Saturday, March 31, 2018

वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से क्यों शुरू होता है?

ऐसा ब्रिटिश परम्परा के कारण है. ईस्ट इंडिया कम्पनी से ब्रिटिश सरकार को भारत की सत्ता हस्तांतरण होने के बाद 1860 में पहली बार बजट प्रणाली प्रारम्भ की गई. 1867 में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि का पहला बजट प्रस्तुत किया गया. इंग्लैंड में इसे 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक इसलिए नहीं रखा जाता, क्योंकि साल के अंत में क्रिसमस के त्योहार की वजह से लोग व्यस्त रहते हैं. उस वक्त आर्थिक हिसाब-किताब के लिए समय नहीं होता, क्योंकि सर्दी की छुट्टियाँ होती हैं.
दुनिया के सभी देशों में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू नहीं होता. अमेरिका का वित्तीय वर्ष पहली अक्तूबर से 30 सितंबर तक होता है, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मिस्र, पाकिस्तान में यह पहली जुलाई को शुरू होकर 30 जून तक रहता है. चीन, ब्राजील, जर्मनी, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, पुर्तगाल, रूस, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, ताइवान एवं अन्य 60 देशों में 1 जनवरी  से 31 दिसम्बर तक अर्थात् कैलेंडर वर्ष को वित्त वर्ष भी माना जाता है.
संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, आईएमएफ एवं विश्व के बड़े वित्तीय संस्थान कैलेंडर वर्ष को अपने वित्त वर्ष के रूप में अपनाते हैं. भारत में भी 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक के कैलेंडर वर्ष को वित्त वर्ष में अपनाने के लिए समय-समय पर सुझाव दिए जाते रहे हैं किन्तु अभी तक वित्त वर्ष की तारीखों में बदलाव नहीं आ पाया. हाल में भारत में नए वित्त वर्ष की जरूरत और बदलाव की संभावनाओं पर विचार के लिए भारत सरकार ने पूर्व आर्थिक सलाहकार डॉ. शंकर आचार्य की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय समिति ने भी वित्त वर्ष 1 जनवरी से रखने का सुझाव दिया है. दिसम्बर 2016 में इस समिति ने वित्त मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी.  
समिति ने नीति आयोग का समर्थन करते हुए कहा है कि मॉनसून और फसली मौसम के हिसाब से यह कदम अनुकूल रहेगा. समिति ने शेयर बाजार द्वारा अपनाए जाने वाले संवत कैलेंडर, जुलाई से शुरू होने वाले फसली चक्र के कैलेंडर पर भी गौर किया, लेकिन जनवरी से दिसंबर के कैलेंडर को उपयुक्त माना. हमारे देश की अर्थ-व्यवस्था खेती से भी प्रभावित होती है. मॉनसून की अनियमितता का असर अर्थ-व्यवस्था पर पड़ता है. कुछ अर्थशास्त्रियों ने जुलाई से जून के वित्त वर्ष की सलाह भी दी. भारत सरकार ने 1984 में डॉ. एलके झा की अध्यक्षता में वित्त वर्ष में बदलाव के लिए समिति का गठन किया था. उस समिति ने जनवरी से दिसम्बर को वित्त वर्ष अपनाने का सुझाव दिया था. पर सरकार ने बदलाव करना ठीक नहीं समझा. 
साउंडप्रूफ प्रणाली क्या है?
साउंडप्रूफिंग से तात्पर्य है आवाज़ के दबाव को संतुलित करना. इसके कई अर्थ हो सकते हैं. एक अर्थ है कमरे से आवाज़ बाहर न जाने देना. दूसरा अर्थ है बाहर की आवाज़ अन्दर न आने देना. तीसरा अर्थ है कमरे में अनुगूँज या ईको को रोकना. चौथा अर्थ है कि आवाज़ की सभी आवृत्तियों की अनुमति देना और निरर्थक आवाज़ों को रद्द करना या जज़्ब करना. आमतौर पर दीवारों पर एकाउस्टिक बोर्ड और फोम लगाकर ध्वनि को बेहतर बनाया जाता है. ज़रूरत के अनुसार एकाउस्टिक ट्रांसमिशन, रिसेप्शन, माइक्रोफोन, स्पीकर आदि का इस्तेमाल होता है. अब ऐसे कम्प्यूटर बेस सिस्टम आते हैं, जो ध्वनि का तत्काल विश्लेषण करके निरर्थक ध्वनियों को रद्द कर देते हैं.
तितली की कितनी आँखें होती हैं?
तितली की भी दो आँखें होती हैं, पर उसकी आँखें कम्पाउंड यानी संयुक्त होती हैं. उसके अनेक फोटोरिसेप्टर होते हैं. इस तरह देखें तो उसके हजारों आँखें होती हैं. मोटे तौर पर करीब बारह से बीस हजार आँखें. तितलियाँ देख तो सकती हैं लेकिन उनकी यह क्षमता सीमित होती है. इनकी आँखें बड़ी और गोलाकार होती हैं. इनमें हज़ारों सैंसर होते हैं जो अलग- अलग कोण में लगे रहते हैं. तितलियां ऊपर, नीचे, आगे, पीछे, दाएँ, बाएँ सभी दिशाओं में एक साथ देख सकती हैं. इसका यह नुक़सान भी होता है कि वे किसी चीज़ पर अपनी दृष्टि एकाग्र नहीं कर पातीं और उन्हें धुंधला सा दिखाई देता है. पर वे किसी भी प्रकार की गति को भाँप जाती हैं. इसीलिए जब कोई उन्हें पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है तो उन्हें फौरन पता चल जाता है और वे उड़ जाती हैं.
भारत में कुल कितने गाँव हैं?
सन 2011 की जनगणना के अनुसार देश में गाँवों की संख्या 6,40,867  है. 2001 की जनगणना में यह संख्या 6,38,588 थी.
http://epaper.prabhatkhabar.com/1605606/Awsar/Awsar#page/6/1

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, महान अभिनेत्री मीना कुमारी जी की ४६ वीं पुण्यतिथि “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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