अगर पृथ्वी गोल है तो नीचे की साइड के लोग गिरते क्यों नहीं?
पंकज गुप्ता,
धरती गेंद की तरह गोल तो होती है, साथ ही उसमें गुरुत्व शक्ति होती है। यह गुरुत्व शक्ति सारी चीजों को धरती के केन्द्र की ओर खींचती है। इसलिए सारी चीजें धरती पर रहती हैं। आसमान, हवा, पानी, सागर, झीलें, इंसान और जानवर सब धरती के गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती पर रहते हैं। इस बात को आएज़क न्यूटन ने धरती पर गिरते सेब के उदाहरण से समझाया था। पर यह शक्ति क्या होती है, कहाँ से आती है और क्या यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड में है? इसे न्यूटन के करीब दो सौ साल बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने साफ किया कि अंतरिक्ष खाली नहीं है। गुरुत्वाकर्णण शक्ति ब्रह्मांड में मौजूद नक्षत्रों, ग्रहों तथा तमाम तरह के पिंडों में है।
चेकोस्लोवाकिया के बारे में कुछ बताएं
नोरत मल
चेको-स्लोवाकिया मध्य यूरोप में बीसवीं सदी के शुरू में बना एक स्वतंत्र सम्प्रभु देश था। इसमें मुख्य रूप से चेक और स्लाव राष्ट्रीयताओं या कौमों के लोग रहते थे। 28 अक्टूबर 1918 को इस देश का ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के टूटने के बाद जन्म हुआ था। इसमें मोराविया, बोहेमिया और साइलेशिया के चेक और औद्योगिक रूप से पिछड़े स्लोवाकिया तथा करपाथिया के गरीब इलाके भी थे। इस देश में चेक और स्लावों के अलावा 22 फीसदी जर्मन और 5 फीसदी हंगेरियन और कुछ पोलिश लोग भी रहते थे। इस लिहाज से यह बहुजातीय देश था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यह देश फिर समाप्त हो गया। इसके बड़े हिस्से पर जर्मनी ने कब्ज़ा कर लिया। कुछ हिस्से पर पोलैंड का और कुछ पर हंगरी का कब्ज़ा हो गया। पर चेकोस्लोवाकिया की एक निर्वासित सरकार विदेशों में कायम रही। विश्व युद्ध खत्म होने के बाद यह देश फिर से स्थापित हुआ। इसके बाद हुए चुनाव में यहाँ कम्युनिस्ट पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। हालात ऐसे बने कि 1948 में यहाँ पूरी तरह कम्युनिस्टों की एक-दलीय व्यवस्था लागू हो गई।
साम्यवादी व्यवस्था लागू होने के बावज़ूद चेकोस्लोवाकिया में उदार विचारों का असर भी था। वहाँ के नए नेता दुबचेक की नई नीतियाँ कम्युनिस्ट जगत के नेता सोवियत संघ को पसंद नहीं थीं। इसलिए 1968 में यहाँ वॉरसा पैक्ट की सेना ने प्रवेश किया। कम्युनिज्म से छुटकारा लेने वाले देशों में चेकोस्लोवाकिया शुरूआती देश था। 1989 में यहाँ की कम्युनिस्ट सरकार का पतन हो गया। उधर स्लोवाकिया में भी राष्ट्रीय आंदोलन शुरू हो गया था। अंततः जनवरी 1993 में चेक गणराज्य और स्लोवाकिया अलग-अलग देश बन गए।
रणथम्भौर का किला किसने बनवाया?
श्रवण सिंह,
रणथम्भौर के निर्माण का समय एवं निर्माता के बारे में निश्चित जानकारी नहीं है। सामान्यतः यह माना जाता है कि इस क़िले का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। यह भी माना जाता है कि चौहान सम्राट सपालदक्ष ने 944 में इसका निर्माण कराया। हाँ इतना ज़रूर लगता है कि इसका निर्माण एक सदी से ज्यादा समय तक चलता रहा। ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी तक इस क़िले की प्रसिद्धि इतनी फैल चुकी थी कि तत्कालीन समय के विभिन्न ऐतिहासिक महत्त्व के ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इतिहास में सर्वप्रथम इस क़िले पर चौहानों के आधिपत्य का उल्लेख मिलता है। यह सम्भव है, कि चौहान शासक रंतिदेव ने इसका निर्माण करवाया हो।
राजस्थान पत्रिका में मेरे कॉलम नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
रोचक जानकारी। आभार1
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गुडिया रानी हुई सयानी..
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
शुक्रिया।
ReplyDeleteachhi jaankari..sukriya..
ReplyDeletegyaanverdhak jaankaari.thanks
ReplyDeleteplease visit my blog and feel free to comment.
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है .
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच