतीय कपास के बारे में लिखा है कि वह भेड़ के ऊन से भी बेहतर होती है। एक और यूनानी इतिहासकार स्त्राबो ने भारतीय सूती परिधानों की खासियतों का विवरण दिया है।
पुराने यूनानी
साहित्य में विवरण मिलता है कि भारतीय कपास लेकर अरब व्यापारी आते थे। भारत का
वस्त्र उद्योग एक जमाने में दुनिया भर में विख्यात था। यूरोप में छपे हुए भारतीय
वस्त्र सन 1690 के बाद पहली
बार ईस्ट इंडिया कम्पनी ने पहुँचाए तो लोग उनपर टूट पड़े। कोझीकोड का कपड़ा जिसे
ब्रिटेन में कालीकट या कैलिको क्लॉथ कहा जाता था, इतनी बड़ी मात्रा में जाने लगा कि उससे इंग्लैंड का
स्थानीय वस्त्र उद्योग चरमराने लगा। इसके कारण ब्रिटिश संसद ने कैलिको एक्ट पास
करके भारतीय वस्त्र के आयात पर रोक लगा दी।
उसी दौरान मशीनों
का आविष्कार हो गया और सन 1774 में कैलिको कानून वापस ले लिया गया, क्योंकि इंग्लैंड के उत्पादक भारतीय कपड़े का मुकाबला करने लगे। उसी दौर में
भारत तैयार वस्त्रों के निर्यातक के बजाय केवल कपास के निर्यातक के रूप में सीमित
होता चला गया। भाप की शक्ति के आविष्कार, सस्ते मजदूरों की उपलब्धि और कताई-बुनाई मशीनरी के आविष्कार ने ब्रिटेन को
बड़ी ताकत बना दिया। इंग्लैंड के पूँजीवादी विकास में लंकाशायर और मैनचेस्टर की
टेक्सटाइल मिलों की बड़ी भूमिका है।
भारत की पहली हवाई सेवा कहां से हुई?
भारत में पहली
व्यावसायिक असैनिक उड़ान 18
फरवरी 1911 को इलाहाबाद से
नैनी के बीच हुई थी। इस उड़ान में विमान ने 6 मील यानी 9.7 किलोमीटर की दूरी तय की थी। उस दिन फ्रांसीसी विमान
चालक हेनरी पेके हम्बर-सोमर बाईप्लेन पर डाक के 6,500 पैकेट लेकर गया था। यह दुनिया में पहली आधिकारिक
एयरमेल सेवा भी थी।
इसके बाद दिसम्बर 1912 में इंडियन एयर सर्विसेज ने कराची और दिल्ली के बीच पहली घरेलू सेवा की शुरुआत की। उसके तीन साल भारत की पहली निजी वायुसेवा टाटा संस ने कराची और मद्रास के बीच शुरू की। 15 अक्तूबर 1932 को जेआरडी टाटा कराची से जुहू हवाई अड्डे तक हवाई डाक लेकर आए। व्यावसायिक उड़ान का लाइसेंस पाने वे पहले भारतीय थे। उनकी विमान सेवा का नाम ही बाद में एयर इंडिया हुआ।
क्या बरसात में
समुद्र में भी पानी बढ़ता है?
समुद्र में पानी
की मात्रा इतनी ज्यादा होती है कि उसमें बढ़ना-घटना आप समझ नहीं पाएंगे। दूसरे जो
पानी बारिश बनकर गिरता है वह भी समुद्र से भाप बनकर उठता है। वापस वह फिर समुद्र में
पहुँच जाता है। इसका एक चक्र है, जो चलता रहता है। कभी यहाँ बारिश होती है, कभी ऑस्ट्रेलिया में और कभी यूरोप में।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित