Saturday, November 8, 2025

खेल के मैदान में हाई फाइव

आपने देखा होगा कि खेल के मैदान में दो खिलाड़ी खुशी, सफलता या उत्साह को व्यक्त करने के लिए अपनी हथेलियों को हवा में उठाकर आपस में टकराते हैं। यह एक नया चलन है। इसकी शुरुआत सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में मानी जाती है, और इसका श्रेय आमतौर पर अमेरिकी बेसबॉल या बास्केटबॉल के खिलाड़ियों को दिया जाता है। माना जाता है कि 1977 या 1978 में लॉस एंजेलस डॉजर्स बेसबॉल टीम के खि
लाड़ी डस्टी बेकर और ग्लेन बर्क ने पहला हाई फाइव किया था। बेकर ने एक होम रन मारा
, तो बर्क ने खुशी में हाथ ऊपर उठाया, और बेकर ने उसकी हथेली पर जवाबी थपकी दी। यह ‘पहला हाई फाइव’ माना जाता है। बाद में यह इशारा तेजी से बास्केटबॉल, फुटबॉल, क्रिकेट और लगभग हर खेल में फैल गया। हाई फाइवकी तरह ‘लो फाइवभी होता है, जिसमें दोनों लोग अपना हाथ कमर उससे नीचे रखकर हथेलियाँ नीचे की दिशा में टकराते हैं। पुराने ज़माने में जैसे दोस्त मिलते वक्त या ‘ठीक है’ कहने के लिए ‘लो फाइव’ करते थे। इसकी शुरुआत 1920–1930 के दशक में अफ़्रीकी-अमेरिकी संस्कृति में हुई थी। इसे ‘गिविंग स्किनभी कहा जाता था।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 08 नवंबर 2025 को प्रकाशित

 

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...