Sunday, June 13, 2021

एंटीफा क्या है?

 

एंटीफा शब्द अंग्रेजी के एंटी-फासिस्ट का संक्षिप्त रूप है। पिछले साल अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ़्लॉयड की पुलिस कार्रवाई में हुई मौत के बाद राजधानी वॉशिंगटन समेत कई शहरों में भड़की हिंसा के पीछे इसका हाथ बताया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हिंसा में शामिल होने के आरोप में एंटीफा पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। यह शब्द उग्रवादी, वामपंथी और फासीवादी विरोधी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ये लोग नव-नाजी, नव-फासीवाद, ह्वाइट सुपीरियॉरिटी और रंगभेद के खिलाफ हैं।

एंटीफा के गठन को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। इससे जुड़े सदस्य दावा करते हैं कि इसका गठन 1920 और 1930 के दशक में यूरोपीय फासीवादियों का सामना करने के लिए किया गया था। हालांकि एंटीफा की गतिविधियों पर नजर रखने वाले जानकार बताते हैं कि एंटीफा आंदोलन 1980 के दशक में एंटी-रेसिस्ट एक्शन नामक एक समूह के साथ शुरू हुआ था। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक तक यह आंदोलन सुस्त था लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद इसने रफ्तार पकड़ी थी। हाल में जॉर्ज फ़्लॉयड की पिछले साल हुई मौत के मामले में अमेरिका की एक अदालत द्वारा पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक शॉविन को हत्या का दोषी माने जाने के बाद इस समूह के सदस्यों ने खुशी मनाई थी।

पिनकोड किस आधार पर बने हैं?

पिनकोड यानी पोस्टल इंडेक्स नम्बर भारतीय डाक-व्यवस्था के वितरण के लिए बनाया गया नम्बर है। छह संख्याओं के इस कोड में सबसे पहला नम्बर क्षेत्रीय नम्बर है। पूरे देश को आठ क्षेत्रीय और नवें फंक्शनल जोन में बाँटा गया है। इसमें दूसरा नम्बर उप-क्षेत्र का नम्बर है। तीसरा नम्बर सॉर्टिंग डिस्ट्रिक्ट का है। अंतिम तीन संख्याएं सम्बद्ध डाकघरों से जुड़ी हैं। दिल्ली को शुरूआती नम्बर मिला है 11। 12 और 13 नम्बर हरियाणा को मिले हैं, 14, 15 नम्बर पंजाब को इसी तरह 20 से 28 नम्बर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को मिले हैं। राजस्थान को 30-34, कर्नाटक को 56-59 वगैरह-वगैरह। उदाहरण के लिए दिल्ली के आठ जिलों के पिनकोड भौगोलिक स्थित के अनुसार बाँटे गए हैं। नई दिल्ली के कनॉट प्लेट, बंगाली मार्केट के आसपास के इलाकों के नम्बर 110001 से शुरू होते हैं, मिंटो रोड, अजमेरी गेट और दरियागंज वगैरह का नम्बर है 110002, इसके बाद लोदी रोड, सफदरजंग एयरपोर्ट और पंडारा रोड वगैरह का नम्बर है 110003। अंत में यमुना पार इलाके में मयूर विहार के फेज़ 1 में 110091 से होता हुआ गाज़ीपुर, मयूर विहार फेज़ 3 और वसुन्धरा एनक्लेव में यह 110096 हो जाता है।

‘निसार’ सैटेलाइट क्या है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा सन 2022 में एक उपग्रह का प्रक्षेपण करने वाले हैं, जिसका नाम नासा-इसरो और सिंथेटिक एपर्चर रेडार (एसएआर) को मिलाकर बनाया गया है निसार। यह उपग्रह धरती की सतह पर होने वाली एक सेमी तक छोटी गतिविधियों पर नजर रखेगा। इसका प्रक्षेपण भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया जाएगा। इसे नियर-पोलर कक्षा में स्थापित किया जाएगा और अपने तीन साल के मिशन में यह हरेक 12 दिन में पूरी धरती को स्कैन करेगा।

इस उपग्रह की लागत आएगी 1.5 अरब डॉलर। नासा को इस सैटेलाइट के लिए एक विशेष एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रेडार (एसएआर) की जरूरत थी जो भारत ने उपलब्ध कराया है। इस सैटेलाइट में अब तक का सबसे बड़ा रिफ्लेक्टर एंटेना लगाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इसरो का जो रॉकेट इस उपग्रह को लेकर जाएगा उसपर 1992 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था। 2200 किलो वजन के नासा-इसरो सार (निसार)को दुनिया की सबसे महंगी इमेजिंग सैटेलाइट माना जा रहा है और यह कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी में तैयार किया जा रहा है।

निसारधरती की सतह पर ज्वालामुखियों, बर्फ की चादरों के पिघलने और समुद्र तल में बदलाव और दुनिया भर में पेड़ों-जंगलों की स्थिति में बदलाव को ट्रैक करेगा। धरती की सतह पर होने वाले ऐसे बदलावों की मॉनिटरिंग इतने हाई रिजॉल्यूशन और स्पेस-टाइम में पहले कभी नहीं की गई। इसका हाई रिजॉल्यूशन रेडार बादलों और घने जंगल के आर-पार भी देख सकेगा। इस क्षमता से दिन और रात दोनों के मिशन में सफलता मिलेगी। इसके अलावा बारिश हो या धूप, कोई भी बदलाव ट्रैक कर सकेगा। अमेरिका और भारत ने इस उपग्रह के प्रक्षेपण का समझौता 2014 में किया था।

रेलगाड़ी की आखिरी बोगी के आखिर में X क्यों अंकित होता है?

रेलगाड़ी के आखिरी डिब्बे पर कोई निशान जरूरी है ताकि उनपर नज़र रखने वाले कर्मचारियों को पता रहे कि पूरी गाड़ी गुज़र गई है। सफेद या लाल रंग से बना यह बड़ा सा क्रॉस आखिरी डिब्बे की निशानी है। इसके अलावा अब ज्यादातर गाड़ियों में अंतिम बोगी पर बिजली का एक लैम्प भी लगाया जाता है, जो रह-रहकर चमकता है। पहले यह लैम्प तेल का होता था, पर अब यह बिजली का होता है। इस लैम्प को लगाना नियमानुसार आवश्यक है। इसके अलावा इस आखिरी डिब्बे पर अंग्रेजी में काले या सफेद रंग का एलवी लिखा एक बोर्ड भी लटकाया जाता है। एलवी का मतलब है लास्ट वेहिकल। यदि किसी स्टेशन या सिग्नल केबिन से कोई गाड़ी ऐसी गुजरे जिसपर लास्ट वेहिकल न हो तो माना जाता है कि पूरी गाड़ी नहीं आ पाई है। ऐसे में तुरत आपात कालीन कार्रवाई शुरू की जाती है।

कार्निवल ग्लास क्या है?

कार्निवल ग्लास से आशय शीशे के उन पात्रों और वस्तुओं से है, जो सजावटी, चमकदार और अनेक रंगतों की आभा देती हैं और महंगी नहीं होतीं। काँच की ये वस्तुएं साँचे में ढालकर या प्रेस करके तैयार की जाती हैं। इनका रूपाकार ज्यामितीय, फूलों-पत्तियों वाला और कट ग्लास जैसा भी होता है। ऐसी वस्तुएं बीसवीं सदी के शुरू बाजारों में आईं थीं और आज भी मिलती हैं। इन्हें कार्निवल ग्लास कहने के पीछे एक कारण यह है कि पश्चिमी देशों में लगने वाले मेलों और उत्सवों में, जिन्हे कार्नवल कहा जाता है ऐसी काँच की वस्तुओं को प्रतियोगिताओं में इनाम के रूप में दिया जाता था।

राजस्थान के मीनेक्स्ट में प्रकाशित

 

 

 

 

 

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