वोटर वैरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) या वैरीफाइड पेपर रिकार्ड
(वीपीआर) इलेक्ट्रॉनिक वोटर मशीन का उपयोग करते हुए मतदाताओं को फीडबैक देने का एक
तरीका है. यह एक स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली है, जिससे
मतदाताओं को जानकारी मिल जाती है कि उनका वोट सही ढंग से डाला गया है. इसमें वोट का
बटन दबने के बाद एक पर्ची छपकर बाहर आती है. मतदाता सात सेकंड तक यह देख सकता है
कि उसने जिस प्रत्याशी को वोट दिया है उसका नाम और चुनाव चिह्न क्या है. भारत में, 2014 के चुनाव
में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 543 में से 8 संसदीय क्षेत्रों में वीवीपैट प्रणाली
की शुरुआत की गई थी. ये क्षेत्र थे लखनऊ, गांधीनगर, बेंगलुरु
दक्षिण, चेन्नई सेंट्रल, जादवपुर, रायपुर, पटना साहिब और
मिजोरम. इनका पहली बार इस्तेमाल सितंबर 2013 में नगालैंड के नोकसेन विधानसभा
निर्वाचन क्षेत्र हुआ था. सन 2017 में गोवा विधानसभा चुनाव में संपूर्ण राज्य में इनका
इस्तेमाल किया गया था. चुनाव आयोग ने इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में हरेक
संसदीय क्षेत्र के हरेक विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट के
इस्तेमाल का निर्देश जारी किया है.
इनकी जरूरत क्यों पड़ी?
भारत में
सन 1999 के लोकसभा चुनाव में आंशिक रूप से और 2004 के चुनाव में पूरी तरह से
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल किया गया था. उस चुनाव में 10 लाख
से ज्यादा वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया. इन मशीनों के इस्तेमाल के पहले
हमारे देश में कागज के बैलट पेपरों का इस्तेमाल होता था. उन चुनावों में बूथ
कैप्चरिंग की शिकायतें आती थीं. उनकी गिनती में काफी समय लगता था और मानवीय त्रुटि
की सम्भावनाएं भी थीं. वोटिंग मशीनें बनाने की कोशिशें उन्नीसवीं सदी से चल रहीं
थीं. अमेरिका में वोटिंग मशीन का पेटेंट भी कराया गया था. वह वोटिंग मशीन
इलेक्ट्रॉनिक मशीन नहीं थी. पंचिंग मशीन थी. भारत में चुनाव आयोग ने वोटिंग मशीन
का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ
इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद की मदद से किया था. सन 1980 में पहली वोटिंग मशीन बनाई
गई थी. पहली बार इसका इस्तेमाल सन 1981 में केरल के उत्तरी पारावुर विधानसभा
क्षेत्र के 50 पोलिंग स्टेशनों पर किया गया था.
यह खबरों में क्यों है?
ईवीएम के इस्तेमाल के बाद उन्हें लेकर भी शिकायतें आईं
हैं. इन शिकायतों के निवारण के लिए वीवीपैट बनाई गई है. इन मशीनों में भी गड़बड़ी
की शिकायतें आती हैं. दूसरे इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. संसदीय क्षेत्र के
हरेक विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट के इस्तेमाल के विरोध में
देश के 21 राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसपर सुप्रीम
कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि ज्यादा पोलिंग स्टेशनों पर वीवीपैट के इस्तेमाल
में क्या दिक्कत है? इसपर चुनाव
आयोग ने जवाब दिया है कि यदि किसी संसदीय क्षेत्र के 50 फीसदी वोटों के लिए
वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाए, तो मतगणना में छह दिन का विलम्ब होगा. बहरहाल अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि हरेक लोकसभा क्षेत्र में आने वाले पाँच विधानसभा क्षेत्रों के एक-एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाए.
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/04/2019 की बुलेटिन, " १०० वीं जयंती पर भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह जी को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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