Friday, February 17, 2012

संसद के शून्यकाल का मतलब क्या है?


संसद में चलने वाले शून्य काल का मतलब क्या है? विस्तार से बताएं.
निशा हरिसिंगनी, बूंदी 

संसद में शून्यकाल एक अपरिभाषित भारतीय व्यवस्था है। यह साठ के दशक से शुरू हुआ और अब हमारी संसदीय व्यवस्था का अभिन्न अंग बन गया है। आमतौर पर यह प्रश्न प्रहर के बाद शुरू होता है और लंच तक चलता है। इसमें कोई भी सा मामला उठाया जा सकता है जिसकी औपचारिक सूचना पहले से न हो। इसका शून्य प्रहर नाम भी मीडिया में इसके प्रयोग से हो गया। इसका समय निर्धारित नहीं है। कई बार यह होता भी नहीं और कई बार दो-तीन घंटे तक चलता है। 
किसी गाडी की नम्बर प्लेट पर लिखे अंग्रेजी अक्षरों का क्या मतलब होता है? नई गाडी की प्लेट पर लिखे "ए एफ " का मतलब बताएं। भूलाराम कडवासरा , जोधपुर 
लाइसेंस प्लेट जिसे आमतौर पर नम्बर प्लेट कहा जाता है एक नियम से बनती है। इसमें पहले दो अक्षर राज्य के नाम के संक्षेप रूप में होते हैं। इसके बाद का नम्बर जिले का नम्बर होता है। इसके आगे गाड़ी के वर्ग का संक्षिप्त रूप होता है। सी माने कार. एस माने टू ह्वीलर, पी माने पब्लिक पैसेंजर ह्वीकल, टूरिस्ट लाइसेंस ह्वीकल के लिए टी, थ्री ह्वीलर रिक्शा के लिए आर, पिकअप ट्रक और वैन के लिए वी तथा किराए कि गाड़ी के लिए वाई। इसके बाद चार अंकों का एक नम्बर होता है। जब गाड़ियों की संख्या इससे भी ज्यादा हो जाती है तो इन चार अंकों के पहले एक अक्षर बढ़ा देते हैं। जब सारे अक्षर पूरे हो जाते हैं तो दो अक्षर बढ़ा देते हैं। एएफ का मतलब है एप्लाइड फॉर यानी इस गाड़ी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है।

पीपीएफ(जन भविष्य निधि) क्या है? इसकी प्रक्रिया के बारे में बताएं।
सर्वेश्वर बाना
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड बचत और टैक्स बचत का एक इंस्ट्रूमेंट है। बचत करने का खता। इसका एक उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना भी है। खासतौर से ऐसे व्यक्तियों को जिन्हें अपनी नौकरी में भविष्यनिधि की सुविधा नहीं मिली है। भारत में यह पोस्ट ऑफिस, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तथा कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं में खोला जा सकता है। इसमें हर साल कम से कम 500 और ज्यादा से ज्यादा 1,00,000 रु की रकम जमा की जा सकती है, जिसपर आयकर में छूट भी मिलती है। यह खाता कम से कम पन्द्रह साल के लिए खोला जाता है। यह व्यवस्था पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक्ट 1968 के अंतर्गत काम करती है, जिसे भारतीय संसद ने 1968 में पास किया था।
  

राजस्थान पत्रिका के कॉलम नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

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