चिड़ियाघर से आपका आशय जीव-जन्तुओं के संग्रह से है तो कहानी ईसा पूर्व काल तक जाएगी। पुराने ज़माने में राजाओं-बादशाहों को जानवर पालने का शौक होता था। वे उनका शिकार भी करते थे और कौतुक के लिए अपने यहाँ तरह-तरह के जीव-जन्तु जमा करके भी रखते थे। खासतौर से घोड़े, हाथी, ऊँट और शेर पालना बादशाहों का शौक होता था और रुतबा बढ़ाने का ज़रिया भी। पर इसके पीछे शौक ही था, अध्ययन की कामना नहीं। आधुनिक चिड़ियाघर केवल कौतुक के लिए न होकर अध्ययन करने और उसके बारे में आम लोगों को बताने के लिए बनाए जाते हैं।
चिड़ियाघर माने प्राणि-उद्यान। यह अंग्रेजी के ज़ूओलॉजिकल गार्डन का अनुवाद है। इसी से संक्षेप में ज़ू शब्द बना जो आज सारे संसार में प्रचलित है। जीवित पशुओं को एकत्र करके रखने का उल्लेख प्राचीन सभ्यताओं में मिलता है। ईसा के 2000 साल पुरानी पहले मिस्री कब्रों के आस-पास जानवरों की हड्डियाँ मिलीं हैं। लगता है कि वे लोग अपने आस-पास पशुओं को रखते थे। प्राचीन यूनान और रोम में भी शेर, बाघ, चीतों, तेंदुओं आदि को पालने के विवरण मिलते हैं। ऑगस्टस ऑक्टेवियस के पास 410 बाघ, 260 चीते और 600 अन्य जन्तु थे। करीब 1200 साल पहले चीन के चाऊ वंश के पहले शासक ने प्राणि-उद्यान बनवाया था। ये प्राणि-उद्यान आधुनिक सन्दर्भों में प्राणि उद्यान नहीं माने जा सकते, क्योंकि उनका उद्देश्य मनोरंजन या बादशाही रसूख को कायम रखना था। ज़ूओलॉजिकल गार्डन का आधुनिक उद्देश्य पशु-पक्षियों का वैज्ञानिक अध्ययन करना है। पुराने प्राणि-उद्यानों को प्राणि-संग्रह कह सकते हैं। इसे अंग्रेजी में मैनेजेइरी कहते हैं। फ्रांस में वर्साई का प्रसिद्ध प्राणि-संग्रह इसी श्रेणी में आता है। एक ज़माना था जब पश्चिमी देशों में मनुष्यों के संग्रहालय भी बनाए गए थे। इनमें खासतौर से अफ्रीका के जंगलों में और प्रागैतिहासिक परिस्थितियों में रहने वाले इंसानों को रखा जाता था। इनके अलावा असामान्य मनुष्यों को भी इनमें रखते थे। इनमें बौने, आपस में जुड़े या अजब से लगने वाले मनुष्य होते थे। यह सब कौतुक के लिए था और अमानवीय भी। समय के साथ यह खत्म हो गया।
ऑस्ट्रिया के प्रसिद्ध शानबू्रन प्राणि-उद्यान को संसार का पहला आधुनिक ज़ू माना जाता है, पर उसे भी शुद्ध वैज्ञानिक अर्थ में ज़ू कहना उचित नहीं है। 1752 में बना यह उद्यान आज भी कायम है। वैज्ञानिक अर्थ में 1828 में स्थापित लंदन ज़ूओलॉजिकल गार्डन्स को पहला ज़ू कहना बेहतर होगा, जिसे शुद्ध वैज्ञानिक अध्ययन के लिए बनाया गया था। आम जनता के लिए यह उद्यान 1847 में खोला गया। दुनिया में आज हजार से ज्यादा प्राणि-उद्यान हैं।
अष्ट धातु क्या है?
अष्टधातु नाम से ही स्पष्ट है कि यह आठ धातुओं की बात है. इसमें आठ धातु हैं सोना, चांदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा और पारा। सुश्रुत संहिता में केवल सात धातुओं का उल्लेख है। शायद सुश्रुत पारे को धातु नहीं मानते होंगे। बहरहाल अष्टधातु परम्परा से भारतीय संस्कृति में पवित्र माने जाते रहे हैं। हमारे यहाँ प्रतिमाओं का निर्माण अष्टधातु से किया जाता था। भारतीय फलित ज्योतिष में नवग्रहों के प्रभाव घटाने या बढ़ाने के लिए अष्टधातु की अंगूठी, कड़े आदि पहनने का विधान है।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
चिड़ियाघर माने प्राणि-उद्यान। यह अंग्रेजी के ज़ूओलॉजिकल गार्डन का अनुवाद है। इसी से संक्षेप में ज़ू शब्द बना जो आज सारे संसार में प्रचलित है। जीवित पशुओं को एकत्र करके रखने का उल्लेख प्राचीन सभ्यताओं में मिलता है। ईसा के 2000 साल पुरानी पहले मिस्री कब्रों के आस-पास जानवरों की हड्डियाँ मिलीं हैं। लगता है कि वे लोग अपने आस-पास पशुओं को रखते थे। प्राचीन यूनान और रोम में भी शेर, बाघ, चीतों, तेंदुओं आदि को पालने के विवरण मिलते हैं। ऑगस्टस ऑक्टेवियस के पास 410 बाघ, 260 चीते और 600 अन्य जन्तु थे। करीब 1200 साल पहले चीन के चाऊ वंश के पहले शासक ने प्राणि-उद्यान बनवाया था। ये प्राणि-उद्यान आधुनिक सन्दर्भों में प्राणि उद्यान नहीं माने जा सकते, क्योंकि उनका उद्देश्य मनोरंजन या बादशाही रसूख को कायम रखना था। ज़ूओलॉजिकल गार्डन का आधुनिक उद्देश्य पशु-पक्षियों का वैज्ञानिक अध्ययन करना है। पुराने प्राणि-उद्यानों को प्राणि-संग्रह कह सकते हैं। इसे अंग्रेजी में मैनेजेइरी कहते हैं। फ्रांस में वर्साई का प्रसिद्ध प्राणि-संग्रह इसी श्रेणी में आता है। एक ज़माना था जब पश्चिमी देशों में मनुष्यों के संग्रहालय भी बनाए गए थे। इनमें खासतौर से अफ्रीका के जंगलों में और प्रागैतिहासिक परिस्थितियों में रहने वाले इंसानों को रखा जाता था। इनके अलावा असामान्य मनुष्यों को भी इनमें रखते थे। इनमें बौने, आपस में जुड़े या अजब से लगने वाले मनुष्य होते थे। यह सब कौतुक के लिए था और अमानवीय भी। समय के साथ यह खत्म हो गया।
ऑस्ट्रिया के प्रसिद्ध शानबू्रन प्राणि-उद्यान को संसार का पहला आधुनिक ज़ू माना जाता है, पर उसे भी शुद्ध वैज्ञानिक अर्थ में ज़ू कहना उचित नहीं है। 1752 में बना यह उद्यान आज भी कायम है। वैज्ञानिक अर्थ में 1828 में स्थापित लंदन ज़ूओलॉजिकल गार्डन्स को पहला ज़ू कहना बेहतर होगा, जिसे शुद्ध वैज्ञानिक अध्ययन के लिए बनाया गया था। आम जनता के लिए यह उद्यान 1847 में खोला गया। दुनिया में आज हजार से ज्यादा प्राणि-उद्यान हैं।
अष्ट धातु क्या है?
अष्टधातु नाम से ही स्पष्ट है कि यह आठ धातुओं की बात है. इसमें आठ धातु हैं सोना, चांदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा और पारा। सुश्रुत संहिता में केवल सात धातुओं का उल्लेख है। शायद सुश्रुत पारे को धातु नहीं मानते होंगे। बहरहाल अष्टधातु परम्परा से भारतीय संस्कृति में पवित्र माने जाते रहे हैं। हमारे यहाँ प्रतिमाओं का निर्माण अष्टधातु से किया जाता था। भारतीय फलित ज्योतिष में नवग्रहों के प्रभाव घटाने या बढ़ाने के लिए अष्टधातु की अंगूठी, कड़े आदि पहनने का विधान है।
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति अमर शहीद अमर चरण वोहरा जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी ...
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