Thursday, May 3, 2012

दुनिया की सबसे पुरानी भाषा कौन सी है?

दुनिया की सबसे पुरानी भाषा कौन सी है.. पूरी दुनिया में कुल कितनी भाषाएं बोली जाती हैं..? 





पुरानी भाषा से दो आशय होते हैं। एक ऐसी भाषा जो थी, पर आज नहीं है और एक आज की जीवित भाषाओं में सबसे पुरानी। पुरानी भाषाओं में सुमेरियन, मिस्री, सिंधु घाटी की भाषा, अक्कादी और तमाम प्रचीन सभ्यताओं से जुड़ी भाषाएं। संस्कृत और तमिल सम्भवतः दुनिया की प्राचीनतम जीवित भाषाएं हैं। इसमें चीनी को भी शामिल कर सकते हैं। इनमें ज्यादा पुरानी भाषा कौन सी है इस पर मतभेद हैं। अमेरिकी संस्था समर इंस्टीट्यूट ऑफ लिंग्विस्टिक्स के अनुसार दुनिया में तकरीबन 6900 भाषाएं बोली जाती हैं। 

4G क्या है और ये 3G तकनीक से कितना बेहतर है..? 

इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन के मानकों के अनुसार वाइड एरिया वायरलेस वॉइस टेलीपोन, मोबाइल इंटरनेट एक्सेस, वीडियो कॉल्स और मोबाइल टीवी वगैरह तीसरी पीढ़ी में शामिल किए जाते हैं। इसे इंटरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशंस-2000 या आईएमटी-2000 भी कहते हैं। चौथी पीढ़ी यानी 4जी में सुविधाएं और बढ़ जाएंगी यानी मोबाइल अल्ट्रा ब्रॉडबैंड की स्पीड बढ़ेगी, हाई डेफिनीशन और थ्री डी टीवी, गेमिंग डिवाइस बेहतर हो जाएंगी। मोबाइल वायमैक्स 100 मेगाबिट्स प्रति सेकंड और फिक्स्ड लाइन में एक गीगाबाइट प्रति संकंड डेटाट्रांसफर हो सकेगा। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन ने 4जी के जो मानक तैयार किए हैं उन्हें आईएमटी एडवांस्ड (International Mobile Telecommunications Advanced ) कहते हैं। 


फूलों में अलग अलग खुशबू और रंग कहां से आते हैं..? 

रासायनिक यौगिकों का एक गुण गंध भी है। फूलों में ही नहीं आप जीवन के प्रायः तमाम तत्वों में गंध पाते हैं। आपको भोजन, शराब, फलों, मसालों, सब्जियों वगैरह में गंध मिलती है। फूल देखने में ही सुन्दर नहीं होते उनमें खुशबू भी होती है। हालांकि सभी फूलों में खुशबू नहीं होती। कुछ फूल गंधहीन होते हैं और कुछ दुर्गंध भी देते हैं। गुलाब की खुशबू जेरनायल एसीटेट नामक रासायनिक यौगिक के कारण होती है। चमेली की खुशबू नेरोलायडॉल के कारण होती है।पुराने ज़माने में फूलों से ही इत्र बनता था। फूलों की मुख्य भूमिका प्रजनन में है। एक फूल से परागकण दूसरे में जाते हैं। इसमे हवा के अलावा मधुमक्खियों, तितलियों तथा इसी प्रकार के दूसरे प्राणियों की होती है। उन्हें आकर्षित करने में भी इनके रंग और सुगंध की भूमिका होती है। 



गुरिल्ला, इंसान से वजन में तीन से चार गुना बड़ा होता है पर दिमाग में करीब 10 गुना छोटा होता है.. क्यों..? 


गोरीला का दिमाग मनुष्य के दिमाग से इतना छोटा नहीं होता जितना आप कह रहे हैं। इन दिनों इंसान के दिमाग का औसत आकार 1200 से 1400 क्यूबिक सेंटीमीटर होता है। जबकि एक गोरीला का दिमाग 500 से 700 क्यूबिक सेंटीमीटर के बीच होता है। दिमाग का विकास शारीरिक विकास का हिस्सा है। इंसान के दिमाग का आकार लगातार बढ़ता रहा। कभी होमो हैबिलिस के दिमाग का साइज 600 क्यूबिक सेंटीमीटर होता था। इसका एक मतलब यह भी है कि दिमाग का इस्तेमाल जितना होगा उतना वह बढेगा। पर पिछले 28000 साल में इंसान के दिमाग का आकार घट रहा है, जबकि शरीर की ऊँचाई बढ़ रही है। अलबत्ता एक रोचक तथ्य यह भी है कि सन 2003 में इंडोनेशिया के पास कुछ बौने इंसानों के कंकाल मिले। इन्हें होमो फ्लोरोसिएंटिस नाम दियागया। इनकी ऊँचाई एक मीटर के आसपास होती थी और इनके दिमाग का साइज था 380 क्यूबिक सेंटीमीटर। यह मनुष्य तकरीबन 13 से 38 हजार साल पहले विचरण करता था। केवल दिमाग छोटा होने से मात्र से मेधा कम नहीं होती, पर लगता है कि गोरीला के शरीर का इस्तेमाल दिमाग की तुलना में कम होता है। 


देश में सबसे ज्यादा क्रिकेट खेला और देखा जाता है.. फिर हॉकी हमारा नेशनल गेम क्यों है..। 
हालांकि यह बात सही नहीं है कि क्रिकेट सबसे ज्यादा खेला जाता है। मीडिया में प्रचार के कारण आपको ऐसा लग सकता है। बहरहाल भारतीय टीम जिस खेल में एक लम्बे समय तक विश्व विजेता रही वह खेल हॉकी था। भारतीय टीम ओलिम्पिक खेलों में आठ बार चैम्पियन रही। इनमें छह बार लगातार यानी 24 साल तक हमारी टीम विश्व विजेता थी। 1928 से 1956 के दौरान लगातार छह बार हम चैम्पियन रहे। फिर 1964 और 1980 के ओलिम्पिक खेलों में हमारी टीम ने गोल्ड मेडल जीता। इसलिए हम हॉकी को राष्ट्रीय खेल मानते हैं। 


दुनिया की सबसे ज्यादा दूर तक निशाना लगाने वाली मिसाइल कौन सी है..? 
रूस की मिसाइल आर-36 या एसएस-9 सबसे भारी और दूर तक मार करने वाली मिसाइल है। इसकी मारक दूरी 10,200 किमी से 16000 किमी तक है। इसके अनेक वर्ज़न हैं। सबकी मारक दूरी अलग-अलग है। अमेरिकी मिसाइल एलजीएम-30 या मिनिटमैन की मारक दूरी 13000 किमी है। 

समंदर और आसमान दोनों नीले क्यों दिखते हैं..? 
आसमान का रंग तो काला होता है। रात में जब सूरज की रोशनी नहीं होती वह हमें काला नजर आता है। दिन में जब सूरज की रोशनी हमारे वायुमंडल में प्रवेश करती है तब वह हमें नीला नज़र आता है। धरती के चारों ओर वायुमंडल है। यानी हवा है जिसमें कई तरह की गैसों के मॉलीक्यूल और पानी की बूँदें या भाप है। रोशनी वेव्स या तरंगों में चलती है। हवा में मौजूद चीजें इन वेव्स को रोकती हैं। जो लम्बी वेव्स हैं उनमें रुकावट कम आती है। वे धूल को कणों से बड़ी होती हैं। रोशनी की लाल, पीली और नारंगी तरंगें नजर नहीं आती। पर छोटी तरंगों को गैस या धूल के कण रोकते हैं। रोशनी के वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम में नीला रंग छोटी तरंगों में चलता है। यही नीला रंग जब फैलता है तो वह आसमान का रंग लगता है। जहाँ तक समुद्र की बात है तो पानी का अपना कोई रंग नहीं होता। उसपर आसमान की छाया पड़ती है तो वह नीला हो जाता है। पहाड़ों की झीलों में पहाड़ों की छाया पड़ती है तो पानी हरा लगता है। रात में समुद्र का पानी काला लगता है। 

माया सभ्यता के कैलेंडर के मुताबिक इस साल दुनिया खत्म हो जाएगी.. इस भविष्यवाणी में कितना दम है..? 
मध्य अमेरिका में यूरोपीय लोगों के आने के पहले मेसोअमेरिकन लांग काउंट कैलेंडर प्रचलित था। इस कैलेंडर में 7200 दिन का एक एक कातुन और 1 लाख 44 हजार दिन का एक बक्तुन होता है। प्राचीन माया सभ्यता के अवशेषों में ऐसा कैलेंडर पत्थरों में खुदा मिलता है। इन शिला लेखों में केवल 13वें बक्तुन तक की तारीखें दर्ज हैं। 13वाँ बक्तुन 21 दिसम्बर 2012 को खत्म होगा। इसलिए यह धारणा पैदा कर ली गई कि उसके बाद दुनिया नहीं रहेगी। मेरे विचार से यह सब बातें गलत साबित होंगी। इसे इस तरीके से क्यों न देखें कि इस कैलेंडर में चौदहवां बक्तुन और एक बेहतर दौर शुरू होगा। 

क्या बादल के अंदर भी लाइफ होती है..? 
आप जिन्हें बादल कहते हैं वह तो भाप है। ज्यादातर पानी। और पानी ही जीवन है। पानी का एक पर्यायवाची है जीवन।

लाई डिटेक्टर मशीन झूठ कैसे पकड़ती है.. और ये कितनी एकुरेट होती है..? 
पॉलीग्राफ को लाई डिटेक्टर कहा जाता है। इसमें ब्लड प्रेशर, पल्स, साँस की गति और त्वचा पर आ रहे बदलाव से व्यक्ति के व्यवहार को जानने की कोशिश की जाती है। हमारे कानून इसके द्वरा हासिल की गई जानकारी को साक्ष्य नहीं मानते। इसका केवल जाँच को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता है। 


हॉलीवुड.. बॉलीवुड.. टॉलीवुड.. फिल्म इंडस्ट्री को ऐसे नामों से क्यों बुलाते हैं..? 

अमेरिका लॉस एंजलस, कैलीफोर्निया में हॉलीवुड एक डिस्ट्रिक्ट है जो फिल्म उद्योग के लिए मशहूर है। इसे यह नाम एचजे ह्विटले ने दिया जिन्होंने 1870 के आसपास यहाँ 500 एकड़ जमीन खरीद कर बस्ती बसाने की योजना बनाई। 1902 में यहाँ मशहूर हॉलीवुड होटल खुला। 1906 में इस इलाके में बायोग्राफ कम्पनी ने एक फिल्म की शूटिंग की। धीरे-धीरे यह फिल्मों का शहर ही बन गया। बहरहाल हॉलीवुड का नाम दुनिया में फिल्म निर्माण के साथ जुड़ने के बाद फिल्म निर्माण से जुड़े शहरों ने अपने नाम के आगे वुड जोड़ना शुरू कर दिया। यह हाल की बात है।

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