Wednesday, February 21, 2024

रणजी ट्रॉफी क्या है?

रणजी ट्रॉफी भारत की प्रथम श्रेणी घरेलू क्रिकेट चैम्पियनशिप है, जिसमें क्षेत्रीय क्रिकेट संघों के साथ रेलवे और सेना की टीमें भाग लेती हैं। देश में नए खिलाड़ियों को तैयार करने में इस प्रतियोगिता की सबसे बड़ी भूमिका है। वर्तमान समय में इसमें 38 टीमें शामिल होती हैं। इनमें 28 राज्यों की टीमें और आठ केंद्र शासित क्षेत्रों में से चार की टीमें शामिल होती हैं। इनके अलावा चार ऐसी टीमें हैं, जो किसी राज्य का एक इलाका है। जैसे महाराष्ट्र से मुंबई और विदर्भ तथा गुजरात से सौराष्ट्र और बड़ौदा। इनके अलावा रेलवे और सेना की टीम है। हैदराबाद की टीम तेलंगाना का प्रतिनिधित्व करती है।

यह प्रतियोगिता नवानगर (वर्तमान में जामनगर) स्टेट के महाराजा कुमार श्री रणजीतसिंहजी जाडेजा के नाम पर है, जो रणजी नाम से प्रसिद्ध थे और बहुत अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी थे। वे भारत के पहले क्रिकेटर थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम की ओर से खेलने का मौका मिला था। प्रतियोगिता पहली बार 1934-35 में खेली गई। जुलाई 1934 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की एक बैठक के बाद इसे देश की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के रूप में शुरू किया गया था। पहले साल इसका नाम क्रिकेट चैंपियनशिप ऑफ इंडिया था। 1935 में इसका नाम रणजी इसकी ट्रॉफी को पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने दान में दिया था।

प्रतियोगिता का पहला मैच 4 नवंबर 1934 को तत्कालीन मद्रास और अब चेन्नई में चेपक के मैदान पर मद्रास और मैसूर के बीच खेला गया। पहली चैंपियनशिप बंबई की टीम ने जीती। फाइनल में उसने उत्तर भारत की टीम को पराजित किया। 2022-23 की विजेता सौराष्ट्र की टीम रही। कोविड के कारण 2020-21 की प्रतियोगिता नहीं हो पाई। इसका फॉर्मेट बदलता रहा है। पहले यह पाँच क्षेत्रों में विभाजित थी। 2002-03 से जोनल सिस्टम खत्म करके प्रतियोगिता को दो स्तरों में बाँट दिया गया। एक सुपर लीग और दूसरा प्लेट वर्ग। इसमें भी बदलाव होता रहा। 2018-19 से यह प्रतियोगिता तीन स्तरीय हो गई है।

टी-20 डकवर्थ-लुईस

क्रिकेट के टी-20 मैच में एक टीम अपने पूरे 20 ओवर खेल लेती है और दूसरी टीम पूरे 20 ओवर नहीं खेल पाती है, तो एक नियम के तहत बचे हुए ओवरों में नया लक्ष्य निर्धारित किया जाता है इस लक्ष्य निर्धारण को एक स्टैटिस्टिकल टेबल की मदद से निकाला जाता है। इस नियम का विकास इंग्लैंड के दो सांख्यिकी विद्वानों फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस ने किया था, इसलिए इसे डकवर्थ-लुईस पद्धति कहा जाता है। टी-20 में इसका सहारा तभी लिया जाता है जब दूसरी पाली में 20 में से कम से कम 5 ओवरों का खेल हो चुका हो।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 17 फरवरी, 2024 को प्रकाशित

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