रेड सी(लाल सागर) के पानी का रंग लाल नहीं है। और काले सागर का पानी काला नहीं। दोनों के इन नामों के अलग-अलग कारण हैं। लाल सागर अफ्रीका और एशिया के बीच सागर की संकीर्ण पट्टी का नाम है। इसका यूनानी नाम एरिथ्रा थलासा, लैटिन नाम मेयर रूब्रुम, और अरबी नाम टिग्रीन्या है। कहते हैं कि इस इलाके के पथरीले पहाड़ों के कारण इसका नाम लाल सागर है। इन पहाड़ों को हरेई ईडाम कहते हैं। हिब्रू भाषा में ईडाम लाल चेहरे वाले एक व्यक्ति का नाम है। इससे बेहतर स्पष्टीकरण यह है कि इसके पास के रेगिस्तान को प्राचीन मिस्र में दशरेत कहते थे। जिसका अर्थ था लाल ज़मीन। लाल ज़मीन के पास के सागर को शायद इसीलिए लाल कहा गया।
काला सागर इस लाल सागर के उत्तर पश्चिम में है। काला सागर यूरोप, कॉकेशस और एशिया माइनर(एशिया का सबसे पश्चिमी छोर) के बीच है। यह चारों ओर ज़मीन से घिरा सागर है, जो भूमध्य सागर से मिलता है। इसके चारों ओर बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन, जॉर्जिया और तुर्की हैं। तुर्की में कारा या काला शब्द उत्तर के लिए प्रयुक्त होता है। तुर्की के उत्तर में काला सागर है। इसका नाम काला होने के दूसरे कारण भी हैं। एक तो ऑक्सीजन की कमी से इसके पानी में सूक्ष्म जीवाणुओं(माइक्रो ऑर्गेनिज्म) की संख्या कम है। इससे यह थोड़ा कालापन लिए है। दूसरे इस इलाके में सर्दियों में जबर्दस्त कोहरा रहता है। इससे सागर का रंग काला लगता है।
नॉलेज कॉर्नर में 26 मार्च 2022 को प्रकाशित
रेनबो डाइट का शाब्दिक अर्थ है इन्द्रधनुषी डाइट। यानी इन्द्रधनुष को रंगों का भोजन। व्यावहारिक मतलब है तरह-तरह के रंगों के फलों और सब्जियों का भोजन जो स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन होता है। फलों और सब्जियों के तमाम रंग होते हैं और हर रंग का अपना गुण होता है।
मैकमोहन रेखा क्या होती है?
मैकमोहन या मैकमहोन रेखा
भारत और तिब्बत के बीच सीमा रेखा है। सन् 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार
और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत यह रेखा तय की गई थी। 1914 के बाद कई साल तक
इस रेखा को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ, पर 1937 में ओलफ केरो नामक एक अंग्रेज
प्रशासनिक अधिकारी ने तत्कालीन अंग्रेज सरकार को इसे आधिकारिक तौर पर लागू करने का
अनुरोध किया। 1937 में सर्वे ऑफ इंडिया के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को
आधिकारिक भारतीय सीमारेखा के रूप में पर दिखाया गया था। इस सीमारेखा का नाम सर हैनरी
मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस
समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश
सचिव थे।
महाभारत में अक्षय पात्र क्या था?
महाभारत मे अक्षय पात्र का जिक्र आता है| पांचों पांडव द्रौपदी के साथ बारह वर्षों के लिए वनवास जाते हैं। जंगल में प्रवास करते हुए सैकडों साधु-संत और धर्मात्मा पुरूष उनके साथ हो जाते हैं। सवाल था, वे छह प्राणी अकेले भोजन कैसे करें, और उन सैकडों हजारों के लिए भोजन कहां से आए?