Saturday, March 23, 2024

पहले आम चुनाव में हुए थे मतदान के 68 चरण

पहले आम चुनाव में 25 अक्तूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक मतदान के कुल 68 चरण हुए थे। पहले आम चुनाव के बाद चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सबसे ज्यादा समय पंजाब में लगा, जहाँ केवल होशियारपुर चुनाव-क्षेत्र का मतदान होने में ही 25 दिन लगे। ज्यादातर मतदान 1952 में हुआ, पर, मौसम को देखते हुए सबसे पहले 1951 में  चुनाव का पहला वोट 25 अक्तूबर, को हिमाचल प्रदेश की चीनी और पांगी में सबसे पहले मतदान हुआ। उस समय परिवहन की स्थिति यह थी कि मतदान के बाद चुनाव क्षेत्र के मुख्यालय चंबा और कसुंपटी तक मतपेटियों को लाने में एक हफ्ता लगा।

पहले चुनाव के बैलट बॉक्स

इन दिनों चुनाव ईवीएम मशीनों के माध्यम से होते हैं, पर इसके पहले बैलट के माध्यम से होते थे। इन मतपत्रों पर सभी प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिह्न होते थे। मतदाता, जिसे चुनना चाहता था उसके सामने मुहर लगाता था। उसके बाद मतपत्र को एक बक्से में डाल दिया जाता था, जिसे बैलट बॉक्स कहते थे।

देश में सबसे पहले जो चुनाव हुए उसमें भी बैलट बॉक्स होते थे, पर वे कुछ अलग थे।
उस दौर में हरेक प्रत्याशी के लिए अलग बैलट बॉक्स होते थे, जिनपर चुनाव चिह्न होते थे. मतदाता को अपनी पसंद के प्रत्याशी के बक्से में मतपत्र डालना होता था। पहले लोकसभा चुनाव में करीब 25 लाख बैलट बॉक्स का इस्तेमाल किया गया। इन बक्सों में विशेष तरह के ताले का प्रयोग किया गया था। यह व्यवस्था इसलिए क गई थी ताकि बॉक्स को खोल कर वोट से छेड़छाड़ कर पुनः बंद न किया जा सके।

पहले आम चुनावों के लिए बैलेट बॉक्स की यह व्यवस्था अव्यावहारिक लगी, क्योंकि कुछ चुनाव क्षेत्रों में प्रत्याशियों की संख्या काफी ज्यादा थी। अब तो कई बार पचास या उससे भी ज्यादा प्रत्याशी होने लगे हैं। हरेक बूथ में इतने ज्यादा बक्सों की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल है। इसलिए 1957 के दूसरे चुनाव से व्यवस्था बदल दी गई और मतपत्र पर सभी प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिह्न होने लगे। मतदाता किसी एक प्रत्याशी को वोट देकर एक सामान्य बक्से में उसे डालने लगा।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 23 मार्च, 2024 को प्रकाशित


Saturday, March 9, 2024

‘वोक’ का मतलब क्या?

अंग्रेजी का ‘वोक’ शब्द वेक यानी जागने का पास्ट टेंस है। इसका अर्थ है ‘जागा हुआ, जाग्रत या जागरूक।’ इस अर्थ में यह व्यक्ति के गुण को बताता है। मूलतः यह अफ्रीकन-अमेरिकन वर्नाक्युलर इंग्लिश (एएवीई) से निकला शब्द है, जिसकी पृष्ठभूमि अमेरिकी जन-जीवन से जुड़ी है। इसका इस्तेमाल रंगभेद और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध जाग्रति के अर्थ में किया जाता है। यह 1930 के दशक में ही गढ़ लिया गया था। तब इसका अर्थ था अश्वेतों के अधिकारों के पक्ष में जाग्रत।

पिछली सदी के अमेरिकी अश्वेत संगीतकार लीड बैली और हाल के वर्षों में एरिका बैडू ने इसे लोकप्रिय बनाया। अलबत्ता 2010 के शुरुआती वर्षों में इसका इस्तेमाल प्रजातीय, लैंगिक भेदभाव के विरुद्ध और एलजीबीटी अधिकारों के लिए भी होने लगा। तब इसका अर्थ-विस्तार हो गया। यानी केवल रंगभेद या प्रजातीय भेदभाव के अलावा अमेरिकी वामपंथियों ने सामाजिक पहचान, सामाजिक-न्याय के पक्ष में और गोरों की श्रेष्ठता जैसी धारणाओं के विरुद्ध खड़े लोगों के लिए इस विशेषण का इस्तेमाल करना शुरू किया। 2014 में एक अश्वेत व्यक्ति की मौत के बाद शुरू हुए फर्ग्युसन आंदोलन और ब्लैक लाइव्स मैटर जैसे आंदोलनों से यह और लोकप्रिय हुआ। वोक शब्द 2017 में ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में भी शामिल हो गया। इस दौर में इनक्लूसिव या समावेशी धारणाओं, लैंगिक समानता, पर्यावरण-सुरक्षा और राजनीतिक सतह पर धर्मनिरपेक्षता जैसे विचारों की बात होती है। इन विचारों के अंतर्विरोधों को उभारने के लिए वामपंथ के विरोधी इस शब्द का नकारात्मक अर्थ में या मज़ाक में भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।

स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव

स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले आम चुनाव 25 अक्तूबर, 1951 से 21 फरवरी, 1952 तक हुए। उसमें लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए जन-प्रतिनिधियों का चुनाव 17 करोड़ 30 लाख अधिकृत मतदाताओं में से 10 करोड़ 60 लाख ने वोट डालकर किया। लोकसभा की 489 सीटों के लिए कुल 1,874 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से 533 निर्दलीय प्रत्याशी थे। चुनाव में कुल 53 पार्टियों ने हिस्सा लिया। चुनाव में कांग्रेस के 364 प्रत्याशी जीते, दूसरे स्थान पर कम्युनिस्ट पार्टी रही, जिसके 16 और तीसरे स्थान पर सोशलिस्ट पार्टी के 12 प्रत्याशी जीते। जनसंघ को कुल तीन सीटें मिलीं और डॉ भीमराव आंबेडकर की पार्टी शेड्यूल्‍ड कास्ट फेडरेशन को दो सीटें मिलीं। डॉ आंबेडकर स्वयं चुनाव हार गए थे।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, March 7, 2024

संसद के उच्च सदन को जानिए

दुनिया के काफी देशों में एक सदन वाली संसदीय व्यवस्था काम करती है। हमारे पड़ोस में श्रीलंका और बांग्लादेश में एक सदनात्मक व्यवस्था है। पश्चिम एशिया और अफ्रीका के देशों में बड़ी संख्या में एक सदन ही हैं। इंडोनेशिया में एक सदन है और स्कैंडिनेवियाई देशों में भी। दुनिया में एक सदन वाले देशों की संख्या ज्यादा हैकरीब दो तिहाई, पर इंग्लैंडफ्रांसअमेरिकाकनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में दो सदनों की व्यवस्था है। अतीत में कुछ देशों ने तीन सदनों वाली व्यवस्था भी शुरू की थी। दो सदन होने पर एक को उच्च सदन और दूसरे को निम्न सदन कहते हैं। सामान्यतः निम्न सदनों का आकार और प्रतिनिधित्व प्रत्यक्ष होता है। उसके पास अधिकार भी ज्यादा होते हैं। कार्यपालिका की जवाबदेही उनके प्रति होती है। उच्च सदन की भूमिका प्रायः सलाह देने की होती है। कुछ देशों में उच्च सदन काफी प्रभावशाली होता है। अमेरिकी सीनेट के पास प्रशासन को चलाने की काफी शक्तियाँ होती हैं। नीदरलैंड्स में उच्च सदन किसी प्रस्ताव को रोक सकता है। भारत में राज्यसभाअमेरिकाऑस्ट्रेलिया और कनाडा में सीनेटयुनाइटेड किंगडम में लॉर्डसभामलेशिया में दीवान नेगाराजर्मनी में बुंडेसराट और फ्रांस में सीने उच्च सदन हैं। इटली की सीनेट के पास वही अधिकार होते हैंजो निम्न सदन के पास हैं। 

सीएजी क्या होता है?

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जिसे अंग्रेजी में कंप्ट्रोलर ऑडिटर जनरल कहते हैं, जिसका संक्षिप्त रूप है सीएजी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार, सभी प्रादेशिक सरकारों तथा सरकारी पूँजी से बने सभी सार्वजनिक उपक्रमों और संस्थाओं के सभी तरह के हिसाब-किताब की परीक्षा करता है। उसकी रिपोर्ट पर संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) तथा सार्वजनिक उपक्रमों की समिति विचार करती है। यह एक स्वतंत्र संस्था है, जिसपर सरकार का नियंत्रण नहीं होता। सीएजी की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। सीएजी ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है। सीएजी से सम्बद्ध व्यवस्थाएं हमारे संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 तक की गईं हैं। देश के वरीयता अनुक्रम में सीएजी का स्थान नौवाँ होता है, जो सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश के बराबर है। देश के वर्तमान सीएजी हैं गिरीश चंद्र मुर्मू, जिन्होंने 8 अगस्त, 2020 को कार्यभार संभाला था। वे देश के 14वें सीएजी हैं। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र, जो भी पहले होगा,  तक के लिए होता है।

डाक टिकट पर देश का नाम नहीं

यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड के डाक टिकटों पर देश का नाम नहीं होता। इसकी वजह यह है कि इन देशों में ही डाक टिकटों की शुरूआत हुई थी और इन्होंने तब अपने देशों के नाम टिकट पर नहीं डाले थे। यह परंपरा अब भी चली आ रही है। अलबत्ता इन टिकटों पर देश के राजतंत्र की छवि ज़रूर होती है।

यूरोस्टार क्या है?

यूरोस्टार यूरोप में चलने वाली अंतरराष्ट्रीय ट्रेन सेवा है जो बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन को जोड़ती है। यह ट्रेन ब्रिटेन और यूरोप के बीच के सागर इंग्लिश चैनल के नीचे बनी एक सुरंग से होकर जाती है। यह ट्रेन 300 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से चलती है और सामान्यतः इसे लंदन से पेरिस पहुंचने में 2 घंटे 35 मिनट लगते हैं।

प्रोटोकॉल क्या होता है?

प्रोटोकॉल का सामान्य अर्थ शिष्टाचार या कुछ मान्य सिद्धांत है। जैसे डिप्लोमेसी में काम करने के तौर-तरीके होते हैं। प्रोटोकॉल का एक आशय संधियों और समझौते भी है। इसके अलावा चिकित्सा, सरकारी कार्यों और सेना जैसी सेवाओं में कुछ कार्यों के निश्चित नियम भी प्रोटोकॉल कहलाते हैं। जैसे कोविड-19 के इलाज का प्रोटोकॉल। इसका एक अर्थ मर्यादाओं से भी है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 24 फरवरी, 2024 को प्रकाशित

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