ओलिंपिक खेलों में महिलाएं धूम मचा रही हैं, पर यह सफर आसान नहीं रहा है। दुनिया के दूसरे मसलों की तरह खेल-कूद को भी केवल पुरुषों तक ही सीमित रखा गया था। 1996 में आधुनिक ओलिंपिक पुरुषों के उत्सव के रूप में ही शुरू हुए थे। स्त्रियों को नाजुक मानकर शामिल नहीं किया गया। बावजूद इसके यूनान की महिला स्तामाता रेविती ने मैराथन दौड़ में शामिल होने का फैसला किया, पर उसे अनुमति नहीं मिली। शहर के बुजुर्ग धर्मगुरु ने पुरुष खिलाड़ियों को आशीर्वाद दिया, रेविती को नहीं। बावजूद इसके दौड़ के अगले दिन उसने अकेले साढ़े पाँच घंटे में दौड़ पूरी की, पर उसे स्टेडियम के अंदर जाने नहीं दिया गया। बहरहाल 1900 के पेरिस ओलिंपिक में महिलाओं को भी भाग लेने की अनुमति मिली, पर उनके लिए केवल गोल्फ और टेनिस, दो खेल स्पर्धाएं हुईं। 1904 में, तीरंदाजी की अनुमति भी मिली। महिलाओं का समर्थन करने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ था, जिसने 1912 के खेलों में तैराकी में महिलाओं को शामिल करने के लिए मतदान किया। एक बड़ी भूमिका फ्रांसीसी महिला एलिस मिलियात ने अदा की, जिन्होंने 1919 में फ्रांसीसी महिला खेल संघ और 1921 में अंतरराष्ट्रीय महिला खेल महासंघ बनाए और अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति पर दबाव डाला। 1922 से 1934 तक महिला ओलिंपियाड आयोजित किए गए। यह क्रम जारी रहा और 1997 में ओलिंपिक महासंघ के चार्टर में महिलाओं को बढ़ावा देने की बात भी शामिल हो गई।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में
3 अगस्त, 2024 को प्रकाशित
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