Sunday, February 12, 2017

रिमोट कंट्रोल क्या होता है?


रिमोट कंट्रोल क्या होता है और इसका आविष्कार किसने किया?
अभय कुमार, एजी कॉलोनी, मनं : ए/62, पोस्ट: आशियाना नगर, पटना-800025


रिमोट कंट्रोल से आपका तात्पर्य टीवी या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंफ्रारेड मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम से संचालित करना है। यों आज सुदूर अंतरिक्ष में घूम रहे यानों को भी दूर से ही नियंत्रित किया जाता है, पर हम जिन रिमोट कंट्रोल गैजेट्स की बात कर रहे हैं वे कुछ दूरी यानी पाँच मीटर के आसपास तक काम करते हैं। आजकल के रिमोट कंट्रोलर प्रायः इंफ्रारेड का उपयोग करके दूर से ही ऐसे काम करने का आदेश देते हैं, जिनकी व्यवस्था मूल उपकरण में होती है। सत्तर के दशक से पहले के रिमोट कंट्रोलर अल्ट्रासोनिक तरंगों का इस्तेमाल करते थे। आजकल 'यूनिवर्सल कंट्रोलर' भी मिलने लगे हैं जो कई उत्पादकों के टीवी आदि को नियंत्रित कर सकते हैं। यानी एक ही रिमोट कंट्रोल से आप टीवी, होम थिएटर, सीडी प्‍लेयर के अलावा कई दूसरी रिमोट कंट्रोल डिवाइसेस कंट्रोल कर सकते हैं। रेडियो तकनीक का आविष्कार होने के बाद रेडियो तरंगों के मार्फत संदेश भेजने की शुरुआत भी हो गई थी। शुरूआती रिमोट कंट्रोल रेडियो तरंगों के मार्फत संचालित होते थे। सन 1898 में निकोला टेस्ला ने अमेरिका में पहला रिमोट पेटेंट कराया जो पानी पर चल रहे नाव को दूर से संचालित कर सकता था।

‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’-यह श्लोकांश ‘वाल्मीकि रामायण’ के किस सर्ग/कांड में आया है। उस सर्ग/कांड में इसका क्रमांक क्या है?

चित्रलेखा अग्रवाल द्वारा: श्रीराज शंकर गर्ग, डीसीएम. स्टोर, चौमुखा पुल, मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)


यह श्लोक का एक हिस्सा है, पूरा श्लोक नहीं। इसके बारे में जो जानकारी मैं हासिल कर पाया हूँ उसका सार लिख रहा हूँ। बेहतर जानकार और विद्वान इस विषय पर रोशनी डालेंगे तो मुझे खुशी होगी। सामान्य धारणा है कि यह श्लोकांश वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड से लिया गया है। इसके अनुसार रावण के निधन के बाद राम लक्ष्मण से कहते है:- अपि स्वर्णमयी लंका मे लक्ष्मण न रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।

रावण के निधन के बाद लक्ष्मण ने राम से कहा कि कुछ दिन और लंका में रहें क्योंकि यह अत्यंत रमणीय स्थान है। तब राम ने कहा, हालांकि लंका स्वर्णमयी और सुंदर है, पर मुझे रुचिकर नहीं लगती। मुझे अपनी जन्मभूमि वापिस जाना है क्योंकि जननी और जन्मभूमि दोनों स्वर्ग से भी महान हैं। वाल्मीकि रामायण के तीन सौ के आसपास संस्करण हैं। इस ग्रंथ में 24,000 श्लोक और पाँच सौ सर्ग हैं। हरेक संस्करण में एकरूपता नहीं है। सभी संस्करणों में यह श्लोक नहीं मिलता। हिन्दी प्रचार प्रेस, मद्रास से 1930 में प्रकाशित वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में यह श्लोकांश है। पूरा श्लोक इस प्रकार है- मित्राणि धन धान्यानि प्रजानां सम्मतानिव| जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ||(6-124-17)

अर्थात संसार में मित्रों, धनवानों और धन-धान्य का बहुत सम्मान होता है, पर माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक सम्मानित होते हैं। युद्ध कांड के 124 वें सर्ग के 17वें श्लोक को नीचे लिखे लिंक में जाकर पढ़ा जा सकता है-


कुछ सरकारी गाड़ियों पर लाल बत्ती और कुछ पर नीली बत्ती लगी रहती है। इन बत्तियों को सरकार के कौन से पद के लोग लगाते हैं और इन दोनों बत्तियों में क्या फर्क होता है?

शबीब अहमद, डी-30, जीटीबी नगर, करैली, इलाहाबाद-211016


आपने अक्सर देखा होगा कि कोई एम्बुलेंस खास तरीके का सायरन बजाती आती है और लोग उसे रास्ता देते हैं। इसे आपातकालीन सेवा संकेत कहते हैं। एम्बुलेंस की छत पर रंगीन बत्तियाँ भी लगी रहती हैं। इसी तरह की व्यवस्था फायर ब्रिगेड के साथ भी होती है। पुलिस की गश्ती गाड़ियों पर भी। इसका उद्देश्य ज़रूरी काम पर जा रहे लोगों को पहचानना और मदद करना है। महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारियों, फौजी और नागरिक पदाधिकारियों के लिए भी ज़रूरत के अनुसार ऐसी व्यवस्थाएं की जाती हैं।

भारत में सेंट्रल मोटर ह्वीकल्स रूल्स 1989 के नियम 108(3) के अंतर्गत गाड़ियों पर बत्ती लगाने के जो निर्देश दिए हैं उनके अंतर्गत आने वाले कुछ पदाधिकारियों की सूची नीचे दे रहे हैं। ये केन्द्रीय निर्देश हैं। इनके अलावा राज्य सरकारों के निर्देश भी होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसम्बर 2013 में सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों को अपने नियम युक्तिसंगत बनाने का निर्देश दिया था। इन नियमों में आवश्यकतानुसार बदलाव होता रहता है।

लाल बत्ती फ्लैशर के साथ

राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीश, पूर्व प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष, राज्यों के मुख्यमंत्री आदि।

लाल बत्ती बिना फ्लैशर के

मुख्य चुनाव आयुक्त, सीएजी, लोकसभा उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री, सचिव स्तर के अधिकारी आदि।

पीली बत्ती

कमिश्नर इनकम टैक्स, रिवेन्यू कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक।

नीली बत्ती

एम्बुलेंस, पुलिस की गाड़ियाँ

इसी तरह गाड़ियों में सायरन लगाने के नियम भी हैं। दिल्ली मोटर ह्वीकल्स रूल्स 1993 के अनुसार सिर्फ इमरजेंसी वाहन जैसे फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, पुलिस कंट्रोल रूम की वैन में चमकने वाली या घूमने वाली लाल बत्ती के साथ सायरन लगा सकते है। वीआईपी की पायलट गाड़ी पर भी सायरन लगाया जा सकता है। दूसरे राज्यों में भी इसी प्रकार के नियम हैं।

कादम्बिनी के अक्तूबर 2016 अंक में प्रकाशित

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