यमुनोत्री मंदिर और पृष्ठभूमि में नदी |
करीब सात करोड़ साल पहले सुपर महाद्वीप गोंडवाना यानी इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट उत्तर की ओर बढ़ी और यूरेशियन प्लेट से टकराई। इससे ज़मीन का काफी हिस्सा उठ गया। यही उभरी हुई ज़मीन हिमालय है। इस टकराव को पूरा होने में करीब दो करोड़ साल लगे। जिस इलाके में कभी समुद्र था वहाँ दुनिया के सबसे ऊँचे पहाड़ बन गए। यह बात अब से करीब पाँच करोड़ साल पहले की है। इसके दो करोड़ साल बाद पहला हिमयुग आया। हिमयुगों का अंतिम दौर करीब 20 हजार साल पहले तक चला। ग्लेशियरों के पिघलने के साथ ही नदियों का जन्म भी हुआ। यमुना नदी 6387 मीटर की ऊँचाई पर स्थित बंदरपूँछ ग्लेशियर से निकलती है और यमुनोत्री में प्रकट होती है। उसके काफी पहले ग्लेशियरों की पिघली बर्फ का पानी सतह पर या ज़मीन के नीचे से होता हुआ यमुनोत्री तक आता है। सम्भवतः यह कभी घग्घर या सरस्वती की सहायक नदी थी, जो अब लुप्त हो गई है। यह गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी है, जो त्रिवेणी के संगम में गंगा से मिलने के पहले 1,376 किलोमीटर लम्बा रास्ता पार करके आती है। यह देश की ऐसी सबसे लम्बी नदी है, जो सागर में नहीं गिरती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना सूर्य की पुत्री और यमराज की बहन हैं। जिस पहाड़ से निकलतीं हैं उसका एक नाम कालिंद है इसलिए यमुना को कालिंदी भी कहते हैं।