राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 1 फरवरी, 2025 को प्रकाशित
Tuesday, February 4, 2025
खेल प्रतियोगिताओं के मेडल
खेल की दुनिया का सबसे बड़ा समारोह होता है ओलंपिक। इसकी प्रेरणा यूनान के पुराने खेल समारोहों से ली गई है, जो ईसा से आठ सदी पहले से लेकर ईसा की चौथी सदी तक ओलंपिया में होते रहे। यानी तकरीबन बारह सौ साल तक ये खेल यूनान में हुए। पुराने यूनान में सिर्फ ओलंपिक ही नहीं, चार खेल समारोह होते थे। इन खेलों में विजेता को पदक नहीं दिए जाते थे, बल्कि उनके माथे पर जैतून के उस पेड़ की पत्तियों को बाँधा जाता था, जो ओलंपिया में लगा था। जब 1896 में आधुनिक ओलंपिक खेल शुरू हुए तो जैतून की पत्तियों की जगह मेडल ने ली। 1896 के पहले और सन 1900 के दूसरे ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल नहीं दिए गए। उनमें चाँदी और ताँबे के मेडल क्रमशः विजेता और उपविजेता को दिए गए। 1904 में अमेरिका के मिज़ूरी में तीन मेडलों का चलन शुरू हुआ। ओलंपिक के गोल्ड मेडल का आकार, डिजाइन और वज़न अलग-अलग ओलंपिक खेलों में बदलता रहता है। पदकों के अलावा खेलों में टीमों को ट्रॉफी और शील्ड भी दी जाती हैं।
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