Thursday, October 25, 2018

एस-400 मिसाइल प्रणाली


यह मिसाइल प्रणाली हवाई हमलों से बचाव के लिए है. यह सचल वाहन पर तैनात होती है. इसमें मल्टी फंक्शनल रेडार, ऑटोनॉमस डिटैक्शन और टार्गेटिंग सिस्टम, एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लांचर और एक कंट्रोल सेंटर शामिल है. इसे रूस के अल्माज़ सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है. हवाई हमलों से रक्षा के लिए एस-400 में चार किस्म की मिसाइलें तैनात हैं. बहुत लंबी रेंज यानी 400 किलोमीटर तक मार करने वाली 40एन6, लंबी रेंज 250 किलोमीटर तक मार करने वाली 48एन6, मीडियम रेंज 120 किलोमीटर तक मार करने वाली 9एम96ई2 और 40 किलोमीटर तक की छोटी दूरी तक मार करने वाली 9एम96ई मिसाइल तैनात हैं. इस प्रणाली में एक कमांड और कंट्रोल सेंटर है, जिसके रेडार 600 किलोमीटर तक की दूरी पर हो रही गतिविधियों को पकड़ लेते है. यह 8 गुणा 8 पहियों वाले एक विशेष ट्रक पर तैनात होता है. इसका एस बैंड सिस्टम एकसाथ 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है. इसके एक सिस्टम में 72 मिसाइलें तैनात होती हैं.

स्वदेशी प्रणाली

भारत ने हवाई हमलों से रक्षा के लिए अपनी प्रणालियाँ भी विकसित की हैं. ये प्रणालियाँ दो परतों वाली (टू-टियर) हैं. ज्यादा ऊँचाई के लिए प़थ्वी एयर डिफेंस सिस्टम (पीएडी) और कम ऊँचाई के लिए एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी). इन दोनों प्रणालियों का परीक्षण 2006 और 2007 में पूरा हो गया और भारत दुनिया में चौथा ऐसा देश है, जिसके पास अपनी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रणाली है. शेष तीन देश हैं रूस, अमेरिका और इसरायल. इस प्रणाली के दूसरे चरण पर काम चल रहा है. स्वदेशी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों में प्रद्युम्न, अश्विन और आकाश प्रमुख हैं. भारत के सामने पाकिस्तान और चीन का दोहरा खतरा खड़ा है. चीन ने सन 2015 में एस-400 की छह बटालियनें खरीदने का समझौता किया था. ये मिसाइलें चीन को इस साल जनवरी से मिलनी शुरू हो भी गई हैं. कभी दोनों देशों के साथ युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो भारत के सामने दिक्कतें पैदा हो जाएंगी, इसलिए रूसी सिस्टम खरीदने का फैसला किया गया है.

काट्सा क्या है?

अमेरिकी संसद ने ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर पाबंदियाँ लगाने के लिए सन 2017 में काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शंस एक्ट (काट्सा)पास किया था. इसका उद्देश्य यूरोप में रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकना भी है. इसकी धारा 231 के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास किसी भी देश पर 12 किस्म की पाबंदियाँ लगाने का अधिकार है. अमेरिका ने रूस की 39 संस्थाओं को चिह्नित किया है, जिनके साथ कारोबार करने वालों को पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है. इनमें ज्यादातर संस्थाएं रक्षा उपकरणों को तैयार करती हैं. भारत के सबसे ज्यादा रक्षा-उपकरण रूसी हैं. इस अधिनियम के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास राष्ट्रीय हित में किसी देश को इन पाबंदियों से छूट देने का अधिकार भी है.  
http://epaper.prabhatkhabar.com/1865927/Awsar/Awsar#page/6/1

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