ध्रुवीय ज्योति (अंग्रेजी: Aurora), या मेरुज्योति,
वह चमक है जो ध्रुव क्षेत्रों के वायुमंडल के ऊपरी भाग में दिखाई
पड़ती है। उत्तरी अक्षांशों की ध्रुवीय ज्योति को सुमेरु ज्योति (अंग्रेजी: aurora
borealis), या उत्तर ध्रुवीय ज्योति, तथा
दक्षिणी अक्षांशों की ध्रुवीय ज्योति को कुमेरु ज्योति (अंग्रेजी: aurora
australis), या दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, कहते
हैं। यह रोशनी वायुमंडल के ऊपरी हिस्से थर्मोस्फीयर ऊर्जा से चार्ज्ड कणों के
टकराव के कारण पैदा होती है। ये कण मैग्नेटोस्फीयर, सौर पवन
से तैयार होते हैं। धरती का चुम्बकीय घेरा इन्हें वायुमंडल में भेजता है। ज्यादातर
ज्योति धरती के चुम्बकीय ध्रुव के 10 से 20 डिग्री के बैंड पर होती हैं। इसे ऑरल ज़ोन कहते हैं। इन ज्योतियों का भी
वर्गीकरण कई तरह से किया जाता है।
ह्वाइट कॉलर जॉब क्या है?
ह्वाइट कॉलर
शब्द एक अमेरिकी लेखक अपटॉन सिंक्लेयर ने 1930 के दशक में गढ़ा। औद्योगीकरण के साथ
शारीरिक श्रम करने वाले फैक्ट्री मजदूरों की यूनीफॉर्म डेनिम के मोटे कपड़े की
ड्रेस हो गई। शारीरिक श्रम न करने वाले कर्मचारी सफेद कमीज़ पहनते। इसी तरह खदानों
में काम करने वाले ब्लैक कॉलर कहलाते। सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े कर्मियों के
लिए अब ग्रे कॉलर शब्द चलने लगा है।
विदा लेते समय
अंग्रेजी में बाई के साथ टाटा कहते हैं। यह टाटा क्या है?
अंग्रेजी में
विदाई के वक्त टाटा कहने का चलन है। यह शब्द बोली का है। इसका प्रचलन उन्नीसवीं
सदी से हुआ है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार यह गुडबाई का नर्सरी संस्करण है।
इसका इस्तेमाल पहली बार 1837 में दर्ज है। सन 1941 में बीबीसी के एक रेडियो
प्रोग्राम में इस्तेमाल किया गया संक्षिप्त प्रयोग टीटीएफएन काफी लोकप्रिय हुआ था
जिसका मतलब था टाटा फॉर नाउ।
किसी डरावनी चीज को देखने पर दिल
की धड़कन तेज क्यों हो जाती है?
हमारा मस्तिष्क एक केन्द्रीय
कम्प्यूटर की तरह शरीर के सारे कार्यों को संचालित करता है। यह काम नर्वस सिस्टम
के मार्फत होता है। पूरे शरीर में नाड़ियों यानी नर्व्स का एक जाल है। मस्तिष्क से
हमारी रीढ़ की हड्डी जुड़ी है, जिससे होकर
धागे जैसी नाड़ियाँ शरीर के एक-एक हिस्से तक जाती हैं। मस्तिष्क से निकलने वाला
संदेश शरीर के हर अंग तक जाता है। मसलन कभी आपका हाथ दुर्घटनावश जल जाय तो हाथ की
त्वचा से जुड़ी नर्व्स दर्द का संदेश मस्तिष्क तक भेजती है। जवाब में मस्तिष्क
मसल्स को संदेश देता है कि हाथ को खींचो। यह सब बेहद तेजी से होता है। नर्वस
सिस्टम का एक हिस्सा शरीर की साँस लेने, भोजन को पचाने, पसीना निकालने, काँपने जैसी तमाम क्रियाओं का
संचालन करता रहता है। आपको उसमें कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं होती है। इसे
ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम कहते हैं। इस सिस्टम के दो हिस्से होते हैं। सिम्पैथेटिक और
पैरासिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम। जब आप कोई डरावनी चीज़ देखते हैं तब सिम्पैथेटिक
नर्वस सिस्टम हृदय की गति को बढ़ा देता है। उसका उद्देश्य शरीर के सभी अंगों तक
ज्यादा रक्त पहुँचाना होता है। साथ ही यह किडनी के ऊपर एड्रेनल ग्लैंड्स से
एड्रेनालाइन हार्मोन को रिलीज़ करता है, जिससे मसल्स को
अतिरिक्त शक्ति मिलती है। यह इसलिए कि या तो आपको लड़ना है या भागना है। दोनों काम
के लिए फौरी ऊर्जा मिल सके। इसके अलावा शरीर की मसल्स शरीर के रोम (रोयों) को उत्तेजित
करती है ताकि शरीर में गर्मी आए। यह काम सर्दी लगने पर भी होता है।
किस फिल्म को पहला राष्ट्रीय
पुरस्कार मिला था?
1954 में कथा-चित्र
के लिए पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मराठी फिल्म ‘श्यामची आई’ को दिया गया।
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