इस सवाल का जवाब समझना आसान नहीं है, क्योंकि धरती घूमती रहती है। इसलिए सबसे पहले कौन सा इलाका सूर्य के सामने आता है कहना मुश्किल है। बहरहाल मनुष्य ने धरती को अक्षांश, देशांतर के मार्फत विभाजित किया है। साथ ही पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाएं भी तय की हैं। धरती के गोले पर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जो काल्पनिक देशांतर रेखाएं हैं, उनमें जो देश सुदूर पूर्व में 180 देशांतर पर पड़ेंगे, वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मानना चाहिए।
दुनिया को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित किया है। इस टाइम ज़ोन से तय होता है कि सबसे पहले सूर्योदय किस देश में होता है। सामान्यतः हम मानते हैं कि दुनिया में जापान का मिनामी तोरीशीमा धुर पूर्व में है। इसलिए वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मान सकते हैं। दूसरा तरीका यह है कि डेटलाइन को आधार मानें। ग्रीनविच मीन टाइम को यदि हम आधार मानते हैं तो जापान के समय में नौ घंटे जोड़ने होंगे। यानी जब ग्रीनविच मीन टाइम शून्य यानी रात के बारह बजे होंगे तब जापान में सुबह के नौ बजे होंगे। वास्तव में जीएमटी से ठीक बारह घंटे का फर्क फिजी, तुवालू, न्यूजीलैंड और किरिबाती के मानक समय में है, जबकि इन सबकी स्थिति में फर्क है। इस लिहाज से दुनिया का सबसे पूर्व में स्थित क्षेत्र किरिबाती का कैरलिन द्वीप है, जहाँ के सूर्योदय को धरती का पहला सूर्योदय मान सकते हैं।
स्टार्ट-अप कम्पनी क्या है?
यह नई संस्कृति का शब्द है। नयापन, अभिनव, नवोन्मेष और नवाचार से मिलता-जुलता शब्द है स्टार्ट-अप। अंग्रेजी में इसके माने हैं नवोदय या अचानक उदय होना, उगना, आगे बढ़ना वगैरह। इसके कारोबारी माने हैं नए और अनजाने बिजनेस मॉडल की खोज। यानी नए किस्म के कारोबार में जुड़ी नई कम्पनियों को स्टार्ट-अप कम्पनी कहते हैं। भारत में ई-रिटेल और इंटरनेट से जुड़ी ज्यादातर नई कम्पनियाँ स्टार्ट-अप हैं। इनकी तकनीक नई है और मालिक और प्रबंधक भी नए किस्म के हैं। उनका काम करने का तरीका नया है। यह शब्द बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में डॉट-कॉम ‘बूम’ और ‘बबल’ के वक्त ज्यादा लोकप्रिय हुआ।
सामाजिक दृष्टि से भारत में यह नया चलन है। अमेरिका में बिजनेस प्लान करना, नयी कम्पनी बनाना, उसके मार्फत भारी सफलता पाने का चलन पहले से है। अमेरिका के बिजनेस और इंजीनियरी संस्थानों से निकल कर छात्र कारोबार शुरू करने के बारे में सोचता है। इस चलन के समानांतर एक नई संस्कृति का जन्म हो रहा है, जिसे स्टार्ट-अप कल्चर नाम मिला है।
भारत में अभी तक नौजवान नौकरी को वरीयता देते हैं। अब स्थितियाँ बदल रहीं हैं। अब तक की समझ है कि कारोबार में जोखिम है। कम उम्र में जोखिम उठाया जा सकता है, यही इस संस्कृति का मूल मंत्र है। माना जा रहा है कि संपन्नता उन्हीं के पास आती है, जो जोखिम उठाते हैं। परम्परागत व्यवसाय की जगह नए कारोबार के आविष्कार में फायदे की गुंजाइश भी ज्यादा है। परम्परागत तरीके से 10 से 15 फीसदी फायदा मिलता है, जबकि नवोन्मेष से 85 फीसदी या उससे भी ज्यादा फायदा मिलता है।
भारत में सबसे पहले ई-मेल कब?
15 अगस्त 1995 को भारत के विदेश संचार निगम ने देश में इंटरनेट सेवा की शुरूआत की। तभी से मेल सेवा भी शुरू हुई।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
दुनिया को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित किया है। इस टाइम ज़ोन से तय होता है कि सबसे पहले सूर्योदय किस देश में होता है। सामान्यतः हम मानते हैं कि दुनिया में जापान का मिनामी तोरीशीमा धुर पूर्व में है। इसलिए वहाँ सबसे पहले सूर्योदय मान सकते हैं। दूसरा तरीका यह है कि डेटलाइन को आधार मानें। ग्रीनविच मीन टाइम को यदि हम आधार मानते हैं तो जापान के समय में नौ घंटे जोड़ने होंगे। यानी जब ग्रीनविच मीन टाइम शून्य यानी रात के बारह बजे होंगे तब जापान में सुबह के नौ बजे होंगे। वास्तव में जीएमटी से ठीक बारह घंटे का फर्क फिजी, तुवालू, न्यूजीलैंड और किरिबाती के मानक समय में है, जबकि इन सबकी स्थिति में फर्क है। इस लिहाज से दुनिया का सबसे पूर्व में स्थित क्षेत्र किरिबाती का कैरलिन द्वीप है, जहाँ के सूर्योदय को धरती का पहला सूर्योदय मान सकते हैं।
स्टार्ट-अप कम्पनी क्या है?
यह नई संस्कृति का शब्द है। नयापन, अभिनव, नवोन्मेष और नवाचार से मिलता-जुलता शब्द है स्टार्ट-अप। अंग्रेजी में इसके माने हैं नवोदय या अचानक उदय होना, उगना, आगे बढ़ना वगैरह। इसके कारोबारी माने हैं नए और अनजाने बिजनेस मॉडल की खोज। यानी नए किस्म के कारोबार में जुड़ी नई कम्पनियों को स्टार्ट-अप कम्पनी कहते हैं। भारत में ई-रिटेल और इंटरनेट से जुड़ी ज्यादातर नई कम्पनियाँ स्टार्ट-अप हैं। इनकी तकनीक नई है और मालिक और प्रबंधक भी नए किस्म के हैं। उनका काम करने का तरीका नया है। यह शब्द बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में डॉट-कॉम ‘बूम’ और ‘बबल’ के वक्त ज्यादा लोकप्रिय हुआ।
सामाजिक दृष्टि से भारत में यह नया चलन है। अमेरिका में बिजनेस प्लान करना, नयी कम्पनी बनाना, उसके मार्फत भारी सफलता पाने का चलन पहले से है। अमेरिका के बिजनेस और इंजीनियरी संस्थानों से निकल कर छात्र कारोबार शुरू करने के बारे में सोचता है। इस चलन के समानांतर एक नई संस्कृति का जन्म हो रहा है, जिसे स्टार्ट-अप कल्चर नाम मिला है।
भारत में अभी तक नौजवान नौकरी को वरीयता देते हैं। अब स्थितियाँ बदल रहीं हैं। अब तक की समझ है कि कारोबार में जोखिम है। कम उम्र में जोखिम उठाया जा सकता है, यही इस संस्कृति का मूल मंत्र है। माना जा रहा है कि संपन्नता उन्हीं के पास आती है, जो जोखिम उठाते हैं। परम्परागत व्यवसाय की जगह नए कारोबार के आविष्कार में फायदे की गुंजाइश भी ज्यादा है। परम्परागत तरीके से 10 से 15 फीसदी फायदा मिलता है, जबकि नवोन्मेष से 85 फीसदी या उससे भी ज्यादा फायदा मिलता है।
भारत में सबसे पहले ई-मेल कब?
15 अगस्त 1995 को भारत के विदेश संचार निगम ने देश में इंटरनेट सेवा की शुरूआत की। तभी से मेल सेवा भी शुरू हुई।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
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