पसीना सर्दियों में भी आ सकता है। महत्वपूर्ण है त्वचा का ठंडा या गर्म होना। हमारे शरीर के भीतर ऐसी व्यवस्था है कि जैसे ही त्वचा का तापमान बढ़े उसे कम करने के लिए शरीर सक्रिय हो जाता है। पसीना उस कोशिश का हिस्सा है। ज़ाहिर है कि गर्मियों शरीर ज्यादा गर्म होता है इसलिए में पसीना ज्यादा आता है। स्तनधारियों की त्वचा में पसीने की ग्रंथियों से निकलने वाला एक तरल पदार्थ है, जिसमें पानी मुख्य रूप से शामिल हैं और साथ ही विभिन्न क्लोराइड तथा यूरिया की थोड़ी सी मात्रा होती है। तेज़ गर्मी में त्वचा की सतह गर्म होने पर शरीर पानी छोड़कर उसे ठंडा करने की कोशिश करता है। गर्म मौसम में, या व्यक्ति की मांसपेशियों को मेहनत के काम करने के कारण, शरीर पसीने का उत्पादन करता है। सर्दियों में उसकी ज़रूरत नहीं होती इसलिए वह नहीं निकलता। हमारे मस्तिष्क के हायपोथेलेमस के प्रियॉप्टिक और एंटेरियर क्षेत्रों के एक केंद्र से पसीना नियंत्रित होता है, जहां तापमान से जुड़े न्यूरॉन्स होते हैं। त्वचा में तापमान रिसेप्टर्स से प्राप्त सूचनाओं से मस्तिष्क सक्रिय हो जाता है और पसीना निकलने लगता है।
क्या सफेद हाथी
भी होते हैं?
दक्षिण पूर्व एशिया के थाईलैंड, म्यांमार, लाओस और कम्बोडिया आदि में सफेद हाथी भी मिलते हैं। इनकी संख्या कम होने के कारण इन्हें महत्वपूर्ण माना जाता है। राजा महाराजा ही इन्हें रखते हैं। हिन्दू परम्परा में सफेद हाथी ऐरावत है इन्द्र की सवारी। पवित्र होने के नाते इस इलाके में सफेद हाथियों से काम भी नहीं कराते। हाथी रखना यों भी खर्चीला काम है, इसलिए सफेद हाथी एक मुहावरा बन गया है।
हेल्मेट की शुरूआत कब हुई?
हेल्मेट का मतलब है शिरस्त्राण। सिर को बचाने वाला। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले शिरस्त्राण मेसोपोटामिया की सभ्यता से जुड़े सैनिकों ने पहने थे। ईसा से तकरीबन एक हजार साल पहले सैनिकों ने चमड़े और धातु के बने टोपे पहनने शुरू किए थे ताकि पत्थरों, डंडों और तलवारों के वार से बचाव हो सके। यों उसके पहले इंसान ने छाते के रूप में सिर को पानी और धूप से बचाने का इंतजाम किया था।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
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