Saturday, August 3, 2013

इनसान के नाम रखने का चलन कब शुरू हुआ होगा?







यह बताना मुश्किल है कि नाम रखने का चलन कब और कहाँ से शुरू हुआ। इतना समझ में आता है कि नाम का रिश्ता पहचान से है। नाम व्यक्ति का ही नहीं वस्तु, वर्ग, समूह, समुदाय, स्थान, जाति, विषय वगैरह-वगैरह के होते हैं। यानी पहली बात पहचान की है। इस पहचान को कोई ध्वनि दी गई। वही नाम है। शुरू में नाम किसी जानवर को दिया गया होगा या किसी फल को या किसी तालाब, नदी या पेड़ को। पेड़ और फल को अलग-अलग पहचानने के लिए ऐसा करना पड़ा होगा। जबतक थोड़े से लोग होंगे नाम की जरूरत नहीं रही होगी, पर जब लोगों की संख्या बढ़ी होगी तब नाम भी बने होंगे। भाषा और लेखन का विकास होने पर इसमें सुधार हुए होंगे। बहरहाल दुनिया की सभी सभ्यताओं में व्यक्तियों के नाम मिलते हैं। यानी मनुष्य को नामकरण प्रागैतिहासिक काल में हो गया था।

जेट प्लेन या रॉकेट को हम आसमान में उड़ते हुए देखते हैं, पर उसकी आवाज़ हमें बाद में सुनाई पड़ती है। ऐसा क्यों?
इसकी वजह यह है कि प्रकाश की गति आवाज की गति से कहीं ज्यादा होती है। हालांकि दोनों की गति उन माध्यमों पर निर्भर करती है, जिनसे होकर वे गुजरते हैं। प्रकाश शून्य माध्यम से भी गुजर सकता है, पर आवाज को माध्यम चाहे। बहरहाल प्रकाश एक सेकंड में करीब तीन लाख किमी चलता है वहीं सामान्य वायुमंडल में आवाज एक सेकंड में तीन-सवा तीन सौ मीटर ही चल पाती है। 

जब हम भावुक होते हैं, खुश होते हैं या तकलीफ में होते हैं तब आँसू क्यों आ जाते हैं?
इसका रिश्ता हमारे मस्तिष्क से है। हाल में अमेरिका के एरीज़ोना विवि में एक अध्ययन से पता लगा है कि जब हम पीड़ित होते हैं तब मस्तिष्क का एक इलाका जिसे एंटेरियर सिंग्युलेट कॉर्टेक्स सक्रिय होता है। इसके साथ ही वेगस नर्व सक्रिय हो जाती है जो गर्दन, सीने और पेट को जोड़ती है। इससे सीने में दर्द और पेट में भी दर्द होता है। इसके साथ ही आँखों की लैक्रिमल ग्लैंड्स को भी मस्तिष्क सक्रिय करता है जिससे आँसू निकलते हैं। ऐसा ही भावुक होने और खुशी में भी होता है।

दुनिया में सबसे कम जनसंख्या वाला देश कौन सा है?
प्रशांत महासागर में पिटकेयरंस सम्भवतः दुनिया की सबसे छोटी आबादी वाला देश है। जहां 50 के आसपास लोग रहते हैं। यह देश ब्रिटिश ओवरसीज़ टैरीटरी है, पर अपनी संसदीय व्यवस्था है। इस लिहाज से यह दुनिया का सबसे छोटा लोकतंत्र है। तोकेलाओ 1100 और नियू 1500। तुवालू और नाउरू 10,000। वैटिकन सिटी की आबादी करीब 500 है।



1 comment:

  1. आपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।

    कृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...