Thursday, October 11, 2018

गिर के शेर खबरों में क्यों?

गुजरात के गिर में एक के बाद कई शेरों की मौत ने वन प्रशासन को हिलाकर रख दिया है. यहाँ 12 सितंबर के बाद से 21 शेरों की मृत्यु होने की खबरें हैं. ये शेर कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के शिकार थे. यह जानलेवा वायरस कुत्तों से जंगली जानवरों में फैलता है. इसके कारण तंजानिया में 1994 में 1000 शेरों की मौत हो गई थी. पहली खबरें तब आईं, जब पता लगा कि 12 से 19 सितंबर के दौरान डालखानिया रेंज में शावकों समेत 11 शेरों की मौत हो गई. गिर के शेर दो साल पहले भी खबरों में थे, जब कुछ शेरों ने इंसानों पर हमले करके उन्हें मार दिया. इंसान पर हमले की जो घटनाएं घटीं, उनके पीछे गिर के जंगलों के आसपास बसे गांवों में हो रहे ग़ैरक़ानूनी 'लॉयन शो' जिम्मेदार थे, जिनमें छोटे जानवरों को मार कर शेरों को आकर्षित किया जाता है. 'लॉयन शो' में आसानी से भोजन मिलने लगा. वे खेतों में सो रहे इंसानों को वे अपना शिकार समझने लगे.

गिर के जंगल की विशेषता
गुजरात का गिर राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यप्राणी अभयारण्य एशिया में सिंहों का एकमात्र निवास स्थान होने के कारण प्रसिद्ध है. विश्व में सिंहों की कम हो रही संख्या की समस्या से निपटने और एशियाटिक सिंहों के रक्षण का अकेला स्थान होने के कारण इसे पहचाना जाता है. इस जंगल को सन 1969 में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया गया और इसके छह वर्ष बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया. अब यह लगभग 248.71 वर्ग किलोमीटर इलाके तक फैल चुका है. सन 1974 में यहाँ सिंहों की संख्या 180 होने का अनुमान था, जिसके 2010 तक 400 और अब 500 से ऊपर होने का अनुमान है.

सिंह और बाघ में अंतर

बाघ (टाइगर), शेर (लॉयन), तेंदुआ (लैपर्ड) और चीते को पहचानने में हम अक्सर गलती करते हैं. कैट यानी बिल्ली प्रजाति के होते हुए भी चारों में अंतर है. सिंह की पहचान है उसके गले में चारों ओर का क्राउन या बालों का घेरा. इनके शरीर पर धारियां नहीं होतीं. क्राउन केवल नर शेर की गर्दन पर होता है, शेरनी की गर्दन पर नहीं. ये ऐसे जंगल में रहते हैं, जो बहुत सघन नहीं होते और जहाँ घास के मैदान होते हैं. भारत में शेर सिर्फ गुजरात के गिर अभयारण्य में हैं. इनके अलावा पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका में ये मिलते हैं. शेरों की सामाजिक व्यवस्था होती है. वे अमूमन झुंड में रहते हैं, जिन्हें प्राइड्स कहा जाता है. सामान्यतः शेरनी शिकार करती है और सब मिलकर खाते हैं. बाघ के शरीर की नारंगी रोएंदार खाल पर काली समांतर धारियां होती हैं. गले से लेकर नीचे तक का हिस्सा कई जगह सफेद होता है. ये सिंहों की तुलना में अकेले रहना पसंद करते हैं, और खुद शिकार करते हैं. भारत, बांग्लादेश और दक्षिण कोरिया में बाघ को राष्ट्रीय पशु माना जाता है. 

3 comments:

  1. बेहतरीन लेख !!

    प्रशंसनीय !

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व पोलियो दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. Nice Blog, Thanks for sharing informative information.
    Digi Patrika

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