Saturday, February 22, 2025

अमेरिकी-स्मारक माउंट रशमोर

आपने अमेरिका के एक पहाड़ की तस्वीर देखी होगी, जिसमें कुछ लोगों के चेहरे बने हैं। दुनिया में राष्ट्रीय नेताओं की याद में बना यह अनोखा स्मारक है। इस पहाड़ को माउंट रशमोर कहते हैं। इस पर अमेरिका के चार पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज वॉशिंगटन, टॉमस जैफ़रसन, थियोडोर रूज़वेल्ट और अब्राहम लिंकन के चेहरे बनाए गए हैं। साठ फ़ुट लंबे ये चेहरे 5,725 फ़ुट की ऊँचाई पर बने हैं और काफी दूर से दिखाई देते हैं।1923 में इतिहासकार डोने रॉबिनसन के दिमाग में साउथ डकोटा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए माउंट रशमोर का विचार आया था। देश के 30वें राष्ट्रपति (1923-1929) केल्विन कूलिज का आग्रह था कि पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन के साथ, दोनों रिपब्लिकन और डेमोक्रेट को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। मूर्तिकार गुट्ज़ॉन बोर्गलम और 400 कर्मियों ने यह काम 1927 में शुरू करके 1941 में पूरा किया। यह काम पूरा हो ही रहा था कि मार्च 1941 में बोर्गलम का निधन हो गया। तब उनके बेटे लिंकन बोर्गलम ने इस काम को पूरा किया। मूलतः इसमें कमर तक की प्रतिमाएँ बनाने की योजना थी, पर अपर्याप्त धन के कारण इसे इतना ही बनाया जा सका। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 22 फरवरी, 2025 को प्रकाशित


Saturday, February 15, 2025

ध्रुव तारा क्या है?

साहित्य में अक्सर ‘ध्रुव-सत्य’ का इस्तेमाल अटल या अपरिवर्तनीय सत्य के रूप में होता। वास्तव में यह एक तारा नहीं है, बल्कि तारामंडल है, जिसमें छह मुख्य तारे हैं। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में 50वाँ सब से चमकदार तारा है, और लगभग 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। मुख्य ध्रुवतारा पोलरिस एए एफ7 श्रेणी का महादानव नक्षत्र है, जो उर्सा माइनर तारामंडल में स्थित है। इसके दो छोटे साथी हैं। पोलरिस एए का द्रव्यमान हमारे सूर्य का 5.4 गुना है। पोलरिस बी का 1.39 सौर द्रव्यमान है। एफ3वी श्रेणी का यह तारा 2400 खगोलीय इकाइयों (एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) की दूरी पर पोलरिस एए की परिक्रमा कर रहा है। धरती से सूरज की दूरी को एक एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट माना जाता है। तीसरा पोलरिस एबी एफ6 तारा है, जिसका द्रव्यमान 1.26 सौर द्रव्यमान है। चूंकि पोलरिस एए सीध में केवल मामूली झुकाव के साथ उत्तरी ध्रुव के ऊपर है इसलिए उसकी स्थिति हमेशा एक जैसी लगती है। सन 3100 के आसपास एक दूसरा तारा-मंडल उसका स्थान ले लेगा। मंदाकिनियों के विस्तार की वजह से धरती और सौरमंडल की स्थिति धीरे-धीरे बदलती है। तीन हजार साल पहले ध्रुव तारा वही नहीं था, जो आज है। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 15 फरवरी, 2025 को प्रकाशित



Sunday, February 9, 2025

यूनिकोड फॉन्ट क्या है?

जब धातु से ढाले गए अक्षरों या फॉन्ट के माध्यम से छपाई होती थी, तब छापाखाने में हरेक भाषा के अलग-अलग केस होते थे। अलग-अलग पॉइंट के, अलग-अलग टाइप फेस को रखना आसान काम नहीं था। कंप्यूटर के आगमन से यह काम कुछ आसान हो गया, पर इंटरनेट के आगमन के बाद गैर-अंग्रेजी, खासतौर से भारतीय भाषाओं के सामने समस्या आई। उन्हें पढ़ने के लिए फॉन्ट को डाउनलोड करने की जरूरत होती थी। यूनिकोड वैश्विक-मानक सॉफ़्टवेयर है, जिसे अमेरिका के यूनिकोड कंसोर्शियम ने वर्णों की एक व्यापक श्रेणी का प्रतिनिधित्व करने के लिए डिज़ाइन किया है। यह सभी भाषाओं के टेक्स्ट को एक ही तरीके से कोडित और प्रदर्शित करने का काम करता है। इसका इस्तेमाल सभी प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउज़र, सर्च इंजन, लैपटॉप, स्मार्टफ़ोन, और पूरे इंटरनेट में होता है। यह फ़ॉन्ट, ग्लिफ़ (यानी लिपि और दूसरे चिह्नों) को यूनिकोड मानक में परिभाषित कोड बिंदुओं पर मैप करता है। इसमें हर अक्षर के लिए एक खास संख्या होती है, जिसे यूनिकोड वर्ण कोड कहते हैं। इंटरनेट का विकास और विस्तार निजी क्षेत्र की कंपनियों ने किया है। इस लिहाज से इसकी उपलब्धि, महत्वपूर्ण और विश्वव्यापी है। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 8 फरवरी, 2025 को प्रकाशित



Tuesday, February 4, 2025

खेल प्रतियोगिताओं के मेडल

खेल की दुनिया का सबसे बड़ा समारोह होता है ओलंपिक। इसकी प्रेरणा यूनान के पुराने खेल समारोहों से ली गई है, जो ईसा से आठ सदी पहले से लेकर ईसा की चौथी सदी तक ओलंपिया में होते रहे। यानी तकरीबन बारह सौ साल तक ये खेल यूनान में हुए। पुराने यूनान में सिर्फ ओलंपिक ही नहीं, चार खेल समारोह होते थे। इन खेलों में विजेता को पदक नहीं दिए जाते थे, बल्कि उनके माथे पर जैतून के उस पेड़ की पत्तियों को बाँधा जाता था, जो ओलंपिया में लगा था। जब 1896 में आधुनिक ओलंपिक खेल शुरू हुए तो जैतून की पत्तियों की जगह मेडल ने ली। 1896 के पहले और सन 1900 के दूसरे ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल नहीं दिए गए। उनमें चाँदी और ताँबे के मेडल क्रमशः विजेता और उपविजेता को दिए गए। 1904 में अमेरिका के मिज़ूरी में तीन मेडलों का चलन शुरू हुआ। ओलंपिक के गोल्ड मेडल का आकार, डिजाइन और वज़न अलग-अलग ओलंपिक खेलों में बदलता रहता है। पदकों के अलावा खेलों में टीमों को ट्रॉफी और शील्ड भी दी जाती हैं। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 1 फरवरी, 2025 को प्रकाशित



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