Thursday, July 21, 2016

रेपो रेट क्या होता है?


 रेपो रेट रिजर्व बैंक और अन्य बैंकों के बीच धनराशि के आदान-प्रदान पर दिए जाने वाले ब्याज की दर है. रिजर्व बैंक जब धनराशि देता है, वह दर रेपो और जब वह दूसरे बैंकों से लेता है तब रिवर्स रेपो दर कहलाती है. बाजार में मुद्रा की स्थिति को संतुलित बनाए रखने के लिए अक्सर रिजर्व बैंक और अन्य बैंकों के बीच यह आदान-प्रदान होता है.

लड़कियों को माता या पिता की सम्पति में कितना हक है?

देश में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 लागू होने के पहले हिन्दू स्त्रियों के उत्तराधिकार के मसले विभिन्न शास्त्रीय परम्पराओं के आधार पर तय होते थे. यह शास्त्रीय व्यवस्था भी देश के अलग-अलग हिस्सों और जातियों-सम्प्रदायों में अलग-अलग थी. इस नियम के बनने के बाद से स्त्रियों को भी पिता की सम्पत्ति में बराबर का हक मिल गया. उस नियम में भी पैतृक सम्पत्ति में स्त्रियों को बराबरी का हक नहीं था. सन 2005 में नया कानून बनने के बाद से अब बराबरी की स्थिति है.

ढीबरी, लालटेन और दिए का विकास कैसे हुआ?

दीपक और लालटेन वगैरह के जन्म के पहले मनुष्य ने आग जलाना सीख लिया था. आग के रूप में अंधेरे में रोशनी का सहारा मिल गया था. यह रोशनी शुरू में लकड़ी और पत्तों को जलाकर और बाद में वानस्पतिक तेलों को जलाकर प्राप्त की जाती थी. इस रोशनी की प्राप्ति के बाद ही दीपक और दीवट का विकास हुआ. शुरू के दीपक पत्थर के रहे होंगे. पहिए का विकास होने के बाद कुम्हार का चाक बना. उसके बाद मिट्टी के दीपक बने.

दिया बत्ती या मोमबत्ती का आविष्कार कम से कम पाँच हजार साल पहले हो गया था. वानस्पतिक तेल या जानवरों की चर्बी को जलाकर रोशनी का काम प्राय: अधिकतर सभ्यताओं में हो चुका था. उसी दौरान लालटेन और सड़कों के किनारे लगने वाले लैम्पों का आविष्कार हुआ. राज दरबारों में सजावटी रोशनी के सुन्दर लैम्प बनने लगे. भारत, मिस्र और चीन की प्राचीन सभ्यताओं में सुन्दर लैम्प और दीपाधार मिलते हैं. उन्नीसवीं सदी में रेलवे के विस्तार के साथ सचल लालटेन की डिजाइन में काफी सुधार हुआ. उधर पैराफिन वैक्स और पेट्रोलियम के रूप में ईंधन मिलने पर मोल्डेड मोमबत्तियों और हरीकेन लालटेन का चलन भी बढ़ा. हाथ का टॉर्च भी इसी आविष्कार की एक कड़ी है.
  
स्विस बैंकों की क्या खास बात है?

मध्य युग से ही स्विस बैंक सूचनाओं को गोपनीय रखने के लिए प्रसिद्ध हैं. सन 1934 में इसके लिए यहाँ की संसद ने विशेष कानून भी बनाया. स्विट्ज़रलैंड पूरी तरह तटस्थ देश है. उसकी साख के कारण बैंकिंग कारोबार यहाँ अच्छा है. शुरुआत में बैंकिंग के बाबत स्विस कानून बनाते वक्त गोपनीयता पर जोर नहीं था, पर उस दिनों नाज़ी जर्मनी यहूदियों के बारे में जानकारियाँ लेकर उन्हें प्रताड़ित करते थे. इसी गोपनीयता के कारण दुनियाभर का काला पैसा भी यहाँ के बैंकों में जमा होने लगा है. अब वहाँ भी नियमों में बदलाव हो रहा है और काले धन की जानकारी वहाँ का बैंकिंग उद्योग देने को तैयार है.  

आंगनबाड़ी क्या हैं?
आंगनबाड़ी भारत में मातृ-शिशु स्वास्थ्य से जुड़ा एक सरकारी कार्यक्रम है. इसमें नवजात से लेकर छह साल तक के बच्चों की स्वास्थ्य-रक्षा के कार्य किए जाते हैं. यह कार्यक्रम 1975 में शुरू किया था. यह कार्यक्रम गाँवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चलाया जाता है. कार्यकर्ताओं को चार महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. अनुमान है कि देश में इस समय दस लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काम कर रहीं हैं. 

चवन्नी किसे कहते हैं?

एक गणना पद्धति के अंतर्गत संख्याएं चार-आठ और सोलह में गिनी जाती थीं. हमारे देश में 1957 में दाशमिक पद्धति यानी सौ की पद्धति लागू हुई. तब रुपए में सौ पैसे और किलो में हजार ग्राम का चलन शुरू हुआ. उसके पहले रुपया सोलह आने का होता था. चौथाई रुपया चार आने का था. चार आने को बोलचाल की भाषा में चवन्नी कहते थे. चूंकि रुपए के मुकाबले चवन्नी छोटी होती थी, इसलिए क्षुद्रता के लिए मुहावरा बन गया, चवन्नी छाप।


प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

1 comment:

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति आचार्य परशुराम चतुर्वेदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

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