यदि भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया, तो इसे दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को ही लागू क्यों किया गया?
हालांकि संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान के प्रारूप को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया था, पर यह तय किया गया कि इसे 26 जनवरी से लागू किया जाए क्योंकि 26 जनवरी 1930 के लाहौर कांग्रेस-अधिवेशन में पार्टी ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया था और अध्यक्ष पं जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में इसकी माँग की थी। संविधान के नागरिकता, चुनाव और संसद जैसी व्यवस्थाएं तत्काल लागू हो गईं थीं। राष्ट्रीय संविधान सभा ने ध्वज 22 जुलाई 1947 को ही स्वीकार कर लिया था। और वह 15 अगस्त 1947 से औपचारिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज बन चुका था।
राष्ट्रपति भवन पर पहली बार तिरंगा कब फहराया गया?
भारतीय संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया। 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि के आसपास यह ध्वज संसद भवन के सेंट्रल हॉल में फहराया गया। इसी कार्यक्रम में श्रीमती हंसा मेहता ने राष्ट्रध्वज डॉ राजेन्द्र प्रसाद को भेंट किया। 15 अगस्त 1947 की भोर तब के वायसरीगल हाउस और वर्तमान राष्ट्रपति भवन पर तिरंगा फहराया गया। संसद भवन के शिखर पर भी उसी सुबह तिरंगा फहराया गया।
केंद्रीय वित्त
मंत्री और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के विभागों और कार्यों में कितना अंतर है?
गिरिराज प्रजापति, झालावाड़
केन्द्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी अपने
पूरे मंत्रालय के प्रभारी हैं। वित्त मंत्रालय में अनेक विभाग हैं जैसे आर्थिक कार्य़
विभाग, व्यय विभाग, राजस्व विभाग, विनिवेश विभाग और वित्तीय सेवाएं विभाग। इसके अलावा
भी मंत्रालय में काम हैं। वित्त मंत्री के साथ दो राज्यमंत्री हैं एसएस नमोनारायण मीणा
और पलानीमणिक्कम। उनके बीच विभागों का काम बँटा है। सामान्यतः कैबिनेट की बैठक में
केवल वित्त मंत्री ही जाएंगे।
विकिलीक्स क्या है?
विजेंद्रकुमार
जांगिड़, दौसा
विकीलीक्स एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य ऐसी गोपनीय सामग्री को
सामने लाना है, जो
सरकारों या सार्वजनिक संस्थानों के भीतर से लीक होकर आती हैं या ह्विसिलब्लोवरों की
मदद से मिलतीं हैं। इसकी वैबसाइट सन 2006 में शुरू की गई थी। इसके पास दुनिया-भर
के लाखों-करोड़ों दस्तावेज हैं। सन 2006 में जब यह वैबसाइट प्रकट हुई तब कोई
जानता नहीं था कि इसके पीछे कौन लोग हैं। बताते हैं कि इसकी शुरुआत चीन के असंतुष्टों
ने की थी। विकीलीक्स के शुरूआती भंडाफोड़ में से एक केन्या का तीन अरब डॉलर का घोटाला
था। इसी तरह सोमालिया में सरकारी अधिकारियों की हत्या के आदेश का भंड़ाफोड़ विकीलीक्स
ने किया। सन 2009
में आइसलैंड के एक बैंक की जोखिम विश्लेषण-रपट के टीवी प्रसारण पर अदालत ने पाबंदी
लगा दी तो विकीलीक्स ने मामले को उठाया। तथ्यों की जानकारी मिलने पर देश की बैंकिंग
व्यवस्था को लेकर जनता का गुस्सा भडक़ उठा। अंतत: संसद को नियमों में बदलाव करना पड़ा।
पहले यह पता नहीं था कि यह काम करता
कौन है। अब ऑस्ट्रेलियन पत्रकार जूलियन असांज का नाम सामने आया है। प्रकट-प्रतिनिधि
अभी तक वही हैं। इस संगठन को जॉन एस एंड जेम्स एल नाइट फाउंडेशन ने मदद दी है। इसके
अलावा असोशिएटेड प्रेस, लॉस एंजलस टाइम्स और नेशनल न्यूकापेपर पब्लिशर्स
असोसिएशन भी मदद करती है। सन 2008 में इस संगठन को इकोनॉमिस्ट न्यू मीडिया अवॉर्ड
मिला। 2009 में एमनेस्टी इंटरनेशनल का यूके मीडिया
अवॉर्ड मिला। मई 2010 में इसे खबरों को पूरी तरह बदल देने में समर्थ
दुनिया की नम्बर वन वैबसाइट की संज्ञा भी दी गई है। बताते हैं कि इस काम को पाँच पूर्णकालिक
पत्रकार करते हैं, जिनके साथ 800 से ज्यादा वॉलंटयिर्स की टीम है।
कोई भी पैसा नहीं लेता। इसके सलाहकार बोर्ड में जूलियन असांज के अलावा आठ अन्य लोग हैं। पिछले साल असांज पर कई
तरह के मुकदमें दायर किए हैं। इन्हें इंग्लैंड में गिरफ्तार भी किया गया। स्वीडन ने
इंग्लैंड से उनके प्रत्यर्पण की माँग की है। यह मामला अभी अदालत में हैं। नवम्बर 2010 से विकीलीक्स अमेरिकी विदेश विभाग के
गोपनीय दस्तावेजों को प्रकाशित कर रहा। हाल में इसने भारत से जुड़े अमेरिकी दस्तावेजों
का प्रकाशन भी किया। इन दस्तावेज़ों में भारत-अमरीका परमाणु समझौते पर वर्ष 2008 में
मनमोहन सरकार को विश्वास प्रस्ताव के दौरान गिरने से बचाने के लिए पैसों का लेन देन
का ज़िक्र भी है।
विकीलीक्स को वैब पर बनाए रखने के लिए
टेक्नॉलजी विशेषज्ञ भी चाहिए। इनके साथ ताइवान, अमेरिका, फ्रांस, युरोप, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेकी
जुटे हैं। अभी तक चीन इनकी वैबसाइट को ब्लॉक करने में कामयाब नहीं हो पाया है। अफगानिस्तान
में एक हवाई हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत का ऑफीशियल वीडियो विकीलीक्स ने जारी
किया तो हंगामा हो गया। यह फिल्म हैलिकॉप्टर में बैठे पायलटों ने ही खींची थी। विकीलीक्स
का उद्देश्य दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ तथ्यों को सामने लाना है। इसमें मददगार
भीतर के लोग ही होते हैं, जिन्हें हम ह्विसिल ब्लोवर कहते हैं।
सर्दियों में कुंड का पानी गर्म और गर्मियों
में ठंडा क्यों होता है?
गणेश चौधरी, फलौदी
जमीन के नीचे
या पहाड़ों के अंदर जमा पानी पर बाहरी तापमान का असर कम होता है। इसलिए सर्दियों में
जब बाहरी तापमान कम होता है, कुंड या कुए का पानी उससे उतना प्रभावित नहीं होता। एकबारगी
वह उतना ठंडा नहीं होता, जितनी बाहर ठंड होती है, इसलिए वह गुनगुना लगता है। इसके उलट
गर्मियों में वही पानी गर्मी से उतना प्रभावित नहीं होता, इसलिए उतना गर्म नहीं होता।
इसलिए ठंडा लगता है।
यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर क्या है? इसका क्या उपयोग है?
विजेंद्र कुमार जांगिड़, जयपुर
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, भारत
सरकार की एक संस्था है, जिसे भारतीय नागरिकों के लिए बहुद्देश्यीय पहचान पत्र का कार्यक्रम
तैयार करने और उसे लागू कराने की जिम्मेदारी दी गई है। इसे आधार नाम दिया गया है। इस
प्राधिकरण की स्थापना फरवरी 2009 में की गई थी। प्राधिकरण देश के प्रत्येक नागरिक को
बारह संख्याओं का एक विशिष्ट नम्बर देगा, जिससे उसकी पहचान हो सके। इसके साथ एक डेटाबेस
में उस नागरिक से जुड़ी जानकारियाँ बायोमीट्रिक्स में होंगी। यानी फोटोग्राफ, दस उंगलियों
के निशान और आँख की आयरिस। इसके मार्फत किसी भी व्यक्ति की ऑनलाइन पहचान हाथों-हाथ
हो सकेगी। इस प्राधिकरण के अध्यक्ष नंदन नीलेकनी हैं, जिन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा
दिया गया है।
आधार का उद्देश्य देशभर में चल रहे
कई तरह के पहचान पत्रों की जगह एक विश्वसनीय पहचान पत्र देना है। इससे नकली पहचान-पत्र
तैयार करने का चलन खत्म होगा। इस नम्बर के साथ व्यक्ति के पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस,
बैंक अकाउंट, पैन कार्ड, वोटर आईडी और पते का विवरण जोड़ा जा सकेगा। इसका लाभ केवल
व्यक्ति की पहचान भर से नहीं मिलेगा। मछली पकड़ने के परमिट, सीमा क्षेत्र में रहने
वालों के परिचय पत्र, राशन जैसे सब्सिडी वाले कल्याणकारी कार्यक्रमों को प्रभावशाली
ढंग से लागू करने में भी इससे मदद मिलेगी। अभी तक बेहद गरीब लोगों को बैंकिंग सुविधाएं,
बीमा, गैस कनेक्शन आदि इसलिए नहीं मिल पाते हैं, क्योंकि उनके पास उचित पहचान पत्र
नहीं होता।
इस कार्यक्रम की शुरुआत 29 सितम्बर
2010 को महाराष्ट्र के एक गाँव से हो चुकी है। तेम्भी गाँव की रंजना सोनावने को पहला
आधार नम्बर दिया गया। लगभग डेढ़ लाख करोड़ के खर्च से बन रही यह योजना लगभग एक लाख
नए रोजगार भी देगी। यह कार्यक्रम अनिवार्य नहीं है, बल्कि स्वैच्छिक है।
राजस्थान पत्रिका में मेरे कॉलम नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
Interesting and informative.
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