मेट्रो में सफर करते समय मैंने एक बात पर गौर किया है कि करौलबाग पहुंचते ही मेट्रो कोच की बत्तियाँ गुल हो जाती हैं ,ऐसा क्यों ? –दिलीप
आपके सवाल का सही जवाब तो मेट्रो के अधिकारी ही दे सकते हैं, पर यदि यह बत्ती गुल होना किसी एक खास जगह होता है तो इसका कारण पावर न्यूट्रल जोन है। रेलवे की लाइनों के ऊपर चलने वाले बिजली के तारों को एक से ज्यादा स्रोतों से बिजली मिलती है। ऐसे में एक सब स्टेशन से दूसरे सब स्टेशन की लाइन शुरू होती है, तब थोडी सी दूरी तक ऊपर करेंट नहीं होता। इसे पावर न्यूट्रल जोन कहते हैं। यहाँ गाड़ी रुकती नहीं है, क्योंकि अपनी गति से बढ़ती जाती है। चूंकि पावर सोर्स खत्म हो जाता है तब बत्ती गुल हो जाती है और केवल बैटरी पर आधारित लाइट जली रह जाती है। ऐसा रेलवे लाइनों में भी होता है। दिल्ली मेट्रो की अलग-अलग लाइनों में यह कहीं न कहीं होता होगा।
स्थगन प्रस्ताव क्या होता है? संसद क्यों, और एक दिन में कितनी बार स्थगित हो सकती है? –राखी
हमारी संसद के दोनों सदनों के नियमों में सार्वजनिक महत्व के मामले बिना देरी किए उठाने की कई व्यवस्थाएं हैं, इनमें कार्य स्थगन प्रस्ताव भी है। इसके द्वारा लोक सभा के नियमित काम-काज को रोककर तत्काल महत्वूपर्ण मामले पर चर्चा कराई जासकती है। इसके अलावा कई और तरीके हैं जैसे कि ध्यानाकर्षण, आपातकालीन चर्चाएं, विशेष उल्लेख, प्रस्ताव (मोशन), संकल्प, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव वगैरह। आपने यह भी पूछा है कि दिन में कितनी बार सदन स्थगित हो सकता है। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
पुनर्विचार याचिका क्या है? – मधु
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 137 और 145 के तहत अपीलीय अदालतों यानी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के बारे में कोई पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है। यह याचिका अदालत के निर्णय के बाद तीस दिन के भीतर दाखिल की जानी चाहिए। पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद भी वह पक्ष उपचार याचिका या क्यूरेटिव पेटीशन दाखिल कर सकते है।
संसद की कार्यवाही में किसी भाषण के समय कुछ चीजें रिकॉर्ड से बाहर क्यों कर दी जाती है? –ज़ोया
यह संसद का अधिकार है कि वह कुछ खास शब्दों, अभिव्यक्तियों, विचारों या घटनाओं को आधिकारिक दस्तावेजों में नहीं रखना चाहती तो उसे रिकार्ड से बाहर कर दे। इस अधिकार का इस्तेमाल सामान्यतः पीठासीन अधिकारी के माध्यम से होता है।
आपके सवाल का सही जवाब तो मेट्रो के अधिकारी ही दे सकते हैं, पर यदि यह बत्ती गुल होना किसी एक खास जगह होता है तो इसका कारण पावर न्यूट्रल जोन है। रेलवे की लाइनों के ऊपर चलने वाले बिजली के तारों को एक से ज्यादा स्रोतों से बिजली मिलती है। ऐसे में एक सब स्टेशन से दूसरे सब स्टेशन की लाइन शुरू होती है, तब थोडी सी दूरी तक ऊपर करेंट नहीं होता। इसे पावर न्यूट्रल जोन कहते हैं। यहाँ गाड़ी रुकती नहीं है, क्योंकि अपनी गति से बढ़ती जाती है। चूंकि पावर सोर्स खत्म हो जाता है तब बत्ती गुल हो जाती है और केवल बैटरी पर आधारित लाइट जली रह जाती है। ऐसा रेलवे लाइनों में भी होता है। दिल्ली मेट्रो की अलग-अलग लाइनों में यह कहीं न कहीं होता होगा।
स्थगन प्रस्ताव क्या होता है? संसद क्यों, और एक दिन में कितनी बार स्थगित हो सकती है? –राखी
हमारी संसद के दोनों सदनों के नियमों में सार्वजनिक महत्व के मामले बिना देरी किए उठाने की कई व्यवस्थाएं हैं, इनमें कार्य स्थगन प्रस्ताव भी है। इसके द्वारा लोक सभा के नियमित काम-काज को रोककर तत्काल महत्वूपर्ण मामले पर चर्चा कराई जासकती है। इसके अलावा कई और तरीके हैं जैसे कि ध्यानाकर्षण, आपातकालीन चर्चाएं, विशेष उल्लेख, प्रस्ताव (मोशन), संकल्प, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव वगैरह। आपने यह भी पूछा है कि दिन में कितनी बार सदन स्थगित हो सकता है। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
पुनर्विचार याचिका क्या है? – मधु
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 137 और 145 के तहत अपीलीय अदालतों यानी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के बारे में कोई पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है। यह याचिका अदालत के निर्णय के बाद तीस दिन के भीतर दाखिल की जानी चाहिए। पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद भी वह पक्ष उपचार याचिका या क्यूरेटिव पेटीशन दाखिल कर सकते है।
संसद की कार्यवाही में किसी भाषण के समय कुछ चीजें रिकॉर्ड से बाहर क्यों कर दी जाती है? –ज़ोया
यह संसद का अधिकार है कि वह कुछ खास शब्दों, अभिव्यक्तियों, विचारों या घटनाओं को आधिकारिक दस्तावेजों में नहीं रखना चाहती तो उसे रिकार्ड से बाहर कर दे। इस अधिकार का इस्तेमाल सामान्यतः पीठासीन अधिकारी के माध्यम से होता है।
नेशनल म्यूज़ियम दिल्ली में हम क्या कुछ देख सकते हैं ? –अभिषेक
दिल्ली का नेशनल म्यूजियम देश के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1949 में हुई थी। इसमें प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग तक के लगभग 5000 साल के कालखंड की दो लाख कलाकृतियाँ तथा अन्य वस्तुएं रखी गईं है। यानी मोहेन-जोदाड़ो की वस्तुओं से लेकर गांधार कला की कृतियाँ और हाल के वर्षों तक की चीजें रखी हैं। इसका संचालन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत होता है।
दिल्ली का नेशनल म्यूजियम देश के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक है। इसकी स्थापना 1949 में हुई थी। इसमें प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग तक के लगभग 5000 साल के कालखंड की दो लाख कलाकृतियाँ तथा अन्य वस्तुएं रखी गईं है। यानी मोहेन-जोदाड़ो की वस्तुओं से लेकर गांधार कला की कृतियाँ और हाल के वर्षों तक की चीजें रखी हैं। इसका संचालन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत होता है।
रानी पद्मिनी कौन थी ,वे इतिहास में क्यों और किस घटना के लिए याद की जाती है?- केवल
रानी पद्मिनी, चित्तौड़ की रानी थी। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी। रानी पद्मिनी बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई। अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर जान दे दी, लेकिन अपनी आन-बान पर आँच नहीं आने दी। जनश्रुति है कि सन 1303 में चित्तौड़ के लूटने वाले अलाउद्दीन खिलजी की कामना रानी पद्मिनी को पाने की थी। श्रुति यह है कि उसने दर्पण में रानी की प्रतिबिंब देखा था और उसके सम्मोहित करने वाले सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गया था। लेकिन रानी ने लज्जा को बचाने के लिए जौहर करना बेहतर समझा। इनकी कथा कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में पद्मावत ग्रंथ रूप में लिखी है।
रानी पद्मिनी, चित्तौड़ की रानी थी। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी। रानी पद्मिनी बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई। अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर जान दे दी, लेकिन अपनी आन-बान पर आँच नहीं आने दी। जनश्रुति है कि सन 1303 में चित्तौड़ के लूटने वाले अलाउद्दीन खिलजी की कामना रानी पद्मिनी को पाने की थी। श्रुति यह है कि उसने दर्पण में रानी की प्रतिबिंब देखा था और उसके सम्मोहित करने वाले सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गया था। लेकिन रानी ने लज्जा को बचाने के लिए जौहर करना बेहतर समझा। इनकी कथा कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में पद्मावत ग्रंथ रूप में लिखी है।
जेट लैग क्या होता है ? –वैभव
जेट लैग एक मनो-शारीरिक दशा है, जो शरीर के सर्केडियन रिद्म में बदलाव आने के कारण पैदा होती है। इसे सर्केडियन रिद्म स्लीप डिसॉर्डर भी कहते हैं। इसका कारण लम्बी दूरी की हवाई यात्रा खासतौर से पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व एक टाइम ज़ोन से दूसरे टाइम ज़ोन की यात्रा होती है। अक्सर शुरुआत में नाइट शिफ्ट पर काम करने आए लोगों के साथ भी ऐसा होता है। आपका सामान्य जीवन एक खास समय के साथ जुड़ा होता है। जब उसमें मूलभूत बदलाव होता है तो शरीर कुछ समय के लिए सामंजस्य नहीं बैठा पाता। अक्सर दो-एक दिन में स्थिति सामान्य हो जाती है। इसमें सिर दर्द, चक्कर आना, उनींदा रहना, थकान जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती है।
आरक्षण क्या है ? क्या ये ज़रूरी है ? –महेंद्र कुमार
आरक्षण का मतलब है किसी जगह, पद में किसी के लिए जगह सुरक्षित करना। आपका आशय सेवाओं और शिक्षा में आरक्षण से है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी कारण से पीछे रह गए वर्ग विशेष को ताकत देना। भारत में अजा-जजा तथा शिक्षा और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। इसी प्रकार महिलाओं के लिए जन-प्रतिनिधि सदनों में आरक्षण की बात भी है, पर वह हो नहीं पाया है। मेरी समझ से पिछड़े तबकों के लिए आरक्षण व्यवस्था होनी चाहिए।
जेट लैग एक मनो-शारीरिक दशा है, जो शरीर के सर्केडियन रिद्म में बदलाव आने के कारण पैदा होती है। इसे सर्केडियन रिद्म स्लीप डिसॉर्डर भी कहते हैं। इसका कारण लम्बी दूरी की हवाई यात्रा खासतौर से पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व एक टाइम ज़ोन से दूसरे टाइम ज़ोन की यात्रा होती है। अक्सर शुरुआत में नाइट शिफ्ट पर काम करने आए लोगों के साथ भी ऐसा होता है। आपका सामान्य जीवन एक खास समय के साथ जुड़ा होता है। जब उसमें मूलभूत बदलाव होता है तो शरीर कुछ समय के लिए सामंजस्य नहीं बैठा पाता। अक्सर दो-एक दिन में स्थिति सामान्य हो जाती है। इसमें सिर दर्द, चक्कर आना, उनींदा रहना, थकान जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती है।
आरक्षण क्या है ? क्या ये ज़रूरी है ? –महेंद्र कुमार
आरक्षण का मतलब है किसी जगह, पद में किसी के लिए जगह सुरक्षित करना। आपका आशय सेवाओं और शिक्षा में आरक्षण से है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी कारण से पीछे रह गए वर्ग विशेष को ताकत देना। भारत में अजा-जजा तथा शिक्षा और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। इसी प्रकार महिलाओं के लिए जन-प्रतिनिधि सदनों में आरक्षण की बात भी है, पर वह हो नहीं पाया है। मेरी समझ से पिछड़े तबकों के लिए आरक्षण व्यवस्था होनी चाहिए।
UGC नेट की परीक्षा जनसंचार और पत्रकारिता विषय में देना चाहता हूँ। किन किताबों को और कैसे तैयारी करूँ? –मयूर
सबसे पहला सुझाव यही है कि आप अपना सामान्य अध्ययन अच्छा रखें। पत्रकारिता के सिद्धांत और व्यवहार, इतिहास, नैतिकता और कानून तथा जनसंचार से जुड़े तमाम सवाल केवल पाठ्य पुस्तकें पढ़ कर ही समझ में नहीं आते। फिर भी कुछ किताबों का सुझाव इस तरह है।1.Mass Communication Theory : Dennis Mcquail, Vistar Publications, New delhi. 2.Journalism : Concept, Approaches and Global Impact : Jaya Chakravarty, Sarup and sons, New Delhi, 3.भारत में समाचार पत्र क्रांतिः रॉबिन जेफ्री, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली, जनसंचार सिद्धांत और अनुप्रयोगः विष्णु राजगढ़िया, राधाकृष्ण प्रकाशन
चेक बाउंस होने पर फाइन क्यों लगता है? क्या ये फाइन हर बार एक सा रहता है? –हरमिंदर
आपका आशय बैंक के फाइन से है। यह शुल्क तो बैंक इसलिए लेता है, क्योंकि वह उसे क्लियरिंग तक भेजता है और उसपर धनराशि नहीं मिलता। यह राशि अलग-अलग बैंक अलग-अलग लेते हैं। यों बार-बार यह गलती होने पर बैंक आपकी चेकबुक सुविधा वापस ले सकते हैं और खाता बंद भी कर सकते हैं। चेक बाउंस होने के अनेक कारण हो सकते हैं। मसलन खाते में पैसा नहीं है, तारीख गलत लिख दी गई है, खातेदार के हस्ताक्षर नहीं मिलते वगैरह। अलबत्ता जिसने यह चेक दिया है उसकी जिम्मेदारी है कि भुगतान करे। यदि वह चेक में बताई गई राशि का भुगतान नहीं करता तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्मेंट एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है जिसपर उसे सजा या जुर्माना कुछ भी हो सकता है।
सबसे पहला सुझाव यही है कि आप अपना सामान्य अध्ययन अच्छा रखें। पत्रकारिता के सिद्धांत और व्यवहार, इतिहास, नैतिकता और कानून तथा जनसंचार से जुड़े तमाम सवाल केवल पाठ्य पुस्तकें पढ़ कर ही समझ में नहीं आते। फिर भी कुछ किताबों का सुझाव इस तरह है।1.Mass Communication Theory : Dennis Mcquail, Vistar Publications, New delhi. 2.Journalism : Concept, Approaches and Global Impact : Jaya Chakravarty, Sarup and sons, New Delhi, 3.भारत में समाचार पत्र क्रांतिः रॉबिन जेफ्री, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली, जनसंचार सिद्धांत और अनुप्रयोगः विष्णु राजगढ़िया, राधाकृष्ण प्रकाशन
चेक बाउंस होने पर फाइन क्यों लगता है? क्या ये फाइन हर बार एक सा रहता है? –हरमिंदर
आपका आशय बैंक के फाइन से है। यह शुल्क तो बैंक इसलिए लेता है, क्योंकि वह उसे क्लियरिंग तक भेजता है और उसपर धनराशि नहीं मिलता। यह राशि अलग-अलग बैंक अलग-अलग लेते हैं। यों बार-बार यह गलती होने पर बैंक आपकी चेकबुक सुविधा वापस ले सकते हैं और खाता बंद भी कर सकते हैं। चेक बाउंस होने के अनेक कारण हो सकते हैं। मसलन खाते में पैसा नहीं है, तारीख गलत लिख दी गई है, खातेदार के हस्ताक्षर नहीं मिलते वगैरह। अलबत्ता जिसने यह चेक दिया है उसकी जिम्मेदारी है कि भुगतान करे। यदि वह चेक में बताई गई राशि का भुगतान नहीं करता तो उसके खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्मेंट एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है जिसपर उसे सजा या जुर्माना कुछ भी हो सकता है।
बहुत अच्छी जानकारी ...आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
गज़ब का ब्लॉग है !
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